Wednesday 21 September 2016

हमें अपने संस्कारों तथा रीति-रिवाजों को महत्व देना चाहिए

सभ्यता तथा संस्कृति के प्रति स्वाभिमान सिखाते ठाकुर दलीप सिंह 
हमारा देश भारत महान है।इसकी सभ्यता और संस्कृति भी महान है इसलिए हमें अपने देश के प्रति स्वाभिमान होना चाहिए। सबसे पहले तो हमारे देश का नाम इंडिया या हिंदुस्तान नहीं बल्कि भारत है जो कि भरत नाम के प्रतापी और महान राजे के नाम पर रखा गया है। अन्य नाम तो विदेशियों द्वारा रखे हुए नाम है इसलिए हमें अपने देश के नाम भारत पर गर्व होना चाहिए कि हमारे देश जैसा कोई और देश हो ही नहीं सकता।
        इसी तरह सभी को अपनी-अपनी मातृभाषा का प्रयोग ही ज्यादा करना चाहिए। हमारी मातृभाषा हमारी अपनी माँ है। इसलिए हमें अपनी भाषा पर स्वाभिमान होना चाहिए। हमारी भाषा की विशेषता यह भी है की इसमें अंग्रेजी से ज्यादा अक्षर व शब्दावली हैं, अतः हमारी भाषा ज्यादा अमीर है। इसलिए अपनी भाषा पर गर्व करते हुए हमें दैनिक जीवन में, आपस में वार्तालाप करते समय Father , Mother , Brother, Sister , Uncle ,or Aunt की जगह; माता जी, पिता जी, वीर जी, बहन जी, चाचा जी, चाची जी, मामा जी, मामी जी, इत्यादि शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए जो कि ज्यादा प्यार व स्नेह के सूचक हैं। इसके अलावा आपस में एक दूसरे को मिलने पर नमस्ते, सत श्री अकाल या फतहि आदि बुलानी चाहिए। जो हमें हाथ जोड़ना ,एक दूसरे के चरण स्पर्श करना तथा सत्कार करना सिखाती है।हाथ मिलाना  हमारे संस्कारों में नहीं आता। वैसे भी एक दूसरे से हाथ मिलाने से शरीर में कीटाणु फैल सकते हैं। 
         शिक्षा की नींव भी हमारे देश में ही सबसे पहले रखी गई। गणित की शिक्षा ,योगा , आयुर्वेद जैसी शिक्षाएं भारत की ही देन है.
       अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व करते हुए हमें स्वदेशी प्रथा अर्थात अपने ही रीति -रिवाजों को अपनाना चाहिए। जैसे यदि हम अपने जन्म दिन मनाते हैं,तो उस अवसर पर हमें एक दूसरे को शुभ कामना हैप्पी बर्थडे तो यू कह कर नहीं," जन्म दिन की बधाई हो" कह कर देनी चाहिए।इसके अलावा हैप्पी बर्थडे टू यू गाने के बजाय गुरबाणी का शबद पुता माता की आसीश पढ़ना चाहिए,जिससे सतगुरु जी की खुशियां तथा कृपा प्राप्त होगी। इसी तरह जो हम केक काटने की परम्परा को अपना चुके हैं उसकी जगह कड़ाह प्रसाद बनाकर प्रसाद के रूप में दिया जा सकता है। यदि हमें काटकर ही कहना है है तो करद या चाकू की जगह किरपान का प्रयोग कर सकते हैं ,जो कम से कम हमारे संस्कारों में तो शामिल है। विशेष बात यह है कि क से केक, क से कड़ाह प्रसाद, क से करद और के से ही किरपान होती है। 
       अतः हमें अपने ही संस्कारों तथा रीति-रिवाजों को ही महत्व देना चाहिए तथा इन सब के प्रति हमारे अंदर स्वाभिमान की भावना होनी चाहिए।            (श्री ठाकुर दलीप सिंह जी के प्रवचनों में से)
द्वारा: प्रिंसिपल राजपाल कौर : 90231-50008,  ईमेल: rajpal16773@gmail.com

Tuesday 20 September 2016

सद्भावना से ही मिलेगा राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा

भाजपा नेता सतपाल महाराज ने किया लोगों की मंत्रमुग्ध 
हरिद्वार: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो): 
अब जबकि अलगाव और भेदभाव का जोर लगातार बढ़ रहा है उस नाज़ुक हालात में एक बार फिर सौहार्द की आवाज़ आई है हरिद्धार से। भाजपा नेता सतपाल महाराज ने एक आयोजन में कहा कि सद्भावना से ही राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसी से हम देश को मजबूत बना सकते हैं। वह मंगलवार को अपने जन्मदिन के मौके पर श्रीप्रेमनगर आश्रम में आयोजित दो दिवसीय सद्भावना सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी का परिचय उसके नाम से होता है, वैसे ही प्रभु का परिचय अंत:करण में प्रभुका नाम लेने और जानने से होता है। प्रत्येक देशवासी को देश के सर्वागीण विकास के लिए अपना बहुमूल्य योगदान देना होगा। इस अवसर पर लोगों ने उन्हें मंत्रमुग्ध हो कर सुना। 

स्वच्छता का भी दिया संदेश
सतपाल महाराज ने कहा कि भारत में कई जगह भारी मात्रा में कूड़ा जमा होकर दुर्गध व रोगों को फैलाता है, जो वातावरण व हमारे स्वास्थ्य लिए खतरा बना है। हमे कूड़े की रिसाइकिलिंग की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इस वैज्ञानिक सन्देश से पीढ़ी बेहद प्रभाविर हुई। युवक युवतियां उन्हें बहुत ध्यान से सुनते देखे गए। 
राज्य से पलायन पर जताई गहन चिंता 
सतपाल महाराज ने राज्य से हो रहे पलायन पर गहरी जताई।  उन्होंने कहा कि राज्य देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित है। यहां विकास न होने से क्षेत्रीय जनता को यातायात, स्वास्थ्य, शिक्षा की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इस कारण लोग पलायन कर रहे हैं। इससे पहले कार्यक्रम में सतपाल महाराज और अमृता रावत का माला पहना कर स्वागत किया गया। भजन कलाकारों ने देशभक्ति से ओत-प्रोत भजन प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन हरिसंतोषानंद ने किया। भक्ति संगीत और मौजूद हाल की चर्चा का यह मधुर संगम यादगारी रहा।  

Monday 29 August 2016

पार्वती ने शिव से उसे बचाने का अनुरोध किया

मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है.....।
एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था।
शाम हो गई थी। 
अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया।
गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई।
जब उसने नीचे झांका, तो देखा कि कुएं में 
चार अजगर मुंह खोले उसे देख रहे हैं
और जिस डाल को वह पकड़े हुए था, उसे दो चूहे कुतर रहे थे।
इतने में एक हाथी आया और पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा।
वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे भगवान अब क्या होगा।
उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था।
हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और
शहद की बूंदें टपकने लगीं।
एक बूंद उसके होठों पर आ गिरी।
उसने प्यास से सूख रही जीभ को होठों पर फेरा, 
तो शहद की उस बूंद में गजब की मिठास थी।
कुछ पल बाद फिर शहद की एक और बूंद उसके मुंह में टपकी।
अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल
गया।
तभी उस जंगल से शिव एवं पार्वती अपने वाहन से गुजरे।
पार्वती ने शिव से उसे बचाने का अनुरोध किया।
भगवान शिव ने उसके पास जाकर कहा-मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं। 
मेरा हाथ पकड़ लो।
उस इंसान ने कहा कि एक बूंद शहद और चाट लूं, फिर चलता हूं।
एक बूंद, फिर एक बूंद और हर एक बूंद के बाद अगली बूंद का इंतजार।
आखिर थक-हारकर शिवजी चले गए।
वह जिस जंगल में जा रहा था,
वह जंगल है दुनिया
और
अंधेरा है अज्ञान-
पेड़ की डाली है-आयु
दिन-रात रूपी चूहे उसे कुतर रहे हैं।
घमंड का मदमस्त हाथी पेड़ को उखाडऩे में लगा है।
शहद की बूंदें सांसारिक सुख हैं, जिनके कारण 
मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है.....।
यानी, सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते....!!
परमपाल सिंह ने शिरोमणि खालसा पंचायत ग्रुप में 27 अगस्त 2016 को 22:17 पर पोस्ट किया 

Saturday 27 August 2016

एक ऊँगली पर चलने वाले सुदर्शन चक्रपर भरोसा कर लिया

और दसों उँगलियों पर चलने वाळी बांसुरी को भूल गए ?
                                                                                                                                                                           साभार चित्र 
यह रचना हमें सोशल मीडिया ले ज़रिये प्राप्त हुई है जिसे कई लोगों ने भेजा है। इस लिए इसका वास्तविक लेखक कौन है इसका पता बहुत प्रयासों के बाद भी नहीं चल सका। इस लिए इसे यहाँ बिना नाम के ही छपा जा रहा है। इसमें छुपे गहन सन्देश को पहचानिये जिसे जन जन तक पहुँचाने की ज़रूरत जितनी आज है उतनी शायद पहले कभी नहीं थी। 
विचलित से कृष्ण ,प्रसन्नचित सी

राधा…
कृष्ण सकपकाए, राधा मुस्काई
इससे पहले कृष्ण कुछ कहते राधा बोल
उठी
कैसे हो द्धारकाधीश ? 
जो राधा उन्हें कान्हा कान्हा कह
के बुलाती थी
उसके मुख से द्धारकाधीश का संबोधन
कृष्ण को भीतर तक घायल कर गया
फिर भी किसी तरह अपने आप को
संभाल लिया
और बोले राधा से ………
मै तो तुम्हारे लिए आज भी कान्हा हूँ
तुम तो द्धारकाधीश मत कहो!
आओ बैठते है ….
कुछ मै अपनी कहता हूँ कुछ तुम अपनी
कहो
सच कहूँ राधा जब जब भी तुम्हारी
याद आती थी
इन आँखों से आँसुओं की बुँदे निकल
आती थी 
बोली राधा, मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं 
हुआ
ना तुम्हारी याद आई ना कोई आंसू
बहा
क्यूंकि हम तुम्हे कभी भूले ही कहाँ थे
जो तुम याद आते
इन आँखों में सदा तुम रहते थे
कहीं आँसुओं के साथ निकल ना जाओ
इसलिए रोते भी नहीं थे
प्रेम के अलग होने पर तुमने क्या खोया
इसका इक आइना दिखाऊं आपको ?
कुछ कडवे सच, प्रश्न सुन पाओ तो
सुनाऊ आपको ?
कभी सोचा इस तरक्की में तुम कितने
पिछड़ गए
यमुना के मीठे पानी से जिंदगी शुरू
की
और समुन्द्र के खारे पानी तक पहुच
गए ?
एक ऊँगली पर चलने वाले सुदर्शन चक्रपर
भरोसा कर लिया और
दसों उँगलियों पर चलने वाळी
बांसुरी को भूल गए ?
कान्हा जब तुम प्रेम से जुड़े थे तो ….
जो ऊँगली गोवर्धन पर्वत उठाकर
लोगों को विनाश से बचाती थी
प्रेम से अलग होने पर वही ऊँगली
क्या क्या रंग दिखाने लगी
सुदर्शन चक्र उठाकर विनाश के काम
आने लगी
कान्हा और द्धारकाधीश में
क्या फर्क होता है बताऊँ
कान्हा होते तो तुम सुदामा के घर
जाते
सुदामा तुम्हारे घर नहीं आता
युद्ध में और प्रेम में यही तो फर्क होता
है
युद्ध में आप मिटाकर जीतते हैं
और प्रेम में आप मिटकर जीतते हैं
कान्हा प्रेम में डूबा हुआ आदमी
दुखी तो रह सकता है
पर किसी को दुःख नहीं देता
आप तो कई कलाओं के स्वामी हो
स्वप्न दूर द्रष्टा हो
गीता जैसे ग्रन्थ के दाता हो
पर आपने क्या निर्णय किया
अपनी पूरी सेना कौरवों को सौंप
दी?
और अपने आपको पांडवों के साथ कर
लिया
सेना तो आपकी प्रजा थी
राजा तो पालाक होता है
उसका रक्षक होता है
आप जैसा महा ज्ञानी
उस रथ को चला रहा था जिस पर
बैठा अर्जुन
आपकी प्रजा को ही मार रहा था
आपनी प्रजा को मरते देख
आपमें करूणा नहीं जगी
क्यूंकि आप प्रेम से शून्य हो चुके थे
आज भी धरती पर जाकर देखो
अपनी द्धारकाधीश वाळी छवि
को
ढूंढते रह जाओगे हर घर हर मंदिर में
मेरे साथ ही खड़े नजर आओगे
आज भी मै मानती हूँ
लोग गीता के ज्ञान की बात करते हैं
उनके महत्व की बात करते है
मगर धरती के लोग
युद्ध वाले द्धारकाधीश पर नहीं
प्रेम वाले कान्हा पर भरोसा करते हैं
गीता में मेरा दूर दूर तक नाम भी नहीं
है
पर आज भी लोग उसके समापन पर
” राधे राधे” करते है”

Friday 15 July 2016

वह आदमी अकेला था और डर गया और भागने लगा//Osho

Priti Bhardwaj ने मंगलवार 14 जुलाई 2016 को पोस्ट किया 
!! छाया !!
मैंने सुना है कि एक गांव में एक बार 
एक आदमी को एक बड़ा पागलपन सवार हो गया। 
वह एक रास्ते से गुजर रहा था। 
भरी दोपहरी थी, अकेला रास्ता था, निर्जन था। 
तेजी से चल रहा था कि निर्जन में कोई डर न हो जाए।
हालाकि डर वहां हो भी सकता है,
जहां कोई और हो, जहां कोई भी नहीं है,
वहां डर का क्या उपाय हो सकता है!
लेकिन हम वहां बहुत डरते हैं,
जहां कोई भी नहीं होता है।
असल में हम अपने से ही डरते हैं।
और जब हम अकेले रह जाते हैं,
तो बहुत डर लगने लगता है।
हम अपने से जितना डरते हैं,
उतना किसी से भी नहीं डरते।
इसलिए कोई साथ हों
—कोई भी साथ हो
—तो भी डर कम लगता है।
और बिलकुल अकेले रह जाएं,
तो बहुत डर लगने लगता है।
वह आदमी अकेला था और
डर गया और भागने लगा।
और सन्नाटा था, सुनसान था,
दोपहर थी, कोई भी न था।
जब वह तेजी से भागा,
तो उसे अपने ही पैरों की आवाज पीछे
से आती हुई मालूम पड़ी।
और वह डरा कि शायद कोई पीछे है।
फिर उसने डरे हुए,
चोरी की आख से पीछे झांककर देखा,
तो एक लंबी छाया उसका पीछा कर रही थी।
वह उसकी अपनी ही छाया थी।
लेकिन यह देखकर कि
कोई लंबी छाया पीछे पड़ी हुई है,
वह और भी तेजी से भागा।
फिर वह आदमी कभी रुक नहीं
सका मरने के पहले।
क्योंकि वह जितनी तेजी से भागा,
छाया उतनी ही तेजी से उसके पीछे भागी।
फिर वह आदमी पागल हो गया।
लेकिन पागलों को पूजनेवाले भी मिल जाते हैं।
जब वह गांव से भागता हुआ निकलता और
लोग देखते कि वह भागा जा रहा है,
तो लोग समझते कि वह बड़ी तपश्चर्या में रत है।
वह कभी रुकता नहीं था।
वह सिर्फ रात के अंधेरे में रुकता था,
जब छाया खो जाती थी।
तब वह सोचता था कि अब कोई पीछे नहीं है।
सुबह हुई और वह भागना शुरू कर देता था।
फिर तो बाद में उसने रात में भी रुकना बंद कर दिया।
उसे ऐसा समझ में आया कि
जब तक मैं विश्राम करता हूं?
मालूम होता है,
जितना दूर भागकर दिन भर में
मैं दूर निकलता हूं,
उतनी देर में छाया फिर वापस आ जाती है,
सुबह फिर मेरे पीछे हो जाती है।
तब उसने रात में भी रुकना बंद कर दिया।
फिर वह पूरा पागल हो गया।
फिर वह खाता भी नहीं, पीता भी नहीं।
भागते हुए लाखों की भीड़ उसको देखती,
फूल फेंकती।
कोई राह चलते उसके हाथ में रोटी पकड़ा देता,
कोई पानी पकड़ा देता।
उसकी पूजा बढ़ती चली गई।
लाखों लोग उसका आदर करने लगे।
लेकिन वह आदमी पागल होता चला गया।
और अंततः वह आदमी एक दिन गिरा और मर गया।
गांव के लोगों ने, जिस गांव में वह मरा था,
उसकी कब्र बना दी एक वृक्ष के नीचे छाया में।
और उस गांव के एक बूढ़े फकीर से उन्होंने पूछा कि
हम इसकी कब्र पर क्या लिखें?
तो उस फकीर ने एक लाइन उसकी कब पर लिख दी।
किसी गांव में, किसी जगह, वह कब्र अब भी है।
हो सकता है, कभी आपका उस जगह से निकलना हो,
तो पढ़ लेना।
उस कब्र पर उस फकीर ने लिख दिया है कि
यहां एक ऐसा आदमी सोता है,
जो जिंदगी भर अपनी छाया से भागता रहा है,
जिसने जिंदगी छाया से भागने में गंवा दी।
और उस आदमी को इतना भी पता नहीं था,
जितना उसकी कब को पता है।
क्यौंकि कब्र छाया में है और भागती नहीं,
इसलिए कब्र की कोई छाया ही नहीं बनती है।
इसके भीतर जो सोया है
उसे इतना भी पता नहीं था,
जितना उसकी कब को पता है।
हम भी भागते हैं। 
हमें आश्चर्य होगा कि
कोई आदमी छाया से भागता था।
हम सब भी छायाओं से ही भागते रहते हैं। 
और जिससे हम भागते हैं, 
वही हमारे पीछे पड़ जाता है।
और जितनी तेजी से हम भागते हैं, 
उसकी दौड़ भी उतनी ही तेज हो जाती है, 
क्योंकि वह हमारी ही छाया है।
मृत्यु हमारी ही छाया है। 
और अगर हम उससे भागते रहे तो हम 
उसके सामने कभी खड़े होकर 
पहचान न पाएंगे कि वह क्या है। 
काश, वह आदमी रुक जाता और 
पीछे लौटकर देख लेता, 
तो शायद अपने पर हंसता और कहता,
कैसा पागल हूं, छाया से भागता हूं।
-मैं-मृत्‍यु-सिखाता-हूं

(प्रीति सभरवाल के प्रोफाईल से साभार)

Wednesday 6 April 2016

सीस गंज साहिब: दिल्ली निगम ने छबील तोड़ी संगत ने फिर बना ली

एकशन के खिलाफ सिक्ख संगत में भारी रोष 
पुरानी दिल्ली: 6 अप्रैल 2016: (आराधना टाइम्ज़ ब्यूरो): 
गर्मी का मौसम शुरू होते ही आम लोगों को निशुल्क पेय जल से वंचित करना एक बेशर्मी भरा कदम है। हो सकता है किसी ने किसी चहेते को वहां पनि बेचने का ठेका देना हो पर कम से कम गुरु घर का तो सम्मान रख होता। कहना "हिन्द दी चादर" और तोड़नी वहां की छबील ! जितनी लानत भेजो उतनी कम है। इस एकशन का प्रभाव सोशल मीडिया पर भी पड़ा।  गुरुद्वारा सीसगंज साहिब के प्यायू को तोड़ने की सख्त निंदा सोशल मीडिया में भी दिखी। एक पोस्ट आप भी देखिये जो हमें वाटसप पर बने एक ग्रुप सिक्ख वर्ल्ड नाम के ग्रुप से।

एक देश ऐसा कमाल .. 

जहाँ 100 गज का घर पुलिस और एम्.सी.डी. को घूस दे कर सरकारी जमीन पर 120 गज का बना लिया जाता है और वो नाजायज़ कब्ज़ा कुछ हज़ार रूपए में जायज़ बना दिया जाता है ! 
सिक्ख वर्ल्ड 

जहाँ लोग 120 गज का बनाने के बाद भी 10 फुट गली घेर कर वहां पौधे लगाते है, ग्रिल लगाते है फिर उस के बाद भी कार अन्दर नहीं खड़ी करते बल्कि बची हुई सडक पर खड़ी करते है .. यह सब भी सरेआम जायज़ बना दिया जाता है ! 

जहाँ लोग रोज़ दूकान बंद नहीं करते बल्कि "बढाते" है.. और बढाते बढाते 10-20 फुट सरकार जगह पर सरेआम पुलिस और एम्.सी.डी. को घूस दे कर कब्ज़ा कर लेते है... दिल्ली के अधिकत्तर फुटपाथ इस अतिक्रमण का शिकार है... पर धन्य है सरकार जिसे यह सब नहीं दीखता !

जहाँ ज्यादातर पुलिस चौकियां खुद सरकारी जमीन पर नाजायज़ कब्ज़ा कर के बनायी गयी हैं ... सभी मार्केट्स में सरे राह कब्ज़े हैं..... सड़कों पर रिक्शा और ऑटो का नाजायज़ कब्ज़ा है ... पूरे पूरे धर्म स्थान नाजायज़ कब्ज़े कर के बने हुए हैं... पर कौन देखे... वहां बनी नाजायज़ दुकानों को ?

पर प्रशासन को दीखता है एक गुरुद्वारा सीस गंज साहिब के बाहर बना "आम जनता की सेवा में जुटा प्याऊ (छबील)", जहाँ सभी धर्मों के मानने वालों और समस्त नागरिकों को बिना भेदभाव के प्यार सहित पूरे साल पानी पिलाया जाता है ! उसे तोड़ने के लिए प्रशासन को मज़ा आता है क्योंकि वाहवाही मिलती है .... उनसे जो धर्म की राजनीति करना चाहते है..... उनसे जो चाहते है की देश में अमन-कानून भंग हो.... !

लंगर तो चलेंगे .... पानी की छबीलें भी लगेंगी ... बिना भेद भाव के ..... !

कानून अँधा होता था यह सुना था... वैसे अँधा तो धृतराष्ट्र भी था .... पर उसने अपने पुत्रों को लाभ देने के लिए अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया.. उसी प्रकार आज कानून भी ताकत का सदुपयोग नहीं बल्कि दुरूपयोग कर रहा है ! 

- बलविंदर सिंघ बाईसन

Monday 28 March 2016

श्री प्रेम धाम में 21 से 23 अप्रैल तक विशेष आयोजन

मास्टर सलीम, लखविन्द्र वडाली और जौनी सूफी भी करेंगे आध्यात्मिक गायन 
लुधियाना: 27 मार्च 2016: (आराधना टाइम्ज़ ब्यूरो); 
विवादों, आरोपों और साज़िशों के बावजूद बंटी बाबा अपनी मस्त चाल चलते हुए अपने मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। विरोधियों की लाख कोशिशों के बावजूद न तो बंटी बाबा के चाहने वालों की संख्या कम हुयी और न ही उनके दरबार में पहुँचने वालों की भीड़। श्रीप्रेम धाम में प्रेम के संदेश का प्रचार जारी है। श्री प्रेम धाम की तरफ से 21 अप्रैल को आयोजित होने वाली विशाल रथयात्रा मे चांदी के रथ पर विराजमान दाता सरकार देंगे भक्तों को दर्शन 
श्री प्रेम धाम में सर्वधर्म प्रचारक श्री बंटी बाबा जी के सान्ध्यि में 21 से 23 अप्रैल तक होने वाले तीन दिवसीय वार्षिक मेले के उपलक्ष्य मे 21 अप्रैल वीरवार को आयोजित होने वाली विशाल रथयात्रा मे चांदी के रथ पर विराजमान होकर दाता सरकार भक्तों को दर्शन देगे । रथयात्रा 21 अप्रैल को दोपहर 1 बजे दरेसी मैदान से आरम्भ होकर, वेद मंदिर चौंक, शिवपुरी रोड, टूटीयां वाला मंदिर, शिवपुरी चौंक, नैशनल हाइवे के रास्ते देर काकोवाल रोड स्थित श्री प्रेम धाम के प्रांगण में महाआरती के साथ संपन होगी। उपरोक्त जानकारी श्री प्रेम धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष नरिन्द्र गुप्ता ने रविवार को श्री प्रेम धाम परिसर में सर्वधर्मप्रचारक श्री  बंटी बाबा जी की अध्यक्षता में मेले की तैयारियों संबधी बैठक को संबोधित करते हुए दी। रथयात्रा की रुपरेखा बताते हुए उन्होने कहा कि रथयात्रा मार्ग पर भक्त सैंकड़ो स्थलों पर ढोल-नगाढ़ो के साथ रंगोली बिछाकर अपने ईष्टदेव दाता सरकार का स्वागत कर भोग अर्पित कर संगत में वितरित करेंगे। 22 व 23 अप्रैल को सायंकालीन संकीर्तन सभा में विश्व प्रसिद्घ गायक मास्टर सलीम, लखविन्द्र वडाली, जौनी सूफी और अमरेन्द्र सिंह क्रमवार भजन संकीर्तन से श्रद्घालुओं को भाव विभोर करेंगे। वहीं देश भर सं संत व महापुरुष मेले में शामिल होकर भक्तों को आर्शीवचनों के माध्यम से आर्शीवाद देकर मेले की शोभा को बढ़ाएंगे। इस अवसर पर गोपाला बाबा,सुदेश गोयल,रवि गोयल,विनोद गोयल,अशोक भारती, मनमोहन मित्तल,,ललित गोयल,अशोक जिंदल, अमित गुप्ता,लवली भोड़ा,अश्वनी शर्मा,धीरज जैन,अंकित जैन,विक्की शर्मा,अमित नागपाल, अमृत सिंह,अशोक कुमार,सुमित वर्मा,बॉबी जगोता,शिवम खन्ना,जस्सी,सनी,रवि कुमार,शिंदा,साहिल वर्मा,गौरव गोगना,जीवन कुमार,राकेश कुमार ,सुधीर कुमार,लितेश महाजन,बॉबी बहल,अनिल गोयल,सतनाम सिंह,साहिल कुमार,कपिल गोयल,ललित गोयल भी मौजूद थे। 

Sunday 27 March 2016

देश भर में बेटी बचाओ ,सशकत बनाओ अभियान

Sat, Mar 26, 2016 at 7:22 PM
PM नरिंदर मोदी के आदेशों पर लुधियाना में भी विशेष आयोजन 
लुधियाना: 26 मार्च 2016: (आराधना टाइम्ज़ ब्यूरो):
समाज में महिलायों को समान अधिकार दिलाने और कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने  के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरिंदर मोदी के आदेशों पर देश भर में बेटी बचाओ ,सशकत बनाओ नाम से जन -जाग्रति अभियान अखिल भारतीय सतर पर चलाया  जा रहा है।  यह रैली अभियान  देश के विभिन्न  शहरों व् कस्बों में जन जन तक सन्देश देता हुआ लुधियाना में भी पहुंचा। यह रैली शाम को ताजपुर रोड पर स्थित जेल, नारंगवाल नर्सिंग कालेज, आई.टी बी. पी.सिलाई सकूल, पुलिस लाइन से होती हुई आखिर में फिरोज़पुर रोड पर स्थित परजापिता ब्रह्माकुमारीज ईष्वरीय विशव विद्यालय के विश्व शांति सदन पे पहुंची जहाँ पर राज दीदी की अधयक्षता में  एक कार्यक्रम का आयोजन  किया गया। यहाँ शहर के  गणमान्य लोगो ने शिरकत की इसमें अलग अलग उपस्थित वक्ताओं ने अपने अपने भाषण में बोलते हुए कहा कि सरकारों की तरफ से कई प्रयास किये जा रहे हैं परन्तु असलियत यह है कि आज भी बेटियां और महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। समाज में महिलायों को उनका हक़ दिलवाने के लिए, बेटियों के जन्म को सत्कार देने के लिए, उन्हें बेटों के समान प्यार और अधिकार देने के लिए और उन्हें कामयाबी की ऊंचाइयों छूने के लिए पंख देने के लिए पहल करने की अति आवष्यकता है।  इसी लक्ष्य से प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय और राजयोग एजुकेशन एवं रिसर्च फाउंडेशन की महिला प्रभाग ने कहा की `बेटी बचाओ सशक्त बनाओ- अभियान अखिल भारतीय स्तर पर निकाला जा रहा है। इस अभियान का मुख्य उदेश्य बच्चियों को बचाना, भ्रूण हत्या, दहेज की खातिर होने वाली हत्याएं रोकना, घरेलू हिंसा, बलात्कार और औरतों पर होने वाले ज़ुल्मों के प्रति औरतों में नैतिक और आध्यामिक जागृति लाना है।  इस के साथ ही मर्दों के तानाशाही रवैये में बदलाव लाना है।  अनेक शहरों में अपना सन्देश छोड़ता हुआ यह अभियान 26 मार्च को लुधियाना पहुंचा। इसका मकसद महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण के लिए समाज को जागरूक करने का संदेश देना  है। इस कार्यक्रम में मधुबन से ज्ञानामृत मंथली के एडिटर उर्मिल दीदी, कुल्लू से किरण बहन और अनीता बहन ने विशेष तौर पर शिरकत की। औरतों को समाज में उनका बनता स्थान दिलाने के लिए कई कार्यक्रम करवाए गए। उन्होंने बताया कि महिला सशक्तिकरण और स्वयं की सुरक्षा के लिए औरतों को जागरूक करने के लिए बेशक इस अभियान  का  एक अप्रैल को अमृतसर में समापन हो जायेगा परन्तु  सम्पूर्ण भारत में जन जागृति  जारी रहेगी इस मोके पर बहुत से म्ह्त्बपूर्ण लोग भी उपस्थित थे। 

Monday 15 February 2016

श्री मति कांता रानी जी की रसम किरया मंगलवार को

पत्रकार अशोक भारती के सभी मित्रों में शोक की लहर 
लुधियाना: 15 फ़रवरी 2016: (आराधना टाइम्ज़ ब्यूरो):
इन्सान इन्सान बनाने में मां का बहुत बड़ा योगदान होता है। ज़िन्दगी सभी दुखद हालात की आँधियों में से निकाल कर सुरक्षित विकास देने वाली मां जब नहीं रहती तभी अहसास होता उसकी महानता का। दुःख का यह समय असहनीय होता है। अपने जीवन स्रोत से टूट जाने का अहसास बार बार होता है लेकिन इंसान बेबस  हो जाता है। कुछ यही घटित हुआ है अशोक भारती जी के साथ। दैनिक जागरण के पत्रकार, लुधियाना प्रेस क्लब के कोषाध्यश व महानगर से संचालित श्री प्रेम धाम, श्री दुर्गा सेवक संघ, श्री बाला जी सेवा परिवार, श्री इच्छापूर्ण बाला जी ट्रस्ट, इस्कॉन लुधियाना, लाइव ज़िन्दगी फाउंडेशन आदि संस्थाओ से जुड़े अशोक भारती की पूजनीय माता श्री मति कांता रानी जी का 5 फरवरी को निधन हो गया था। उनकी श्रद्धांजलि सभा व रसम किरया आज 16 फरवरी को डिवीजन नंबर 3 के नजदीक स्थित प्राचीन गौशाला के अभिषेक हाल में दोपहर 2 से 3 बजे तक होगी।
मां की कमी तो कोई भी पूरी नहीं कर सकता लेकिन बेबसी और दुःख के इस समय में हम भी अशोक भारती जी के साथ हैं। उनके इस दुःख में हम सभी भी शामिल हैं।