Tuesday 12 September 2017

आज सारा संसार बारूद के ढेर पर बैठा है

Tue, Sep 12, 2017 at 5:48 AM
मन को बेलगाम छोड़े रखा तो विनाश निश्चित
लुधियाना: 12 सितम्बर 2017:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्धारा लोहारा में चल रहे दो दिवसीया सतसंग विचारों के दुसरे दिन की अध्यक्षता करते हुए श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी तेजस्वनी भारती जी ने प्रवचन करते हुए कहा कि सादा सरल और सफल जीवन जीने के लिए कुदरत को समझना बहुत जरूरी है। मानव का कुदरत के नियमों के साथ अटूट संबंध है। मानव ने कुदरत में से ही जन्म लिया है लेकिन आज इंसान की जिन्दगी के अलग-अलग क्षेत्रों में गंभीर संकटो का सामना कर रहा है। पदार्थवाद का बढ़ रहा असर और जीवन में सुख प्राप्त करने की लालसा ने मानव की सामाजिक दशा के ऊपर बहुत असर डाला है। जिस कारन इंसान रूझान ऊँच कदरों कीमतों से मुडकर भ्रष्टाचार, नफरत और ईर्खा की और ज्यादा हो गया है। इसी कारण सत्य, दया और नैतिकता जैसे सदाचारक पहलुओं पर आधारित जीवन की कदरों कीमतों को बहुत नुकसान पहुँचा है। परिवारिक रिश्तों में विखराव बड़ गया है। इसको रोका जा सकता है अगर कुदरत के नियमों के अनुसार आपस में प्यार से रहते हुए ऊंचे सदाचारक गुणों को जीवन में धारण किया जाए और अध्यात्मिक और नैतिक क़द्रों कीमतों के उपर अधारित जीवन की तरफ कद़म बढाए जाएँ।

                   साध्वी जी ने कहा कि इंसान इस सृष्टि का सबसे विकसित प्राणी है। उसने अपनी बुद्धि से इस संसार के रहस्यों का काफी हद तक पता लगा लिया है। कुदरत में छिपे रहस्यों को जान कर उसने अपनी जिन्दगी को खुशहाल बनाया है। लेकिन इस विकास के दौर में उसका स्वार्थ पता नही कब शामिल हो गया कि उसने अपनी बुद्धि का नकारात्मक प्रयोग करना शुरू कर दिया। मानव का विकास तब तक अधुरा ही रहेगा जब तक वह अंत्रमुखी होकर अपने सच्चे स्वरूप की पहिचान नही कर लेता। जिस तरह विज्ञान बाहरी जगत से अवगत करवाता है इसी तरह अध्यात्म विज्ञान मानव के भीतरी जगत के भेद खोलता है। यह विज्ञान ही देन है कि आज सारा संसार बारूद के ढेर के उपर बैठा है। कोई पता कि कब एक धमाका हो और सारा विश्व तहस नहस हो जाए। मानवी समाज आज लाचार होकर विनाश के किनारे पर खड़ा  है। आज का मानव लोक कलयाण की भावना को विसार चुका है। मानव के अंदर बैठा शैतान इतनी तेजी से काम कर रहा है कि वह दिन दुर नही है जब जीवित लोग मुर्दों से ईर्ष्या करनी शुरू कर देंगे। नैतिक मुल्य स्वार्थ की भेंट चड़ कर अपने आप खत्म हो रहै है। आज युवा अपने राह से भटक रहा है और उसे देखकर यह लग रहा है कि अगर समय के रहते हुए उसे सही रास्ता ना दिखाया गया तो समाज का विनाश निशचित है। यह बात बिल्कुल सत्य है कि नैतिक और अध्यात्मिक कदरो कीमतो के स्थान पर इंद्रीयों के सुख को ज्यादा महत्व देने वाले भौतकिवादी आदर्श और अपने सुख बढ़ाने वाले दुसरो का नुक्सान करने वाली प्रावृति मानवता को घोर विनाश के मार्ग की और लेकर जा रही है। अगर हमने अपने सुखो को प्राप्त करने के लिए अपनी आत्मा की आवाज को अनसुना कर दिया तो इन सब का कया लाभ? अगर इंसान अपने ही मन पर लागु नही कर सकता तो फिर अनेको पुलाड़ी यंत्रों को काबु करने का कया फायदा? जबकि हमारे महापुरूषों ने कहा है कि- ‘मन जीते जग जीत’ अगर हमने अपने मन को वश में कर लिया तो हम सारे संसार को जीत लेंगे। लेकिन हम अपने मन की लगाम को खुला छोडक़र सब कुछ हासिल करना चाहते है और हमारी इसी सोच के नतीजे आज हमारे सब के सामने है।  
             इसी अवसर पर साध्वी रवनीत भारती जी ने सुमधुर भजनो का गायन भी किया। विशेश रूप में मनजीत सिंह, बलबीर सिंह कुलार, सतवंत सिंह, जसप्रीत सिंह, सुखदेव सिंह, सतनाम सिंह आदि ने अपनी उपस्थति दी।

Monday 11 September 2017

शिष्य वही जिसे गुरू वचनों पर विश्वास है-साध्वी भारती जी

Mon, Sep 11, 2017 at 7:07 AM
शिष्य तो वह है जो चुनौतियों का डट कर सामना करे
लुधियाना: 11 सितम्बर 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा लोहारा में दो दिवसीय विषेश सभा का आयोजन किया गया।  प्रथम दिवस मे कार्यक्रम की शुरूआत साध्वी रवनीत भारती जी द्धारा गुरु महिमा में एक भजन ‘धीरज रख वो रहमत की वर्षा बरसा भी देगा’ गाकर की। इसके उपरांत सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी ममता भारती जी द्धारा उपस्थित भक्तों को विचार देते हुए कहा कि जैसे एक स्त्री श्रृंगार के बिना और वृक्ष पत्तों व फूल के बिना सुंदर नहीं लगते, ठीक वैसे ही एक साधक भी धीरज, दया, प्रेम, विश्वास, श्रद्धा आदि के बिना साधक नहीं बन पाता। हमारे धार्मिक ग्रंथों में कहा गया कि शिष्य वो नहीं जो पल-प्रतिपल संकट से घबराकर डर जाये, शिष्य तो वह है जो चुनौतियों का डट कर सामना करे। जैसे भक्त हनुमान जी जब भक्ति को प्राप्त करने के लिए चले तो उनका मार्ग रोकने वाले कितने ही लोग आये, परन्तु वह सभी का डटकर सामना करते हैं। भक्त को यदि कोई विजय दिला सकता है तो वह भक्त का दृढ़ विश्वास जैसा विश्वास शबरी जी के पास था। उनके गुरु मंतग मुनी जी ने कहा एक दिन तुमहारी ‘कुटीया में श्रीराम जी अवश्य आयेंगे’। उन्हें अपने गुरु के वचनों पर विश्वास था और वह इंतजार करती है और एक दिन वह भी आता है, जब उसकी कुटिया में श्री राम जी आते भी हैं। कहने का भाव यदि विश्वास हो तो चट्टान की तरह मजबूत।
   आगे साध्वी जी ने कहा कि यदि हम संसार की ओर ध्यान से देखें तो इसमें यदि कुछ महतवपूर्ण है तो वह है केवल मात्र विश्वास-जैसे बनाने के लिए बहुत लम्बा समय लगता है और टूट जाने के लिए पल भर। इसलिए भक्त भी गुरु चरणों में सदैव विश्वास के सहारे अपनी प्रीत जोडक़र रखता है और ऐसी प्रीत की एक उदाहरण है भक्त प्रलाहद जी। उनका पिता उनके ऊपर कितने अत्याचार करता था, परन्तु भक्त प्रलाहद जी सदैव अपने श्री हरि पर विश्वास और प्रेम होने के कारण हर संकट से बच जाते और एक दिन जब प्रलाहद जी ने कहा कि मेरा प्रभु इस स्तंभ में भी है तो प्रभु को अपने भक्त की रक्षा और विश्वास को जीतने के लिए प्रकट होना पड़ता है। इसीलिए विश्वास सदैव जीतता है, हार कभी नहीं होती।
     अंत में साध्वी जी ने कहा कि हमें भी अपने ईष्ट पर पूर्ण विश्वास व श्रद्धा रखनी चाहिए। कार्यक्रम के अंत में सभी ने विश्व शांति की मंगलमयी कामना को धारण करते हुए सामूहिक ध्यान साधना भी की और साध्वी रवनीत भारती द्धारा समधुर भजनों का गायन किया गया।

Sunday 3 September 2017

गुरुद्धारा दुःख भंजन साहिब में गुरमति आयोजन

भाजपा नेता प्रवीण बांसल ने भी देर रात तक उठाया अलौकिक आनंद 
लुधियाना: 3 सितम्बर 2017: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्स):: 
बहुत से लोग बेचैन हैं क्यूंकि उनके पास दो वक़्त की रोटी का भी प्रबंध नहीं। गरीबी ही उनको हर दुःख दर्द का कारण लगने लगती है जबकि ऐसा है नहीं।  दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास कितना धन है इसका पता उनको खुद भी नहीं होता लेकिन वे गरीब से भी ज़्यादा दुखी हैं। हिम्मत करके पूछा शायद आपने किसी का हक मारा हो तो वो कर्म और उसका फल आपको दुखी कर रहा हो? जवाब मिला ऐसा भी नहीं। तब याद आये लुधियाना के जाने माने  रागी भाई हरबंस सिंह जगाधरी वाले जो बहुत ही अच्छा कीर्तन किया करते थे और साथ ही ध्यान में बिजली की तरह नाम कौंधा संत सिंह मस्कीन जी का जो कहा करते थे जिसे गुरबाणी का कीर्तन सुन कर आनंद नहीं आता उसे किसी भी सुख-सुविधा या अन्य गीत संगीत से आनंद नहीं आ सकता। 
संगीत के सुनिश्चित रागों में आधारित गुरुबाणी के शब्दों का गायन जब पूरी श्रद्धा और नियम से होता है तो अंतर्मन के सभी ताप और संताप तुरंत दूर होने लगते हैं।  एक अलौकिक सी शीतलता उस रूहानी संगीत की वर्षा से ऐसी उतरती है कि इंसान उसी में लीन हो जाता है।
पर आजकल के व्यस्त समय में न तो किसी के पास वक़्त है और न ही सुविधा के कुछ पल जो इस कीर्तन को सुन कर निहाल हो सके। नसीबों के बिना यह खज़ाना हाथ में आता भी नहीं। आज के व्यस्त जीवन में न्यू कुंदनपुरी में स्थित गुरुद्धारा श्री दुःख भंजन साहिब में अक्सर  ही ऐसे आयोजन होते रहते हैं जो इस तरह के अवसर प्रदान कराते हैं। ऐसा ही एक यादगारी आयोजन हुआ गत 2 सितंबर 2017 की रात को जो आधी रात तक जारी रहा। गर्मी के जाते हुए मौसम में रात के समय रुक रुक कर चलती ठंडी ठंडी हवा इस सारे माहौल को और भी प्राकृतिक और सुंदर बना रही थी। आसमान के सितारे और हवा का छूना आरती के शब्दों की याद दिला  रहा था। महसूस हो रहा था कि कैसे सारी प्रकृति उस अदृश्य भगवान का गुणगान कर रही है। 
इस अवसर पर जो लोग पहुँच सके वो बहुत ही किस्मत वाले लोग थे। इनमें जानेमाने भाजपा नेता प्रवीण बांसल भी शामिल थे जो अक्सर लोगों के हर दुःख सुख में अवश्य पहुंचते हैं। जागरण हो या कीर्तन दरबार वह अपनी हाज़िरी लगवाना नहीं भूलते। खास बात यह भी कि अन्य नेताओं की तरह झट से भागने की नहीं करते बल्कि आराम से बैठ कर भजनों और शब्दों का आनंद लेते हैं। उनकी मौजूदगी से सभी लोग अच्छा महसूस कर रहे थे। 
इस बार गुरमत समागम में भाई प्रिंस पाल सिंह, ज्ञानी निर्मल सिंह, भाई हरविंदर सिंह, भाई राणा प्रताप सिंह  के जत्थों ने कीर्तन और कथा से संगत को निहाल किया और याद दिलाया कि बाहर के इस संसार के साथ साथ एक संसार हमारे अंदर भी होता है। उसका सुधर नहीं हुआ तो बाहर की सारी उन्नति बेकार है। इसलिए अंतर मन की झलक भी लेते  रहना चाहिए और गुरुबाणी इसमें बहुत सहायक है। एक एक शब्द आपको बाहरी संसार और अंतर मन में बसी दुनिया की हकीकत बतलाता है। 
गुरुद्धारा प्रबंधक कमेटी की ओर से श्री बांसल और कीर्तनी जत्थों को सम्मानित भी किया गया। इसके बाद कड़ाह प्रसाद की देग भी सभी ने बहुत सम्मान से ली।  गुरु का अटूट लंगर भी देर रात तक चला जिसका आनंद ही कुछ और था। कुल मिला कर यह एक यादगारी आयोजन रहा। इस बार आपनाहीं आ पाए तो अगली बार के प्रोग्राम में आना न भूलें। 

दोराहा नहर में गणेश प्रतिमा को विसर्जित कर सभी आँखे हुई नम

लुधियाना से दोराहा तक गणपति बप्पा मौर्य के जयकारों की गूंज 
लुधियाना: 2 सितम्बर 2017: (आराधना टाईम्स ब्यूरो)::  
आशुतोष क्लब द्वारा 25 अगस्त से शुरू किए गए गणपति महोत्सव में शनिवार को दोराहा नहर में विधिपूर्वक विसर्जन से उत्सव का समापन हुआ न्यू कुंदन पूरी कृष्णा चौक से विशाल शोभायात्रा शुरू हुई जो उपकार नगर, कुंदन पूरी, प्रेम नगर, शाही मोहल्ला, वृंदावन रोड, सिंडिकेट चौक, कैलाश चौक, सैशन चौक, फव्वारा चौक इत्यादि कई क्षेत्रों तक गणेशमय संकीर्तन में ढोल नगाड़ों के साथ क्लब प्रधान नरेंद्र काकू व उनकी टीम के कुशल प्रबन्दन में पहुँची व आज श्री हिन्दू तख्त के प्रमुख प्रदेश प्रचारक वरुण मेहता प्रदेश कांग्रेस महासचिव अशोक पराशर पप्पी उप प्रमुख हरकीरत खुराना पूर्व पार्षद राजू थापर प्रमुख तौर पर शामिल थे।
फव्वारा चौक से सभी भक्त गाड़ियों में सवार होकर गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ का उद्धगोष करते हुए दोराहा नहर पर पहुँचे जहाँ सभी भक्तों ने जोश व उत्साह में जयकारे लगाते हुए लेकिन 8 दिन तक रोजाना पूजन करने से नम आंखों के साथ गणेश प्रतिमा को सनातन धर्म के पूर्ण रीति रिवाज़ों के साथ विधिपूर्वक विसर्जित किया व इस अवसर पर क्लब की तरफ से एक जरूरतमंद कन्या की शादी के लिए 5100 रुपए का शगुन भी दिया गया । वरुण मेहता ने कहा कि इस बार गणपति आयोजन पर क्लब की तरफ से वर्ष भर समाज सेवा कन्या भ्रूण हत्या रोकने व अन्य सामाजिक मुद्दों पर कार्य करने का संकल्प लिया गया है क्योकि धर्म व राष्ट्र प्रेम जाग्रत होने से हमारे समाज को नई दिशा मिलेगी इस अवसर पर प्रधान नरेंद्र चौधरी द्वारा चौथे गणपति उत्सव के दौरान सहयोग करने वाली सहयोगी सस्थायो व दानी सज़्ज़नो का आभार व्यक्त किया इस अवसर पर चंद्रमोहन  अशनूर सिद्धू  विमल कुमार नरेश कुमार सुनील कुमार रमेश कुमार कुलदीप सिंह देव कुमार आशीष कुमार नैतिक मेहता गौरव बावा नीना मेहता  शोभा रानी  गुरप्रीत नरेंद्र  शारदा रानी सीमा कुमारी व अन्य भी उपस्थित थे ।