Monday 11 September 2017

शिष्य वही जिसे गुरू वचनों पर विश्वास है-साध्वी भारती जी

Mon, Sep 11, 2017 at 7:07 AM
शिष्य तो वह है जो चुनौतियों का डट कर सामना करे
लुधियाना: 11 सितम्बर 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा लोहारा में दो दिवसीय विषेश सभा का आयोजन किया गया।  प्रथम दिवस मे कार्यक्रम की शुरूआत साध्वी रवनीत भारती जी द्धारा गुरु महिमा में एक भजन ‘धीरज रख वो रहमत की वर्षा बरसा भी देगा’ गाकर की। इसके उपरांत सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी ममता भारती जी द्धारा उपस्थित भक्तों को विचार देते हुए कहा कि जैसे एक स्त्री श्रृंगार के बिना और वृक्ष पत्तों व फूल के बिना सुंदर नहीं लगते, ठीक वैसे ही एक साधक भी धीरज, दया, प्रेम, विश्वास, श्रद्धा आदि के बिना साधक नहीं बन पाता। हमारे धार्मिक ग्रंथों में कहा गया कि शिष्य वो नहीं जो पल-प्रतिपल संकट से घबराकर डर जाये, शिष्य तो वह है जो चुनौतियों का डट कर सामना करे। जैसे भक्त हनुमान जी जब भक्ति को प्राप्त करने के लिए चले तो उनका मार्ग रोकने वाले कितने ही लोग आये, परन्तु वह सभी का डटकर सामना करते हैं। भक्त को यदि कोई विजय दिला सकता है तो वह भक्त का दृढ़ विश्वास जैसा विश्वास शबरी जी के पास था। उनके गुरु मंतग मुनी जी ने कहा एक दिन तुमहारी ‘कुटीया में श्रीराम जी अवश्य आयेंगे’। उन्हें अपने गुरु के वचनों पर विश्वास था और वह इंतजार करती है और एक दिन वह भी आता है, जब उसकी कुटिया में श्री राम जी आते भी हैं। कहने का भाव यदि विश्वास हो तो चट्टान की तरह मजबूत।
   आगे साध्वी जी ने कहा कि यदि हम संसार की ओर ध्यान से देखें तो इसमें यदि कुछ महतवपूर्ण है तो वह है केवल मात्र विश्वास-जैसे बनाने के लिए बहुत लम्बा समय लगता है और टूट जाने के लिए पल भर। इसलिए भक्त भी गुरु चरणों में सदैव विश्वास के सहारे अपनी प्रीत जोडक़र रखता है और ऐसी प्रीत की एक उदाहरण है भक्त प्रलाहद जी। उनका पिता उनके ऊपर कितने अत्याचार करता था, परन्तु भक्त प्रलाहद जी सदैव अपने श्री हरि पर विश्वास और प्रेम होने के कारण हर संकट से बच जाते और एक दिन जब प्रलाहद जी ने कहा कि मेरा प्रभु इस स्तंभ में भी है तो प्रभु को अपने भक्त की रक्षा और विश्वास को जीतने के लिए प्रकट होना पड़ता है। इसीलिए विश्वास सदैव जीतता है, हार कभी नहीं होती।
     अंत में साध्वी जी ने कहा कि हमें भी अपने ईष्ट पर पूर्ण विश्वास व श्रद्धा रखनी चाहिए। कार्यक्रम के अंत में सभी ने विश्व शांति की मंगलमयी कामना को धारण करते हुए सामूहिक ध्यान साधना भी की और साध्वी रवनीत भारती द्धारा समधुर भजनों का गायन किया गया।

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