Wednesday 6 April 2016

सीस गंज साहिब: दिल्ली निगम ने छबील तोड़ी संगत ने फिर बना ली

एकशन के खिलाफ सिक्ख संगत में भारी रोष 
पुरानी दिल्ली: 6 अप्रैल 2016: (आराधना टाइम्ज़ ब्यूरो): 
गर्मी का मौसम शुरू होते ही आम लोगों को निशुल्क पेय जल से वंचित करना एक बेशर्मी भरा कदम है। हो सकता है किसी ने किसी चहेते को वहां पनि बेचने का ठेका देना हो पर कम से कम गुरु घर का तो सम्मान रख होता। कहना "हिन्द दी चादर" और तोड़नी वहां की छबील ! जितनी लानत भेजो उतनी कम है। इस एकशन का प्रभाव सोशल मीडिया पर भी पड़ा।  गुरुद्वारा सीसगंज साहिब के प्यायू को तोड़ने की सख्त निंदा सोशल मीडिया में भी दिखी। एक पोस्ट आप भी देखिये जो हमें वाटसप पर बने एक ग्रुप सिक्ख वर्ल्ड नाम के ग्रुप से।

एक देश ऐसा कमाल .. 

जहाँ 100 गज का घर पुलिस और एम्.सी.डी. को घूस दे कर सरकारी जमीन पर 120 गज का बना लिया जाता है और वो नाजायज़ कब्ज़ा कुछ हज़ार रूपए में जायज़ बना दिया जाता है ! 
सिक्ख वर्ल्ड 

जहाँ लोग 120 गज का बनाने के बाद भी 10 फुट गली घेर कर वहां पौधे लगाते है, ग्रिल लगाते है फिर उस के बाद भी कार अन्दर नहीं खड़ी करते बल्कि बची हुई सडक पर खड़ी करते है .. यह सब भी सरेआम जायज़ बना दिया जाता है ! 

जहाँ लोग रोज़ दूकान बंद नहीं करते बल्कि "बढाते" है.. और बढाते बढाते 10-20 फुट सरकार जगह पर सरेआम पुलिस और एम्.सी.डी. को घूस दे कर कब्ज़ा कर लेते है... दिल्ली के अधिकत्तर फुटपाथ इस अतिक्रमण का शिकार है... पर धन्य है सरकार जिसे यह सब नहीं दीखता !

जहाँ ज्यादातर पुलिस चौकियां खुद सरकारी जमीन पर नाजायज़ कब्ज़ा कर के बनायी गयी हैं ... सभी मार्केट्स में सरे राह कब्ज़े हैं..... सड़कों पर रिक्शा और ऑटो का नाजायज़ कब्ज़ा है ... पूरे पूरे धर्म स्थान नाजायज़ कब्ज़े कर के बने हुए हैं... पर कौन देखे... वहां बनी नाजायज़ दुकानों को ?

पर प्रशासन को दीखता है एक गुरुद्वारा सीस गंज साहिब के बाहर बना "आम जनता की सेवा में जुटा प्याऊ (छबील)", जहाँ सभी धर्मों के मानने वालों और समस्त नागरिकों को बिना भेदभाव के प्यार सहित पूरे साल पानी पिलाया जाता है ! उसे तोड़ने के लिए प्रशासन को मज़ा आता है क्योंकि वाहवाही मिलती है .... उनसे जो धर्म की राजनीति करना चाहते है..... उनसे जो चाहते है की देश में अमन-कानून भंग हो.... !

लंगर तो चलेंगे .... पानी की छबीलें भी लगेंगी ... बिना भेद भाव के ..... !

कानून अँधा होता था यह सुना था... वैसे अँधा तो धृतराष्ट्र भी था .... पर उसने अपने पुत्रों को लाभ देने के लिए अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया.. उसी प्रकार आज कानून भी ताकत का सदुपयोग नहीं बल्कि दुरूपयोग कर रहा है ! 

- बलविंदर सिंघ बाईसन