Sunday 28 June 2020

रूस के लोग अंधविश्वासी नास्तिक हैं-ओशो

 हिंदुस्तान के लोग अंधविश्वासी आस्तिक हैं-ओशो 
सोशल मीडिया//Whats App//28 जून 2020:(आराधना टाईम्ज़ रिसर्च डेस्क)::
ईश्वर को मानने वाला भी अंधविश्वासी हो सकता है, ईश्वर को न मानने वाला भी उतना ही अंधविश्वासी, उतना ही सुपरस्टीशस हो सकता है। अंधविश्वास की परिभाषा समझ लेनी चाहिए। अंधविश्वास का मतलब है, बिना जाने अंधे की तरह जिसने मान लिया हो। रूस के लोग अंधविश्वासी नास्तिक हैं, हिंदुस्तान के लोग अंधविश्वासी आस्तिक हैं। दोनों अंधविश्वासी हैं। न तो रूस के लोगों ने पता लगा लिया है कि ईश्वर नहीं है और तब माना हो, और न हमने पता लगा लिया है कि ईश्वर है और तब माना हो। तो अंधविश्वास सिर्फ आस्तिक का होता है, इस भूल में मत पड़ना। नास्तिक के भी अंधविश्वास होते हैं। बड़ा मजा तो यह है कि साइंटिफिक सुपरस्टीशन जैसी चीज भी होती है, वैज्ञानिक अंधविश्वास जैसी चीज भी होती है। जो कि बड़ा उलटा मालूम पड़ता है कि वैज्ञानिक अंधविश्वास कैसे होगा! वैज्ञानिक अंधविश्वास भी होता है।

अगर आपने युक्लिड की ज्यामेट्री के बाबत कुछ पढ़ा है, तो आप पढ़ेंगे, बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं ज्यामेट्री तो युक्लिड कहता है रेखा उस चीज का नाम है जिसमें लंबाई हो, चौड़ाई नहीं। इससे ज्यादा अंधविश्वास की क्या बात हो सकती है? ऐसी कोई रेखा ही नहीं होती, जिसमें चौड़ाई न हो। बच्चे पढ़ते हैं कि बिंदु उसको कहते हैं जिसमें लंबाई चौड़ाई दोनों न हों। और बड़े से बड़ा वैज्ञानिक भी इसको मानकर चलता है कि बिंदु उसे कहते हैं जिसमें लंबाई  चौड़ाई न हो। जिसमें लंबाई चौड़ाई न हो, वह बिंदु हो सकता है?

हम सब जानते हैं कि एक से नौ तक की गिनती होती है, नौ डिजिट होते हैं, नौ अंक होते’ हैं गणित के। कोई पूछे कि यह अंधविश्वास से ज्यादा है? नौ ही क्यों? कोई वैज्ञानिक दुनिया में नहीं बता सकता कि नौ ही क्यों? सात क्यों नहीं? सात से क्या काम में अड़चन आती है? तीन क्यों नहीं? ऐसे गणितज्ञ हुए हैं। लिबनीत्स एक गणितज्ञ हुआ है जिसने तीन से ही काम चला लिया। है।, उसका ऐसा है कि एक, दो, तीन, फिर आता है दस, ग्‍यारह, बारह, तेरह, फिर आता है बीस, इक्कीस, बाईस, तेईस। बस, ऐसी उसकी संख्या चलती है। काम चल जाता है, कौन सी अड़चन होती है! वह भी गिनती कर लेगा यहां बैठे लोगों की। और वह कहता है कि मेरी गिनती गलत, तुम्हारी सही, कैसे तुम कहते हो २: हम तीन से ही काम चला लेते हैं। वह कहता है, नौ की जरूरत क्या है? नौ कौन कहता है? आइंस्टीन ने बाद में कहा कि तीन भी फिजूल है, दो ही से काम चल जाता है। सिर्फ एक से नहीं चल सकता, बहुत मुश्किल होगी। दो से भी चल सकता है। नाइन डिजिट, नौ आकड़े होने चाहिए गणित में, यह एक वैज्ञानिक अंधविश्वास है। लेकिन गणितज्ञ भी पकडे हुए बैठा है कि इतने ही हो सकते हैं आकड़े। उससे कहो कि सात से काम चलेगा, तो वह भी मुश्किल में पड़ जाएगा। यह भी मान्यता है, इसमें कुछ और ज्यादा मतलब नहीं है।

हजारों चीजें वैज्ञानिक रूप से हम मानते हैं कि ठीक हैं, वे अंधविश्वास ही होती हैं। तो वैज्ञानिक अंधविश्वास भी होते हैं। इस युग में तो धार्मिक अंधविश्वास क्षीण होते जा रहे हैं, वैज्ञानिक अंधविश्वास मजबूत होते चले जा रहे हैं। फर्क इतना होता है कि अगर धार्मिक आदमी से पूछो कि भगवान का तुम्हें कैसे पता चला? तो वह कहेगा कि गीता में लिखा है। और अगर उससे यह पूछो कि तुम यह कह रहे हो कि गणित में नौ आकड़े होते हैं, यह तुम्हें कैसे पता चला है? तो वह कहेगा कि फलां गणितज्ञ की किताब में लिखा हुआ है। फर्क क्या हुआ इन दोनों में? एक गीता बता देता है, एक कुरान बता देता है, एक गणित की किताब बता देता है। फर्क क्या है?

मैं अंधविश्वास के एकदम विरोध में हूं। सब तरह के अंधविश्वास टूटने चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तोड्ने के लिए अंधविश्वासी हूं कि किसी भी चीज को तोडना चाहिए तो फिर बिना फिकिर उसको तोड्ने में लग जाने की जरूरत है। वह ठीक है या गलत, इसकी फिक्र छोड़ो, तोड़ो पहले, तोडना जरूरी है। फिर यह तोडना भी एक अंधविश्वास हो जाएगा।

इसका मतलब यह हुआ कि हमें समझ लेना चाहिए कि अंधविश्वास, सुपरस्टीशन का मतलब क्या है।

 सुपरस्टीशन का मतलब है कि जिसे हम बिना जाने मान लेते हैं। और हम बहुत सी चीजें मान लेते हैं। और बहुत सी चीजें बिना जाने इनकार कर देते हैं, यह भी अंधविश्वास है।

ओशो
मैं मृत्यु सिखाता हूँ

Saturday 6 June 2020

श्री अमरनाथ यात्रा 21 जुलाई से नियमों का पूरा विवरण इस पोस्ट में

 यात्रा के दिन केवल 14 होंगें-स्वास्थ्य नियमों में होगी ज़यादा सख्ती  
जम्मू: 6 जून 2020: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्ज़)::
बाबा अमरनाथ बर्फानी के दर्शन एक ऐसा दिव्या सपना है जो किस्मत वाले लोग ही देखते हैं। इनमें से भी केवल वही खुशनसीब कहे जाते हैं जिनका ह सपना साकार भी हो जाता है। किस्मतवालों को इन दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त होता है वरना ज़िंदगी की मजबूरियां किसी न किसी रूप में आ कर रास्ता रोक ही लेती हैं। ऐसे में दिव्य कृपा ही सहायक होती है। इस बार कोरोना के कहर में ज़िंदगी पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गयी है। स्थानीय धर्म स्थल भी एक लम्बे आरसे के बाद खुलने वाले हैं। ऐसे में कोरोना के कारण इस बार की अमरनाथ यात्रा भी मात्र 14 दिनों की ही होगी। 
इस बार यह यात्रा 21 जुलाई को शुरू हो कर 3 अगस्त तक चलेगी। तीन अगस्त को आ रही श्रावण पूर्णिमा को यह यात्रा समाप्त होगी। इस यात्रा में शिरकत करने वालों के लिए इस बार भी बहुत सी शर्तों का ढेर है। दुर्गम स्थानों की यात्रा के लिए ऐसा करना आवश्यक भी है। 
इनमें मुख्य शर्त यह है कि 14 साल से कम और 55 साल से अधिक आयु वालों को इस यात्रा की अनुमति नहीं होगी जबकि स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के अतिरिक्त कोरोना टेस्ट करवा कर उसका प्रमाणपत्र भी संलग्न करना होगा। इस तरह बहुत से लोग श्रद्धा भावना के बावजूद इस पावन यात्रा से वंचित रह जायेंगे। आज्ञा मिलने के बाद श्रद्धालु बालटाल मार्ग से यात्रा करेंगे लेकिन कितनी संख्या में करेंगे फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है।
यह जानकारी श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अधिकारी ने बाकायदा अपनी वेबसाईट पर भी दी है। जानकारी के मुताबिक पवित्र गुफा तक के मार्ग से बर्फ हटाने का काम शुरू हो गया है। इसके साथ ही यह भी ज़रूरी है कि  इस बार यात्रियों के पास कोरोना टेस्ट प्रमाणपत्र होना अनिवार्य होगा। यह प्रमाण पत्र जम्मू कश्मीर में प्रवेश करने पर जांचे जाएंगे। यात्रा परमिट या एप्लिकेशन फॉर्म के लिए निश्चित परफॉर्मा यहां क्लिक करके देखा जा सकता है। 
बहुत से लोग इस पावन यात्रा को अपने अपने ग्रुप बना कर करते हैं। ग्रुप को पंजीकृत करने की प्रक्रिया अलग से होती है। उसके नियम कुछ अलग हैं। उसकी सावधानियां और ज़िम्मेदारियाँ भी अलग से होती हैं। बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। सुरक्षित यात्रा के लिए ऐसा करना आवश्यक भी है। उन नियमों और प्रक्रिया को देखने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं
 बहुत से लोग अपने अपने तौर पर बैंकों के ज़रिये रजिस्ट्रेशन करवा कर इस यात्रा का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। ऐसी स्थिति में यह पता लगाना भी कई बार कठिन होता है कि किस बैंक की किस शाखा में यह सुविधा है और कहाँ नहीं है? इस दुविधा को दूर करने का प्रयास करते हुए हम यहां विभिन्न राज्यों में स्थित सबंधित बैंकों की सूची भी दे रहे हैं जिसे आप यहां क्लिक करके भी देख सकते हैं। 
 यात्रा के लिए स्वास्थ्य नियमों का पालन बहुत ही कढ़ाई से होता है। इस बार कोरोना के कारण सख्ती और भी ज़्यादा होगी। हैल्थ एडवाईजरी का पालन सभी के हिट में होगा। व्यक्तिगत हित में भी और परिवार बी सामूहिक समाज के हित में भी। ऐसे में श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड ने हैल्थ एडवाईजरी भी जारी की है जिसे आप विस्तार से देख सकते हैं बस यहां क्लिक करके। हम अपनी अन्य पोस्टों में भी इस यात्रा से सबंधित विवरण देते रहेंगे।