Monday 27 December 2021
माया नगर में भी संगत ने याद की साहिबज़ादों की कुर्बानी
Sunday 19 December 2021
श्री कृष्ण बलराम रथ यात्रा को ‘राज्य उत्सव’ के तौर पर मनाने का ऐलान
Sunday 19th December 2021 at 4:25 PM
मुख्यमंत्री चन्नी द्वारा लुधियाना के इस्कॉन मंदिर के लिए 2.51 करोड़ रुपए देने का भी ऐलान
*आत्मिक शान्ति के लिए पिछले 25 सालों से रोज़ाना भगवद गीता के श्लोक का पाठ कर रहा हूं-चन्नी
लुधियाना: 19 दिसंबर 2021: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::
मुख्यमंत्री पंजाब स. चरणजीत सिंह चन्नी ने आज श्री कृष्ण बलराम रथ यात्रा को ‘राज्य उत्सव’ के तौर पर मनाने का ऐलान किया। कैबिनेट मंत्री श्री भारत भूषण आशु, विधायकों श्री सुरिन्दर डावर, श्री संजय तलवार और स. कुलदीप सिंह वैद्य और विभिन्न मशहूर शख्सियतों के साथ मुख्यमंत्री आज रथ यात्रा के मौके पर नतमस्तक हुए।
इस मौके पर मुख्यमंत्री स. चरणजीत सिंह चन्नी ने लुधियाना के इस्कॉन मंदिर के लिए 2.51 करोड़ रुपए देने का ऐलान भी किया।
श्री दुर्गा माता मन्दिर के नज़दीक करवाए समागम के दौरान संबोधन करते हुये मुख्यमंत्री स. चन्नी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण जी के सम्मान के तौर पर पंजाब सरकार की तरफ से हर साल श्री कृष्ण बलराम रथ यात्रा को ‘राज्य उत्सव’ के तौर पर मनाया जायेगा।
भगवत गीता के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हुये मुख्यमंत्री ने बताया कि जब वह लगभग 25 साल पहले काऊंसलर बने थे तो एक नेक रूह ने उनको मन की शान्ति के लिए पवित्र भगवद गीता का एक श्लोक हर रोज़ पढ़ने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि पवित्र गीता ने उनके जीवन का मार्गदर्शन किया और कहा कि नौजवानों को भी भगवद गीता की शिक्षाओं को ग्रहण करना चाहिए और अपने जीवन में अमल लाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यदि गीता में लिखे श्लोकों में से कोई व्यक्ति किसी एक श्लोक को धारण कर सकता है, तो यह जीवन में सफल होने के लिए काफ़ी है।
उन्होंने यह भी बताया कि पंजाब सरकार की तरफ से पटियाला में 20 एकड़ ज़मीन पर श्री भगवद गीता और रामायण शोध केंद्र विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धार्मिक गीता प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत है जो हमें हमारे जीवन की बेहतरी की तरफ सीख देती है। उन्होंने कहा कि रामायण, महाभारत और भगवद गीता के महाकाव्य ग्रंथों में ज्ञान के द्वारा हमारे विवेक में और विस्तार करने के लिए पटियाला में एक विशेष शोध केंद्र स्थापित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री की तरफ से 25वीं श्री कृष्ण बलराम रथ यात्रा को भी हरी झंडी देकर रवाना किया गया।
कैबिनेट मंत्री श्री भारत भूषण आशु ने श्री कृष्ण बलराम रथ यात्रा के प्रबंधकों के साथ अपनी सांझ को याद किया। उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए मान महसूस हो रहा है कि मैं इस समागम के साथ 1996 से जुड़ा हुआ हूं, जब मैं नगर काऊंसलर था।
उन्होंने कहा कि दो सालों के समय के बाद निकाली जा रही इस रथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है।
इस मौके पर मेयर श्री बलकार सिंह संधू, सीनियर डिप्टी मेयर श्री शाम सुंदर मल्होत्रा, पी.एम.आई.डी.बी के चेयरमैन स. अमरजीत सिंह टिक्का, डिप्टी कमिशनर श्री वरिन्दर कुमार शर्मा, पुलिस कमिशनर स. गुरप्रीत सिंह भुल्लर के अलावा अन्य भी उपस्थित थे।
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Wednesday 15 December 2021
सिख कौन है//ठाकुर दलीप सिंह जी की कलम से विशेष लेख
15th December 2021 at 9:12 PM
किन श्रद्धालुओं को मिलाकर , “सिख पंथ/धर्म” बनता है ?
१ਓ सतिगुरु प्रसादि।
इस लेख के लेखक ठाकुर दलीप सिंह |
यदि गुरु जी ने अपना नया अलग पंथ बनाकर उसको “सिख" नाम दिया होता तो मुसलमानों के बड़े - बड़े पीर : जैसे साईं मियां मीर, पीर बुद्धु शाह आदि ; कभी भी गुरु जी के श्रद्धालु न बनते। यदि गुरु जी ने अलग से नया पंथ बनाया होता, तो पीर भीखन शाह दो कुज्जियों के स्थान पर, तीन कुज्जियाँ ले कर आता। लेकिन गुरु जी ने अपना अलगाव: अलग धर्म, अलग पंथ कभी बनाया ही नहीं। गुरु जी ने तो चमत्कार/दैविक शक्तियाँ दिखाईं और साँझा शुभ उपदेश दिया, तभी: लामे, हिन्दू, मुसलमान, बौद्ध आदि सभी सतगुरु नानक देव जी के श्रद्धालु सेवक बने। इसलिए प्रत्येक गुरु नानक नाम लेवा श्रद्धालु “सिख" है। जो भी सतगुरु नानक देव जी को मानता/श्रद्धा रखता है और उनके गद्दी नशीन गुरु साहिबानों को मानता है; चाहे वह एक को माने या अधिक को माने; वह मनुष्य अपने उसी विश्वास व श्रद्धा के साथ ही सिख/शिष्य/मुरीद है। जैसे:मुसलमान, धीरमलिए, रामराईए, सहजधारी, नामधारी आदि।
“गुरु नानक पंथियों” को, वे जिस विश्वास से भी सतगुरु नानक देव जी व उनके गद्दी नशीन गुरु साहिबानों को मानते हैं, उन श्रद्धालुओं को, उसी रूप में “ नानक पंथी ” होने के कारण “सिख" स्वीकार करना उचित है। जैसे उदासी: सतगुरु नानक देव जी के उपरांत बाबा श्री चन्द जी को, रामराईए: बाबा राम राए जी को और नामधारी: सतगुरु राम सिंह जी को मानते हैं। इसी तरह अन्य संप्रदायों की भी अपनी-अपनी मान्यताएं व विश्वास हैं, उनके विश्वास को उसी तरह ही स्वीकार कर लेना चाहिए और किसी भी संप्रदाय को अपने विश्वास व मान्यताएं, दूसरी संप्रदाय पर थोपने नहीं चाहिए। यदि हम इस उत्तम व विशाल सोच को अपना लें, तो सभी गुरु नानक पंथियों को मिलाकर सिख पंथ की गिनती 50 करोड़ से भी अधिक हो जायेगी। (क्योंकि बहुत से हिन्दू कहलाये जाने भाई, सतगुरु नानक देव जी को मानते हैं)
अक्टूबर-2019 में जब कराची में नगर कीर्तन निकला तो सिंधी संगत को सुसावगतम कहने के लिए ननकाना साहिब से सैंकड़ों की संख्या में लोग बहुत ही प्रेम और सम्मान के साथ आए-देखो कितनी आस्था है सिंधियों में-नानक सभी के हैं Courtesy Photo |
1) उदासी 2) सिन्धी 3) धीरमलिए 4) रामराईए 5) सति करतारिए 6) हिंदालिए 7) हीरा दासिए 8) नामधारी 9) निरंकारी 10) निहंग 11) बंदई 12) निर्मले 13) सेवा पंथी 14) गहिर गम्भीरिए 15 ) नीलधारी 16) अकाली 17) भगतपंथी 18) सिकलीगर 19) सतनामी 20) जौहरी 21) अफगानी 22) मरदाने के 23) असामी 24) लामे 25) वनजारे 26) अगरहारी 27) सहजधारी आदि।
विशेष: इन सम्प्रदाओं की मान्यताएं, बाहरी स्वरुप और परंपराएं अपनी-अपनी, अलग-अलग हैं। उस अंतर व विलक्षणता के कारण ही सतगुरु नानक देव जी की फुलवाड़ी रंग-बिरंगी है। उस रंग-बिरंगी फुलवाड़ी को रंग-बिरंगी ही रखने की आवश्यकता है।
(अ) संस्कृति के “शिष्य" शब्द से पंजाबी का शब्द “सिख" बना है । गुरु जी के शिष्य / सिख होने के कारण हमारा 'सिख' नाम प्रचलित हो गया है। जोकि सही है, इस नाम का उपयोग करना उचित है। आज विश्व भर में "सिख" नाम वाले धर्म / पंथ का बहुत यश है।
नोट: सिख पंथ की चढ़दी कला (उन्नति) चाहने वाले सज्जन, अपने विचार (तर्क सहित) बेझिझक होकर निम्नलिखित नंबरों व ईमेल द्वारा भेजने की कृपालता करें: --ठाकुर दलीप सिंह जी
संपर्क नंबर : राजपाल कौर 9023150008 , रतनदीप सिंह 9650066108
ई-मेल: rajpal16773@gmail.com ratandeeps5@gmail.com
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बिमारी कभी अकेली क्यूं नहीं आती?-ओशो