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भारत में कहां कहां होता है यह इलाज संभव है?
चंडीगढ़: 15 सितम्बर 2024: (मीडिया लिंक//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::
वास्तव में ज्योतिष के माध्यम से रोगों का इलाज करना लंबे समय से एक विवादास्पद और चर्चित विषय रहा है। यूं भी कई मामलों पर ज्योतिष को लेकर विभिन्न मत हैं और इसका वैज्ञानिक आधार पर समर्थन करना काफी चुनौतीपूर्ण है। हालाँकि कई जगहों पर मेडिसिन के साथ साथ ज्योतिष विद्या से इलाज के अलग सेक्शन भी बने हुए हैं। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से इस विषय को स्पष्ट करने का प्रयास किया जा सकता है।
ज्योतिष और रोगों का इलाज बहु संख्यक लोगों के लिए भले ही कुछ अजीब सी बात हो लेकिन जिन लोगों की इस ज्ञान विज्ञान में आस्था है और जिन लोगों को ज्योतिष का ज्ञान है वे इसे पूरी तरह से परफेक्ट मानते हैं। ज्योतिष विज्ञान रोग की पड़ताल करते हुए कई बार पिछले जन्मों तक जाता है। आधुनिक विज्ञान इसे पारिवारिक पृष्ठभूमि के हिसाब से देखते हैं। उनका मानना है कि यह बीमारी मां या पिता के जीन से आई है। इस सिलसिले करते करते कई बार कई पीढ़ियों तक के स्वास्थ्य को खंगाल लिया जाता है। थैलेसीमिया जैसे रोग जैनेटिक रोग ही गिने जाते हैं। शायद यह कारण भी उन कारणों में से एक हो जिनके अंतर्गत नज़दीक के रिश्तों mein शादी विवाद निषिद्ध माना जाता था। लोग शादी का संबंध जोड़ते समय माता और पिता की तरफ से सात पुश्तों को छोड़ना ही उचित समझते थे। शायद इसी वजह से गाँव की लड़की को सगी बहिन की तरह सम्मान दिया जाता था। उसके साथ शादी की बता सोची भी नहीं जाती थी।
ज्योतिष का सिद्धांत कई अन्य पहलुओं से भी बहुत गहरा है। ज्योतिष में माना जाता है कि ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति हमारे जीवन और स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है। ज्योतिषी ग्रहों की स्थिति और कुंडली का विश्लेषण कर यह बताने का प्रयास करते हैं कि कौन से ग्रह या नक्षत्र आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं और इसके उपाय सुझाते हैं।
अब ज्योतिष के मुताबिक सुझाए जाते उपचार के तरीके भी तो विशेष हैं। यह बात अलग है की ज्योतिष में आस्था न रखने वालों को यह तौर तरीके भी अजीब लग सकते हैं।
इन्हीं में से एक तरीका है रत्न धारण करना। रत्न धारण करना करना तो होता है लेकिन इसकी जानकारी सभी को नहीं होता। कुछ अध्सीखे लोग कई बार गलत रत्न धारण करवा देते हैं और अपनी जेब गर्म करने तक ही मतलब रखते हैं। इसलिए करते समय अच्छा जानकार ज्योतिष कौन है इसका पता लगाना बहुत ज़रूरी है।
इसी मकसद के लिए एक और तरीका होता है पूजा और अनुष्ठान करना। इसके भी कई फायदे होते हैं लेकिन इसका सही तरीका भी किसी अच्छे जानकार से पूछना सही रहता है। पूजा और अनुष्ठान पुराने वक्तों में भी होते थे और आज भी होते हैं।
किसी विशेष मकसद और इलाज के लिए विशेष दान देना भी एक अच्छा जरिया माना जाता है। कुछ विशेष चीज़ों का दान कुछ विशेष विशेष समय पर विशेष स्थानों पर हो तो उससे भी फायदा मिलता है। इस तरह के दान का भी एक विज्ञान और विधान है। उसे समझे बिना ज़ेह सब शायद फायदा न दे सके।
विशेष मंत्रों का जाप करना तो कई बार तुरंत फायदा देने वाला तरीका बन जाता है। मंत्र जाप इसी विधि विधान में आ जाते हैं। जिनक उच्चारण, जिनका समय और आवाज़ या धुन सब वैज्ञानिक हिसाब से ही होते हैं। इनका असर भी गहरायी से होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक प्रमाण शायद बहुत कुछ साबित न भी कर सके इसके बावजूद इसमें लोगों की आस्था लगातार बढ़ रही है। जो लोग इस पर यकीन करते हैं वे करते ही हैं। वर्तमान में, ज्योतिष से रोगों का इलाज करने के वैज्ञानिक प्रमाण बहुत कम हैं लेकिन फिर भी इसमें आस्था और विश्वास लगातार बढ़ रहा है।
ज्योतिष के सिद्धांत और इसके प्रभावों का वैज्ञानिक परीक्षण करना हालांकि कठिन भी है क्योंकि यह बहुत से व्यक्तिगत और पर्यावरणीय कारकों पर निर्भर करता है। ज्योतिष पर किए गए कई वैज्ञानिक अध्ययन यह साबित करने में असफल रहे हैं कि ग्रहों की स्थिति और मानव स्वास्थ्य के बीच कोई स्पष्ट संबंध है।
इसके इलावा प्लेसिबो प्रभाव भी बहुत काम करता है। कुछ मामलों में, लोगों को ज्योतिषीय उपाय करने से मनोवैज्ञानिक लाभ हो सकता है। इसे प्लेसिबो प्रभाव कहा जाता है, जहां व्यक्ति की आस्था और विश्वास उसके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
देश और दुनिया में ज्योतिष आधारित उपचार कहां कहां होते हैं? इस सवाल को भी अक्सर बहुत पूछा जाता है। यह सवाल ज़रुरी भी है। भारत में ज्योतिष का एक लंबा इतिहास है और यह व्यापक रूप से प्रचलित है। कई लोग स्वास्थ्य समस्याओं के लिए ज्योतिषीय उपायों का सहारा लेते हैं। विशेष रूप से दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में ज्योतिष आधारित स्वास्थ्य क्लीनिक और उपचार केंद्र होते हैं।
उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों से घिरा हुआ हिमाचल प्रदेश भी इस मामले में बहुत अहम है। हिमाचल के धर्मशाला से आठ किलोमीत ऊपर पहाड़ की तरफ जाएं तो वहां दलाईलामा का मुख्यालय है। वहां का माहौल भी बहुत ही धार्मिक सा महसूस होने लगता है।
इसे मैक्लोडगंज के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर तिब्बती समुदाय का मन्दिर भी है और अस्पताल भी है। इसी अस्पताल में तकरीबन उन सभी बिमारियों का इलाज किया जाता है जिन के मामले में आधुनिकचिकित्सा पद्धति नाकाम सिद्ध होती है। आम बिमारियों से लेकर कैंसर तक का इलाज यहाँ सफलता से किया जाता है।
अन्य देशों की बात करें तो नेपाल में भी ज्योतिष और तंत्र-मंत्र का प्रचलन है। यहां पर बहुत सी बिमारियों को स्थानीय ढंग तरीकों से ठीक कर दिया जाता है। तिब्बती ज्योतिष और चिकित्सा का अपना अलग महत्व है। इसकी चर्चा हम ऊपर भी कर आए हैं।
इसके साथ यह भी सत्य है कि पश्चिमी देश भी इस मामले में कम नहीं हैं। कुछ पश्चिमी देशों में भी लोग ज्योतिष में रुचि रखते हैं, लेकिन यह मुख्यधारा वाली चिकित्सा का हिस्सा कभी नहीं बने है। इस तरह की इलाज पद्धति से लोग ठीक भी होते हैं लेकिन इसके बावजूद दुनिया के सामने नहीं आते।
निष्कर्ष यह भी निकलता है कि ज्योतिष से इलाज के केंद्र कई जगहों पर मौजूद हैं। ज्योतिष से रोगों का इलाज करना एक विवादास्पद और व्यक्तिगत विश्वास का विषय है। इसके वैज्ञानिक प्रमाण बहुत सीमित हैं और आधुनिक चिकित्सा में इसका समर्थन नहीं किया जाता है। हालांकि, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह कई समाजों में प्रचलित है।
आखिर में एक विशेष सलाह भी ज़रूरी है कि ज्योतिषीय उपचार करते समय सावधानी बरतनी चाहिए और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए हमेशा योग्य चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।