Friday 31 March 2017

विश्वास की शक्ति: जब उसने भगवान को देखा

.........और परमात्मा को ढूंढने निकल पड़ा
सोशल मीडिया: 30 मार्च 2017: (Classique Melodies//व्हाटसअप ग्रुप//आराधना टाईम्स)::
एक 6 साल का छोटा सा बच्चा अक्सर परमात्मा से मिलने की जिद किया करता था। उसे परमात्मा के बारे में कुछ भी पता नहीं था पर मिलने की तमन्ना, भरपूर थी।उसकी चाहत थी कि एक समय की रोटी वो परमात्मा के साथ खाये।
1 दिन उसने 1 थैले में 5- 6 रोटियां रखीं और परमात्मा को ढूंढने निकल पड़ा।
चलते-चलते वो बहुत दूर निकल आया संध्या का समय हो गया।
उसने देखा नदी के तट पर एक बुजुर्ग बूढ़ा बैठा है,जिनकी आँखों में बहुत गजब की चमक थी, प्यार था,और ऐसा लग रहा था जैसे उसी के इन्तजार में वहाँ बैठा उसका रास्ता देख रहा हो।
वो 6 साल का मासूम बालक बुजुर्ग बूढ़े के पास जा कर बैठ गया,अपने थैले में से रोटी निकाली और खाने लग गया।और उसने अपना रोटी वाला हाथ बूढे की ओर बढ़ाया और मुस्कुरा के देखने लगा,बूढे ने रोटी ले ली, बूढ़े के झुर्रियों वाले चेहरे पर अजीब सी ख़ुशी आ गई आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे,,,,
बच्चा बूढ़े को देखे जा रहा था, जब बूढ़े ने रोटी खा ली बच्चे ने एक और रोटी बूढ़े को दी।
बूढ़ा अब बहुत खुश था। बच्चा भी बहुत खुश था। दोनों ने आपस में बहुत प्यार और स्नेह केे पल बिताये।
जब रात घिरने लगी तो बच्चा इजाज़त ले घर की ओर चलने लगा वो बार- बार पीछे मुड़ कर देखता ! तो पाता बुजुर्ग बूढ़ा उसी की ओर देख रहा था।
बच्चा घर पहुँचा तो माँ ने अपने बेटे को आया देख जोर से गले से लगा लिया और चूमने लगी,बच्चा बहुत खुश था। माँ ने अपने बच्चे को इतना खुश पहली बार देखा तो ख़ुशी का कारण पूछा, तो बच्चे ने बताया!
माँ.....आज मैंने परमात्मा के साथ बैठ क्ऱ रोटी खाई,आपको पता है उन्होंने भी मेरी रोटी खाई,,,माँ परमात्मा बहुत बूढ़े हो गये हैं,,,मैं आज बहुत खुश हूँ माँ
उस तरफ बुजुर्ग बूढ़ा भी जब अपने गाँव पहुँचा तो गाँव वालों ने देखा बूढ़ा बहुत खुश है,तो किसी ने उनके इतने खुश होने का कारण पूछा????
बूढ़ा बोला-----मैं 2 दिन से नदी के तट पर अकेला भूखा बैठा था....मुझे पता था परमात्मा आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे।
आज भगवान आए थे, उन्होंने मेरे साथ बैठ कर रोटी खाई मुझे भी बहुत प्यार से खिलाई,बहुत प्यार से मेरी ओर देखते थे, जाते समय मुझे गले भी लगाया---परमात्मा बहुत ही मासूम हैं बच्चे की तरह दिखते हैं।
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इस कहानी का अर्थ बहुत गहराई वाला है।

असल में बात सिर्फ इतनी है कि दोनों के दिलों में परमात्मा के लिए प्यार बहुत सच्चा है

और परमात्मा ने दोनों को, दोनों के लिये, दोनों में ही(परमात्मा) ने  खुद को भेज दिया।

जब मन परमात्मा भक्ति में रम जाता है तो हमें हर एक में वो ही नजर आता है।

परमात्मा सदा हमारे करीब है बहुत ज्यादा करीब है,हमारे आस-पास वो ही वो रहता है।

जब हम उसके दर्शन को सही मायनो में तरसते हैं तो हमें हर जगह वो ही वो दिखता है,हर एक में वो ही दिखता है। 

Thursday 30 March 2017

समस्तीपुर में आनन्द मार्ग का सेमिनार

अवधूतिका आनन्द चितप्रभा और मृदुला दीदी ने दिए सवालों के जवाब 
समस्तीपुर: 29 मार्च 2017: (कार्तिका//आराधना टाईम्स):: 
मानव जीवन बहुत अजीब सा है। साधना की तरफ आसानी से नहीं बढ़ता। इसे साधने के लिए नियमित साधना करना आवश्यक है। उच्च जीवन की तरफ ले जाने वाली सात्विक दिनचर्य और साधना के इस भाव को दृढ़ बनाये रखने के लिए आनन्द मार्ग में सेमिनारों का आयोजन समय समय पर अलग अलग स्थाननपर होता रहता है।   इन सेमिनारों में जहाँ समाज में  उतपन्न समस्यायों की चर्चा होती है वहीँ मानव जीवन को इन सभी कठिनाईयों का सामना करने के काबिल बनाने वाली साधना पद्धति को दृढ़ करने की  होतीहै।
आज समस्तीपुर भुक्ति के हिन्दुस्तान न्यूज कार्यालय में नारी सशक्तिकरण पर सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें भुक्ति के सशक्त महिलाओ ने अपना अपना वकतव्य दिया ।आनन्दमार्ग महिला कल्याण विभाग की ओर से अवधूतिका आनन्द चितप्रभा आचार्या ने भी अपनी बातें सभी के सामने रखीं तथा मृदुला दीदी ने सभी लोगों को महिला कल्याण विभाग द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय कार्यशाला में आने हेतु निमन्त्रण दिया। इस सब के प्रसार के लिए दादा केवल सिन्हा ने सक्रिय योगदान दिया।