Tuesday 29 March 2022

कुष्ठ पीड़ित लोगों का उपचार और मनोवैज्ञानिक पुनर्वास दोनों ही महत्वपूर्ण

प्रविष्टि तिथि: 27 MAR 2022 4:03PM by PIB Delhi

राष्ट्रपति ने कहा कि हरिद्वार में दिव्य प्रेम सेवा मिशन अनुकरणीय है 


नई दिल्ली
: 27 मार्च 2022: (पीआईबी//आराधना टाईम्ज़)::

आज कच्छ संक्षित सी चर्चा करते हैं दिव्य प्रेम सेवा मिशन की। धोखा, लालच, निराशा और स्वार्थ के जितने हल्ले आशीष भाई जी पवार हुए कोई आम इंसान होता तो बुरी तरह निराश हो गया होता लेकिन आशीष भाई निराशा के इस दौर में अंतर्मन की रौशनी को ही सहारा बनाया और और आज यह संस्थान एक बड़ा काफिला बन चूका है। इस सब की पूरी कहानी हम फिर कभी आप के सामने रखेंगे आज चर्चा केवल इतनी कि महामहिम राष्ट्रपति भी वहां जा कर सब देख कर आए।
राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्य प्रेम सेवा मिशन कई अनुकरणीय और प्रशंसनीय कार्यकलाप कर रहा है जैसे कुष्ठ रोगियों के उपचार के लिए क्लिनिक, सामाजिक रूप से हाशिए पर पड़े कुष्ठ रोगियों के बच्चों के लिए स्कूल, छात्रों, विशेष रूप से लड़कियों के लिए छात्रावास और वहां रह रहे बच्चों के समग्र विकास के लिए कौशल विकास केंद्र। उन्होंने मिशन के संस्थापकों और उनके सहयोगियों को इस तरह की उत्कृष्ट सेवा और समर्पण के लिए बधाई दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि स्वतन्त्रता के बाद अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया और संविधान के तहत दंडनीय अपराध बना दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 17 द्वारा जाति और धर्म पर आधारित अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया था, लेकिन कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के प्रति सदियों पुरानी अस्पृश्यता आज भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस बीमारी को लेकर समाज में अभी भी कई भ्रांतियां और कलंक मौजूद हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को किसी अन्य रोग से पीड़ित व्यक्ति की तरह परिवार और समाज के अभिन्न अंग के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। ऐसा करके ही हम अपने समाज और राष्ट्र को एक संवेदनशील समाज और राष्ट्र कह सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि कुष्ठ पीड़ित लोगों का मनोवैज्ञानिक पुनर्वास उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उनका शारीरिक उपचार। संसद ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम- 2016 पारित किया है जिसके तहत भारतीय कुष्ठ रोग अधिनियम 1898 को निरस्त कर दिया गया है और कुष्ठ से पीड़ित लोगों के खिलाफ भेदभाव को कानूनी रूप से समाप्त कर दिया गया है। कुष्ठ रोग से ठीक हुए व्यक्तियों को भी अधिनियम 2016 के लाभार्थियों की सूची में शामिल किया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी अपने जीवन में मानवता की सेवा के लिए समर्पित थे और कुष्ठ रोगियों का उपचार और देखभाल करते थे। गांधीजी के अनुसार, स्वयं को जानने का सबसे अच्छा तरीका मानव जाति की सेवा में स्वयं को समर्पित करना है। उनका मानना ​​था कि कुष्ठ भी हैजा और प्लेग जैसा रोग है जिसका इलाज किया जा सकता है। इसलिए, जो इसके रोगियों को हीन समझते हैं, वे ही वास्तविक रोगी हैं। गांधी जी का संदेश आज भी प्रासंगिक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश के युवा लोगों में कुष्ठ रोग से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने में अपना योगदान दे सकते हैं। वे एनएसएस जैसे संगठनों के माध्यम से इस रोग के उपचार के बारे में लोगों में जागरूकता फैला सकते हैं। उन्होंने युवाओं से कुष्ठ पीड़ित लोगों की सेवा करने के अनुकरणीय उदाहरणों से प्रेरणा लेने और कुष्ठ रोग से जुड़े सामाजिक कलंक के उन्मूलन में अपना सक्रिय योगदान देने का भी अनुरोध किया। 

 सम्पर्क है : Sewa Kunj, below Chandighat Bridge, Haridwar, Uttarakhand 249408 01334 - 222211

divyaprem03@gmail.com



Thursday 3 March 2022

हृदय सम्राट गुरुदेव श्री स्वामी विश्वास जी विराट में वलीन हो गये

अंतिम दर्शन का सिलसिला डगशाई (हिमाचल) में जारी है 

 अंतिम संस्कार  दिनांक 5 मार्च 2022 को प्रातः 11 बजे डगशाई में 

पंचकूला//खरड़: 3 मार्च 2022: (आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

एक  दुःखद खबर सामने आई है कि विशवास फाउंडेशन के संस्थापक स्वामी विश्वास जी अब इस नश्वर दुनिया में नहीं रहे। वह विराट में लीं हो गए हैं। ज्योति से ज्योति मिल गई है। लोग उनके अंतिम दर्शनों के लिए डगशई में   उमड़े चले आ रहे हैं। बहुत बड़ा संस्थान बन जाने के बावजूद अभी तक बहुत से लोग हैं जो इस मिशन के संबंध में ज़्यादा नहीं जानते। अतीत की कुछ बातें याद करनी ज़रूरी हो गई हैं। 

कहते हैं न ज़िंदगी हर कदम इक नई जंग है। यह फ़िल्मी गीत किसी ज़माने में बहुत ही लोकप्रिय हुआ था। इस गीत में बहुत सी हकीकत भी है लेकिन बहुत कुछ अनकहा भी है। दुःख, दर्द और गम के मारे हुए समाज ने फूलों का खिलना भी जंग समझ लिया। हवा का चलना भी जंग समझ लिया। दरिया का बहना ही एक जंग समझ लिया। हमें सहजता भूलती चली गई। हम दवाओं के गुलाम होते चले गए। हम नशे की दलदलों में फंसते चले गए। स्थिति बद से बदतर होती चली गई। हार्ट अटैक, कैंसर, ब्रेन हैमरेज, ब्लड प्रेशर, शूगर बहुत सी बीमारियां हमारा नसीब बन गईं। गौरतलब है कि यह सब अचानक नहीं हुआ। दशकों से हम इसी जाल में फंसते चले आ रहे हैं। गरीबी एक अभिशाप बन चुकी है हमारे समाज में। हर तरफ दुःख, दर्द और गम का अंधेरा।  

ऐसे में एक नई रौशनी आई विश्वास फाउंडेशन के रूप में। हिमाचल में स्थित डगशई से यह रौशनी आई स्वामी विश्वास का रूप धर कर। यह 1978 का वर्ष था जब विश्वास फाउंडेशन ने अपनी स्थापना के बाद हिमाचल के बाहर भी मेडिटेशन के आयोजन करने शुरू किए। हमारी टीम ने पहली बार विश्वास फाउंडेशन का आयोजन देखा लुधियाना की फ़िरोज़पुर रोड पर स्थित एक बड़े से पैलेस में। पूरे शहर में उन दिनों इसी आयोजन की चर्चा रही। जो लोग भी इस आयोजन से कुत्ते उनके चेहरों पर एक रौनक सी होती। आँखों में एक नहीं चमक होती। 

मेडिटेशन के साथ साथ इस संस्थान ने शिक्षा, संस्कृति, मेडिकल राहत, गरीबों के लिए सुविधाएं जैसे बहुत से अन्य मिशन भी शुरू किए। दूर दूर तक यह नेटवर्क फैलता चला गया। ऐसे में ही जब कोरोना आया तो बहुत मुश्किल था इससे लड़ना। न ज़रूरत के मुताबिक वैक्सीन मिल पा रही थी और न ही कोरोना के मरीज़ों को सभी दवाएं। विशवास फाउंडेशन ने स्पेशल किते बनवाईं जिनमें एनर्जी लेवल कायम रखने जैसी बेहतरीन दवाएं शामिल रहीं। इस तरह की की पंचकूला में निःशुल्क बांटी गईं। कोरोना से लड़ने के लिए एनर्जी लेवल बहुत अच्छा रहे इस मकसद के लिए पत्रकारों को भी इस तरह की किट गिफ्ट के तौर पर दी गईं। 

आपको सूचित किया जाता है कि हम सबके हृदय सम्राट गुरुदेव श्री स्वामी विश्वास जी अपने साकार स्वरूप को त्याग कर विराट में वलीन हो गये हैं। अंतिम दर्शन का समय कल दिनांक 4 मार्च 2022 प्रातः 9 बजे से रहेगा। अंतिम संस्कार दिनांक 5 मार्च 2022 को प्रातः 11 बजे डगशाई में किया जाएगा।
श्रद्धालु जय जय विराट विश्वास कहते हुए एक दुसरे से दुःख बांट रहे हैं। भविष्य का कर्यक्रम जो भी होगा उसकी जानकारी भी हम आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे ही।