अंतिम दर्शन का सिलसिला डगशाई (हिमाचल) में जारी है
अंतिम संस्कार दिनांक 5 मार्च 2022 को प्रातः 11 बजे डगशाई में
पंचकूला//खरड़: 3 मार्च 2022: (आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::
कहते हैं न ज़िंदगी हर कदम इक नई जंग है। यह फ़िल्मी गीत किसी ज़माने में बहुत ही लोकप्रिय हुआ था। इस गीत में बहुत सी हकीकत भी है लेकिन बहुत कुछ अनकहा भी है। दुःख, दर्द और गम के मारे हुए समाज ने फूलों का खिलना भी जंग समझ लिया। हवा का चलना भी जंग समझ लिया। दरिया का बहना ही एक जंग समझ लिया। हमें सहजता भूलती चली गई। हम दवाओं के गुलाम होते चले गए। हम नशे की दलदलों में फंसते चले गए। स्थिति बद से बदतर होती चली गई। हार्ट अटैक, कैंसर, ब्रेन हैमरेज, ब्लड प्रेशर, शूगर बहुत सी बीमारियां हमारा नसीब बन गईं। गौरतलब है कि यह सब अचानक नहीं हुआ। दशकों से हम इसी जाल में फंसते चले आ रहे हैं। गरीबी एक अभिशाप बन चुकी है हमारे समाज में। हर तरफ दुःख, दर्द और गम का अंधेरा।
ऐसे में एक नई रौशनी आई विश्वास फाउंडेशन के रूप में। हिमाचल में स्थित डगशई से यह रौशनी आई स्वामी विश्वास का रूप धर कर। यह 1978 का वर्ष था जब विश्वास फाउंडेशन ने अपनी स्थापना के बाद हिमाचल के बाहर भी मेडिटेशन के आयोजन करने शुरू किए। हमारी टीम ने पहली बार विश्वास फाउंडेशन का आयोजन देखा लुधियाना की फ़िरोज़पुर रोड पर स्थित एक बड़े से पैलेस में। पूरे शहर में उन दिनों इसी आयोजन की चर्चा रही। जो लोग भी इस आयोजन से कुत्ते उनके चेहरों पर एक रौनक सी होती। आँखों में एक नहीं चमक होती।
मेडिटेशन के साथ साथ इस संस्थान ने शिक्षा, संस्कृति, मेडिकल राहत, गरीबों के लिए सुविधाएं जैसे बहुत से अन्य मिशन भी शुरू किए। दूर दूर तक यह नेटवर्क फैलता चला गया। ऐसे में ही जब कोरोना आया तो बहुत मुश्किल था इससे लड़ना। न ज़रूरत के मुताबिक वैक्सीन मिल पा रही थी और न ही कोरोना के मरीज़ों को सभी दवाएं। विशवास फाउंडेशन ने स्पेशल किते बनवाईं जिनमें एनर्जी लेवल कायम रखने जैसी बेहतरीन दवाएं शामिल रहीं। इस तरह की की पंचकूला में निःशुल्क बांटी गईं। कोरोना से लड़ने के लिए एनर्जी लेवल बहुत अच्छा रहे इस मकसद के लिए पत्रकारों को भी इस तरह की किट गिफ्ट के तौर पर दी गईं।
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