Sunday 11 July 2021

माता मनसा देवी परिसर में लगा साप्ताहिक रक्तदान शिविर

11th July 2021 at 5:22 PM
 49 श्रद्धालुओं ने किया माता के चरणों में उत्साह से रक्तदान 


पंचकूला: 11 जुलाई 2021: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्ज़)::
विश्वास फाउंडेशन, श्री माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड व इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी डिस्ट्रिक्ट ब्रांच पंचकूला की  तरफ से आज एक संयुक्त रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। यह साप्ताहिक रक्तदान शिविर रविवार को माता मनसा देवी परिसर में सत्संग भवन हॉल के पास वाले पार्क में लगाया गया। इस शिविर में 49 रक्तदानियों ने बहुत ही उत्साह के साथ माता के चरणों में रक्तदान किया। शिविर में मास्क, सोशल डिस्टैन्सिंग व सैनीटाईजेशन का खास ध्यान रखा गया। ब्लड बैंक एम केयर हॉस्पिटल ब्लड सेंटर वीआईपी रोड़ जीरकपुर टीम ने डॉक्टर गौरव की मौजूदगी में रक्त एकत्रित किया। गौरतलब है कि दान किया गया यह रक्त बहुत सी बिमारियों का शिकार मरीज़ों की जान बचाने के काम आता है। 

इस मौके पर विश्वास फाउंडेशन की महासचिव साध्वी नीलिमा विश्वास ने बताया कि लोगों में यह भ्रम है कि रक्तदान करने से शरीर में कमज़ोरी आती है। रक्तदान के कारण कोई कमजोरी नहीं आती, बल्कि सभी को 90 दिन में एक बार अवश्य ही रक्तदान करना चाहिए। इससे जरूरतमंदों को मदद मिलती है साथ ही शरीर स्वस्थ रहता है। रक्तदान जैसा पुनीत काम सबसे बड़ी सेवा में आता है।

इस रक्तदान शिविर में आये सभी रक्तदानियों को प्रशंसा पत्र, मास्क, साबुन, स्मृति चिन्ह व गिफ्ट देकर प्रोत्साहित किया गया। इस अवसर पर विश्वास फाउंडेशन से अविनाश शर्मा, वर्षा शर्मा, पवन मनचन्दा, हर्ष मनचन्दा, सुरेश कुमार, संजय सिंह व अन्य गणमान्य अतिथि भी मौजूद रहे।

Monday 5 July 2021

महिला सशक्तिकरण में नामधारी समाज का विशेष योगदान

5th July 2021 at 4:35 PM

धर्म के क्षेत्र में है यह क्रन्तिकारी कदम और अन्यों के बहुत बड़ी सीख 

नई दिल्ली: 5 जुलाई 2021: (*प्रीति सिंह//आराधना टाईम्ज़):: 
महिला सशक्तिकरण के प्रेरणा स्रोत माता चंद कौर जी 
आज के समय में
हम सभी महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और महिलाओं को उच्च स्थान देने का वायदा भी करते हैं। वहीं नामधारी समाज ने कुछ ऐसा उदाहरण हम सभी के समक्ष पेश किया, जिससे समाज में वास्तविक रूप में महिलाओं को उच्च दर्जा व सम्मान लगातार मिल रहा है। नामधारी सिखों ने समाज के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी तथा उच्चयोग (सर्वोच्च) स्थान व सम्मान को सुनिश्चित करने की एक विशेष मुहिम शुरू की है। जिसके अंतर्गत पुरुष प्रधान क्षेत्रों में महिलाओं का प्रवेश सुनिश्चित किया जा रहा है।
अप्रैल 2021 में नामधारी समाज के मुखी सतगुरु दलीप सिंह जी ने एक अनूठी पहल की, जिसमें उन्होंने पूर्ण रूप से नामधारी सिंघनियों (महिलाओं) को पुरुषों के तुल्य बैठने, पाठ करने, मंच संचालन, अरदास, अमृतपान, हवन-यज्ञ आदि ऐसे कई कार्यो में उच्च स्थान ही नहीं बल्कि संपूर्ण होला मोहल्ला कार्यक्रम का संचालन नामधारी सिंघनियों (महिलाओं) द्वारा करवाया गया। इस अवसर पर विवाह के लिए आनंद कारज की रस्में, अरदास, हवन-यज्ञ, लंगर बनाने से लेकर अमृतपान व अमृत बनाने आदि का कार्य संपन्न किया।
होला महल्ला कार्यक्रम में आनंद कारज (लावां) का उच्चारण नामधारी सिंघनियों (महिलाओं) द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में से किया गया तथा श्री दसम ग्रंथ साहिब जी में से होला महल्ला कार्यक्रम में भोग के श्लोक आदि सभी रीति-रिवाज महिलाओं ने संपन्न किए, जबकि ये सभी कार्य अभी तक सिंघ पुरुष ही करते थे। ये सभी परिवर्तन समाज में एक नई परंपरा का सूत्रपात करेंगे।
नामधारी सिख समुदाय ने अनूठी पहल शुरू करके पुरुषों द्वारा अमृतपान तथा अमृत बनाने का कार्य भी महिलाओं द्वारा शुरू करवाया जबकि सिखों की अन्य संप्रदायों में यह कार्य अभी तक पुरुषों द्वारा ही किया जाता है यहां तक कि तख्त श्री हजूर साहिल (नांदेड) में तो अभी तक स्त्रियों को अमृतपान नहीं करवाते।
सामान्यत: सिख पंथ में आज भी विवाह (आनंद कारज) से जुड़ी थार्मिक रीति-रिवाजों को गुरुद्वारे में तैनात कुछ पुरुषों द्वारा ही किया जाता है तथा महिलाओं की भागीदारी नाम मात्र भी नहीं रहती। जबकि, नामधारी पंथ ने अपने समुदाय में आनंद कारज की रीतियों में सिंघनियों (महिलाओं) को अधिकार  प्रदान किया गया, जो कि महिला सशक्तिकरण में एक नया मील पत्थर साबित होगा।
धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं में महिलाओं को सक्रिय भागीदारी के साथ ही नामधारी संप्रदाय ने सामाजिक क्षेत्रों में भी महिलाओं की हिस्सेदारी को सुदृढ़ किया है।
हमेशा से ही नामधारी गुरु साहिबानो एवं विशेष रूप से वर्तमान सतगुरु दलीप सिंह जी ने नामधारी संगत को बुद्धिजीवी बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बहुत सी ऐसी नई बातें बताईं, जिससे आने वाले समाज में महिलाओं के प्रति लोगों के मनोभाव, बुद्धिमता व सोच में बदलाव आएगा।
समाज का उद्धार तभी होता है जब किसी भी धार्मिक स्थलों पर धर्मगुरु कुछ ऐसे उदाहरण देते हैं जिससे लोगों की सोच को एक नई दिशा मिलती है। महिला सशक्त तभी कहलाती है जब समाज उसे पूर्ण रूप से स्वीकारता है।
नामधारी समाज महिला सशक्तिकरण वाले इस परिवर्तन को सहर्ष एवं पूर्णतया स्वीकार किया है। जो कि अपने आप में बहुत बड़ी बात हैं व कठिन हैं। क्योकि, समाज में परिवर्तन लाना जहां कठिन है वहां समाज द्वारा पुरातन परंपरा से निकलकर नई सोच तथा नई परंपरा को अपनाना और भी कठिन हैं। परंतु, नामधारियों ने अपने गुरु के आदेश को मानते हुए, महिला सशक्तिकरण को सहर्ष स्वीकार किया है। जो आश्चर्य जनक तथा प्रसन्नता की बात है।                                                                ---*प्रीति सिंह
*प्रीति सिंह विश्व सत्संग सभा, दिल्ली की प्रधान है और ऐसे विषयों पर लिखती रहती है