Sunday 22 December 2019

आज की ज़्यादातर थरेपियाँ मेंटल वेकेशंज़ ही हैं-साध्वी वीरेशा भारती

Sunday:Dec 22, 2019, 6:40 PM
दिव्य ज्योति जागृति सतसंग में हुई आध्यात्मिक रहस्यों की गहन चर्चा 
लुधियाना: 22 दिसंबर 2019:(आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा कैलाश नगर में सत्संग का आयोजन किया गया। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी वीरेशा भारती जी ने बताया कि आजकल कल्पना पर आधारित बहुत सी  ध्यान-साधनाएं एवं पद्धतियां प्रचलित हैं। बहुत से मनोचिकित्सक भी इन पद्धतियों को थेरेपी के रूप में अपने मरीजों पर आज़माते हैं। उन्हें मेंटल वेकेशन्स (मानसिक छुट्टियों) पर ले जाते हैं। रंग बिरंगी ख्याली दुनिया की सैर कराते हैं। इन सभी ध्यान पद्धतियों का मकसद होता है तनावग्रस्त इंसान को शांति की अनुभूति करवाना। जिस उपकरण के माध्यम से यह कल्पना की उड़ान भरी जाती है उसे मनोवैज्ञानिक मन की आंख  कहते हैं। उनका मानना है कि सब कुछ मन से होता है और मन के स्तर  पर ही होता है। अब क्योंकि इस सारी प्रक्रिया में मन ही कर्ताधर्ता है, इसीलिए इस माध्यम से आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर वास्तविक आनंद को पाना असंभव है। यह सीधा सीधा अनुपात पूर्ण तर्कसंगत है। वह इसलिए कि जो सत्ता आत्मस्वरूप मन के दायरे में आती ही नहीं उसकी अनुभूति मन कैसे कर सकता है। चाहे वह कितनी ही ऊंची छलांग क्यों ना लगा ले।
 गीता में भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि इंद्रियों से ऊपर मन है ,मन से ऊपर बुद्धि है और आत्मा  बुद्धि से भी ऊपर है। यानी कि  आत्मा का क्षेत्र मन व बुद्धि से बहुत ऊंचा है। मनोविज्ञान में भी आत्म सत्ता को मन से उच्चा माना गया है। विख्यात मनोवैज्ञानिक मास्लो पिरामिड के अनुसार भी सबसे ऊपर आत्मस्वरूप में स्थित होना है। इस शीर्ष पद के नीचे आती है तन और मन से जुड़ी आवश्यकताएं। अतः दूसरे शब्दों में कहें तो मन की परिधि इतनी विस्तृत नहीं कि उसमें आत्मा को सम्मिलित किया जा सके। इसलिए मन अपनी कल्पना के कितने भी पंख क्यों न पसार ले। उसकी  पहुंच आत्म- अनुभव तक जा ही नहीं सकती। अतः आत्म तत्व को देखने के लिए हमें उसी स्तर के उपकरण को प्राप्त करना होगा। इस उपकरण को ब्रह्म ज्ञानी महापुरुषों ने आई ऑफ द सोल अर्थात दिव्य चक्षु की संज्ञा दी है। जो समय के पूर्ण गुरु ही सक्रिय कर सकते हैं। सार रूप में आप भी अपने जीवन में ऐसे तत्व वेता ब्रह्मनिष्ठ सतगुरु की खोज करें जो आपको ब्रह्म ज्ञान की परम विद्या से दीक्षित कर सके।

Saturday 30 November 2019

गुरु वह मिले जो चार पदार्थों का ज्ञान घट के भीतर प्रकट कर दे

Nov 30, 2019, 11:58 AM
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के सतसंग का सिलसिला निरंतर जारी
लुधियाना: 30 नवंबर 2019: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो):: 
दिव्य ज्योति जाग्रति सस्ंथान द्वारा कैलाश नगर  में सत्संग का आयोजन किया गया।  सस्ंथान के संचालक एवं संस्थापक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी नीरजा भारती जी ने नामदेव प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भक्त नामदेव भगवान विठ्ठल के बहुत बड़े भक्त थे। उनसे प्रगाढ़ प्रेम करते थे। भगवान विठ्ठल उनके भावों को स्वीकार करने के लिए कई बार मूर्ति से प्रकट हुए क्योंकि भगवान तो भाव के भूख होते हैं। खुद प्रेमस्वरूप भगवान प्रेमावतार लेकर भक्तों के द्वार-द्वार पर अलख जगाते हैं। इसी प्रेम को ग्रहण करने के लिए प्रभु कभी विदुर के घर साग खाते हैं तो कभी शबरी के जूठे बेरों का भोग लगाते हैं। इसी प्रेम के वशीभूत होकर भगवान विठ्ठल नामदेव के समक्ष भी प्रकट होते हैं और उन्हें भक्ति का शाश्वत र्माग प्राप्त करने के लिए कहते हैं। भक्त नामदेव जी ने भक्ति के शाश्वत र्माग को प्राप्त करने के लिए गुरू विशोबा खेचर जी की शरण को प्राप्त किया। गुरू विशोबा खेचर जी ने उन्हें चार पदार्थो का ज्ञान प्रदान किया। 
साध्वी जी ने बताया कि श्री हरि के चार हाथ इन्हीं चार पदार्थो की ओर संकेत करते हैं। उनके एक हाथ में है शंख, एक में चक्र, एक में पद्म और एक में गदा है। सुदर्शन चक्र प्रतीक है प्रकाश का, शंख प्रतीक है अनहद नाद का, पद्म अमृत का और गदा प्रतीक है प्रभु के शाश्वत नाम का। गुरू ब्रह्म्ज्ञान द्वारा घट में ये चार पदार्थ प्रकट करता है और दिक्षा के समय ही परमात्मा का दर्शन करवाता है। आज हमें भी ऐसे सतगुरू की आवश्यकता है जो चार पदार्थों का ज्ञान घट के भीतर प्रकट कर दे। 

Friday 29 November 2019

Sister Naveena ने कहा हां मैंने देखे हैं बाबा के चमत्कार

मीडिया को भी बताये बाबा से अपने चमत्कारों के संकेतक अनुभव

सिस्टर नवीना आनंदमार्गी परिवार से जुडी हुई हैं और ज़िंदगी में  बहुत से उतराव चढ़ाव देख चुकी हैं। कभी कभी एक समय ऐसा भी आता है जब लगने लगता कि अब जायज़ काम भी रिश्वत के बिना नहीं होगा। कोई सिफारिश-कोई दबाव या फिर रिश्वत। ऐसे में भी सिस्टर नवीना ने कहा बाबा के इलावा हमारा और कोई नहीं और बाबा ही इस काम को करवाते हैं। हमें अडिग रहते हुए सदमार्ग पर चलते रहना चाहिए। नवीना दीदी का  विश्वास देख कर एक बार तो सब दंग रह जाते हैं। आसपास के लोगों का मन डोलने  लगता लेकिन नवीना मुस्कराती रहती है। शायद यह उसके विश्वास की परीक्षा होती है। फिर वह दिन भी आता है जब काम हो जाता है। सिस्टर नवीना आज भी उन दिनों की कहानी सुनाती हैं तो भावुक हो उठती है। उनका कहना है कि आनंदमार्ग ही हमें सही राह दिखा सकता है।
सुनिए और देखिये-सिस्टर नवीना के विश्वास की वह सत्य कथा:

Thursday 28 November 2019

एक ऐसा कीर्तन जिसका दिव्य प्रभाव आज भी मग्न कर देता है

आचार्य मन्त्राचेतनंदा अवधूत ने बतलाये 
मीडिया से बात करते हुए आनंदमार्ग के आचार्य Mantrachetnanada Avdhuta
लुधियाना: 26 नवंबर 2019: (रेक्टर कथूरिया//आराधना टाईम्ज़)::  
जब तक भीतर प्यास न उठे तब तक मन अंतर्मुखी भी नहीं होता और प्रभु की तरफ उसका प्रेम भी नहीं जगता।यह कृपा होती है  सच्चे गुरु की उपलब्धि से और वह मिलता है सतसंग और सद्कर्मों से। इस संबंध में आनंदमार्ग के लोग बहुत से अनुभव भी बताते हैं। उन्हें जो जो दिक्क़ते आईं उनका ज़िक्र भी बहुत दिलचस्प है और फिर जब उपलब्धि हुई तो उसका ज़िक्र भी बहुत मधुर है। हर कदम परीक्षा से भरा था। आज यह सब याद आ रहा है उस कृपा के ख्याल से जो लुधियाना के आनंद मार्गी जय चंद सैणी जी पर। इसकी चर्चा बहुत से लोगों ने की लेकिन फ़िलहाल इस वीडियो में सुनिए आचार्य मंत्रचेतनानदा जी के विचार।  यह सारा आयोजन हुआ था लुधियाना के बहुत ही वरिष्ठ मार्गी जय चंद जी के घर।  बाबा की कृपा से जयचंद जी हर वर्ष ऐसा आयोजन करते हैं। इस आयोजन को देख कर ही पता चलता है बिना किसी दैवी कृपा से यह सब सम्भव ही नहीं होता। अगर आपके पास भी कोई ऐसे ही अनुभव हों तो अवश्य बताएं। हम उन्हें भी पाठकों और दर्शकों के सामने प्रस्तुत करेंगे। ईमेल है: aradhanatimes@gmail.com और दूसरी ईमेल आईडी है: 
medialink32@gmail.com
Whats app Number: +919888272045


Monday 11 November 2019

हिन्द को इक मर्दे कामिल ने जगाया खाब से...

श्री गुरू नानक देव के प्रकाश पर्व पर हज़ूर शरण बेदी की विशेष रचना 
लेखक के बेटे भरत बेदी की तरफ से बनाया गया श्री गुरुनानक साहिब का चित्र 
जिस प्रकार सूर्योदय से पूर्व रात का अन्धेरा अपनी चरमसीमा को पार कर जाता है उसी प्रकार सत्गुरू नानक देव जी से पहले का युग भारत के इतिहास का अन्धकारमय पृष्ठ था। इस काल में अन्याय का एक अध्याय खुला हुआ था। देश और समाज छोटे-2 टुकड़ों और अनेक धर्मो तथा जातियों में बंटा हुआ था, भोली-भाली जनता एक ओर तो निर्दयी शासकों की निर्दयता का शिकार हो रही थी और दूसरी ओर धर्म के ठेकेदार मौलवी और पंडित अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए धर्म के नाम पर जनता को पथभ्रष्ठ कर के आपस में लड़ा रहे थे। इस तरह जनता इनके शिकंजे में बुरी तरह से जकड़ी हुई थी, चरित्र का दिवाला निकल चुका था, घृणा और अहंकार का बोलवाला था। किन्तु,       
लेखक हज़ूर शरण बेदी 
जब इस नुकते पे आया दहर की प्रकार का चक्कर, 
जब इस हालत में पहुंची फितरते इन्सां की बदहाली,
  तो नानक ले के पैगामें हियाते जाबदां आया,
जमीं के रहने वालों में, खुदा का राज़दा आया। 
गुरू साहिब का इस देश में प्रकाश हुआ तथा उन्होंने भारतवासियों को गहरी निद्रा से जगाया। इकबाल के शब्दों में
फिर उठी तौहीद की आखर सदा पंजाब से
हिन्द को इक मरदे कामिल ने जगाया खाब से
गुरू जी ने एक चतुर वैद्य की भांति समाज की नांडी को टटोला और कराह रही मानव जाति के जख्मों पर प्रेम और एकता की मरहत लगाई। आप ने हिन्दु मुस्लिम एकता के लिए तथा जातिया भेदभाव के ज़हर को दूर करने के लिए ‘एक पिता एकस हम बालक’’ का न केवल नारा ही लगाया बल्कि अमली रूप में भाई बाला और मरदाना को साथ लेकर धर्म प्रचार का कार्य प्रारम्भ किया।
आपने हिन्दुओं तथा मुसलमानों दोनों के तीर्थ स्थानों के दर्शन किए, एक बार जब आप से पूछा गया कि
‘‘एक साहिब, दो हदें
केहड़ा सेबें, केहड़ा रद्दे
उन्होंने फरमाया
नानक एको सिमरिए जो जल थल रिहा समाए
उस को क्या सिमरिए जो जन्मे और मर जाए
अर्थात्
‘‘इक्को साहिब, इक्को हद्द
इक्को सेवें, दूजा रद्द’’
गुरू जी ने एकता-प्यार तथा भाई-चारे का मार्ग दिखाया जिस पर चल कर भगवान को प्राप्त किया जा सकता है। 
प्रेम कियो तिन ही प्रभु पायो
गुरू जी पर प्रभु नाम की खुमारी सदा चढ़ी रहती थी और परमात्मा का नाम आते ही बेखुदी उन पर छा जाती थी। 
एक कवि के अनुसार 
‘‘मोदी खाने में रसद तोलने बैठे इक दिन
एक आेंकार कहा तोल के पहली धारण
दूई जाती रही जब दूसरी उठी धारण
तोलते युं ही रही तीसरी-चौथी धारण
बाहरवीं तोल चुके तेरहबीं आई धारण
तेरह कहना था कि एक शोला उठा अंदर से
आतशें शौक से उलफत के शरारे बरसे
इसवा फूंकने को सोजे़ ज़िगर आया था,
साहिब खाना अजब शान से घर आया था
आंख को जलवा-ए दीदार नज़र आया था
शीश-ए दिल में कोई साफ उतर आया था
बे खुदी छाई रटने लगे ‘‘तेरा-तेरा’’
‘‘यानि तेरा हूँ मैं तेरा हूँ मैं तेरा-तेरा’’
इसलिए गुरू साहिब भक्ति पर बल देते थे वे कहते थे कि ईश्वर के बिना मनुष्य इस प्रकार है जिस प्रकार 
कूप नीर बिना, धेनु क्षीर बिना, मंदिर दीप बिना 
देह नैन बिना, रैन चंद्र बिना, धरती मेह बिना
किन्तु यह ईश्वर भक्ति गुरू कृपा के बिना नही मिलती और 
गुरू जब बखशे ज्ञान का वह सुरमापुर नूर
जिस से सब अज्ञान का हो अन्धेरा दूर 
फिर तो कण-2 में भगवान की झांकी दीखने लगती है और मनुष्य की ‘‘मैं’’ निकल जाती है। और कहा ‘‘नानक जो हक्क को पाता है, वह मैं से रिहा हो जाता है,
मै छोड़ के ‘तू ही’ कहता है, ‘तूही तू’ जपता रहता है।’’
गुरू जी की भक्ति जहां शील-संयम-दया तथा संतोष पर टिकी हुई है वहां भय और डर का उस में कोई स्थान नही। आपने लोधी शासकों की स्पष्ट रूप से निन्दा की और कहा ‘‘भारत हीरे जैसा देश था परन्तु कायर लोधी शासकों ने इसे ध्वस्त और विनष्ट कर दिया ‘‘आपने बाबर के सामने कहा-
‘‘पाप की जंज लै काबलों छाया जोरी मंग दान वे लालो
निडर भक्ति की इस परम्परा को श्री गुरू अंगद देव जी ने आगे बढ़ाया, जिस से एक जीती जागती वीर तथा जिन्दादिल जाति का उदय हुआ।
गुरू जी कर्म और भक्ति पर बल देते थे। मक्का में जब हाजियों ने पूछा,
‘‘पुच्छन फोल किताब नू, हिन्दु बड़ा कि मुसलमानोई
बाबा आखे हाजियो, कर्मों बाझो दोबे रोई’’ 
आप ने निष्कर्म पर बल दिया और कहा
किए जा अमल और न ढूँढ इस का फल 
अमल कर अमल कर न हो वे अमल 
गुरू जी ने नारी जाति का बहुत सम्मान किया
‘‘उस क्यों मंदा आखिए, जिस जन्मे राजन,’’

श्री गुरू ननक देव जी ने जहा भ्रम, पाखंड, संदेह और छूआछात आदि को दूर करने के लिए निडरता से जनता का पथ-प्रदर्शन किया वहां उन्होंने मानव-मात्र की एकता पर भी बल दिया।
‘‘नाम-जपन-वण्ड छकन’’ की प्रथा चलाई। आज जब देश में फूट ने अपना डेरा जमा लिया है पृथकता की भावनाओं को बढ़ावा मिल रहा है, भाषा तथा जाति के नाम पर तूफान खड़े किए जा रहे हैं जिस से देश की एकता और अखण्डता खतरे में पड़ गई है इस कठिन समय में भी गुरू जी का प्रेम-एकता तथा कर्मो का मार्ग ही हमारा ठीक नेतृत्व कर सकता है। यदि हम ठीक अर्थो में उन का जन्म दिन मनाना चाहते हैं तो एक उर्दू शायर के शब्दों में
जो उनका दिन मानते हो तो इरशादात भी समझो 
जो उनका दिन मानते हो तो उनकी बात भी समझो
जो उनका दिन मानते हो कुछ इखलाक भी सीखो
जो उनका दिन मानते हो तो गमे आफाक भी सीखो
                                                                                      --‘‘हज़ूर शरण बेदी’’ 

Saturday 28 September 2019

ग्यासपुरा में सात दिवसीय श्रीमद देवी भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन

Saturday:Sep 28, 2019, 4:37 PM
आयोजन दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से ग्यासपुरा  में 
लुधियाना: 28 सितंबर 2019: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गगन नगर ग्यासपुरा  में  29 सितम्बर से 5 अक्टूबर  तक सात दिवसीय श्रीमद देवी भागवत  कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। जिसका समय प्रतिदिन सांय 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक रहेगा। इस कथा में आप  को   माँ के विभिन्न अवतारों के पीछे छिपे रहस्यों को  अध्यात्म, विज्ञान, संगीत के माध्यम से रसपान करेंगे। इस कथा को वांचने के लिए श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या  साध्वी  भद्रा भारती जी दिल्ली से पधार रही हैं। 

इस उपलक्ष्य में शहर में मंगल कलश यात्रा का आयोजन किया गया।  इस कलश यात्रा की शुरुआत स्वामी प्रकाशानंद जी,  पार्षद सोनिया शर्मा ,श्री पंकज शर्मा ,बलजीत सिंह मान,निर्मल सिंह,सरबजीत सिंह जी,तरलोचन सिंह काका जी  द्वारा झंडी   दिखाकर की गई।कलश यात्रा  से पहले  श्री  सुमन ठाकुर,धर्मपत्नी पूनम ठाकुर सपरिवार द्वारा पूजन करवाया गया। कलश यात्रा के महत्व को बताते हुए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य  स्वामी गुरुकृपानंद जी ने कहा कि  माँ शक्ति के सभी रूप मोक्ष और बलिदान का संदेश देते हैं।वह शुद्धता ,ज्ञान,सत्य और आत्म साक्षत्कार का अवतार है।कलश के अग्रभाग में देवताओं का निवास होता है। दूसरा, यह हमारे मानव मस्तिष्क का भी प्रतीक है। जिसमें अमृत का कुंड स्वीकार किया गया है। कलश यात्रा हमें निमंत्रण देती है कि आओ अपने मानव तन में ही परमात्मा का दीदार प्राप्त करो। यही हमारे जीवन का लक्ष्य है। इस यात्रा में  प्रदूषित हो रहे वातावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु पर्यावरण संरक्षण नामक झांकी का भी आयोजन किया गया, जिसमें बताया गया कि यदि वातावरण को प्रदूषित होने से न रोका गया तो आने वाले समय में हमारे लिए सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए ओर उनकी देखभाल भी करनी चाहिए। ताकि हमारी आने वाली पीढिय़ां अच्छे से जीवन यापन कर सकें।

वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ इस कलश यात्रा में   501 सौभाग्यवती महिलायें  पीले वस्त्रों में  कलश उठा कर चलीं और प्रभु के आशीर्वाद को प्राप्त किया। सारा शहर इस यात्रा की भव्यता में लीन हो गया ।यह कलश यात्रा विभिन्न  मार्गों से होती हुई कथा स्थल पर आकर समाप्त हुई।  कलश यात्रा का जगह-जगह पर बहुत ही श्रद्धा और सम्मान के साथ स्वागत किया गया। 

Friday 5 April 2019

नवरात्रि के पावन पर्व पर दमोह में विशेष आयोजन


24 घंटे के अखंड श्री चालीसा पाठ का आयोजन
दमोह: (मध्य प्रदेश): 5 अप्रैल 2019: (आराधना टाईम्ज़ सर्विस)::
संकेतिक और साभार चित्र 
आध्यात्मिक साधना के सुसवसर पर आप सभी लोग आमंत्रित हैं। यह आमंत्रण आयोजकों की तरफ से बहुत ही श्रद्धा भावना से दिया जा रहा है। विश्व वंदनीय धर्म सम्राट युग चेतना पुरुष परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज जी के आशीर्वाद स्वरुप एवं आदिशक्ति जगत जननी जगदंबा की कृपा से नवरात्रि के पावन पर्व पर 6 अप्रैल 2019  को सुबह 9:00 बजे से 24 घंटे के अखंड श्री चालीसा पाठ का आयोजन किया जा रहा है जिस का समापन 7 अप्रैल 2019 को सुबह 9:00 बजे किया जाएगा इस दिव्य अनुष्ठान में सभी गुरु भाई गुरु बहने मां के भक्त टीम प्रमुख सक्रिय कार्यकर्ता भगवती मानव कल्याण के सभी पदाधिकारी सादर आमंत्रित है। 
इस कार्यक्रम के आयोजक हैं श्री प्रमोद पटेल (जिला मीडिया प्रभारी दमोह)
कार्यक्रम का पावन स्थल होगा-एसपीएम नगर नई पुलिस लाइन दमोह मध्य प्रदेश
टीम के प्रमुख श्री ज्ञानी रजक जी दमोह आप सभी को आमंत्रित करते हैं। जय माता की जय गुरुवर की।
ज्ञानी रजक जी का सम्पर्क नंबर है:+91 98939 23054
 

Sunday 27 January 2019

बहुत ही भव्य और दिव्या था "भज गोविन्दम" का आयोजन

देश प्रेम और अध्यात्म चर्चा की संगीतमय प्रस्तुति 
लुधियाना: 27 जनवरी 2019: (मीडिया लिंक रविन्द्र//आराधना टाईम्ज़ टीम)::
गणतंत्र दिवस की संध्या। तिरंगा फहराने के बहुत से आयोजन। उसके बाद थके मांदे लोग। जब शाम को सारा उत्साह समाप्त हो चूका था उस समय मिली एक नयी ऊर्जा। जब गरीब और बेबस लोगों को देखते हुए देश को विकास के मार्ग पर ले जाने के सारे दावे खोखले लगने लगे थे। देश की स्थिति को देख कर मन में बार  बार उठते सवाल निराशा के मारे दम तोड़ रहे थे उस समय एक आयोजन इन सवालों के जवाबों की चर्चा कर रहा था। आयोजन इसी लोक में था लेकिन अलौकिक सा लग रहा था।
और तस्वीरें फेसबुक पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें 
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्धारा गुरु नानक देव भवन में 'भज गोविंदम' नामक  भव्य भजन संध्या   का आयोजन किया गया जिसकी शुरुआत बहुत ही दिव्य भी थी हुए भव्य भी। इस मौके पर स्वामी गुरुकिरपानंद जी, स्वामी प्रकाश आनंद जी, श्री रवनीत बिट्टू (एम.पी), श्री संजय तलवार (एमएलए), श्री श्याम सुन्दर मलहोत्रा (सीनियर डिप्टी मेयर), श्री जतिंदर मित्तल जी( लुधियाना  बीपीपी प्रेसिडेंट), श्री अश्विनी शर्मा (लुधियाना कांग्रेस प्रेजिडेंट), श्री गुरदेव देबी जी (कैशियर बीजेपी,पंजाब), श्री अमरजीत बैंस (एस.डी.एम), श्री कमल चेटली जी (सीनियर बीजेपी लीडर), श्री रजनीश धिमान (वाइस प्रेसिडेंट बी जे पी, लुधियाना) आदि ने संयुक्त रूप से ज्योति प्रज्वलित की। इस अवसर पर अपने प्रवचनों के अमृतरस का प्रवाह करते हुए सर्व श्री आशुतोष महाराज की परम शिष्या साध्वी सुमेधा भारती जी ने कहा कि वेदों में ईश्वर के समक्ष प्रर्थना की गई है कि प्रभु हमें असत्य से सत्य पथ की यात्रा करवाओ, हमें अंधकार से प्रकाश का मार्ग दिखाओ। लेकिन विचार करें कि अंधकार और प्रकाश का मार्ग क्या है? असत्य से सत्य की यात्रा क्या है? अंधकार का भाव है अज्ञानता जो मानव मन पर छाई हुई है। जिसके चलते आज समाज में भांति-भांति की कुरीतीयां जन्म ले रही हैं। कहीं पर नशाखोरी की सुनामी जैसी भयंकर लहरों में हमारी युवा पीढी डूबकर समाप्त हो रही है तो कहीं पर कन्या भ्रुण हत्या अमावस्या की काली रात्रि की तरह फैल कर नन्ही कलीयों को खिलने से पहले ही अपना ग्रास बना रही है। देश की सभी समस्याओं की चर्चा भी थी लेकिन इनके समाधान की बात भी चल रही थी। न किसी पर आरोप न किसी की आलोचना। बस देश की  युवा शक्ति को आमंत्रण की युवा हो तो फिर आगे बढ़ो। देश को बचना ही प्रथम कर्तव्य है। 
और तस्वीरें फेसबुक पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें 
        बात केवल धर्म या अध्यात्म की नहीं थी। देश प्रेम की चर्चा भी थी। वह भी पूरी गहनता के साथ। स्वामी विवेकानंद जी की याद दिलाई थी। स्वतंत्रत संग्राम के नाज़ुक पड़ावों की चर्चा भी की जा रही थी। इसके साथ ही सुरीली आवाज़ों में भजन गायन भी जारी था। फिल्मों के साथ, रंगमंच के साथ, इप्टा जैसे संगठनों के ज़रिये कला, राजनीति और बहुत से अन्य क्षेत्रों से जुड़े हुए कुंवर रंजन सिंह इस सारे कार्यक्रम को बहुत ही मस्त हो कर देख रहे थे। एक एक शब्द में छुपे अमृत का रसपान करते लग रहे थे। आध्यात्मिक प्रवचनों के इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए साध्वी जी ने कहा कि वेदों में इंसान को अमृत की संतान कहा गया है लेकिन हम विचार करें की क्या हम सच में अमृत की संतान है। हम संसार की ओर  नज़र दौड़ाकर  देखें  तो हम अमृत की संतान कहलाने के योग्य नहीं है। हमारा भविष्य हमारा युवा आज अमृतत्व को छोड़कर मृतत्व की ओर जा रहा है। कहने का मतलब कि हमारा युवा वर्ग जिसके कंधों पर हमारे देश का भविष्य टिका है आज वही युवा अपने नशे के कारण अपने पैरों  पर खड़ा  होने के योग्य  भी नहीं है। नशे की ऐसी दलदल में फसे होने का कारण हमारी युवा पीढ़ी का उसके पथ से भटक जाना। क्योंकि जो नशा है किसी को जीवन नहीं देता किसी को अमृत नही बांटता। नशा तो जीवन का नाश करता है वह तो सदैव मौत प्रदान करता है। ऐसी भयानक मौत जो पल पल इंसान को तड़पा तड़पा कर आती है। आगे साध्वी जी ने कहा कि हमारा जन्म ऐसी मौत को प्राप्त करने के लिए नहीं हुआ। हमारा जन्म तो अमृत को प्राप्त करने के लिए हुआ है। इस लिए हमारे महापुरूष इंसान को कहते है कि उठो जागो अमृत की संतानो और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ो और उसे प्राप्त करो। यहां पर जागना प्रतीक है इंसान के मोह की नींद से जागने का और लक्षय है परम पिता प्रकाश में मिल जाने का। जिसके हम अंश है, जैसे नदी अपने लक्षय सागर से मिलने के लिए तीव्र वेग के साथ सदैव बढ़ती है ठीक वैसे ही मानव को अपने लक्षय ईश्वर से मिलने के लिए सदैव प्रयास रत रहना चाहिए। इस संसार में असत्य से शाशवत सत्य की ओर जाना ही हमारा परम लक्ष्य है। जब एक इंसान ऐसे  मार्ग पर चलता है तो जीवन से ऐसी कुरीतीयां अपने आप दूर हो जाती है। 
और तस्वीरें फेसबुक पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें 
        आगे साध्वी जी ने कहा कि आज वर्तमान समय में चारों ओर आतंकवाद की समस्या से भयभीत मानव बार-बार ईश्वर से राम राज्य की स्थापना की प्रार्थना करता है लेकिन वह यह नही जानता कि राम राज्य की स्थापना हेतु अवश्यक है शांति के पुँज ईश्वर को जानने की और वही मानव का लक्ष्य भी है। जब एक साधक के जीवन में गुरू का आगमन होता है तो वह भक्त को ईश्वर मिलन का सनातन मार्ग प्रदान करते है। जिसे प्राप्त करके इंसान असत्य से सत्य पथ की यात्रा करता है। पत्रकारिता और युवा शक्ति से जुड़े सुशील मल्होत्रा भी इस सारे कार्यक्रम में बहुत सक्रिय नज़र आये। उन्होंने भी ज्योति प्रज्वलन में बहुत ही श्रद्धा और आस्था से भाग लिया।
 और तस्वीरें फेसबुक पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें 

           इस अवसर पर  सर्वश्री विपन विनायक-पल्लवी विनायक(पार्षद), दिलराज सिंह (पार्षद), देवेन्द्र  घुमन(पार्षद), जितेन्द्र जी (प्रचारक आरएसएस), मदन लाल बस्सी (एमडी सूरज उद्योग), गिरधारी लाल बस्सी (एमडी मून लाइट), सुशील कौड़ा (सेक्रेटरी महावीर इंटरनेशनल संस्था), प्रवीण डंग जी (हिन्दू सिख जागृति सेना प्रधान), सरपंच सुखवंत सिंह जी, श्री चमनलाल चेतली (एमडी चेतली स्टेट प्राइवेट लिमिटेड), श्री फूलचंद्र जैन (शाही लिबास), श्री टी. आर.मिश्रा जी (एम. डी. मिश्रा बॉयलर), श्री दिनेश मरवाहा (श्री रामलीला कमेटी), संदीप मरवाहा, प्रोफेसर दविंदर जोशी जी, प्रदीप शर्मा (एफआईबी), श्री जीवन गुप्ता (बीजेपी लीडर), श्री अश्वनी बहल जी (हर हर महादेव सेवा समिति), श्री बलवीर कोलार (एमडी कोलार बिल्डर्स), श्री अशोक कुमार जैन (एमडी मिनी किंग), हरी मंदिर कमेटी जनता नगर, गणपत राय विग (योग संस्थान), श्री संजय जैन जी (प्रधान सनातन सभा, बत्ती सेक्टर), डॉ वैशाली ग्रोवर, डॉक्टर राजीव ग्रोवर, राजिंदर खत्री, श्री हर्ष थापर,डॉक्टर राकेश गोयल जी, श्री पुष्पेन्द्र सिंगल जी और अन्य लोग भी विशेष रूप में पहुंचे।
और तस्वीरें फेसबुक पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें 
ख़ास बात यह थी कि इस सारे कार्यक्रम में खुद को बहुत लम्बे समय तक नास्तिक कहने और कहलाने वाले लोग भी बहुत ही रंग में रंगे हुए नज़र आए। उन्होंने जो  उनकी चर्चा किसी  अलग पोस्ट में की जाएगी। 
और तस्वीरें फेसबुक पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें 

Friday 25 January 2019

भज गोविन्दम के लिए निमंत्रण देने का अभियान जारी

आयोजन 26 जनवरी 2019 को लुधियाना के गुरु नानक भवन में  
लुधियाना:24 जनवरी 2019: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो):: 
बहुत से विरोधों और विवादों के बावजूद दिव्या ज्योति जागृति संस्थान निरंतर सक्रिय है। मामला सतसंग आयोजनों का हो या फिर शिक्षा से सबंधित अन्य क्षेत्रों का। इस संस्थान ने हमेशां इस बात  केंद्रित रखा कि उनका अभियान तेज़ कैसे हो। इस बार तैयारी है भज गोविन्दम भजन संध्या की। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान से स्वामी प्रकाशा नंद ने जिला कांग्रेस के नव नियुक्त जिला प्रधान अश्विनी शर्मा एवं सूरज उद्धोग के मदन लाल बस्सी से एक भेंट करके उन्हें आमंत्रित किया। स्वामी प्रकाशा नंद ने इन दोनों को भज गोविन्दम भजन संध्या का निमंत्रण कार्ड दे कर आयोजन में आने के लिए निमंत्रित किया। स्वामी प्रकाशा नंद ने   बताया कि यह प्रोग्राम 26 जनवरी  को गुरु नानक देव भवन ,भारत नगर चौक में साय 6 से 9 30 बजे तक होगा। इस यादगारी आयोजन में पहुंचने वालों को आध्यत्मिक जागृति के दुर्लभ आनंद के पल प्राप्त होंगें। 

Thursday 24 January 2019

महिफल साँईया की सजेगी 16 फरवरी को लुधियाना के दरेसी मैदान में

Jan 24, 2019, 5:55 PM
आयोजन के लिए उत्साह की लहर 
लुधियाना: 24 जनवरी 2019: (एस के ए//आराधना टाईम्ज़)::
साँई गुलाम शाह सेवा संघ की और से 16 फरवरी 2019 दिन शनिवार  को दरेसी मैदान में रात्रि 7 बजे से साँई इच्छा तक करवाई जा रही है जिसको लेकर  प्रचार सामग्री जारी की गई उस दौरान शिव सेना पंजाब से  राजीव टंडन,टकसाली नेता संदीप थापर गोरा,युवा भाजपा प्रधान महेश शर्मा, कावड़ संघ के हरीश शर्मा बोबी, भाजपा नेता गोल्डी सभरवाल, जितेंद्र कपूर, सुरिंदर बावा, सुमित धीर, प्रिंस कपूर, कमल बस्सी, सोनू कौशल, साहिल खुराना, नितिन, अंकुर वधवा मौजूद थे।