Sunday, 27 January 2019

बहुत ही भव्य और दिव्या था "भज गोविन्दम" का आयोजन

देश प्रेम और अध्यात्म चर्चा की संगीतमय प्रस्तुति 
लुधियाना: 27 जनवरी 2019: (मीडिया लिंक रविन्द्र//आराधना टाईम्ज़ टीम)::
गणतंत्र दिवस की संध्या। तिरंगा फहराने के बहुत से आयोजन। उसके बाद थके मांदे लोग। जब शाम को सारा उत्साह समाप्त हो चूका था उस समय मिली एक नयी ऊर्जा। जब गरीब और बेबस लोगों को देखते हुए देश को विकास के मार्ग पर ले जाने के सारे दावे खोखले लगने लगे थे। देश की स्थिति को देख कर मन में बार  बार उठते सवाल निराशा के मारे दम तोड़ रहे थे उस समय एक आयोजन इन सवालों के जवाबों की चर्चा कर रहा था। आयोजन इसी लोक में था लेकिन अलौकिक सा लग रहा था।
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दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्धारा गुरु नानक देव भवन में 'भज गोविंदम' नामक  भव्य भजन संध्या   का आयोजन किया गया जिसकी शुरुआत बहुत ही दिव्य भी थी हुए भव्य भी। इस मौके पर स्वामी गुरुकिरपानंद जी, स्वामी प्रकाश आनंद जी, श्री रवनीत बिट्टू (एम.पी), श्री संजय तलवार (एमएलए), श्री श्याम सुन्दर मलहोत्रा (सीनियर डिप्टी मेयर), श्री जतिंदर मित्तल जी( लुधियाना  बीपीपी प्रेसिडेंट), श्री अश्विनी शर्मा (लुधियाना कांग्रेस प्रेजिडेंट), श्री गुरदेव देबी जी (कैशियर बीजेपी,पंजाब), श्री अमरजीत बैंस (एस.डी.एम), श्री कमल चेटली जी (सीनियर बीजेपी लीडर), श्री रजनीश धिमान (वाइस प्रेसिडेंट बी जे पी, लुधियाना) आदि ने संयुक्त रूप से ज्योति प्रज्वलित की। इस अवसर पर अपने प्रवचनों के अमृतरस का प्रवाह करते हुए सर्व श्री आशुतोष महाराज की परम शिष्या साध्वी सुमेधा भारती जी ने कहा कि वेदों में ईश्वर के समक्ष प्रर्थना की गई है कि प्रभु हमें असत्य से सत्य पथ की यात्रा करवाओ, हमें अंधकार से प्रकाश का मार्ग दिखाओ। लेकिन विचार करें कि अंधकार और प्रकाश का मार्ग क्या है? असत्य से सत्य की यात्रा क्या है? अंधकार का भाव है अज्ञानता जो मानव मन पर छाई हुई है। जिसके चलते आज समाज में भांति-भांति की कुरीतीयां जन्म ले रही हैं। कहीं पर नशाखोरी की सुनामी जैसी भयंकर लहरों में हमारी युवा पीढी डूबकर समाप्त हो रही है तो कहीं पर कन्या भ्रुण हत्या अमावस्या की काली रात्रि की तरह फैल कर नन्ही कलीयों को खिलने से पहले ही अपना ग्रास बना रही है। देश की सभी समस्याओं की चर्चा भी थी लेकिन इनके समाधान की बात भी चल रही थी। न किसी पर आरोप न किसी की आलोचना। बस देश की  युवा शक्ति को आमंत्रण की युवा हो तो फिर आगे बढ़ो। देश को बचना ही प्रथम कर्तव्य है। 
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        बात केवल धर्म या अध्यात्म की नहीं थी। देश प्रेम की चर्चा भी थी। वह भी पूरी गहनता के साथ। स्वामी विवेकानंद जी की याद दिलाई थी। स्वतंत्रत संग्राम के नाज़ुक पड़ावों की चर्चा भी की जा रही थी। इसके साथ ही सुरीली आवाज़ों में भजन गायन भी जारी था। फिल्मों के साथ, रंगमंच के साथ, इप्टा जैसे संगठनों के ज़रिये कला, राजनीति और बहुत से अन्य क्षेत्रों से जुड़े हुए कुंवर रंजन सिंह इस सारे कार्यक्रम को बहुत ही मस्त हो कर देख रहे थे। एक एक शब्द में छुपे अमृत का रसपान करते लग रहे थे। आध्यात्मिक प्रवचनों के इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए साध्वी जी ने कहा कि वेदों में इंसान को अमृत की संतान कहा गया है लेकिन हम विचार करें की क्या हम सच में अमृत की संतान है। हम संसार की ओर  नज़र दौड़ाकर  देखें  तो हम अमृत की संतान कहलाने के योग्य नहीं है। हमारा भविष्य हमारा युवा आज अमृतत्व को छोड़कर मृतत्व की ओर जा रहा है। कहने का मतलब कि हमारा युवा वर्ग जिसके कंधों पर हमारे देश का भविष्य टिका है आज वही युवा अपने नशे के कारण अपने पैरों  पर खड़ा  होने के योग्य  भी नहीं है। नशे की ऐसी दलदल में फसे होने का कारण हमारी युवा पीढ़ी का उसके पथ से भटक जाना। क्योंकि जो नशा है किसी को जीवन नहीं देता किसी को अमृत नही बांटता। नशा तो जीवन का नाश करता है वह तो सदैव मौत प्रदान करता है। ऐसी भयानक मौत जो पल पल इंसान को तड़पा तड़पा कर आती है। आगे साध्वी जी ने कहा कि हमारा जन्म ऐसी मौत को प्राप्त करने के लिए नहीं हुआ। हमारा जन्म तो अमृत को प्राप्त करने के लिए हुआ है। इस लिए हमारे महापुरूष इंसान को कहते है कि उठो जागो अमृत की संतानो और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ो और उसे प्राप्त करो। यहां पर जागना प्रतीक है इंसान के मोह की नींद से जागने का और लक्षय है परम पिता प्रकाश में मिल जाने का। जिसके हम अंश है, जैसे नदी अपने लक्षय सागर से मिलने के लिए तीव्र वेग के साथ सदैव बढ़ती है ठीक वैसे ही मानव को अपने लक्षय ईश्वर से मिलने के लिए सदैव प्रयास रत रहना चाहिए। इस संसार में असत्य से शाशवत सत्य की ओर जाना ही हमारा परम लक्ष्य है। जब एक इंसान ऐसे  मार्ग पर चलता है तो जीवन से ऐसी कुरीतीयां अपने आप दूर हो जाती है। 
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        आगे साध्वी जी ने कहा कि आज वर्तमान समय में चारों ओर आतंकवाद की समस्या से भयभीत मानव बार-बार ईश्वर से राम राज्य की स्थापना की प्रार्थना करता है लेकिन वह यह नही जानता कि राम राज्य की स्थापना हेतु अवश्यक है शांति के पुँज ईश्वर को जानने की और वही मानव का लक्ष्य भी है। जब एक साधक के जीवन में गुरू का आगमन होता है तो वह भक्त को ईश्वर मिलन का सनातन मार्ग प्रदान करते है। जिसे प्राप्त करके इंसान असत्य से सत्य पथ की यात्रा करता है। पत्रकारिता और युवा शक्ति से जुड़े सुशील मल्होत्रा भी इस सारे कार्यक्रम में बहुत सक्रिय नज़र आये। उन्होंने भी ज्योति प्रज्वलन में बहुत ही श्रद्धा और आस्था से भाग लिया।
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           इस अवसर पर  सर्वश्री विपन विनायक-पल्लवी विनायक(पार्षद), दिलराज सिंह (पार्षद), देवेन्द्र  घुमन(पार्षद), जितेन्द्र जी (प्रचारक आरएसएस), मदन लाल बस्सी (एमडी सूरज उद्योग), गिरधारी लाल बस्सी (एमडी मून लाइट), सुशील कौड़ा (सेक्रेटरी महावीर इंटरनेशनल संस्था), प्रवीण डंग जी (हिन्दू सिख जागृति सेना प्रधान), सरपंच सुखवंत सिंह जी, श्री चमनलाल चेतली (एमडी चेतली स्टेट प्राइवेट लिमिटेड), श्री फूलचंद्र जैन (शाही लिबास), श्री टी. आर.मिश्रा जी (एम. डी. मिश्रा बॉयलर), श्री दिनेश मरवाहा (श्री रामलीला कमेटी), संदीप मरवाहा, प्रोफेसर दविंदर जोशी जी, प्रदीप शर्मा (एफआईबी), श्री जीवन गुप्ता (बीजेपी लीडर), श्री अश्वनी बहल जी (हर हर महादेव सेवा समिति), श्री बलवीर कोलार (एमडी कोलार बिल्डर्स), श्री अशोक कुमार जैन (एमडी मिनी किंग), हरी मंदिर कमेटी जनता नगर, गणपत राय विग (योग संस्थान), श्री संजय जैन जी (प्रधान सनातन सभा, बत्ती सेक्टर), डॉ वैशाली ग्रोवर, डॉक्टर राजीव ग्रोवर, राजिंदर खत्री, श्री हर्ष थापर,डॉक्टर राकेश गोयल जी, श्री पुष्पेन्द्र सिंगल जी और अन्य लोग भी विशेष रूप में पहुंचे।
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ख़ास बात यह थी कि इस सारे कार्यक्रम में खुद को बहुत लम्बे समय तक नास्तिक कहने और कहलाने वाले लोग भी बहुत ही रंग में रंगे हुए नज़र आए। उन्होंने जो  उनकी चर्चा किसी  अलग पोस्ट में की जाएगी। 
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