Sunday, 7 May 2023

नास्तिक भाई रमेश के आस्तिक भाई मनमोहन कौशल को याद करते हुए

विचारधारक अंतरालों में एक पुल की तरह थे मनमोहन कौशल 

लुधियाना: 6 मई 2023: (रेक्टर कथूरिया//आराधना टाईम्ज़)::

मनमोहन कृष्ण अब स्वर्गीय हो गए हैं।
गत 27 अप्रैल 2023 को उनका निधन हो गया। याद आ रहा है वो समय जब वह इसी दुनिया के थे और इसी दुनिया में थे। रमेश कौशल ज़्यादातर जालंधर में होते या फिर पार्टी के कार्यों में जहां भी डयूटी लग जाए। 

उन दिनों सी पी आई एम की सरगर्मियां भी बहुत ज़यादा हुआ करती थीं। इसी बीच रमेश कौशल वाम सियासत में लगातार सक्रिय होते चले गए और साथ ही पत्रकारिता में भी। राजनीति में बहुत से झमेले रहते हैं सो रमेश जी भी बेहद व्यस्त रहते। इसके साथ लिखने पढ़ने का जो लगाव था उसके चलते भी किसी न किसी किताब की खोज में रहते या फिर जहां अध्यन करते रहते। 

पंजाब में आतंकवाद ने ज़ोर पकड़ा तो मुश्किलें और भी बढ़ गईं। कई बार हम कुछ मित्र उस तरफ से निकलते तो सोचते रमेश जी के घर से हो कर जाएं। बहुत बार ऐसा होता रमेश जी घर पर नहीं होते। स्वर्गीय माता जी के दर्शन करते उनके  और वापिसी के लिए निकलने लगते तो रास्ते में रमेश जी के बड़े भाई मनमोहन कौशल रास्ता रोक लेते। हाथ मिलाते मिलाते  हाथ कस कर पकड़ लेते और कहते जलपान के बिना कैसे जा सकते हैं आप!

जलपान के लिए उनका अंदाज़ इतना ज़ोरदार रहता कि इनकार करने की कोई गुंजायश ही न बचती। वह  हमें अपने ड्राइंग  रूम में ले जाते और सरे परिवार से एक बार फिर मिलवाते। सभी से कहते रमेश के दोस्त आए हैं। उनका परिवार भी हमें मुस्कराहट से मिलता। रमेश के भाभी जी भी और बच्चे भी। झट से चाय या कॉफी आ जाती साथ ही कई तरह के मिष्ठान और नमकीन भी। 

कामरेड रमेश शुरू से ही पूरी तरह से नास्तिक थे और दूसरी तरफ मनमोहन जी आस्तिक थे लेकिन विचारों का यह अंतर कभी भी उनकी ज़ुबान पर न आया। वह वाम सियासत पर भी बात करते और दूसरी सियासी पार्टियों पर भी लेकिन पारिवारिक मधुरता हमेशां बनी रहती। मनमोहन जी ने अपने जीवन काल में भागवत गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों का भी गहन अध्ययन भी किया था। इसी अध्ययन के आधार पर उन्होंने बहुत से भजन भी लिखे और अन्य धार्मिक रचनाएं भी। बहुत सी रचनाओं के लिए उन्होंने गहन  खोज भी की। उनकी रचनाएं बहुत लोकप्रिय भी हुईं। 

वह एक ऐसी शख्सियत थे जो रमेश जी की नास्तिक सोच, विचारक स्वतंत्रता का सम्मान भी करते थे और स्वयं बिलकुल ही दुसरे ध्रुव पर खड़े हो कर अपने विचारों की रक्षा भी करते थे। कहा जा सकता है कि वह आस्तिकता और नास्तिकता के दरम्यान एक पल की तरह था। उनके पास बैठते हुए कभी पता न चलता कि कहां से नास्तिकता शुरू होती और कहां पर आस्तिकता अपना प्रभाव दिखाने लगती। रोज़ी रोटी के लिए उन्होंने अध्यापन के क्षेत्र को चुना था। वह हैड मास्टर के तौर पर रिटायर हुए थे। 

इसी तरह उम्र के 87 बरस गुज़र गए। बिंद्राबन रोड पर इस्कॉन मंदिर के बिलकुल नज़दीक से निकलती हुई भंडारी स्ट्रीट का ज़रा सा ख्याल भी आता मन चाहता उनसे मिल कर चलें। रमेश जी की तरह हमें उनसे भी मित्रता भरा प्रेम हो ही गया था। दोनों भाईओं में प्रेम और भाईचारा लम्बे समय तक एक हकीकत की तरह रहा। जब रमेश कौशल ने सीपीआई से जुडी सक्रिय महिला नेता जीत कुमारी से विवाह किया तो उसका विरोध करने वालों में रमेश जी का परिवार भी शामिल था लेकिन भाई मनमोहन जी ने रमेश जी का साथ दिया। कामरेड जीत कुमारी को अपने जेठ मनमोहन कौशल जी की सब बातें आज भी याद हैं। आज भी जीत कुमारी की ऑंखें उन्हें याद करते हुए भीग जाती हैं। 

फिर एक ऐसा समय भी आया जब मतभेद ज़्यादा उभरने लगे। कभी कभी ऐसा कुछ तकरीबन सभी घरों में होने लगता है सो कौशल परिवार में भी हुआ। घर में एक दीवार खड़ी हो गई। घर के बड़े गेट की बजाए दो दरवाज़े रमेश जी भी उदास थे और मनमोहन जी भी। दीवार होने के बाद हम लोगों का आना जाना भी कम होता गया। हम रमेश जी से  मिलते और लौट पड़ते। कभी सोच भी न पाए कि मनमोहन जी एक दिन अदृश्य हो जाएंगे। केवल उनकी यादें ही शेष रह जाएंगी। 

अब जबकि मनमोहन जी नहीं रहे तो यह उदास खबर भी साथी रमेश कौशल जी से ही मिली। वह भी देर तक मनमोहन जी की ज़िंदगी के पड़ावों को याद करते रहे-याद दिलाते रहे। वास्तव में ऐसे लोग केवल परिवार ही नहीं समाज के लिए भी एक लोह स्तंभ की तरह होते हैं जिन पर हमारा सिस्टम स्थिरता से टिका भी रहता है और सुचारु रूप से चलता भी रहता है। जब इस तरह का कोई स्तंभ गिरता है तो क्षति किसी एक परिवार की नहीं बल्कि पूरे समाज की होती है। 

उनकी स्मृति में रस्म क्रिया और श्रद्धांजलि आयोजन सात मई को कैलाश सिनेमा चौक के नज़दीक पिंडी दयाल धर्मशाला में दोपहर को एक से दो बजे तक होना है। पिंडी दयाल धर्मशाला को कपूर धर्मशाला के तौर पर भी जाना जाता है। उनकी स्मृति में एकत्र होने वाले उनक यादों को फिर से तय करेंगें जिससे परिवार को उनके बिछड़ने का गम सहन करने में सहायता मिलेगी। आप भी ज़रूर आइए। इससे उनकी गैरमौजूदगी में उनकी मौजूदगी का अहसास और भी शिद्दत से महसूस होगा। 

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Monday, 10 April 2023

क्या आर्थिक बराबरी के बिना कारगर होंगें आनंद उत्सव के गुर?

श्री दुर्गा माता मंदिर में बताए गए आनंद के गुर और रास्ते 
लुधियाना: 10 अप्रैल 2023: (रेक्टर कथूरिया//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::
महंगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, अमन कानून इत्यादि बहुत सी समस्याएं हैं जिनके चलते आम इंसान का जीना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। गरीब और माध्यम वर्ग सबसे अधिक दुःख में है। खर्चे बढ़ते जा रहे हैं और आमदन काम होती जा रही है। इनकी मुसीबतों का अनुमान लगाना बेहद नामुमकिन जैसा ही है। मल्टीनेशनल  कंपनीओं के माया जाल ने इन लोगों को बुरी तरह चक्रव्यूह में फांस रखा है। शायद ही कोई घर परिवार हो जिसने कर्ज़ा न ले रखा हो। क़र्ज़ की किस्तों, कारोबार के झमेलों और परिवार की ज़िम्मेदारियों तले दबे हुए इन लोगों के लिए सुख सुविधा और आनंद एक सपने की बात बन कर रह गए हैं। ज़िंदगी बोझ और सज़ा लगती है। पूछने पर ऑंखें भर आती हैं और कहते हैं किसी तरह जून कट जाए। कृष्ण बिहारी नूर साहिब की पंक्तियाँ याद आती हैं:
ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं:और क्या जुर्म है पता ही नहीं! 

दूसरी तरफ अमीर वर्ग के भी अपने दुःख हैं। तिजोरियां कैसे और भरी जाएं। पर्तिस्पर्धा में दूसरों के कारोबारी संतानों का टेकओवर कैसे किया जाए जैसी बहुत सी चिंताएं उन्हें भी घेरि रखती हैं। नई फैक्ट्रियां कैसे खोली जाएं? नई ज़मीनें और बंगले कैसे बनाए जाएं? मीडिया में एक विवरण आया था कि एक बहुत बड़े अमीर की टॉयलेट सीट भी सोने की बानी हुई है लेकिन फिर भी उसे पैसे कमाने की होड़ से फ़ुरसत नहीं है। इस तरह इन अमीर लोगों के पास हर सुख सुविधा तो है लेकिन आनंद  बिलकुल भी नहीं है। इनको सपने भी केवल पैसा कमाने के ही आते हैं। पैसा कमाने की दौड़ ने इन्हें पागल कर रखा है। अमीर, गरीब और मध्यवर्ग से सबंधित इन तीनों वर्गों के इलावा राजनीति से जुड़े लोगों का भी एक वर्ग है जिसे इन सबसे अधिक चिंताएं हैं। अनगिनत किस्म के जोड़तोड़ हर पर दिल दिमाग में घुमते रहते हैं। 

धर्मकर्म से जुड़े वर्ग भी अपनी चिंताओं में हैं। सोशल मीडिया में अधिक से अधिक चर्चा और चढ़ावे  की बातें उनकी शांति को भी भंग किए रखती हैं। इससे से भी अधिक शोषित और चींटी वर्ग मीडिया से जुड़े लोगों का है। हर पल देश और दुनिया की चिंता जिस के चक्कर में अपने घर बार की दाल रोटी का प्रबंध भी भूल जाता है। कुल मिलकर हर वर्ग दुःख की चक्की में पिस रहा है। 

इस तरह बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके पास सब कुछ है लेकिन आनंद की ज़रा से भी झलक नहीं हैं। ऐसे लोगों को आनंद का रास्ता बताने के लिए एक विशेष आयोजन जगराओं पुल  लुधियाना के नज़दीक स्थित श्री दुर्गा माता मंदिर में हुआ।

इन सभी की चिंता की जानेमाने समाज सेवी कुंवर रंजन सिंह ने जो किसी समय थिएटर और फिल्म जगत से भी जुड़े रहे। बाद में खुल कर सियासत में आ गए। बहुत देर वाम और कांग्रेस के साथ भी रहे। एना हज़ारे आंदोलन को भी बहुत सक्रिय हो कर नज़दीक से देखा। फिर इन्हें लगा कि बेचारे आम लोगों को नारेबाजी के सिवा कुछ नहीं  मिल रहा। मिल तो कुछ वहीं से सकता है जिसके खज़ाने में कुछ हो। कुछ हिम्मत की नाज़ा सोचा। कुछ बातें भी तय हुई और खुल कर बी जे पी के हो गए। वाम वालों के साथ रह कर भी कुंवर रंजन साहिब को धर्मकर्म याद था और अब उसकी यादें और शिद्द्त से आने लगी हैं। कला और साहित्य पर उनकी कमांड पहले से ही है। 

श्री दुर्गा माता मंदिर में हुए आयोजन के सबसे अधिक सक्रिय और गतिशील प्रबंधक कुंवर रंजन ही थे। बीजेपी से जुडी नेत्री राशि अग्रवाल भी वहां मौजूद रहीं और हर वक्त का एक एक शब्द बहुत ध्यान से सुना। भारती सचदेवा सहित कुछ और वक्त भी थे जिन्होंने बहुत ही मधुर अंदाज़ में अपने विचार रखे और वहां मौजूद श्रोतायों//दर्शकों को आनंद लेने के गुर भी समझाए। हाल में मंदिर की घंटियां बीच बीच में बज उठतीं थी और कभी कभी शंख की आवाज़ भी गूंजने लगती लेकिन कुल मिलकर आनंद के सूत्र बहुत गहनता से समझे जा रहे थे। मंच से जानीमानी एंकर कमलेश गुप्ता इस सारे आयोजन का संचालन बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में कर रहीं थी। रेडियों और टीवी की दुनिया का अनुभव उनके अंदाज़ को हरा आयोजन में एक नया रूप देता है। आनंदमय जीवन के गुर बताने वाले इस आयोजन में कई प्रमुख वक्त थे और उनकी अनमोल बातें भी। 

"आनन्दमय जीवन की और .. " दो दिवसीय सेमिनार ने छोड़ा श्रोताओं के दिलो दिमाग पर अमिट छाप।श्री दुर्गा माता मन्दिर ट्रस्ट द्वारा आयोजित दो दिवसीय सेमिनार भारी उत्साह एवं सकारात्मकता के फ़ैलाव के साथ सम्पन्न हुआ. शहर के प्रबुद्ध जनों मे चारों ओर इसकी चर्चा आम हो रही है. सभी वक्ताओं ने सेमिनार के मुख्य बिन्दु  स्वस्थ्य शरीर, सकारात्मक विचार, सद्कर्म एवं परमात्मा से जुड़ाव पर गहन चर्चा की.

स्वामी पुनीत जी, भाई अनिल भारती जी, कुंवर रंजन जी, रोशन लाल आर्यों जी, डा.लोकेश जी सुनील त्रिखा जी, विवेक श्रिवास्तव जी और रचना गुप्ता जी से अनंत बहूमूल्य विचार सुनने को मिले। सभी के मन के सुर मंच से मिले हुए the .उनके दिल कीबातें जो हो रहीं थी .सभी के चेहरे पर एक असीम शांति भी थी।  

सभी  श्रोताओं ने सभी वक्ताओं के विचार को बहुत ध्यान से सुना और संतुष्ट जीवन जीने के लिए बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लिया.इस कार्यक्रम मे सैकड़ों की संख्या मे लुधियानावासी शामिल होकर भरपुर आनंद उठाया एवं मंदिर कमिटी से आगे भी ऐसे आयोजन कराते रहने की अपील की.ट्रस्ट के वाईस चेयरमैन श्री वरिन्दर मित्तल जी ने आये हुये गण मान्यों का धन्यवाद किया .इस कार्यक्रम का मंच संचालिका श्री मति कमलेश गुप्ता जी ने की. इस मौके पर बहुत से  प्रमुख व्यक्ति मौजूद रहे। 

इस सारे आयोजन में सबसे अधिक महत्मवपूर्हण भूमिका श्री दुर्गा माता मन्दिर ट्रस्ट के वाईस चेयरमैन श्री वरिन्दर मित्तल जी की रही। उन्होंने ही इस सारे आयोजन की सफलता के लिए इतनी बड़ी टीम को जोड़ा और इसे सफल करके भी दिखाया। सेमिनार के अंत में सभी लोग चाह रहे थे कि अब इसी तरह का आयोजन जल्दी हो। सुश्री राशी अग्रवाल ने तो सुझाव भी दिया कि हर महीने ऐसे आयोजन हों तो और भी अच्छा हूँ। 

इस आयोजन में शायरी का रंग भी था, भक्ति रस भी और जीवन जीने के फलसफे का रंग भी। सुश्री राशि अग्रवाल, भारती  सचदेवा के साथ  कुंवर रंजन ने इस सरे कार्यक्रम को एक सूत्र में बांधे रखा। कार्यक्रम में पूनम सपरा जैसी वशिष्ठ प्रोफेसर भी मौजूद रहीं। आयोजन में महिलाओं की मौजूदगी शायद पुरुषों से अधिक थी। केवल मौजूदगी ही नहीं थी बल्कि यह मौजूदगी पूरी तरह से सतर्क ध्यान वाली थी। इस यादगारी आयोजन ने सभी के दिलों पर एक अमित छाप छोड़ी खबर के साथ आप एक संक्षिप्त सी कैमरा रिपोर्ट भी देख सकते हैं।  

लेकिन यह  सवाल फिर भी कायम है कि क्या आर्थिक खुशहाली और आर्थिक बराबरी के बिना केवल उपदेश से आनंद का उत्सव हर किसी के लिए सम्भव हो भी सकेगा?
बहुत से लोग हैं जिन के पास दो वक्त की रोटी का प्रबंध भी नहीं हो पाता। परिवार का निर्बाह और कई बार तो अकेले अपना निर्बाह भी आज के युग में बहुत कठिन हो गया है। 

दूसरी तरफ बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनके पास बेशुमार दौलत है लेकिन इसके बावजूद वे परेशान हैं। वे और अधिक पैसा कमाने की दौड़ में दिन रात पागल हुए रहते हैं। 

इस तरह की जीवन शैली ने बहुत सी समस्याएं पैदा कर दी हैं जिनके परिणाम स्वरूप अलग अलग बीमारियों का भयानक रूप सामने आ रहा है। 

इस तरह के सभी लोगों को ज़रूरत है आनंदमय जीवन के कुछ कारगर सूत्र बताने की। इसी तरह के विशेष सूत्र बताने के लिए ही आयोजित हुआ श्री दुर्गा माता मंदिर में एक विशेष आयोजन। देखिए एक कैमरा रिपोर्ट और इस सेमिनार में हुई चर्चा की विस्तृत स्टोरी पढ़ने के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं। https://aradhanatimes.blogspot.com/2023/04/blog-post.html



पूजा, अर्चना और भक्ति मार्ग से जुड़े सभी मित्रों से निवेदन है कि आराधना टाईमज़ से जुडीए और अपने आयोजनों की कवरेज को दूर दराज के स्थानों पर  बैठे अन्य लोगों तक पहुंचाइये ---


Sunday, 19 March 2023

मां कालका रथ सेवक संघ की और से विशाल रथ यात्रा का शुभारंभ

Sunday 19th March 2023 at 11:03 PM 

मां जय मां के जयघोषों से गूँज उठा आकाश:भगत गुरप्रीत सिंह

तस्वीरों में आप देख सकते हैं  रथ यात्रा के शुभारंभ से सबंधित अलग अलग दृश्य 

लुधियाना: 19 मार्च 2023: (डी के कत्याल//आराधना टाईम्ज़)::

मां कालका की महिमा अपरम्पार है। दूर दराज में बने मंदिरों में पहुंचने वाली संगत की आस्था देखते ही बनती  है। लुधियाना में भी भक्तों की आस्था लगातार बढ़ रही है। इसका एक बार फिर अहसास हुआ रथयात्रा के अवसर पर। 

मां कालका रथ सेवक संघ की ओर से चैत्र नवरात्र के उपलक्ष में पिंडी स्वरूप मां काली जी की विशाल रथ यात्रा 18 मार्च को प्राचीन गौशाला से भगत गुरप्रीत सिंह की अध्यक्षता में निकाली गई। भगत गुरप्रीत सिंह ने बताया कि चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर मां कालका जी और बाबा महाकाल की अध्यक्षता में ज्योति स्वरूपों में श्री मेहंदीपुर बाला जी सरकार और 10 देवियों का आगमन 5 मार्च को दरबार मां पिंडी रानी में हुआ था। 

उन्होंने बताया कि यह सभी ज्योति स्वरूप 5 मार्च से 18 मार्च तक दरबार मां पिंडी रानी में ही विराजमान रहे। मां कालका रथ सेवक संघ की तरफ से रथ यात्रा के उपलक्ष में विशेष रूप से रोजाना कार्यक्रम भी किए गए। 18 मार्च को प्राचीन गौशाला के अभिषेक चोपड़ा हाल में सुबह 7 बजे श्री दुर्गा स्तुति का महापाठ भगत गुरप्रीत सिंह की अध्यक्षता में किया गया जिसके उपरांत विशाल रथ यात्रा का शुभारंभ भगत गुरप्रीत सिंह द्वारा किया गया जोकि प्राचीन गौशाला से आरंभ होकर गौशाला रोड से सर्कुलर रोड, भगवान वाल्मीकि चौंक,  बाजवा नगर, दरेसी, प्रताप बाजार, माता रानी चौंक, घंटाघर चौंक, चौड़ा बाजार, डिवीजन नंबर 3 चौंक स्थित दरबार मां वैष्णो देवी स्वर्ण मंदिर से होते हुए गौशाला रोड, हरबंसपुरा संघ कार्यालय पर महाआरती के साथ संपन्न हुई। 

इस विशाल रथ यात्रा में पहली बार श्री शक्तिशब्द जय मां महाग्रंथ को भी शामिल किया गया जिसे भगत गुरप्रीत सिंह द्वारा बनवाया जिसका प्रकाश बसंत पचमी के अवसर पर 26 जनवरी को पहली बार किया गया था। इस श्री शक्ति शबद जय मां महाग्रंथ के कुल 1160 पन्ने हैं जिसके प्रत्येक पन्ने पर 108 बार जय मां प्रकाशित है जिसकी ग्रंथ में कुल गिनती 125280 है। रथयात्रा में श्रद्धालुओं ने श्री मेहंदीपुर बाला जी सरकार और दस देवियों की पवित्र ज्योति स्वरूपों और श्री शक्ति शबद जय मां महाग्रंथ के दर्शन कर अपने आप को कृतार्थ किया। यात्रा मार्ग में श्रद्धालुओं द्वारा स्वागती मंच, विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के लंगर, पुष्प वर्षा, रंगोलियां, पटाखे, आतिशबाजियां एवं आरतियां कर विशाल रथ यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। इस विशाल रथ यात्रा में मां कालका रथ सेवक संघ की महिला विंग व भारी संख्या में अन्य भक्तजन उपस्थित हुए। इस अवसर पर विशाल भंडारा भी लगाया गया। 

विशाल रथ यात्रा में महंत नारायण दास पुरी, सनातन धर्मगुरु पंडित अजय वशिष्ठ, महंत गौरव दास बावा, महंत शिवराम कृष्ण जय माता, श्री राम मंदिर कमेटी के सदस्यगण, सुरिंदर खन्ना, विधायक अशोक पराशर पप्पी, प्रदीप शर्मा गैबी, सरदार हरविंदर सिंह (साऊ), सीनियर डिप्टी मेयर शाम सुंदर मल्होत्रा, ब्लॉक कांग्रेस प्रधान विपन अरोड़ा, लुधियाना यूथ फेडरेशन के प्रधान राजू वोहरा, गुरदेव शर्मा देबी, दिनेश सरपाल, दविंदर जग्गी, चौधरी यशपाल, विक्रम पंडित, प्रवीण बांसल, रणजीत सिंह ढिल्लो, रमेश जैन बिट्टा, पुष्पिंदर सिंघल, विक्की डावर, गौ रक्ष्णी सभा के शाम लाल सपरा, दर्शन लाल बवेजा लड्डू, अशोक थापर, डॉली चुग, डी.के अरोड़ा, संजू धीर, डॉक्टर सुभाष वर्मा, जॉनी महेंद्रु, सुनील मैनी, लव मैनी, रोहित मुंजाल, प्रवीण डंग, एडवोकेट गुरिंदर सूद, कमल बस्सी, सुनील मेहरा, मनु चावला, दलीप ग्रोवर, काका सूद, रोहित सिक्का, साहिल खुराना, बिट्टू गुंबर, शाम चोपड़ा, पप्पू धीर, गुरप्रीत गोपी, गुलशन बूट हाउस से मुनीम, सोनू सिंगला, राजू झांगी, कृष्ण खरबंदा, दविंदर सूद, विनय धीर, नीरज मूंग, केशव मूंग, राजन राणा, विनीत दुआ, लक्की शर्मा, विपन विनायक, गौतम जलंधरी, भारती सिकंदर, स्वाति बस्सी के अलावा धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक आदि गणमान्य व्यक्तियों ने नतमस्तक हो आशीर्वाद प्राप्त किया जिन्हे मां कालका रथ सेवक संघ के सदस्यों द्वारा सिरोपे डाल व मां पिंडी रानी का स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया गया। 

Friday, 17 February 2023

दास धर्म के आयोजन में लगा एक्युपंचर कैंप

255 मरीजों ने उठाया इसके अनोखे जादू का फायदा


लुधियाना
: 16 फरवरी 2023: (कार्तिका सिंह//आराधना टाइम्स)::

दास धर्म अपनी स्थापना के समय से ही तीखे विरोध का सामना करता आ रहा है इसके बावजूद इस धर्म ने अब एक नई चुनौती दी है उन लोगों को जो ईश्वर को आज के युग का एक बहुत बड़ा कारोबार बना कर बैठे हैं। दास धर्म ने कहा है हमारे पास आने पर आपको ईश्वर नहीं मिलेगा लेकिन जो गुण और शक्तियां ईश्वर के रूप में बताई जाती हैं वे सभी आपको इस सतसंग में आने से मिल जाएंगी। आपको उसकी रज़ा में रहना आ जाएगा। दास धर्म के संबंध में बहुत सी जानकारी लायंस भवन में पहुंच  कर मिली जहाँ दास धर्म का स्थापना दिवस मनाया जा रहा था। इसी अवसर पर एक चुनौती बड़ी बड़ी मल्टिनैशनल कंपनियों को भी दी गई थी एक्युपंक्चर का कैंप कर। गौरतलब है कि एक्युपंक्चर की थरेपी महंगी दवाओं के महंगे इलाज की दुकानदारी को बहुत जल्दी ही  बंद करने वाली है। 

दर्शन धाम दास धर्म के प्रमुख महाराज चडविन्दा दास तीर तरक्कडी जी के नेतृत्व मे लायंस भवन मे दास धर्म स्थापना दिवस मनाया गया व डा कोटनीस एक्युपंचर हॉस्पिटल सलेम टाबरी  द्वारा 16 तारीख सुबह 10:00 बजे से शाम 2:00 बजे तक मुफ्त एक्युपंचर मेडिकल कैंप  लुधियाना के सिविल लाइन,  लायन  भवन उधम सिंह नगर में लगाया गया।  इस कैंप में जोड़ों का दर्द घुटनों का दर्द, धूटनो   में दर्द, कमर का दर्द सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, साइटिका, दमा ब्रोंकाइटिस एलर्जी आधा सिर दर्द ,नींद ना आना मानसिक परेशानी  अधरंग, लकवा आदि का इलाज किया गया। यह कैंप दास धर्म  के सहयोग से लगाया गया  जिसमे 255 मरीजो का ईलाज किया गया। बहुत से मरीज तो मेडिटेशन जैसी अवस्था में थे क्योंकि उन्हें आराम आना शुरू हो गया था।

डाक्टर ढींगरा ने बताया कि तन मन की ऐसी कोई भी समस्या या बिमारी नहीं जिसका इलाज एक्यूपंक्चर से न हो सकता हो। तन की समस्याएं और मन की बेचैनियां सभी का इलाज संभव है। यहां असली नशा मुक्ति होती है क्योंकि यहां नशा छुड़वाने के बदले में कोई दूसरा नशा मेडिसिन कह कर नहीं दिया जाता। सिर्फ कुछ खास पॉइंट्स पर कुछ देर के लिए सूईयां लगा कर शरीर की ऊर्जा का सर्किट ठीक कर दिया जाता है जिससे जिस्म में से नशे कीमांग ही नहीं उठती।

इस कैंप में डॉक्टर इंदरजीत सिंह डॉ रघूबीर सिंह डॉक्टर राजेश भयाना व डा रितक चावला नेअपनी सेवाएं दी व लायंस क्लब के चेयरमैन  श्री शक्ति वर्मा, सरदार  ईकबाल सिहं  गिल (आई पी एस) रियायरड आई जी, सरदार जसवन्त सिहं छापा प्रधान सरबत दा भला चैरीटेबल ट्रस्ट लुधियाना. दिनेश राठोर राष्ट्रीय खिलाडी वालीबाल एसआई पजाॆब पुलीस, विपन जण्ड दैनिक सवेरा, गौतम जालंधरी जाग्रती लहर, सुखदेव सलेमपुरी अजीत सहित कई पत्रकारों को भी सम्मानित किया गया।

दास सरमुख महासचिव सतगुरु दर्शन धाम जी ने सभी को सम्मानित किया व सतगुरु दर्शन धाम के प्रधान निर्मल कुमार शर्मा व लुधियाना कमेटी के प्रधान दास सरदार तरसेम सिह जी उपस्थित रहे व कैम्प व कार्यक्रम का उध्गाटन सरदार ईकबाल सिहं जी ने किया व कहा कि सतगुरु दर्शन धाम की दुसरी पातशाही दास धर्म बहुत ही बढीया समाज की लोक भलाई हेतु मानवता की भलाई के लिये  समर्पन भावना से कार्य कर रहे है। वो दास धर्म दिवस पर डा कोटिनस एकयुपक्चर सुईयों वाला हस्पताल द्वारा कैम्प लगाया गया जिससे सभी प्रकार के रोगो का ईलाज बिना दवाईयो से बिना किसी दुशप्रभाव  व सबसे सस्ती चिकीत्सा  है  व रोग जड से समाप्त हो जाता है।

इस अवसर पर धर्म चर्चा के साथ साथ रूहानी भजन कीर्तन भी हुआ। कुल मिलाकर सारा आयोजन यादगार बन पड़ा।

Thursday, 16 February 2023

आनंदमार्ग उपवास का अनुशासन

निर्जला एकादशी के अवसर पर भी दिखा इसका पालन

आध्यात्मिक साधना की दुनिया: 16 फरवरी 2023: (कार्तिका सिंह//आराधना टाइम्स):: 

आनंदमार्ग में उपवास पर अक्सर ही बहुत जोर दिया जाता है। उपवास से सबंधित दिनों की बाकायदा एक सूची भी होती है। अस्वस्थ होने जैसी किसी मजबूरी को छोड़ कर आम तौर उपवास की नियम का बहुत अनुशासन से किया जाता है। इस नियम के पालन से साधक का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है और मन भी हर तरह से स्वस्थ रहता है। दिमाग भी नियंत्रण में रहता है। इस नियम की पालना करते करते कब उसके रास्तों की रुकावटें दूर हटने लगती हैं इस तरह के चमत्कार वही जानता हैं। जानमाने अर्थशास्त्री डा. रवि बत्रा ने अपनी किसी पुस्तक में उपवासों के अनुभव पर बहुत अच्छा लिखा है कि कैसे उपवासों ने उसके रास्ते में लगातार आ रही बाधायों की कमर तोड़ दी थी। डा रवि बत्रा जाने माने अर्थशास्त्रियों में गिने जाते जिनकी भविष्यवाणियों ने किसी वक्त पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था।

आनंद मार्ग में सभी एकादशी पर्वों//दिनों का उपवास रखा जाता है जो आम तौर पर 25 से 27 घंटे तक का उपवास होता ही है। इस बार का उपवास  निर्जला एकादशी 16 फरवरी 2023 को है। इस दिन भी सभी साधक उपवास रखेंगे। 

उपवास की याद दिलाते समय स्पष्ट बताया जाता है कि कुछ बातों कोण्याद रखना जरूरी है। ध्यान रहे-एकादशी  के दिन, केवल गुर्दे की पथरी/पित्ताशय की पथरी/बीमार रोगी केवल नींबू नमक पानी पी कर एकादशी का पालन करेंगे।  

ब्लड प्रेशर के मरीज सिर्फ पानी पी कर उपवास करेंगे।  निम्न रक्तचाप के रोगियों के लिए दूध और फलों के रस की अनुमति है।  

मधुमेह के रोगियों के लिए नींबू के रस और फलों के रस की अनुमति है।  इस तरह कुछ विशेष प्रस्थितियों में आवश्यक छूट भी दी जाती है ताकि किसी पर भी इस अनुशासन की पालना करते समय कोई दुष्प्रभाव न पड़े।

लेकिन बाकी सभी को इस अनुशासन पालन सख्ती से करना होता है। बिना पानी के एकादशी के उपवास का पालन करना चाहिए।  अत्यधिक बीमार रोगी केवल फल और दुग्ध उत्पाद ही ले सकते हैं।  

एकादशी पर ठोस भोजन की अनुमति नहीं है (यह निर्देश Caryacarya और योगिक चिकित्सा पुस्तकों में छपे बाबा के प्रवचनों पर आधारित है)

गौरतलब है कि आनंदमार्ग में मेडिटेशन, योग साधना और तंत्र साधना का विशेष महत्व है। यम नियम के पालन पर बहुत जोर दिया जाता है। उच्च नैतिक जीवन शैली को बार बार याद दिलाया जाता है। दशकों पहले आनंद मार्ग ने जो नारे उठाए  उनमें सबसे प्रमुख था कि बी मोरालिस्ट अर्थात नैतिक बनो। देखने को साधारण सा स्लोगन लगता है लेकिन इस में गहरी बातें छिपी हैं सारी उम्र जिनका पालन करते साधक को ज़िंदगी संवर जाती है और वह तकरीबन हर बुराई से बचा भी रहता है।

Thursday, 9 February 2023

नामधारियों ने किया हवन से पूजन अर्चन

Wednesday 8th February 2023 at 07:45 PM

हवन में महिलाओं ने भी सक्रिय योगदान दिया//भजन गायन भी हुआ   


कुरुक्षेत्र: 8 फरवरी 2023: (कार्तिक सिंह//आराधना टाईम्ज़)::

हवन के फायदे अनगिनत हैं। इसकी महिमा अपरम्पार है। हवन करने और करवाने वाली ही इससे मिलने वाले आनंद को महसूस कर सकते हैं। हवन की खूबियों के कारण बड़े बड़े लोग और राजनेता हवन करना आवश्यक समझते हैं। पर्यावरण को शुद्धता प्रदान करने के साथ साथ हवन के पास बैठने मात्र से ही मन की चिंता, संताप, शोक और रोग मिटने लगते हैं। मन में एक नया उत्साह आने लगता है। दिल और दिमाग में एक नई शक्ति का अद्भुत संचार सा होता हुआ महसूस होने लगते है। 

नामधारियों ने एक बार फिर से पूरी आस्था से कुरुक्षेत्र की ऐतिहासिक भूमि पर पहुंच कर किया हवन का आयोजन। यह जानकारी संत तेजिंदर सिंह नामधारी ने दी।  ऐसी बहुत सी वजहें और कारण हैं कि नामधारी समुदाय में हवन को आज भी विशेष स्थान प्राप्त है। बहुत सी आलोचना और विरोध के बावजूद नामधारी संगत से जुड़े भक्त लोग पूरी आस्था के साथ अक्सर हवन करते हैं। 

गौरतलब है कि नामधारी पंथ की स्थापना के समय से ही इसकी परम्परा एवं मर्यादा रही है। इस बार भी आठ फरवरी 2023 को स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वितीय जन्म शताब्दी के सबंध में हवन का विशेष आयोजन कुरुक्षेत्र में किया गया। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के आश्रम में यह एक अलौकिक सा अनुभव था। एक अध्यात्मिक ऊंचाई की अनुभूतियों से भरा हुआ अनुभव। इसमें नामधारी संगत ने अपने रूटीन की तरह यहां इस आश्रम में भी बहुत ही स्नेह और सम्मान से हवन का आयोजन किया। 

इस हवन में आहुतियां डालने वालों में सुश्री संदीप कौर ने पूरी मर्यादा के साथ हर औपचारिकता निभाई। इस हवन में उनके साथ सूबा अमरीक सिंह, सूबा रतन सिंह, प्रधान अरविन्द्र सिंह, दिल्ली यूनिट के प्रधान चरणजीत सिंह यमुनानगर, तेजिंदर सिंह और अन्य गणमान्य लोग भी शामिल हुए। इस मौके पर अंतरात्मा को छूने वाला भजन कीर्तन भी हुआ जिसके सुनते हुए मन दुनियादारी के झमेलों से हट कर आत्मिक आनंद की तरफ बहने लगता है। 

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Tuesday, 10 January 2023

शास्त्री नगर स्थित कृष्णा मंदिर में किया गया मेडिकल कैंप का आयोजन

Tuesday: 10th January 2023 at 5:36 PM

विभिन्न थ्रेपियों के आचार्य डा. लोकेश ने की मरीज़ों की गहन जांच  

लुधियाना: 10 जनवरी 2023: (संजय सूद//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

आयुर्वेद, रेकी और नैचरोथरेपी के आचार्य डॉक्टर लोकेश द्वारा मेडिकल कैंप का आयोजन शास्त्री नगर स्थित कृष्णा मंदिर में किया गया! इस मेडिकल कैंप में  23 मरीजों ने परामर्श किया। यह मेडिकल कैंप मधुमेह, लिवर, किडनी, डायलिसिस और कैंसर के भारी जोखिम रोगीयों के लिए आयोजित किया गया था। आज की दुनिया में उच्च जोखिम डायलसिसिस और महत्वपूर्ण  देखभाल बहुत महंगी हो गयी है। 

उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग और गरीब लोग इसे वहन करने में सक्षम नहीं हैं। यह नि:शुल्क मेडिकल कैंप इसी तरह के जरूरतमंदों की मदद करते हैं।  इस अवसर पर कृष्णा मंदिर से तरसेम लाल गुप्ता, सतीश जैन एवं सभी टीम सदस्यों ने अधिक से अधिक मरीज़ों को फायदा पहुँचाने के मकसद से सक्रिय सहयोग दिया। 

इस अवसर पर नरेश धिगान, अर्जुन धिगान, कलकी जन सेवा से जतिन शर्मा और नरेश शर्मा ने पूर्ण रूप से सहयोग किया। इस मोके पर अचार्य डॉक्टर लोकेश ने बताया कि यह मेडिकल कैंप हर महीने के पहले और तीसरे रविवार को लगाया जायेगा।