Saturday 18 November 2023

राहू बना सकता है रंक से राजा

18 नवंबर 2023 सुबह 08:25 बजे व्हाट्सएप 

राहू की माया और रहस्यों की चर्चा कर रहे हैं बिभाष मिश्रा 

जमशेदपुर: (झारखंड): 18 नवंबर 2023: (आराधना टाइम्स ज्योतिष डेस्क)::

राहु, केतु, साढ़ेसाती  जैसे कई मुद्दों को लेकर लोग परेशान हैं। आख़िर ये पूरा मामला क्या है? इन मुद्दों का वैज्ञानिक पहलू एवं समुचित समाधान कैसे संभव है? कुछ लोग इन बातों पर खुलेआम विश्वास करते हैं तो कुछ लोग छुपकर।इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वाले जिज्ञासुयों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण यह क्षेत्र एक बड़ा उद्योग बन गया है। हम आप तक प्रामाणिक जानकारी पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे। इस प्रायोजन के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से नियमित रूप से परामर्श लिया जाता है। इस बार हम बात कर रहे हैं राहु की. राहु को लेकर लोगों के मन में बहुत डर, भ्रम और भ्रांति है जबकि वास्तविकता के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इस बार हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं झारखंड के प्रसिद्ध ज्योतिष विशेषज्ञ बिभाष मिश्रा का एक विशेष लेख जिसमें राहु के बारे में कई गलतफहमियां दूर की गई हैं। ज्योतिष में रुचि रखने वालों के लिए राहू की अत्यंत सार्थक व्याख्या अत्यंत ज्ञानवर्धक होगी।                                                                                                                                       -कार्तिका कल्याणी सिंह (समन्वय संपादक)


राहु की उड़ान कितनी महत्वपूर्ण है इसका कुछ कुछ अनुमान शायद आपको यह पोस्ट पढ़ कर हो सके। 

आज की इस पोस्ट में हम राहु ग्रह के गति के बारे में चर्चा करेंगे

इसका मिसाल को हम ऐसे समझते हैं

मान के चलिए आपके पास डेढ़ करोड़ की मर्सिडीज़ कार है सारा फंक्शन ऑटोमेटिक है और तमाम सुख सुविधा से लैस...

इसके साथ-साथ आपके पास एक प्राइवेट प्लेन भी है.. सीट फटी हुई है ,सीटों में खटमल लगी है , जेट का पेंट भी उखड़ा हुआ है... यानी पूरी पुरानी अवस्था में है ...सिर्फ इंजन ही सही से काम करता है ॥

अब यह बताइए कि गंतव्य तक पहुंचना हो तो डेढ़ करोड़ की मर्सिडीज़ काम करेगी या पुरानी प्राइवेट प्लेन ॥

मर्सिडीज़ कितनी भी महंगी हो, पर चलना उसे सड़क में ही है....

और सड़क पर चलने के क्रम में अगर ट्रैफिक जाम हो जाए तो मर्सिडीज़ आसमान में उड़ नहीं सकती ...

 या अगर गड्ढे और उबर खाबड़ आए तो मर्सिडीज़ का टायर कितना भी अच्छे कंपनी का हो वह जर्किंग करेगा ही...

और अगर जबरदस्त ट्रैफिक हो तो वही खड़ी रहेगी आपकी डेढ़ करोड़ की मर्सिडीज़...

आप कितना भी रो ले ..चिल्ला ले.. कि आपके पास डेढ़ करोड़ की मर्सिडीज़ है.. आपको पहले जाने दिया जाए .. 

फिर भी कोई सुनवाई नहीं.. और ट्रैफिक जाम में आपके ठीक आगे एक ठेला या ऑटो रिक्शा ही क्यों न खड़ा हो आपको कतार में उसके पीछे ही खड़ा रहना पड़ेगा ॥।

क्योंकि मर्सिडीज़ कितनी भी महंगी क्यों ना हो चलना उसे सड़क पर ही है ...

और हवाई जहाज कितना भी पुराना क्यों न हो उसे उड़ना आसमान में है ....

जहां ना तो कोई ट्रैफिक है... ना उबड़-खाबड़ भरी सड़क...

आसमान को चीरता हुआ अकेला बेताज बादशाह...

अब उपरोक्त उदाहरण को ग्रह से समझने की कोशिश करते हैं

आपके पास कोई ग्रह कितना ही क्यों ना बली हो चाहे वह शुक्र हो चाहे गुरु हो चाहे बुद्ध हो.... और उसकी महादशा चल रही हो तो वह आपके पास शोभा रूपी डेढ़ करोड़ की मर्सिडीज़ ही है...

जो केवल शोभा रूपी खूबसूरत है... पर चलेगी वह सड़क पर और एक बार ट्रैफिक जाम लग गया तो उसे वहां रुकना पड़ेगा...

यानी उसे बड़े-बड़े ग्रहों की अपनी एक सीमा है...

और आपकी कुंडली में पड़ा एकांत में राहु... कितनी भी फटे हालत में क्यों ना हो पर याद रखें उसे उड़ना आसमान में है...

लेखक जानेमाने ज्योतिष विशेषज्ञ बिभाष मिश्रा
राहु को न ट्रैफिक की चिंता है ना कोई सड़कों पर भीड़ की...

उसे तो आजाद पंछी की तरह खुले आसमान को चीरता हुआ आपकी मंजिल को पहुंचाना है...

शायद इसलिए कहा जाता है कि बाकी के ग्रह अपनी महादशा में जो काम करने की सोचेंगे... तब तक राहु उसे अपनी महादशा में करके बैठ चुका रहेगा। ॥।

हमने बड़े-बड़े प्रसिद्ध संगीतकार, क्रिकेटर ...सरकारी पद पर उच्च अधिकारी की कुंडलिया देखी है... सभी ने अपनी सफलता राहु की महादशा में ही हासिल की है ॥।

वह काम जो आपकी सोच से पड़े हैं वह असंभव सा काम राहु है...

एक छैनी और एक हथौड़ी लेकर 22 साल तक बड़े पहाड़ को तोड़कर रास्ता बना देना राहु है...

पेड़ से सेब का जमीन पर गिरना... और उसे पर शोध करके गुरुत्वाकर्षण की खोज करना राहु है ॥।

ऐसी सुख जिसकी आपने कल्पना भी ना कि हो राहु है...

ग्लैमर से भरा जबरदस्त लाइफस्टाइल बड़े-बड़े क्रिकेटरों का लाइफस्टाइल 100% राहु है ॥।

एक क्रिकेटर मंगल की महादशा में क्रिकेट खेलना शुरू करता है मंगल खेल का कारक है

राहु की 18 वर्ष की महादशा में वह चरम स्थिति पर होता है राहु प्रसिद्धि और ग्लैमर का कारक है

राहु की महादशा के अंत चरण में वह रिटायरमेंट लेता है

चंद वर्षों में वह कोच और प्रशिक्षण पद पर नियुक्त होता है जब उसकी गुरु की महादशा चल रही होती है गुरु सभी प्रकार के प्रशिक्षण का कोचिंग का कारक है ॥।

कभी-कभी उसे राजनीति का भी अवसर प्राप्त होता है और वह बदनामी , हार या बाकी चीजों को भी उसे झेलना पड़ता है जब उसकी शनि की महादशा चल रही होती है ॥

इस प्रकार भिन्न-भिन्न महादशा में अलग-अलग किरदार के रूप में वह अपने किरदार को बखूबी से निभाता है

पर तमाम किरदारों में जो  उसका स्वर्णिम युग रहा होता है.. वह राहु की महादशा होती है... यानी राहु व प्लेटफार्म सेट करता है जिसका फायदा उसे बाकी की महादशा में मिलता है

आपके जीवन में वह घटना जो अचानक घटती है.. चाहे वह अच्छी हो चाहे बुरी हो... वह घटना जो आपके जीवन को पूरी तरीका से पलट कर रख दे, का कारक राहु है ॥।

अब बात यह आती है कि राहु की राजयोग कारक की स्थिति सबसे अच्छी कब बनती है

जब आपकी कुंडली में राहु तृतीय भाव में हो या आपकी कुंडली में राहु एकादश भाव में हो...

और राहु की सबसे राजयोगी स्थिति तब होती है जब राहु अपने खुद के नक्षत्र आर्द्रा.. शतभिषा .. स्वाति का बैठा हो 

तीनों नक्षत्र ही राहु के अपने हैं ...पर इसमें शतभिषा में तो कमाल का प्रभाव दिखाता है ॥।

तीनों नक्षत्र में शतभिषा उसकी धर्मपत्नी के स्वरूप है, आद्रा उसका पुत्र जबकि स्वाति उसकी पुत्री स्वरूप है...

जाहिर  है कोई भोगी व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ बेहद खुश रहता है... इसलिए राहु भी अगर शतभिषा का हो तो कमाल का प्रभाव दिखाता है..

यह बहुत मायने में नहीं है कि राहु किस राशि में बैठा हो या बेहद महत्वपूर्ण है कि राहु किस नक्षत्र में बैठा है...

अगर इसका संबंध लग्नेश के नक्षत्र के साथ हो... धनेश और लाभेश के नक्षत्र के साथ हो... पंचमेश और भाग्येश के नक्षत्र के साथ हो...

या कुंडली के तृतीय भाव या एकादश भाव में बैठा हो..

 साथ में शतभिषा आद्रा या स्वाति नक्षत्र में बैठ जाए तब जरा देखें अपनी महादशा में यह क्या करके दिखाता है ॥।

राहु धैर्य के परिचय का कारक है..

सिर्फ दांत में दांत दबा के धैर्य के साथ टिके रहे... फिर देखे राहू  अपनी महादशा में इतिहास रचा देगा ॥।

Er. Bibhash Mishra 

Research Scholar

Astrologer Consultant

Thursday 21 September 2023

माननीय दादा श्री सत्यश्रेयानन्द अवधूत बता रहे हैं सफलता के गुर

Thursday 21st September 2023 at 07:35 AM FB

बाबा आज भी मार्गियों को निकटता का अहसास दिलाते हैं 


नई दिल्ली
: 21 सितंबर 2023: (रेक्टर कथूरिया//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

आनंद मार्ग को जिन लोगों ने नज़दीक से देखा है उनको मालुम है कि आनंद मार्ग में रह कर इन्सान को जहां सात्विक और अध्यात्मिक ढंग से जीवन जीने के ढंग तरीके आ जाते हैं वहीं उसमें अनुशासन और एकाग्रता जैसे गुण भी धीरे धीरे विकसित हो जाते हैं।  साधक चमत्कारों और सिद्धियों से बहुत ऊंचा उठ कर केवल बाबा के चरणों में ध्यान लगाना ही सबसे आवश्यक समझने लगते हैं। समाज को कैसे ऊंचा उठाना है यही सोच अधिक सक्रिय हो जाती है। 

सफलता और खुशहाली  उनके कदम चूमने लगती है। पराजय उनसे दूर भागने लगती है। किसी भी तरह का भय उनके निकट नहीं आता। अंतर्मन से लेकर बाहरी जीवन तक में उनमे एक गरिमा और मज़बूती सी आ जाती है। किसी भी तरह की मुसीबत अगर उन पर आ भी जाए तो वह उन्हें और भी मज़बूत बना कर जाती है। 

खुशियों में भी संतुलित बनाए रहना और संकट में भी घबराहट से बचे रहना हर मार्गी के लाइफ स्टाईल में शामिल हो जाता है। ज़रूरत पड़ने पर वह बड़ी से बड़ी नकारत्मक शक्ति के खिलाफ स्टैंड लेने से गुरेज़ नहीं करता। हालाँकि हर क्षेत्र में सक्रिय मार्गी समाज उसका साथ देने को तत्पर रहता है लेकिन मार्गी साधक अकेले में भी बेहद बलवान हो जाता है। उसकी प्रतिबद्धता और संकल्पशीलता कभी भी डगमगाते ही नहीं। 

साधकों और दुसरे मार्गियों के लिए भी हर पल आनंद जैसी स्थिति ही बन जाती है इस सब के बावजूद ज़िंदगी हर कदम पर एक जंग कही जाती है। बिना संघर्ष वाले जीवन की मार्गी कल्पना भी नहीं करते। हर रोज़ सुबह से लेकर रात्रि तक उनका साधनामय जीवन उन्हें याद दिलाता है कि जीवन के एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाने देना। मानव जन्म अनमोल है इसलिए इस सो कर या खा कर व्यर्थ नहीं गंवाना है। 

इस सारे संघर्ष और साधनामय जीवन में बहुत सी मुश्किलें भी आती ही हैं। साधनापथ पर चलना सहज भी नहीं होता ख़ास तौर पर नए साधकों के लिए। इसी बात को सामने रख कर माननीय दादा श्री सत्यश्रेयानन्द अवधूत समय समय पर गहरे ज्ञान की बातें सोशल मीडिया पर भी शेयर करते रहते हैं।  

अपनी नई पोस्ट में दादा बताते हैं-अपने जीवन में चार बातें याद रखें।

1. अगर आप सही हैं तो इसे सबके सामने साबित करने में समय बर्बाद न करें।

 2. अगर आप गलत हैं तो सही होने का दिखावा करने में समय बर्बाद न करें।

 3. अगर आपको मदद की जरूरत है तो इसे मांगने में समय बर्बाद न करें ।

और

4.  हमेशा याद रखें कि जीवन बहुत छोटा है, अपना समय दुःख, उदासी और नकारात्मकता में बर्बाद न करें।

इसके साथ ही दादा याद दिलाते हैं कि बाबा ने समय समय पर बहुत से सूत्र बताए हैं जिन्हें अपना कर हम बड़े से बड़े संकट को हर सकते हैं। बाबा ने निन्दन्तु नीतिनिपुणा यद...निन्दन्त

निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु ।

लक्ष्मी: समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम् ॥

अधैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा ।

न्याय्यात्पथ: प्रविचलन्ति पदं न धीरा: ॥ ( भर्तृहरि )

अर्थ :- नीति को जानने वाले लोग चाहें निन्दा करें या प्रशंसा , धन आय या जाए, मृत्यु अभी आ जाए या चिरकाल के बाद आए प्रन्तु धैर्यवान् लोग न्याय के मार्ग से विचलित नही होते ।

इस श्लोक को अनेक प्रवचनों में कहा गया है। बाबा के प्रवचन पढ़ते या सुनते हुए या फिर कोई पुरानी वीडियो देखते हुए ऐसा लगने लगते है जैसे एक नई ऊर्जा हमें मिल रही है। कईओं की तो सुनते सुनते समाधि लग जाते है। कुछ साधक बैठे बैठे सुनते हुए ही आनंद विभोर हो जाते हैं। 

Thursday 7 September 2023

बस भगवान कृष्ण का संदेश याद रखिए हर संकट आपसे हार जाएगा

भगवान कृष्ण हर संकट का सामना सहजता से करना सिखाते हैं


लुधियाना
: 6 सितम्बर 2023: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

यूं तो जन्माष्टमी एक हिन्दू त्यौहार के तौर पर ही जाना और मनाया जाता है लेकिन वास्तव में यह सारे  विभाजन हम लोगों ने ही बनाए और मज़बूत किए हैं जबकि वास्तव में धर्म की स्थापना के लिए आने वाले महापुरुषों का उपदेश सभी के लिए फायदेमंद होता है। जीवन की गहराइयां इन्हीं उपदेशों से समझ में आती हैं। धर्म कोई भी हो उसका मर्म बहुत गहरा होता है।   

बहुत से अन्य त्योहारों की तरह जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पूरी तरह से विलक्षण भी है। जन्म के साथ ही संघर्षों भरे जीवन के सत्य  है यह त्योहार। केवल जन्माष्टमी के पावन त्यौहार से ही हमें समझ में आता और समरण आने लगता है कि भगवान श्री कृष्ण तो जन्म के समय ही  मुसीबतों से घिरे हुए थे। इन मुश्किलों ने काफी देर तक उनका पीछा भी नहीं छोड़ा लेकिन इसके बावजूद वह हर संकट का सामना मुस्कराते हुए बहादुरी से करते हैं। 

यह ख़ास त्यौहार है जिसके आते और जाने की रात में ही मौसमी तब्दीली शुरू समझी जाती है। गर्मी का प्रकोप भी मंद पड़ना है। कुछ ही दिनों के बाद आने वाली गुलाबी ठंडक एक खास अहसास भी कराएगी। जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मुसीबतें भी मामूली नहीं थी। कंस सगा मामा ही तो था लेकिन हत्या पर उतारू था। आज हमारा कोई अपना अगर ज़रा सा भी हमारे खिलाफ हो जाए तो हम समझते हैं न जाने कौन सा पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन भगवान् श्री कृष्ण ने बाकायदा एक जंग लड़ी अन्याय के खिलाफ। अत्याचार के खिलाफ। राजशाही के खिलाफ। 

आज हम में से कितने लोग हैं जो अपने बेगानी के रिश्ते को दरकिनार कर के गलत को गलत कहने की हिम्मत जुटा पाते हैं? भगवान श्री कृष्ण का जीवन और उपदेश हमें विपरीत प्रस्थितियों में भी हंसना, मुस्कराना, हिम्मत बनाए रखना और इन विपरीत हालात के साथ पूरी शक्ति से टकराना सिखाता है। 

आसान नहीं है भगवान कृष्ण का भक्त बन जाना। कालिया नाग आज भी ज़हर जैसी खतरनाक मुसीबतों का ही प्रतीक है। तस्वीर बहुत कुछ बताती और सिखाती है। उस कालिया नाग के फन पर नाचना आना चाहिए अगर जीवन जीना है तो।  हालत को अपने वश में करना सीखना होगा। भगवान श्री कृष्ण की हर बात बहुत कुछ सिखाती है। जीवन के गहन सत्यों से रूबरू करवाती है। 

जन्माष्टमी की रात्रि को लोग व्रत और उपवास रखते हैं-इसका भी गहरा अर्थ है। उपवास से ही भक्ति, आस्था, चेतना और हिम्मत का सामंजस्य बना रहता है। इसी से एक शक्ति जगती है। मदहोशी की नींद से जाग कर ही सम्भव हैं भगवान कृष्ण के दर्शन। इस लिए मध्यरात्रि में जब जन्म का समय आता है तो उस वक्त तक पूरी तरह से सतर्कता के साथ जागना, प्रेम के साथ जागना आम तौर पर सभी के लिए सम्भव नहीं रहता। बहुत कठिन होता है कुछ घंटों का ही यह जागरण लेकिन अगर आस्था, श्रद्धा और विधि से कर लिए जाए तो शक्ति की अनुभूति भी देता है। 

यह परम्परा भी है कि जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उस समय मंदिरों और घरों में पूजा-अर्चना की जाती है। उस समय घंटियां बहुत मधुरता से सुनाई देती हैं। इस पूजा अर्चना और सेलिब्रेशन का भी बाकायदा एक विज्ञान है। जब अंतर्मन में जाग्रति आती है। किसी महान शक्ति की अनुभूति होती है और विराटता के दर्शन होते हैं तो संगीत सुनाई देने लगता है। घंटियां सी बजने लगती हैं। वास्तव में अगर आस्था और हसरद्दा सच में है तो आपके अंतर्मन में भी वही सब अनुभव होने लगेगा। बेशक आप मंदिर में न भी हों पर अगर वह आस्था और श्रद्धा नहीं है तो फिर मंदिर में बैठ कर भी शायद वो बात न बने। 

जन्माष्टमी के दिन लोग श्रीकृष्ण की कथाएँ सुनते हैं, भजन-कीर्तन में शामिल होते हैं और मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। बच्चे श्रीकृष्ण के वेश में सजकर उनकी लीलाओं का अनुकरण करते हैं। यह सब हमारे अंतर्मन में एक सात्विक शख्सियत के निर्माण की प्रक्रिया का ही भाग होता है। इसका असर पूरे समाज के नव निर्माण तक पहुंचता है। इन्हीं छोटे छोटे कदमों से मिलने लगती हैं बड़ी बड़ी उपलब्धियां। 

इसी अवसर पर एक प्रमुख परंपरा 'दही-हांडी' की भी होती है, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है लेकिन अब तो पंजाब में  लोकप्रिय होती जा रही है। इसमें एक ऊंचाई पर दही भरी मटकी (हांडी) टांग दी जाती है और युवक टोलियाँ उसे तोड़ने का प्रयास करते हैं। यह प्रसंग श्रीकृष्ण की माखन चोर लीला को प्रस्तुत करता है। बात केवल माखन चोरी की तो नहीं है। यह भी बेहद महत्वपूर संकट है कि ज़िंदगी में सफलता का माखन आसानी से नीचे बैठे बिठाए नहीं मिलता। उसके लिए संघर्ष की भी ज़रूरत होती है और साथियों के सहयोग की भी। तब बनती है बात। सफलता के लिए संघर्ष का ही संदेश है यह रस्म भी। 

दिलचस्प बात है कि जन्माष्टमी भारतीय संस्कृति में श्रीकृष्ण के जीवन, उनके संदेश और उनकी लीलाओं की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है। यह त्योहार विशेष रूप से भक्ति, प्रेम और समर्पण की भावना के साथ मनाया जाता है। बांसुरी और सुदर्शन चक्र के दरम्यान का समन्यव भगवन कृष्ण की बातों को गहराई से समझ कर ही समझा जा सकता है। ये प्रतीक बेहद अनमोल हैं। 

Thursday 17 August 2023

'मेरा बंगाल, व्यसन मुक्त बंगाल' अभियान का शुभारंभ किया

प्रविष्टि तिथि: 17 AUG 2023 1:25 PM by PIB Delhi

आयोजन का शुभारंभ किया राष्ट्रपति ने कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित


नई दिल्ली//कोलकाता: 17 अगस्त 2023: (पी आई बी//आराधना टाईम्ज़)::

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (17 अगस्त, 2023) राजभवन, कोलकाता में ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित 'नशा मुक्त भारत अभियान' के तहत 'मेरा बंगाल, व्यसन मुक्त बंगाल' अभियान का शुभारंभ किया।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि मादक द्रव्यों का दुरुपयोग समाज और देश के लिए चिंता का विषय है। इन व्यसनों के कारण युवा अपने जीवन में सही दिशा नहीं चुन पाते हैं। यह अत्यंत चिंताजनक है और इस मामले में सभी मोर्चों पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में आध्यात्मिक जागृति, चिकित्सा, सामाजिक एकजुटता और राजनीतिक इच्छाशक्ति के माध्यम से सुधार किया जा सकता है। उन्होंने ऐसे मुद्दों पर चर्चा करने और उनके समाधान की दिशा में काम करने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ जैसे संगठनों की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी प्रकार का व्यसन मानसिक तनाव और साथियों के दबाव के कारण विकसित होता है। नशे की लत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। व्यसन से कई अन्य विकार भी उत्पन्न होते हैं। व्यसन करने वाले लोगों के परिवार और मित्रों को भी काफी परेशानी होती है। उन्होंने सभी युवाओं से आग्रह किया कि वे नशे के आदी किसी भी मित्र की जानकारी उसके परिवार को दें।

राष्ट्रपति ने मादक पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों से अपना जीवन नष्ट नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर वे किसी भी तरह के तनाव में हैं तो उन्हें अपने मित्रों, परिवार या किसी सामाजिक संगठन से बात करनी चाहिए। ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका वे अपनी इच्छाशक्ति से सामना नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि असामाजिक तत्व मादक द्रव्यों के उपयोग और नशे की लत का फायदा उठाते हैं। मादक द्व्यों को खरीदने में खर्च होने वाले पैसे का उपयोग आपराधिक गतिविधियों में भी किया जाता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नशे के आदी लोग अपनी भलाई तथा समाज और देश के हित में इस बुरी आदत से बाहर आएंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि युवा हमारी सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति हैं। उन्हें अपना समय और अपनी ऊर्जा भविष्य की नींव को मजबूत करने में लगानी चाहिए, वह नशे की वजह से बर्बाद हो रही है। शिक्षण संस्थानों को यह पता लगाना चाहिए कि क्या विद्यार्थी गलत दिशा में जा रहे हैं। यदि कुछ सामने आता है, तो तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।

राष्ट्रपति का भाषण देखने के लिए कृपया यहां क्लिक करें -

*** PIB//एमजी/एमएस/आरपी/एजी/एसके/डीके

Sunday 6 August 2023

विश्वास फाउंडेशन ने लगाया पंचकूला में खीर मालपूड़े का लंगर

 Saturday 5th August 2023 at 3:38 PM

3 अगस्त से 9 अगस्त तक चलाया जा रहा है सेवा सप्ताह 


पंचकूला
: 5 अगस्त 2023: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

भारतीय संस्कृति में धर्मकर्म के सा भी विधिविधान पूरी तरह से वैज्ञानिक हैं। सुबह उठने से ले कर रात्रि को सोने तक हर बात में पूरा विज्ञान है। सुबह सुबह मेडिटेशन से लेकर रात्रि की मेडिटेशन तक गहरे अर्थों से भरी बातें हैं। यही सब खानपान में भी है। सावन महीने में माल पूरे और खीर खाने की परम्परा भी बहुत गहरी है। सावन में शराब, नशीली चीज़ें और शरीर को बिगड़ने वाले सभी पदार्थ सेवन करने की मनाही है लेकिन माल पूरे और खीर का विशेष महत्व है। आर्थिक कारणों से सब के बस में नहीं होता खीर और मालपूरे खा पाना। इस लिए लगातार ख़ामोशी से काम करती आ रही विश्वास फाउंडेशन ने खीर और माल पूर्व का लंगर भी लगाया। 

गौरतलब है कि विश्वास फाउंडेशन द्वारा सेवा कार्यों की श्रृंखला में 3 अगस्त से 9 अगस्त तक चलाये जा रहे सेवा सप्ताह के अंतर्गत सती साध्वी बहन कृष्णामूर्ति विश्वास जी की स्मृतिओं को ताज़ा रखने व सावन के उपलक्ष्य पर आज पंचकूला में खीर मालपूड़े का लंगर लगाया गया। लगभग 1500 लोगों में लंगर वितरित किया गया।

विश्वास फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी नीलिमा विश्वास ने बताया कि लंगर पंचकूला सिविल अस्पताल सेक्टर 6 के बाहर मरीजों के उनके अभिभावकों को व अन्य आने जाने वालों को, सूरजपुर पंचकूला कालका मार्ग पर स्थित झुग्गिओं में, सेब मंडी पिंजोर में व हिमशीखा की झुग्गिओं में लोगों को बाँटा गया। इस मौके पर इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी यूटी चंडीगढ़ से सुशील कुमार टाँक व विश्वास फाउंडेशन के सभी अनुयाईओं ने बढ़ चढ़ कर सेवा की। 

इस शुभअवसर पर बहुत सी संगत के साथ गैर सतसंगी लोगों ने भी खीर और माल पूरे खाए और विश्वास फाउंडेशन का आभार व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि इस संगठन की तरफ से इस तरह के कार्य पूरा बरस जारी रहते हैं। 

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Saturday 1 July 2023

दोराहा में पत्रकार हरमिंदर सेठ को गहरा सदमा

2 जुलाई को पत्नी की अंतिम अरदास निरंकारी भवन में होगी 

दोराहा: 1 जुलाई 2023: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::

दिवंगत सुश्री सुरिंदर कौर जो30 जून
को हमेशां के लिए बिछड़ गए 
पति पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का रिश्ता गिना जाता है। पत्नी को अर्धांगिनी का सम्मानजनक दर्जा भी  हासिल है। ज़िंदगी की कठिनाइयों का सफर हो या फिर सुख और आनंद का सागर दोनों को दोनों का साथ ही सफल बनता है। जब जीवन रूपी इस रथ का एक पहिया टूट जाता है तो सफर  बेहद कठिन हो जाता है। कुछ इसी तरह का सदमा पहुंचा है दोराहा के पत्रकार हरमिंदर सेठ को। 

दैनिक नवां ज़माना के लिए दोराहा से रिपोर्टिंग करने वाले हरमिंदर सेठ को उस समय गहरा सदमा लगा जब उनकी जीवन साथी सुरिंदर कौर अचानक उनसे अलग हो गईं। साँसों की पूँजी का समापन होते ही भगवान्उ ने उन्हें अपने पास बुला लिया। उनका अंतिम संस्कार दोराहा में ही कर दिया गया था। अंतिम अरदास, भोग और श्रद्धांजलि समारोह 2 जुलाई को दोराहा में आयोजित किया जाना है। 

अंतिम संस्कार के मौके पर पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की तरफ से तरूण आनंद, प्रोफेसर लवली बैंस, जोगिंदर सिंह ओबेरॉय, जसवीर झज, मंजीत सिंह गिल, मनप्रीत मांगट, रोहित गुप्ता, नरेंद्र कुमार आनंद, रविंदर सिंह ढिल्लों, विपन भारद्वाज, सुखवीर सिंह चंकोया, शिव. विनायक, मैडम गुरमीत कौर, जोगिंदर सिंह कीर्ति , मुदित महिंद्रा, पंकज सूद, विकास सूद, प्रकाश सेह, मनप्रीत सिंह रणदिओ  और कई अन्य भी शामिल हुए। 

लुधियाना से एमएस भाटिया, प्रदीप शर्मा, रेक्टर कथूरिया, डीपी मोड़, रमेश रतन, चमकौर सिंह, विजय कुमार और कई अन्य लोगों ने भी शोक संदेश भेजे। भाई साहिब गुरमेल सिंह जी ने भी अंतिम अरदास  की सुचना को लेकर संत निरंकारी मंडल दोराहा के कार्यक्रम के अनुसार निश्चित प्रोग्राम बताया। 

यह समारोह 2 जुलाई को किया जाना है। दोराहा शाखा के प्रधान भाई साहिब भाई गुरमेल सिंह,  शाखा दोराहा के प्रबंधक-हरमिंदर सेठ, शाखा दोराहा के शिक्षक-भाई साहिब जीत सिंह  द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि अंतिम प्रार्थना की यह रस्म रविवार, 2 जुलाई को आयोजित की जाएगी. और समय रहेगा दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक। ज़ेह सारा आयोजन निरंकारी सत्संग भवन दोराहा में होगा जो कि नहर के किनारे है। । इस मौके पर कई अन्य संगठनों और लोगों ने भी गहरा दुख व्यक्त किया। 

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Wednesday 14 June 2023

ज्योतिष विज्ञान: सच और झूठ की सीमा कहाँ तक?

ज्योतिष से जुड़े विज्ञान के संबंधों की विशेष चर्चा 

लुधियाना: 14 जून 2023: (आराधना टाइम्स//ज्योतिष डेस्क)::

मानवीय तन मन की सरंचना भी अजीब है। आज क्या सामने है इसकी उसे न चिंता रहती है और न ही कोई जिज्ञासा। कल क्या होगा इसमें आम तौर पर सभी की रुचि रहती है। इस बात को जानने की चाहत ने ही ज्योतिष विज्ञान को विकसित किया। समुन्द्र में आने वाला ज्वार भाटा, सागर के विशाल जल पर चन्द्रमा का प्रभाव, उंगलियों के निशान, हाथों की लकीरें, ऋतू बदली, दिन रात इत्यादि बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनसे ज्योतिष के विज्ञान होने  समझ में आने लगती हैं। उंगलियों के निशान कभी किसी से नहीं मिलते। चन्द्रमा के प्रभाव से समुन्द्र का पानी आसमान की तरफ बहुत बड़ी ऊंचाई को छूता है। निश्चित ही हमारे अंदर के पानी पर भी चन्द्रमा का प्रभाव पड़ता है। तिब्बती मेडिसिन सिस्टम में दलाईलामा के पैरोकार ज्योतिष के आधार पर भी विभिन्न रोगों का इलाज करते हैं। जटिल रोगों के लिए वह बाकायदा जन्म तारीख और जन्म जा समय पता लगाने को कहते हैं। पिछले जन्मों को जान लेने का विज्ञान भी इस मामले में सहायक समझा जाता है। 

अब आज के दौर में भी ज्योतिष विज्ञान हमारे समाज में बेहद अहमियत रखने लगा है। ज्योतिष हमारे जीवन में हमेशा से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। यह एक ऐसा विज्ञान है जो हमारी भविष्यवाणी करके हमें कल घटित होने वाली बातें आज दिखाने का प्रयास करता है। ज्योतिष के जरिए भविष्य देखने दिखाने की कोशिश हमें कई बार शक्तिशाली भी बना देती है और कई बार कमजोर भी। 

इस ज्ञान का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है जैसे कि समाज, राजनीति और व्यापार। हालांकि, ज्योतिष विज्ञान के बारे में बहुत से मतभेद भी हैं। कुछ लोग इसे एक वैज्ञानिक विषय के रूप में मानते हैं, जबकि दूसरे इसे एक धार्मिक विषय के रूप में मानते हैं। इस लेख में, हम इस सवाल का जवाब ढूंढेंगे कि ज्योतिष विज्ञान की सच और झूठ की सीमा कहाँ तक है। इन सवालों के जवाब भी महत्वपूर्ण हैं। बहुत सी वैज्ञानिक घटनाएं और रूटीन आस को साबित करते नज़र आने लगे हैं कि प्रकृति के रहस्य बहुत गहरे हैं।


इन रहस्यों के जरिए ही समझा जा सकता है कि ज्योतिष विज्ञान क्या है? इस विज्ञान के नियम और सिद्धांत क्या हैं?

यह बात हकीकत है कि ज्योतिष विज्ञान भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित नहीं माना जाता है। यह एक ऐसी विधा है जो कि व्यक्ति की जन्मकुंडली को अध्ययन कर उसके वर्तमान और भविष्य के बारे में बताती है। ज्योतिष विज्ञान में कुंडली में पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, और आकाश जैसे पाँच महाभूत होते हैं जो कि मानव शरीर में उपस्थित हैं। ज्योतिष विज्ञान में विभिन्न ग्रहों की स्थिति के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है। ज्योतिष विज्ञान व्यक्ति को उसकी कुंडली के आधार पर विभिन्न विषयों जैसे उनके स्वास्थ्य, व्यवसाय, शिक्षा, प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन आदि के बारे में बताती है। ज्योतिष विज्ञान के बारे में कहा जाता है कि इसमें एक अंधविश्वास होता है। लेकिन ज्योतिष विज्ञान वास्तव में एक विज्ञान है जो कि अध्ययन करने से हमें अपने जीवन के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलता है।ज्योइसी तरह तिष विज्ञान के प्रकार

इस तरह ज्योतिष विज्ञान, जिसे ज्योतिष के रूप में भी जाना जाता है, एक आधुनिक दुनिया में भी एक प्राचीन कला है। यह एक ऐसी विज्ञान है जो ब्रह्मांड और इसके भागों, जैसे कि ग्रह और नक्षत्रों के बीच के संबंधों के अध्ययन पर आधारित है। ज्योतिष विज्ञान विभिन्न प्रकारों में आता है, जिनमें वैदिक ज्योतिष, चीनी ज्योतिष, वेस्टर्न ज्योतिष, ईजिप्टी ज्योतिष, जापानी ज्योतिष और मायान ज्योतिष शामिल हैं। प्रत्येक विधा के ज्योतिष विज्ञान में अपने अंतर्निहित सिद्धांत होते हैं, जिन्हें विभिन्न तरीकों से आवश्यक सामग्री के अध्ययन के उपयोग से लागू किया जाता है। वैदिक ज्योतिष भारतीय ज्योतिष का एक प्रमुख भाग है, जो वेदों के अध्ययन पर आधारित है। इसके अलावा, वेस्टर्न ज्योतिष उत्तर अमेरिका में प्रचलित है, जो विशेष रूप से यूरोपीय ज्योतिष पर आधारित है। चीनी ज्योतिष, जिसे शेंग ज्योतिष भी कहा जाता है, एक अन्य प्रसिद्ध ज्योतिष विज्ञान है, जो चीन में प्रचलित है। जहाँ तक झूठ और सच की सीमा की बात है, ज्योतिष विज्ञान एक विवादित विषय है और इस बारे में विभिन्न मत होते हैं। हालांकि, अगर आपको इसमें विश्वास है, तो आप इसे एक मान्य और उपयोगी विज्ञान के तौर पर हर कदम पर हर पल घटित होता हुआ पाएंगे।

इस हकीकत के बावजूद ज्योतिष में भी सच और झूठ की सीमा होती है। ज्योतिष बताने वाला ज्योतिषी स्वयं कितना जानकार है इसका भी असर होता है।

उल्लेखनीय है कि ज्योतिष विज्ञान, जिसे ज्योतिष भी कहा जाता है, एक विज्ञान है जो व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर उनकी भविष्यवाणी करता है। यह विज्ञान बहुत समय से लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। लेकिन कुछ लोगों के मन में अभी भी सवाल होते हैं कि ज्योतिष विज्ञान में सच और झूठ की सीमा कहाँ तक है? इसके रहस्यों को समझे बिना इसके उत्तर समझे भी नहीं जा सकते।

आम तौर पर ज्योतिष विज्ञान की भविष्यवाणियों के पीछे अक्सर नज़र आने वाली साइंस के वैज्ञानिक तथ्य नहीं होते हैं। इसलिए, कुछ लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या ज्योतिष विज्ञान सही होता है या नहीं? इसके जवाब में कहा जा सकता है कि ज्योतिष विज्ञान की भविष्यवाणियों की सटीकता से ज्यादा इसकी आधारभूत सिद्धांतों को ध्यान में रखना चाहिए। प्राकृति के नियमों को सामने रखते हुए ही ज्योतिष के इशारे समझे जा सकते हैं।

यदि एक व्यक्ति ज्योतिष विज्ञान को सही ढंग से समझता है तो उन्हें इसके माध्यम से अपने जीवन में बहुत सी मदद मिल सकती है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष विज्ञान की भविष्यवाणियों में आपके कर्मों और भाग्य का खास महत्व होता है और इन भविष्यवाणियों को समझने के बाद भी यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपने कर्मों के माध्यम से अपनी भविष्यवाणियों को साकार करते हैं या नहीं।

यदि ज्योतिष आधारित जीवन जीवन जिया जाए तो ज्योतिष विज्ञान के फायदे और नुकसान भी समझे जा सकेंगे। इसके संकेत कदम कदम पर नज़र भी आने लगेंगे।

ज्योतिष विज्ञान के बारे में बहुत कुछ सुना जा सकता है। यह एक विषय है जिसके बारे में लोग सहमत नहीं होते हैं। इसलिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम ज्योतिष विज्ञान के फायदे और नुकसान के बारे में जानें। ज्योतिष विज्ञान को उन लोगों द्वारा मान्यता दी जाती है जो अपने जीवन में निरंतर समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। ज्योतिष विज्ञान उन लोगों को मार्गदर्शन देता है जो अपने भविष्य को लेकर चिंतित होते हैं। ज्योतिष विज्ञान के फायदे कुछ इस प्रकार हैं। ज्योतिष विज्ञान में आप अपने भविष्य को जान सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए सलाह प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, ज्योतिष विज्ञान आपको अपने शुभ और अशुभ ग्रहों के बारे में बताता है जो आपके जीवन में कैसे प्रभावित होते हैं। हालांकि, ज्योतिष विज्ञान के नुकसान भी होते हैं। ज्योतिष विज्ञान को समझना आसान नहीं है और इसमें कुछ लोग धोखा भी देते हैं। इसलिए, ज्योतिष विज्ञान के बारे में असत्य बातें फैलाने से बचना चाहिए। इसके अलावा, अधिकतर लोग अपने भविष्य को जानने के लिए ज्योतिष विज्ञान का इस्तेमाल करते हैं, जो उन्हें अनिश्चितता में रखता है। इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते है कि अभी भी इस क्षेत्र में गहन अध्यन और साधना को जरूरत है। कई राज्यों को यूनिवर्सिटी में इसकी बकायदा शिक्षा शुरू हो चुकी है। निकट भविष्य में इसका ट्रेंड और भी बढ़ेगा।

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