Thursday 7 December 2023

कौन कौन सा उपवास हो सकता है फायदेमंद?

गुरु को बलवान करने के लिए क्या क्या करना आवश्यक है?

गुरु बृहस्पति और अध्यात्म पर बहुत कुछ बता रहे हैं बिभाष मिश्रा 


किसी भी इंसान के जीवन को ऊपरी नज़र से भी देखें तो आपको अहसास होने लगेगा कि इस व्यक्ति पर किस ग्रह का प्रभाव चल रहा है किसकी महादशा चल रही है। इस पोस्ट को पढ़ कर ज़रा ध्यान से देखना और सोचना कि आपके सर्किल में कौन है ऐसा व्यक्ति? बिभाष मिश्रा जी ने अपनी रचना में इस बार गुरु बृहस्तपति के संबंध  सादगी के साथ बताया है। इसमें दी गई जानकारी आपसभी के लिए फायदेमंद हो सकती है अगर आप इसका फायदा उठाना चाहें तो? - कार्तिका कल्याणी सिंह (समन्वय संपादक)

बृहस्पति-वह चिराग जो खुद जलकर भी सभी को रौशनी ही देता है

गुरु बृहस्पति धाम मंदिर के प्रोफ़ाइल पेज से साभार तस्वीर 
नवग्रह में बृहस्पति को देवगुरु की उपाधि दी गई है... सूर्य अगर राजा है ..मंगल अगर मंत्री है. तो वहीं गुरु राजपुरोहित है ।।।

गुरु ग्रह को सलाहकार की उपाधि दी गई है.. यानी गुरु से बेहतर तजुर्बा किसी दूसरे ग्रह के पास नहीं होता है ,  इसी वजह से गुरु को एक अच्छा सलाहकार माना जाता है ।।

ज्योतिष में गुरु को चिराग की उपाधि दी गई है, वह चिराग जो खुद जलकर भी जहां बैठता है अपने आसपास को रोशन करता है भले ही उसके धरातल पर ही अंधेरा क्यों ना हो ।।।

गुरु एक जिम्मेदारी है इसलिए जिस व्यक्ति का गुरु बलवान होता है वह परिवार का सबसे जिम्मेदार सदस्य होता है, या यू कहिए कम उम्र में ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसे पर थोप दी जाती है ।।

गुरु में गंभीरता है, भारीपन है.. स्थिरता है, चंचलता तो नाम मात्र भी नहीं है ।।

गुरु त्याग है, बलिदान है, आध्यात्मिक सुख है, भौतिक सुख से दूर करता है ।।

शायद इसी वजह से गुरु की महादशा चल रही हो तो वैवाहिक सुख में कमी देखी जाती है ।।

जातक अध्यात्म की ओर जुड़ जाता है क्योंकि बृहस्पति से हम आध्यात्मिक सुख को देखते हैं ।।

बृहस्पति मोटापा का भी कारक है तो बहुत बार हमने यह भी देखा है कि बृहस्पति की महादशा चल रही है तो जातक का वजन तेजी से बढ़ता है खासकर कमर वाले हिस्से में ।। 

गुरु को बलवान करने के लिए शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए क्योंकि घी के ऊपर बृहस्पति का जबरदस्त प्रभाव है ।।

शोध में हमने यह भी देखा कि जिन लोगों की गुरु की महादशा चल रही है, उनकी संगत हमेशा उनसे बड़ी उम्र वालों के साथ होते हैं 

उदाहरण के तौर पर अगर आप 30 वर्ष के हैं तो निश्चित तौर पर आप जिसके साथ उठते बैठते हैं वह एक तजुर्बेकार इंसान होगा, शायद कोई बुजुर्ग... या फिर कोई अधेड़ उम्र का जिससे आपको ज्यादा से ज्यादा अनुभव मिल रहा हो ।।।

गुरु ग्रह श्री हरि यानी नारायण रूपी विष्णु को दर्शाते हैं ।।

बृहस्पतिवार का उपवास...एकादशी का उपवास ...श्री सत्यनारायण की कथा इन सब के ऊपर गुरु ग्रह का प्रभाव है

नारायण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपरोक्त किसी भी उपवास को आप कर सकते हैं, साप्ताहिक गुरुवार का उपवास ...मासिक एकादशी का उपवास ...और हर पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण का कथा गुरु ग्रह को बलवान करने का बेहतरीन उपाय है ।।।

नाभि में चंदन और केसर के इत्र को लगाना भी गुरु को बलवान करने का उपाय है ।।

श्री हरि को सुगंध, श्रृंगार और दर्पण बेहद पसंद है ...

श्री कृष्ण की सेवा ..या घर में लड्डू गोपाल की सेवा... हरि को सुंदर वस्त्र पहनाना ..इत्र लगाना... और दर्पण दिखाना उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का सहज उपाय है ।।।

गुरु से धन की स्थिति देखी जाती है... क्योंकि जहां नारायण है वहां लक्ष्मी का वास आवश्यक होता है ।।।

जितने भी प्रकार की पुरानी वस्तुएं हैं, पुरानी रीति रिवाज,  पुराना प्रचलन, पुराना रहन-सहन के ऊपर गुरु का प्रभाव है ।।।

एक सज्जन को देखा कि बेहद उच्च पद पर होने के बावजूद आज के अत्यधिक युग में भी रेडियो रखे हैं , और उसपर ही समाचार और गाना सुनते हैं ।।

छोटी मोटी कार्य साइकिल से किया करते हैं ।।

और फुर्सत के क्षण में अपने पैतृक निवास में खेतों के बीच खटिया में बैठकर और पुराने दोस्तों से बचपन की बात किया करते हैं ।।

आज से लगभग 50 वर्ष पीछे जाइए, और देखिए कि उसे जमाने में लोगों का खानपान क्या था, उनका रहन-सहन क्या था ..

आपके परिवार में बैठा सबसे बुजुर्ग व्यक्ति बृहस्पति है उससे पूछिए कि उन ज़माने में लोग सुबह से रात अपनी दिनचर्या कैसे बिताते थे...

आज के वक्त एक सेकंड भी मोबाइल के बगैर कार्य नहीं हो सकता हम इलेक्ट्रॉनिक युग से इतनी घिर चुके हैं

उस जमाने में अंतर्देशी और पोस्टकार्ड हुआ करता था और उस माध्यम से ही हम समाचार का आदान-प्रदान करते थे ।।

लोग शारीरिक श्रम करते थे, और सेहत मजबूत रहती थी, खाने के नाम पर घर के खेत का ही गेहूं.. खेत की ही सब्जिया..और खेत की ही सरसों की तेल हुआ करते थे यानी मिलावट में शुन्यता ।।

रिश्ते भी बड़ा मजबूत हुआ करते थे क्योंकि हाथों में मोबाइल नहीं था और एक दूसरे की शिकायत वाला मामला नहीं था ।।

वे  लोगों तन और मन दोनों से स्वस्थ थे, और यही वजह उनके दीर्घायु जीवन का राज था ।।

आज के इस  कलयुगी माहौल में तमाम चीज नकली है, चाहे वह खान-पान हो चाहे रिश्ते...

 जिससे जातक बुरी तरह घिर चुका है ...और हालात यह है कि वह हर दिन अपने आप को खोता जा रहा है ।।

या यूं  कहिए गुरु की शुद्धता इस कलियुग में शून्य हो गई है ।।

शायद इस वजह से सभी सज्जनों को यह मलाल है कि गुरु की महादशा बेहद कष्टकारी व्यतीत हो रही है ।।।

जय श्री कृष्णा ...जय श्री हरि.. 

अनंत चतुर्दशी की हार्दिक शुभकामनाएं

Er. Bibhash Mishra

Research Scholar and  Astrologer Consultant

+91 99559 57433  

No comments:

Post a Comment