Sunday 28th March 2024 at 7:8 AM
जानेमाने ज्योतिषी बिभाष मिश्रा बता रहे हैं महादशा रहस्य
इस लेख को पूरा पढ़ें और इस महाअनुभव का लाभ उठाएं
ज्योतिष की दुनिया से: 28 मार्च 2023: (बिभाष मिश्रा//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::आज के इस लेख में हम यह जानेंगे कि महादशा कैसे कार्य करता है
इसका मिसाल आप इस तरीका से समझे
आप एक खुले मैदान में खड़े हैं, और आपके कमर में रस्सी के सहारे एक बड़ा सा पत्थर बांध दिया गया हो ..तो आपको चलने में परिश्रम की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि आप जब चलेंगे तो आपके कमर में बंधा हुआ रस्सी आपके ठीक पीछे उस बड़े पत्थर का भी भार को लिए रहेगा यानी आपको चलने में दुगना परिश्रम का अनुभव महसूस होगा...
इसका अन्य मिसाल ऐसा है कि आप रेल यात्रा के दौरान प्लेटफार्म पर कुली की अनुपस्थिति में अपना सारा लगेज आप अपने हाथों में लिए हो, और किसी कारण से आपको कुली ने मिल पाया हो और अपना सारा सामान अपने कंधे में और हाथ में लिए हो और चलने में बेहद असहज महसूस कर रहे हो ...
अब अन्य उदाहरण से हम समझते हैं
अगर आपको 10 मंजिला इमारत पर आपको 9वीं मंजिल पर जाना हो और लिफ्ट खराब हो.. और आपको सिढी के सहारे नौवीं मंजिल तक जाना हो..
उपरोक्त सभी उदाहरण में आपको कष्ट और दुगने परिश्रम की अनुभूति होगी
शारीरिक श्रम भी होगा, थकान भी महसूस होगा, कष्ट भी होगा, और अत्यधिक समय भी लगेगा ..
अभी सभी ही उदाहरण का vice versa करते हैं
आप जैसे ही प्लेटफार्म में पहुंचे कुली ने आपका सारा सामान लेकर आपके एसी कोच तक पहुंचा दिया हो और आप आराम से वहां जाकर बैठ जाए..
नौवीं मंजिल पर जाने के लिए आपके पास Lift उपलब्ध हो और आप सिर्फ 9 बटन को क्लिक करते हैं और मिनटों में नौवीं मंजिल पर पहुंच जाते हैं..
किसी अत्याधुनिक मॉल, एयरपोर्ट पर ऑटोमेटिक सीढ़ी की व्यवस्था होती है बस आप खड़े रहे सिढी खुद ही आपको वहां तक पहुंचा देगी आपको चलने की कोई आवश्यकता नहीं..
बहुत एयरपोर्ट पर ऐसी भी व्यवस्था रहती है कि बस अब खड़े रहे और एक यंत्र तेजी से आपको आगे की ओर बढ़ाता चला जाएगा, और अगर आप वहां चले तो दुगनी गति से आप अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे ..
उपरोक्त सभी उदाहरण ग्रहों की महादशा पर आधारित है
अगर अरिष्ट ग्रह की महादशा चल रही हो, तो आपके जीवन में भी जिम्मेदार रूपी समस्या का एक पत्थर आपके कमर पर बंधी रहती है, और आपको जीवन रूपी गाड़ी को चलाने में दोगुनी परिश्रम की आवश्यकता होती है...
वही कारक और राजयोगी ग्रह की महादशा जब चलती है खुद-ब-खुद कभी लिफ्ट तो कभी आधुनिक यंत्र का काम करती है और आपके काम दुगनी गति से कराती है ...
भले ही आप खड़े ही क्यों ना रहे, ग्रह खुद काम करके आप को आगे बढ़ाते रहते है, जैसे कि मॉल या एयरपोर्ट पर ऑटोमेटिक सीढ़ी जिसमें आप खड़े भी रहे तो वह आपको ऊपर और नीचे खुद ब खुद पहुंचा देती है ...
वास्तव में महादशा आपके जीवन की दिशा तय करती हैं ..
उदाहरण के तौर पर किसी की राहु की महादशा का अंतिम चरण चल रही है और आपको विशेष अनुभव होने भी लगे हैं इसके साथ ही ... आने वाली गुरु की महादशा है
तो आप ऐसा समझे कि राहु अपना कार्यकाल समाप्त कर रहे हैं और बृहस्पति अपना कार्यभार संभालेंगे ।।।
राज्य में जो भूमिका मुख्यमंत्री की है आपकी कुंडली वही भूमिका महादशा कि है
हमने पहले ही कहा था कि हो सके कि अगर किसी राज्य का मुख्यमंत्री सात्विक हो, और जब उसे मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिले तो राज्य के तमाम बूचड़खाने को बंद करवा दें और अवैध स्लॉटरिंग को बंद भी कर दें या खुले में मांस बेचने पर प्रतिबंध भी लगा दे ।।।
गुरु सात्विक ग्रह है, राहु की महादशा खत्म होगी..
गुरु मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभालेंगे, तो राहु में हुए जितने भी अवैध कार्य था उस पर लगाम लगाएंगे, अंकुश करेंगे और शायद जातक के खराब प्रवृत्ति को सुधार करके जातक को सात्विक भी बना दे ।।।
मुख्यमंत्री अपने हिसाब से राज्य को चलाते हैं
महादशा भी बिल्कुल अपने हिसाब से कुंडली को चलाते हैं..
इसका ज्वलंत उदाहरण मैं आपको देता हूं
एक जातक की कुंडली में लग्न में बृहस्पति था
अब आमतौर पर लोगों की अवधारणा है कि लग्न में बैठा बृहस्पति यानी कि साधु.. उसका अपना अलग ही महत्व होता है-- और जब यह बृहस्पति धनु का बैठे, मीन का बैठे, कर्क का बैठे तो क्या ही कहना हुआ मानव रुपी देव होता है ।।
जातक का कर्क लग्न की कुंडली लग्न में बैठा उच्च का चंद्र गुरु।।
कोई भी एक झटके में देखे तो लगे भगवान श्री राम की कुंडली
पर जब जातक का रहन-सहन देखा हमने तो जातक का धर्म कर्म पूजा पाठ में दूर-दूर तक कोई रुचि नहीं थी
जातक शराब-शबाब और कबाब में खोया हुआ था..
गहराई से देखा तो जातक की चतुर्थेश और लाभेश शुक्र की महादशा चल रही थी
अब आपको पूरी कहानी का Concept Clear हो जाएगा
देखें राज्य का मुख्यमंत्री यहां शुक्र है ..
अब जातक की शुक्र की महादशा चल रही है..
शुक्र का दूर-दूर तक पूजा-पाठ और अध्यात्म से कोई नाता नहीं ।।
शुक्र तो उमंग है, शुक्र तो सुख है, शुक्र तो आनंद है, शुक्र तो वासना है , शुक्र तो धन है.. शुक्र तो जीवन की तमाम सुख सुविधा है.. शुक्र तो भोग है
जीवन का तमाम भौतिक सुख शुक्र है
और जीवन का तमाम आध्यात्मिक सुख बृहस्पति है
शुक्र को शराब पसंद है.. गुरु को दूध ..
शुक्र को मयखाना पसंद है.. तो गुरु को मंदिर ..
अब महादशा रूपी मुख्यमंत्री शुक्र ने ऐसा धमाल मचाया कि लग्न में बैठा बृहस्पति कहां खो गए पता ही नहीं चला...
अब आपको समझ में आ रहा होगा कि महादशा का कितना प्रभाव है ।।
महादशा वो खिलाड़ी है जो क्रिकेट के मैच में पिच पर बैटिंग कर रहा है ..
और बाकी के खिलाड़ी पवेलियन बैठे मैच का लुफ्त उठा रहे हो
लग्न में बैठा बृहस्पति वह भी उच्च का गुरु इस जातक को कहीं कथावाचक होना चाहिए ..
पर मुख्यमंत्री शुक्र ने ऐसा धमाल मचाया की लगन में बैठे उसके बृहस्पति देव पैवेलियन बैठे मात्र शुक्र का कारनामा देख रहे हो और मजबूर हो ..और कह रहे हो कि बस आने दो मेरी सरकार.....
पर शुक्र ने भी कहा कि 20 साल तो मैं राज करूंगा और गुरुदेव आपकी सरकार कभी आएगी ही नहीं ...
क्योंकि मेरे बाद सूर्य देव, चंद्र देव, मंगल देव, और राहु देव अपना कार्यकाल पूरा करेंगे.. उसके बाद आप आएंगे ..तब तक तो जातक का जीवन लीला ही समाप्त हो जाएगी ।।
तो बेहतर आप पर पैवेलियन में बैठ मैच का लुफ्त उठाएं और फिलहाल बल्लेबाजी शुक्र की चल रही है...
वह भी 20 वर्षों तक..
कहानी जारी रहेगी...
Er. Bibhash Mishra-Research Scholar and Astrologer Consultant
+91 99559 57433