होती रही प्रेम, ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिकता के रंगों की अमृत वर्षा
सतगुरु दलीप सिंह जी गुरु के अवतरण की ज़रूरत और अहमियत
*जब तक गुरु अवतार धारण करके नहीं आते तब तक मार्गदर्शन भी नहीं
*तब तक गुरुवाणी को भी समझा नहीं जा सकता
श्री गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब, डेरा बाबा तरसेम सिंह में दीवान
डेरा कार सेवा बाबा तरसेम सिंह/उत्तराखंड: 17 अक्टूबर 2022:(गुरमीत सग्गु//आराधना टाईम्ज़)::
प्रत्येक बरस की तरह इस वर्ष भी सतगुरु दलीप सिंह जी की छत्रछाया में नामधारी संगत द्वारा रखे गए 40 दिन के वार्षिक जप-प्रयोग (सिमरन साधना) के उपरांत दो दिनों का अस्सू का मेला; आपसी एकता, प्रेम, ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिकता के रंग बिखेरता हुआ सम्पन्न हुआ।
इस दौरान अनुशासन के नियमों का भी पूरी तरह से पालन किया गया और प्रत्येक प्रोग्राम को लाइव टेलेकास्ट कर, दूर बैठी संगतों तक संचारित किया गया। वर्णनयोग्य है कि नामधारी पंथ के सृजनहार सतगुरु राम सिंह जी द्वारा दर्शाये गए दिशा-निर्देश अनुसार चलते हुए, नामधारी सिक्ख प्रत्येक वर्ष जप-प्रयोग के आयोजन द्वारा अपने जीवन को गुरु वाणी अनुसार जीने तथा इस पर दृढ रहने का अभ्यास करते हैं। इस दौरान अमृत वेले से लेकर शाम तक लगभग 8-9 घण्टे परमात्मा के साथ जुड़कर, एकाग्रचित हो कर सेवा-सिमरन, कथा-कीर्तन, गुरु इतिहास की जानकारी लेते हुए एक आदर्श जीवन जीने के गुण सीखते हैं। इस समागम में विशेष रूप से सतगुरु दलीप सिंह जी ने विदेश से लाईव दर्शन देकर अपने प्रवचनों से निहाल किया। आपने संगत को गुरुवाणी आशय अनुसार चलते हुए अपने परिवारिक व समाजिक जीवन सुखी रखने एवं आदर्श जीवन जीने के तरीके बताते हुए एक दूसरे से मीठा बोलने, क्षमा करने, विनम्रता जैसे गुण धारण करने, किसी को बुरा न कहने एवं स्त्रियों को मंदा न कहने भाव शुभ कर्म करने की भी शिक्षा दी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सतगुरु नानक देव जी ने "आसा की वार" में लिखा है कि जीवन में पूर्ण सतगुरु बड़े सौभाग्य से मिलते हैं और सतगुरु ही हमारे जीवन में अज्ञान का अँधेरा दूर कर सकता है तथा सतगुरु के चरण कमलों से जुड़ कर जीवन का पार उतारा हो सकता है। आपने गुरुवाणी और गुरु को भिन्न बताया और कहा कि जब तक गुरु अवतार धारण करके नहीं आते, गुरुवाणी को समझा नहीं समझा जा सकता, क्योंकि गुरुवाणी तो गुरु जी के मुखवाक से उच्चारी हुई है। इसके साथ ही आपने कहा कि नामधारी सतगुरु राम सिंह जी को हमेशा याद रखने को कहा क्योंकि उन्होंने हमें गुरुवाणी के साथ जोड़ा एवं शुभ कर्म करने लगाया।
40 दिन लगातार चलता हुआ यह कार्यक्रम प्रतिदिन आनन्द और सकारात्मक-ऊर्जा प्रदान करता रहा। इन दिनों में वातावरण को शुद्ध करने लिए हवन आदि भी मर्यादा अनुसार किए गए। इस अवसर पर गुरमत मर्यादा अनुसार, गुरुवाणी के पाठों के भोग डाले गए एवं गुरु का अतूट लंगर वितरित किया। इस शुभ अवसर पर कथा- कीर्तन एवं नाम-वाणी का प्रवाह चला। यह सारा कार्यक्रम गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब, डेरा कार सेवा बाबा तरसेम सिंह / उत्तराखंड कमेटी के सहयोग से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर सूबा भगत सिंह जी बहेड़ी, जथेदार कवि पंजाब सिंह पंजाब, सूबा तरसेम सिंह जी इंग्लैंड, सूबा रतन सिंह जी, सूबा अमरीक सिंह जी, जत्थेदार संत करतार सिंह नशहरे वाले, जत्थेदार अमरीक सिंह, जत्थेदार अवतार सिंह, जत्थेदार गोपाल सिंह, जत्थेदार कृपा सिंह, सूबा दर्शन सिंह जी, गुरमीत सग्गु दिल्ली, जत्थेदार मनमोहन सिंह जी, ब्लॉक प्रमुख खटीमा रणजीत सिंह नामधारी, साधु सिंह नामधारी, संत कुलतार सिंह नामधारी, सुरेंदर सिंह नामधारी, राजपाल जी उपाध्यक्ष किसान आयोग उत्तराखण्ड, सरदार सुखदेव सिंह नामधारी बाजपुर, बलदेव सिंह नामधारी बाजपुर, एवं उनका जथा एवं कुछ खास शख्सियतों ने शामूलियत की
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