Monday 1 April 2024

गुरु एक शुभ ग्रह है-सात्विक है, साधु है जबकि राहु राक्षसी प्रवृत्ति का ग्रह है

Monday 29th March 2024 08:18 AM

 गुरु राहु चांडाल दोष पर बिल्कुल नवीनतम रिसर्च जिस से आपको मिलेंगे बिलकुल नए तथ्य 

 ज्योतिष की दुनिया से31 मार्च 2023: (बिभाष मिश्रा//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::


कल एक बहन ने व्हाट्सएप पर मुझसे संपर्क किया

उनका कहना था कि किसी ज्योतिष ने यह कहा है कि उनके पति की कुंडली में गुरु राहु का चांडाल दोष है ।।।

अब यह सुनकर वह इतना भयभीत हो गई कि अपने पति में ही चांडाल गुण समझने लगी ।।

पर हकीकत में यह जब उन्हें समझाया की चांडाल दोष क्या होता है, और कितना प्रभावित होता है तो वह इतनी खुश हुई कि मुझे सलाह दी कि सर यह पोस्ट फेसबुक पर जरूर कीजिए ताकि मुझ जैसे कितने भ्रमित लोगों का कल्याण हो...

सबके मन का भी भ्रम दूर हो सके... तो आइए चांडाल दोष के concept को समझते हैं ..

गुरु एक शुभ ग्रह है गुरु सात्विक है, साधु है, और राहु एक राक्षसी प्रवृत्ति का ग्रह है, तामसिक ग्रह है ..

 गुरु सात्विक है, राहु मांस मदिरा यह सब पसंद करने वाला है ।।

अब आप ही सोचो जब जब एक सात्विक रूपी गुरु के ऊपर एक मांस मदिरा चरित्रहीन रूपी राहु का प्रभाव आए तो गुरु का  चांडाल के साथ होना ही गुरु चांडाल दोष कहलाता है ।।

उदाहरण के तौर पर जब भी कोई संत को आप देखते हैं तो आपके मन में उनके प्रति 1 दैविय भावना उत्पन्न होती है, पर जब आपको यह समझ में आए या दिखे की वह संत कहीं शराब का सेवन कर रहे हैं, मांस का सेवन कर रहे हैं, या उनके चरित्र में थोड़ी भी खराबी है तो आपके मन में उनके प्रति जो दिव्य भावना है वह एकदम से टूट जाएगी ।।   

वह गुरु चांडाल स्वरूपी होकर इसी को चांडाल दोष कहते हैं ।।

मतलब कि गुरु के ऊपर जब भी अधर्म और चांडाल का साया हो तो इसे ही चांडाल दोष कहते हैं ।।

यही कारण है कि कुंडली में कहीं पर भी गुरु के साथ राहु आ जाए तो यहां पर गुरु अपने आप को असहज महसूस करता है और वह गुरु की पवित्रता कम हो जाती है जिसके कारण से हम उसको चांडाल दोष कहते हैं ।।।

यह तो एक उदाहरण हुआ कि गुरु कितना कमजोर है, अगर गुरु के अंदर की शक्ति कमजोर है तो हो सके गुरु किसी सुंदर स्त्री को देखकर अपना ब्रह्मचर्य को खराब कर ले ।।

पर वही अगर वह गुरु बहुत मजबूत हुआ तो उसी स्त्री को अपनी बहन या बेटी बना लेगा या उसी चांडाल को अपना शिष्य बना लेगा ।।।

उदाहरण के तौर पर एक कहानी सुनते हैं

बचपन में एक कहानी हम पढ़ते थे तोड़ो नहीं जोड़ो ...

अंगुलिमाल नाम का एक बहुत बड़ा डाकू था। वह लोगों को मारकर उनकी उंगलियां काट लेता था और उनकी माला बनाकर पहनता था। इसी कारण उसका यह नाम पड़ा था। मुसाफिरों को लूट लेना उनकी जान ले लेना, उसके बाएं हाथ का खेल था। लोग उससे बहुत डरते थे। उसका नाम सुनते ही उनके प्राण सूख जाते थे।  

संयोग से एक बार भगवान बुद्ध उपदेश देते हुए उधर आ निकले। लोगों ने उनसे प्रार्थना की कि वे वहां से चले जाएं। अंगुलिमाल ऐसा डाकू है, जो किसी के भी आगे नहीं झुकता। 

बुद्ध ने लोगों की बात सुनी, पर उन्होंने अपना इरादा नहीं बदला| वे बेधड़क वन में घूमने लगे। 

जब अंगुलिमाल को इसका पता चला तो वह झुंझलाकर बुद्ध के पास आया। वह उन्हें मार डालना चाहता था, लेकिन जब उसने बुद्ध को मुस्कराकर प्यार से उसका स्वागत करते देखा तो उसका पत्थर का दिल कुछ मुलायम हो गया। 

बुद्ध ने उससे कहा-"सुनो भाई, सामने के पेड़ से चार पत्ते तोड़ लाओगे?"

 अंगुलिमाल के लिए यह क्या मुश्किल था! वह दौड़कर गया और जरा-सी देर में पत्ते तोड़कर ले आया। 

 बुद्ध ने कहा -"अब एक काम और करो| जहां से इन पत्तों को तोड़कर लाए हो, वहीं इन्हें लगा आओ।"    

 अंगुलिमाल बोला -"यह कैसे हो सकता है?"

 बुद्ध ने कहा-"भैया! जब तुम जानते हो कि टूटा जुड़ता नहीं तो फिर तोड़ने का काम क्यों करते हो?"

 इतना सुनते ही अंगुलिमाल को बोध हो गया और वह उस दिन से अपना धंधा छोड़कर बुद्ध की शरण में आ गया|

अब कहानी वही है पर यहां पर गुरु बलवान है

कहने का मतलब यहां पर कुंडली में अगर गुरु भगवान बुध का रूप धारण किए हो तो राहु रुपी उंगलीमाल भी गुरु रूपी गौतम बुध का शिष्य बन जाएगा ।।

और गुरु चांडाल दोष कभी नहीं लगेगा ।।

कहने का तात्पर्य कुंडली में जब भी गुरु धनु राशि, मीन राशि या कर्क राशि का बैठा हो, तो वहां पर आपकी कुंडली में उपस्थित गुरु भगवान बुध की तरह और स्वामी विवेकानंद की तरह होगा।।

और ऐसी स्थिति में अगर राहु गुरु के साथ युति भी करे तो भी राहु रूपी उंगलीमाल, उच्च के यानी धनु ,मीन ,कर्क के वृहस्पति रूपी गौतम बुध का शिष्य बन जाएगा ...

और कुंडली में वह आपका चांडाल दोष गुरु राहु की युति होने के बावजूद भी फलित नहीं होगा ।।

एक महिला ने स्वामी विवेकानंद से कहा मुझे आप से ही विवाह करना है ताकि आपका जैसा ही तेजस्वी पुत्र मुझे प्राप्त हो ।।

स्वामी विवेकानंद जी का जवाब सुनिए ..

उन्होंने कहा बहन मेरे द्वारा आप एक पुत्र की उत्पत्ति करेंगे, अब पुत्र होगा कि नहीं होगा क्या पता ..बाद की बात है ।।

आप मुझे ही अपना पुत्र समझ लें और आज से मुझे ही अपना पुत्र माने ।।

अब यहां स्वामी विवेकानंद रुपी उच्च के गुरु ने स्त्री को क्या जवाब दिया ..

मतलब स्वामी विवेकानंद रूपी गुरु के पास भी चांडाल रूपी ऑफर मिला जबकि यहां चांडाल दोष संपन्न नहीं हुआ ।।

अगर गुरु नीच का होता मकर राशि का, और यह स्वामी विवेकानंद के जगह कोई सामान्य गुरु होते,  जिन्हें यह ऑफर अगर कोई महिला देती तो शायद यह ऑफर गुरु स्वीकार कर लेते और यहीं पर गुरु राहु का चांडाल दोष संपन्न होता ।।।

कहने का मतलब है सिर्फ कुंडली में गुरु और राहु की युति देख लेना और यह कह देना कि चांडाल दोष है यह उचित नहीं ।।

हां अगर गुरू कुंडली में मकर राशि का हो अस्त हो कमजोर हो और वहां पर राहु की युति हो तो यहां पर चांडाल दोष पूर्ण फलित होगा ।।

और गुरु भी चांडाल के रूप रंग में आकर शराब मांस मदिरा और चरित्र को खराब कर लेंगे ।।

पर वही अगर गुरु बलवान हो तो वह गुरु गौतम बुद्ध और स्वामी विवेकानंद की तरह अडिग रहेंगे, और अपने पास आने वाले चांडाल रुपी राहु को भी अपना शिष्य बना लेंगे और यहां चांडाल दोष फलित नहीं होगा ।।।

महिला के पति की कुंडली में मीन का गुरु, राहु के साथ है, जब हमने यह कांसेप्ट समझाया तो इतनी खुश हुई कि क्या कहना..

 कल की कहानी हमने आज आपलोगो के साथ शेयर किया ताकि आप सब लोगो का कांसेप्ट क्लियर हो सके ।।

और हमारे अथक रिसर्च का लाभ उठा सकें

Er. Bibhash Mishra-Research Scholar and Astrologer Consultant

+91 99559 57433

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