बहुत महत्वपूर्ण हैं सावन के सोमवार और दिन त्यौहार
लुधियाना: 4 अगस्त 2021: (मीडिया लिंक रविंद्र//आराधना टाईम्ज़)::
आप ने कभी ध्यान दिया कि प्रेम करने वाले लोग और शायरी में डूबे रहने वाले शायर वर्ग से जुड़े लोग सावन के महीने को इतना महत्व क्यूं देते हैं। शायद ही कोई शायर या शायरा हो जिसे सावन पर कुछ न लिखा हो। शायद ही को हो जिसने सावन में झूम के न देखा हो। "आया सावन झूम" के नाम की फिल्म आई थी सन 1969 में। बहुत से नाज़ुक मोड़ों से भरी हुई फिल्म ज़िंदगी की झलक दिखती है। धर्मेंद्र और आशा पारेख की जोड़ी पर फिल्माई गई इस फिल्म का टाईटल सांग था बेहद लोकप्रिय हुआ गीत आया सावन झूम के... इस गीत के बोल सावन का दृश्य सामने ला देते हैं मौसम का भी, तन का भी और मन का भी। देखिए ज़रा गीत की एक झलक:
बदरा छाए के झूले पड़ गए हाए
के मेले लग गये मच गई धूम रे
के आया सावन हो ओ ओ झूमके
इसी गीत की कुछ पंक्तियाँ हैं:हैं जो बिरहा की बात भी बहुत ही खूबसूरती से करती हैं। देखिए इनका भी एक रंग:
जाने किसको किसकी
याद आई के चली पुरवाई
गीत में इन दोनों छोटी सी पंक्तियों को कम से कम दो बार बोलै जाता है जिससे इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है और सुनने वाले को याद और पुरवाई का संबंध भी कुछ कुछ समझ आने लगता है। इसे समझ क्र सावन महीने के जादू का अहसास होना शुरू होता है। आगे की पंक्तियाँ भी देखिए:
जाने किस बिरहन का
मन तरसा के पानी बरसा
हो ओ हो ओ
जब मन में बिरहा का दर्द महसूस होने लगता है तब वो धीरे धीर जा कर एक गहरी पीड़ा में महसूस होता है। एक तड़प से उठने लगती है। उस तड़प के चलते ही मन सोचता है बस एक झलक मिल जाए उसकी। इधर गर्मी के बुरे हाल में तन भी तड़पता है-काश बरसात आ जाए। काश कुछ बूँदें धरती पर आ गिरें। उस वट फुहार मिल जाए तो लगता है बेहद आनंद मिल गया। यही तड़प और यही आनंद बन जाता है जब और गहरा तब बात चलती है भगवान की तरफ। साडी तड़पन तब उस भगवान की तरफ रुख कर लेती है। ऐसे में शिव शंकर भोलेनाथ मन को तीव्रता से लुभाते हैं। जब कोई आश्रय नज़र नहीं आता तब भोले शंकर की आशा ही मन में जागती है। कहते हैं जिसने सावन के महीने में इस तड़पन को गले लगा लिया उस ने बहुत हद तक भगवान शिव शंकर की नज़दीकियों के अनुभव को भी पा लिया। ज़िंदगी में हर कदम पर मुश्किलें हैं, मुसीबतें हैं यह बात शिव शंकर के गले में पड़े सांप ध्यान से बार बार देख कर ही समझ आ सकती है। जीवन विष से भरा है इस सत्य का अहसास नीलकंठ के नज़दीक हो कर ही मन में उतरेगा। यह भस्म ही सिंगार है इसका पता भी शिव पूजा से ही चलता है। शिव की पूजा ज़िन्दगी के जिस गहरे ज्ञान को देती है उसे किताबों से नहीं पाया जा सकता।
नटराज का पूजन कलाकार भी यूं ही नहीं करते। बहुत गहरे अर्थ हैं इसके भी। प्रेम प्यार और शायरी का रंग भी शिव पूजा से ही समझ आता है। इसी तरह इस महीने का अर्थात सावन का आध्यात्मिक रंग भी बहुत गहरा है। केवल धर्म कर्म की बात नहीं इसके वैज्ञानिक पहलु भी काफी हैं। फ़िलहाल चर्चा करते हैं धार्मिक क्षेत्र की।
सावन का महीना पंचांग के अनुसार इस बरस 25 जुलाई 2021 को आरंभ हुआ था। बहुत इंतज़ार के बाद 26 जुलाई 2021 को सावन का पहला सोमवार था। लोग इसकी इंतज़ार बहुत शिद्द्त से करते हैं। पंचांग की गणना के अनुसार सावन के महीने का समापन 22 अगस्त 2021 को हो जाएगा। इस लिए बहुत कम दिन बाकी हैं इस ख़ास महीने के। क्र लो पूजा पथ दिल से। बहुत से लोगों के मन की मुरादें पूरी करते हुए यह महीना समाप्त होने की तरफ बढ़ रहा है। । दिलचस्प है कि इस दिन रक्षाबंधन और श्रावण पूर्णिमा का पर्व भी होगा।
गौरतलब है कि भगवान शिव शंभू के प्रिय मास श्रावण या सावन का वक़्त गुज़रता जा रहा है। पावन श्रावण मास में भगवान शिव और उनके परिवार की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धर्म शास्त्रों के मुताबिक हर वर्ष सावन माह में भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही फलदायी होता है , इसके बहुत से गहरे लाभ मिलते हैं। शायद यही कारण है कि सावन में अधिकतर लोग रुद्राभिषेक कराते हैं। उल्लेखनीय है कि सावन मास भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे उत्तम माह माना जाता है। आज हम आपको संक्षिप्त में कुछ रहस्य बताने जा रहे हैं कि और क्या क्या खूबियां हैं इस सावन महीने में।
जैसा कि आप जानते ही होंगें कि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, श्रावण मास का प्रारंभ आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के समापन के साथ होता है। कैलेंडर की गणना बहुत वैज्ञानिक होती है। इसके गहरे अर्थ होते हैं। इसी कैलेंडर पद्धति और प्रणाली के मुताबिक सावन माह इस का 5वां महीना होता है। इस वर्ष सावन का महीना 25 जुलाई दिन रविवार को प्रारंभ हुआ। इसका समापन अब 22 अगस्त दिन रविवार को होगा।
सावन सोमवार व्रत इस वर्ष अर्थात 2021 में भी विधिवत रखे जाएंगे। किस्मत वाले ही रख पाते हैं इस उपवास को। सभी को इसका महत्व भी समझ में नहीं आता या कोई न कोई समस्या खड़ी हो जाती है। उपवास का संकल्प पूरा हो इसके लिए चाहिए साथ ही शिव भी। अकेला संकल्प अहंकार भी उतपन्न क्र सकता है।
सावन महीने में हर दिन पावन माना जाता है लेकिन सोमवार का दिन विशेष होता है। सावन सोमवार का व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इस वार सावन में 04 सोमवार व्रत पड़ रहे हैं। पहला सावन सोमवार व्रत 26 जुलाई को, दूसरा सावन सोमवार व्रत 02 अगस्त को, तीसरा सावन सोमवार व्रत 09 अगस्त को और चौथा सावन सोमवार व्रत 16 अगस्त को है। तारीखें आपको बता दिन हैं अब आपका मन इस तरफ आए यह भगवान् शिव की इच्छा से ही होगा। उसका पूजन ही लाभ देगा।
इसी तरह इस वर्ष मंगला गौरी व्रत भी रखे जाने हैं। इनका भी बहुत लाभ मिलता है।
पहला मंगला गौरी व्रत: 27 जुलाई
दूसरा मंगला गौरी व्रत: 03 अगस्त
तीसरा मंगला गौरी व्रत: 10 अगस्त
चौथा मंगला गौरी व्रत: 17 अगस्त
सावन मास की अमावस्या या श्रावण अमावस्या-2021 इस बार 08 अगस्त, दिन रविवार को आ रही है। इसी तरह सावन मास की पूर्णिमा या श्रावण पूर्णिमा 2021 इस बार 22 अगस्त, रविवार को आएगी। आपके जीबन में यह महीना हरियाली भी लाए, खुशहाली भी लाए। यही कामना है। ॐ नमः शिवाय।
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