दैवीय नियमों के अंतर्गत ही बनते हैं दिव्य संयोग--डा. भारत
राम नाम अति मीठा है, कोई गा के देख ले
आ जाते है राम, कोई बुला के देख ले
इसी भजन की पंक्तियों में राम को बुला सकने की पात्रता का ज़िक्र भी आगे चल कर किया गया है। भजन में मार्गदर्शन देते हुए बताया गया है:
जिस घर में अहंकार वहाँ, मेहमान कहाँ से आए,
जिस मन में अभिमान वहॉँ, भगवान कहाँ से आए ।
अपने मन मंदिर में ज्योत जगा के देख ले,
आ जाते है राम, कोई बुला के देख ले.....
ऊँचनीच की बात नहीं बस स्नेह को ही कसौटी पर रखा। आस्था की बात भी नहीं की। केवल स्नेह--केवल प्रेम। भजन कहता है:
आधे नाम पे आ जाते, हो कोई बुलाने वाला
बिक जाते हैं राम कोई हो, मोल चुकाने वाला ।
कोई शवरी जूठे बेर खिला के देख ले,
आ जाते है राम, कोई बुला ले...!
जीवन की बुराईआं और बुरी शक्तिया किस किस तरह पथ भ्र्ष्ट करती हैं इसका भी। पूरी तरह सावधान रहने की सीख भी है। ज़रा देखिए:
मन भगवान का मंदिर है, यहाँ मैल न आने देना
हीरा जन्म अनमोल मिला है ,इसे व्यर्थ गवा न देना ।
शीश झुके और प्रभु मिले झुका के देख ले,
आ जाते है राम, कोई बुला कर देख ले!
इस तरह का विश्वास, आस्था और संकल्प कई क्षेत्रों में। के दर्शन भी किए, भगवन भी, भगवान शिव के भी और भगवान के अन्य रूपों के भी। साहिब श्री श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त करने वाले लोग भी मिले।
इस तरह की बहुत सी कथा कहानियों और सच्ची बातों के बावजूद सवाल कायम रहा कि क्या किसी ने वास्तव में भगवान शिव को देखा या अनुभव किया है? । महेश सोलंकी कुओरा पर बताते हैं: यह एक बेहद सुखमय और अविस्मरणीय अनुभूति थी जो मैं कभी भी भूल नहीं पाऊंगा। उनका कहना है कि ये किस्सा करीब 4 साल पुराना है शायद। महेश सोलंकी कहते हैं: कुछ मेहमानों के साथ मुझे बारह ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। दर्शन के समय में मन में बहोत श्रद्धा और विश्वास से हाथ जोड़के मेरी और मेरे परिवार जनों के लिए आर्शीवाद के लिए प्रार्थना कर रहा था। तब दुपहर 12 बजे की आरती का समय हो गया तो वहाँ के सिक्युरिटी स्टाफ ने हमें एक बाजू चले जाने को कहा और बराबर ज्योतिर्लिंग के सामने बहोत लोगों की भीड़ थी। जब आरती शुरू हुई तो मुझे कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता था क्योंकि आगे बहोत लोग खड़े थे। बेबसी भरी हालत हो जाती है ऐसी स्थिति में और आप में से बहुतों ने इसका किया होगा। मजबूरी की इस स्थिति को महेश स्वीकार करते हुए वह बताते हैं-तो मैं जहाँ खड़ा था वहीं आंख बंद कर के मनोमन सोमनाथ महादेव को श्रद्धा से बिनती करने लगा कि हे महादेव मुझे आरती का दर्शन करना हैं कृपया आप कराइये। हैरानी भी होती है कि इस तरह इतनी जल्दी प्रार्थना कैसे सुन ली जाती है। कैसे तुरंत ही अलौकिक सा जवाब भी आ जाता है। लगता है शायद यही कुछ हुआ था महेश सोलंकी साहिब के साथ।
वह बताने लगे: कुछ ही पलों में मेरी बंद आंखों से में क्या देख रहा हुँ, प्रत्यक्ष महादेव की लाइव आरती का दर्शन , सामने खुद शिव-पार्वती बैठे हैं उनकी दायीं तरफ शिव गण नाच रहे हैं, बायीं तरफ कुछ देवता खड़े हैं और शंख नाद कर रहे हैं। आरती चालू हैं पार्वती जी मंद मंद मुस्कुरा रहें हैं। मेरी आँखों से अश्रुधारा बह रही हैं और मैं ये चमत्कार को मानने के लिए तैयार नहीं था। कभी कभी हम महसूस करके भी उस विशेष और अलौकिक सी अनुभूति को स्वीकार नहीं कर पाते।
महेश सोलंकी भी यह सब बताते हुए कहते हैं कि यह सब हुआ तो था लेकिन उन्हें इसका यकीन नहीं हो पा रहा था। वास्तव में केवल महेश सोलंकी ही नहीं बहुत से लोगों को ऐसा ही होता है। कभी कभी दुःख का भान नहीं होता और कभी कभी परम आनंद की अनुभूति का भी यकीन नहीं होता। उस दिन सोलंकी साहिब के साथ उनकी पत्नी नहीं आयी थी क्योंकि उनको मैडिटेशन के एक सेमिनार में जाना था। वो अक्सर मैडिटेशन करती हैं और ध्यान लग भी जाता हैं तो कुछ कुछ विज़न आ जाते हैं। मैं अपने साथ जो हुआ ये मान नहीं रहा था और लगता था कि मुझे कोई भ्रमणा हुई होगी। जब देर रात को सोलंकी अपने शहर अपने घर पहुंचे तो उनकी पत्नी ने कुतूहलवश तुरंत पूछा कि सोमनाथ महादेव का दर्शन का अनुभव कैसा रहा ? सोलंकी से भी पहले वह बोलने लगी कि आप कुछ मत बताना, मैं बताती हूँ कि क्या हुआ। वो बोली के पहले आप मंदिर में ज्योतिर्लिंग की सन्मुख जा के दर्शन किये, साष्टांग प्रणाम किया बाद में आरती चालू होने वाली थी आप को साइड में भेज दिया, आप कुछ देख नहीं सकते थे तो आप ने आंखे बंद कर ली बाद में आंखे बंद कर के आप जो देख रहे थे वो मैं मैडिटेशन में सबकुछ देख रही थ । साक्षात महादेव और पार्वती जी की आरती हो रही हैं, शिवगण नाच रहे हैं , देवगण शंख नाद कर रहे हैं और आप की आंखों से आंसू की धारा हो रही हैं । मैं बिल्कुल ताज्जुब रह गया , क्योंकि वो मुझसे करीब 300 की.मि. दूर थी और ये सब उसने देखा । मेरी तो बोलती बंद हो गई। मैं फिर से रोने लगा कि सचमुच में मुझे महादेव ने दर्शन दिए। ये कोई काल्पनिक बात नहीं हैं मेरी अपनी अनुभूति की बात हैं, विश्वास रखिये । ईश्वर में श्रद्धा रखने से उनकी हमारे पर कृपा ही बरसती गए। मैं ये बात शेयर नहीं करने वाला था लेकिन ये सोचकर सभी के सामने रखा कि ये किस्सा पढ़कर लोगों की ईश्वर के प्रति श्रद्धा और बढ़ेगी। पढ़ने के लिए धन्यवाद। मैं मेरे इस स्वानुभव के बारे में विवाद नहीं चाहता......।
डाक्टर भारत ने स्पष्ट कहा कि वास्तव में परिवार का माहौल ही आध्यात्मिक है। पति पत्नी दोनों ही धर्म कर्म के मार्ग पर चलने वाले हैं। इससे भी आगे पत्नी इस क्षेत्र में पीटीआई से भी ज़्यादा प्रगति पर है। वास्तव में महेश सोलंकी को लाईव आरती का दर्शन और शिव शंकर भोलेनाथ के विस्तृत दर्शन अपनी पत्नी की कृपा से ही सम्भव हो सके। इस लिए पूरे घर का माहौल ही धर्मकर्म पर आधारित हो तो इसके परिणाम भी इसी तरह के आने लगते हैं। सात्विक जीवन और मेडिटेशन की जो बातें बताई जाती हैं वे कोरी कल्पना नहीं हैं। उनका बाकयदा आधार है।
जल्द ही हम इस तरह के कुछ अन्य मामले भी सामने लाएंगे। यदि आप किसी विशेष मामले को सामने लाना चाहते हैं तो आपका भी स्वागत है।
अगर आप के पास भी ऐसे ही अनुभवों का खज़ाना हो तो अवश्य ही भेजें या सूचित करें----ईमेल है--medialink32@gmail.com--और व्हाटसप नम्बर है---+919915322407
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