गणेश जी के जन्म पर भी इसी तरह के योग थे
चंडीगढ़: 30 अगस्त 2022: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::
गौरतलब है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणपति बप्पा के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हर गली मौहल्ले में छोटे बड़े आजोजन देखे जा सकते हैं। इस दिन घर-घर में बप्पा की स्थापना की जाती है। इसका सिलसिला 10 दिनों तक चलता है। गणेश उत्सव का ये पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।
गणेश जी की पूजा अर्चना के बिना बात सही से शुरू ही नहीं होती है। इसी से होता है वास्तविक शुभारम्भ। अब तो उत्तर भारत में इसका प्रचलन बहुत बढ़ गया है। उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म में गौरी पुत्र भगवान श्री गणेश को सुख, समृद्धि, वैभव, विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी बुद्धि के भी देवता माने जाते हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा जरूर की जाती है। पौराणिक मान्यता है के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मध्याह्र काल में, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था। भाद्रपद माह की गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी और डण्डा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी में कुछ विशेष संयोग बन रहे हैं। इस संयोगों से बहुत से लोगों को लाभ मिल सकेगा। इन में से 3 शुभ योग और 1 सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल है। आइए जानते हैं चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक के शुभ योग के बारे में इन योगों पर सही पूजन से फायदा भी पक्का मिलेगा।
कैसे हैं गणेश चतुर्थी पर बन रहे यह खास संयोग
कुल मिलाकर इस बार की गणेश चतुर्थी बेहद खास है। इस बरस करीब-करीब वो सभी ख़ास योग-संयोग बन रहे हैं, जो गणेश जी के जन्म पर पर भी बने थे। इसलिए ऐसा अतिविशेष संयोग बार बार कहां आता है। उल्लेखनीय है कि गणपति का आगमन चित्रा नक्षत्र, रवि योग और शुक्ल योग में होगा. गणेश चतुर्थी पर दोपहर के समय चित्रा नक्षत्र में ही पार्वती जी ने मिट्टी के गणेश बनाए थे और उसमें प्राण डाले थे। रवि योग और शुक्ल योग दोनों को काफी शुभ माना गया है। इसलिए इस सरे संयोग का फायदा भी तकरीबन सभी को ही होगा।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि 31 अगस्त, बुधवार को गणेश चतुर्थी है। और इस बार चतुर्थी तिथि रवि योग में है। रवि जोग का खास महत्व होता ही है। रवि योग प्रात: 05:58 बजे से लेकर देर रात 12:12 बजे तक है। इसके अलावा दो शुभ योग ब्रह्म और शुक्ल योग भी बन रहे हैं। इसमें शुक्ल योग प्रातः काल से लेकर रात 10:48 बजे तक है। उसके बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा। यह तीनों योग पूजा पाठ की दृष्टि से शुभ माने जाते हैं। बड़े बड़े कार्य इन योगों पर सिद्ध हो जाते हैं।
तिथि के हिसाब से शुभ योग
इसलिए अब धन सम्पदा के रुके हुए काम भी बनेंगे। ज़मीन जायदाद के उलझे हुए मामले भी सुलझ जाएंगे। स्वास्थ्य भी उत्तम हो जाएगा। रिश्ते नातों में भी मिठास आएगी। कारोबारी संबंध भी सुधरेंगे। दुश्मन स्वयं ही मंद पड़ जाएंगे। बस विधि विधान का ध्यान ज़रुर रखियेगा। आस्था से ही होते हैं चमत्कार। आस्था अंतर्मन से ही आएगी।
इस बार 31 अगस्त, बुधवार को रवि योग प्रात: 05:58 से देर रात 12:12 बजे तक रहेगा।इसी तरह 01 सितंबर, गुरुवार को रवि योग, देर रात 12:12 से प्रातः 05:59 बजे तक रहेगा।
इसके बाद अगले ही दिन 02 सितंबर, शुक्रवार: सर्वार्थ सिद्धि योग, रात्रि 11:47 से 3 सितंबर, शनिवार प्रातः 06:00 बजे तक बनेगा।
फिर उसी तारीख को अर्थात 02 सितंबर, शुक्रवार को भी रवि योग: प्रातः 05:59 बजे से रात्रि 11:47 बजे तक बना रहेगा।
इसके बाद 3 सितंबर, शनिवार कोई कोई विशेष योग नज़र नहीं आ रहा।
फिर 4 सितंबर रविवार को बनेगा सर्वार्थ सिद्धि योग रात्रि 09:43 से प्रातः 06:01 बजे तक, रवि योग भी सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ही। यह एक अति विशेष अवसर होगा।
फिर 5 सितंबर सोमवार को भी रवि योग, पूरे दिन रहेगा। आपके कार्य गणेश जी की कृपा से सिद्ध होंगें।
इसके बाद 6 सितंबर, मंगलवार: रवि योग, प्रातः 06:01 बजे से शाम 06:09 बजे तक रहेगा। यह भी बहुत अच्छा अवसर रहेगा।
अगले ही दिन अर्थात 7 सितंबर, बुधवार को त्रिपुष्कर योग, प्रातः 03:04 बजे से सुबह 06:02 बजे तक रहेगा। साधकों को विशेष लाभ होगा।
इसके बाद 8 सितंबर, गुरुवार को रवि योग, दोपहर 01: 46 बजे से अगले दिन सुबह 06:03 बजे तक रहेगा।
9 सितंबर, शुक्रवार को रवि योग, सुबह 06:03 बजे से सुबह 11:35 बजे तक बनेगा। इस काम समय में भी आप सभी लाभाविंत हो सकेंगे।