Thursday 26 March 2020

इच्छापूर्ति वॄक्ष आपके पास भी है

चाहो तो आज ही पा लो--लेकिन साधना तो करनी ही होगी 
चर्चा-विचार चर्चा और नए पहलू: 26 मार्च 2020: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::
आप ने इच्छापूर्ति वृक्ष की कहानी सुनी है? जीवन की विकट स्थितियों पर नियन्त्रण पाने के बहुत ही गहरे रहस्य हैं उसमें। सुना है एक घने जंगल में एक इच्छापूर्ति वृक्ष था, उसके नीचे बैठ कर कोई भी इच्छा करने से वह तुरंत पूरी हो जाती थी। किसी को भी इसका एतबार न होता लेकिन थी यह एक हकीकत। 
यह बात बहुत कम लोग जानते थे..क्योंकि उस घने जंगल में जाने की कोई हिम्मत ही नहीं करता था। इसलिए इस लिए इस हकीकत को बहुत ही कम लोग जानते थे लेकिन बिना जानने इसे मानने वालों की संख्या भी कम न थी। इस तरह यह एक किवदन्ती भी बन गयी। 
इन्हीं कहानियों के बीच एक बार संयोग से एक थका हुआ व्यापारी उस वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए बैठ गया उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी नींद लग गई। उस पेड़ के नीचे सपने भी बहुत सुंदर आये। उस दिन नींद भी बहुत अच्छी आई। जाग खुली तो आत्मविश्वास भी पहले से ज्यादा था और मूड भी बहुत अच्छा। लेकिन भूख कहाँ टिकने देती है यह सब? जागते ही उसे बहुत भूख लगी,उसने आस पास देखकर सोचा- 'काश !
कुछ खाने को मिल जाए ! तत्काल स्वादिष्ट पकवानों से भरी थाली हवा में तैरती हुई उसके सामने आ गई।
व्यापारी ने भरपेट खाना खाया और भूख शांत होने के बाद सोचने लगा..काश कुछ पीने को मिल जाए..तत्काल उसके सामने हवा में तैरते हुए अनेक शरबत आ गए। यह तो कमाल हो गया था।  यकीन ही नहीं हो रहा था। कभी कभी सुख का भी यकीन नहीं होता। आनन्द भी हो तो भी सपना ही लगने लगता है। 
इस तरह का मीठा शरबत पहले कभी न पिया था। शरबत पीने के बाद वह आराम से बैठ कर सोचने लगा-कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं। दिल में आशंका अपना घर बनाने लगी। शक उठने शुरू हो गए। शक के साथ ही मनोस्थिति भी बदलने लगी। 
वह हैरान था।  बेहद हैरान। हवा में से खाना पानी प्रकट होते पहले कभी नहीं देखा था-न ही सुना था।  उसे लगा जरूर इस पेड़ पर कोई भूत रहता है जो मुझे खिला पिला कर मोटा ताज़ा कर रहा है और बाद में मुझे खा लेगा। मन में उठी आशंका विकराल रूप लेने लगी। हम से बहुतों के साथ यही तो होता है। बस ऐसा सोचना ही था कि तत्काल उसके सामने एक भूत आया और उसे खा गया। उसे हैरान होने और सवाल पूछने का भी मौका नहीं मिला। देखते ही देखते वह वर्तमान से अतीत बन गया। अक्सर हममें से अधिकांश की जिंदगी के साथ यही तो होता है। सारी उम्र खत्म हो जाती है लेकिन हम ज़िंदगी को पहचान ही नहीं पाते। नकारत्मक विचरों की भीड़ में हम अपना हर सकारत्मक गुण गंवा बैठते हैं। सब कुछ लुटा के होश में आते हैं लेकिन उस समय कुछ सम्भव ही नहीं होता। 
इच्छापूर्ति वृक्ष और भूत के इस प्रसंग से भी आप यह सीख सकते है कि हमारा मस्तिष्क ही इच्छापूर्ति वृक्ष है आप जिस चीज की प्रबल कामना करेंगे वह आपको अवश्य मिलेगी। यह बात शत प्रतिशत सही है। इसलिए कोई इच्छा भी करना तो बहुत ही सोच समझ कर ही करना वरना खुद के जाल में ही उलझ कर रह जाओगे। 
यही वजह है कि अधिकांश लोगों को जीवन में बुरी चीजें इसी लिए मिलती हैं क्योंकि वे बुरी चीजों की ही कामना करते हैं। जाने या अनजाने वे इन नैगेटिव विचारों से ही घिरे रहते हैं। इन नैगेटिव विचारों से उनके कर्म हबी भी नैगेटिव ही होते चले जाते हैं। इस पर वे खुद को नहीं सुधारते बस किस्मत को कोसते हैं जिसका कोई कसूर ही नहीं होता। किस्मत तो उनको भी बहुत कुछ दे रही थी लेकिन उन्होंने बुरा ही चुना। 
ऍम इन्सान की रोज़ की ज़िंदगी पर ज़रा एक नजर तो डालो। इंसान ज्यादातर समय सोचता है-कहीं बारिश में भीगने से मै बीमार न हों जाँऊ..और वह बीमार हो जाता हैं..! यह सब तकरीबन हर रोज़ होता है। इसी तरह बार बार इंसान सोचता है - मेरी किस्मत ही खराब है .. और उसकी किस्मत सचमुच खराब हो जाती हैं ..! उसके हाथ में आये बहुत से सुनहरी अवसर झट से निकल जाते हैं। इस तरह आप देखेंगे कि आपका अवचेतन मन इच्छापूर्ति वृक्ष की तरह आपकी इच्छाओं को ईमानदारी से पूर्ण करता है..! आप क्या पाना चाहते हैं यह आप ने ही फैसला करना है। इसलिए आपको अपने मस्तिष्क में विचारों को सावधानी से प्रवेश करने की अनुमति देनी चाहिए। यदि गलत विचार अंदर आ जाएगे तो गलत परिणाम मिलेंगे। विचारों पर काबू रखना ही अपने जीवन पर काबू करने का रहस्य है..! इसके बाद ही शुरू होता है विजय या पराजय का सिलसिला। आपके विचारों से ही आपका जीवन या तो.. स्वर्ग बनता है या नरक..उनकी बदौलत ही आपका जीवन सुखमय या दुख:मय बनता है...।
यह बहुत बड़ा सत्य है कि वास्तव में विचार जादूगर की तरह होते है जिन्हें बदलकर आप सचमुच अपना जीवन बदल सकते है।  इसलिये सदा सकारात्मक सोच रखें। यदि आप अच्छा सोचने लगते है तो पूरी कायनात आपको और अच्छा देने में लग जाती है। इसलिए देरी मत कीजिये। आज ही कीजिये विचारों में परिवर्तन और पाईये मन चाही मुराद। 

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