Monday 7 August 2017

हम चिंतन में कम और चिंता में अधिक समय लगाते हैं

Mon, Aug 7, 2017 at 1:19 PM
चिंता है, चिता तक लेकर जाती है और चिंतन परम मोक्ष की ओर
लुधियाना: दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा मेहरबान राहों रोड पर एक दिवसीय अध्यात्मिक विचारों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी मनजीत भारती जी द्वारा समुधर वाणी के द्वारा संतों की रचना-मानत नहीं मन मोरा रे अनिक बार में इसे समझाऊं, जग में जीवन थोरा रे, के गायन से किया गया। इस अवसर पर श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी सुश्री सोमप्रभा भारती जी ने कहा कि हमारे संतों ने इस संसार को कभी रैन बसेरा, किराये का घर आदि अनेकों तरह की संज्ञा दी और समझाया कि जीवन तेरा कोई पक्का टिकाना नहीं, कहते हैं यह बात यदि कोई नहीं समझता वो हमारा मन है, जो यदि किसी को इस संसार में विदा होते हुए दिखता है, तो कहता है हमने भी एक न एक दिन इस संसार को छोडक़र जाना है, परन्तु जैसे ही कुछ दिन व्यतीत होते हैं, फिर से माया का प्रभाव पड़ जाता है और इंसान मौत को भूल जाता है। मन विकारों का संग कर भ्रमित करता है, परन्तु हमारे संतों ने अपनी अनेकों रचनाओं द्वारा समझाया है कि यदि मृत्यु पर विजय प्राप्त करना चाहते हो तो अपने जीवन में दो बातों को हमेशा याद रखें। पहला मौत व दूसरा ईश्वर को, जो जीवन में इसे ध्यान रखते हैं। वह अपने मन को समझाते हैं कि जन में जीवन में बहुत थोरा है, इसके समाप्त होने से पहले-पहले जीवन के उद्देश्य को जान लें। संत कबीर दास जी ने अपनी रचना में कहा हमारा एक-एक श्वास प्रभु की बंदगी के बिना व्यर्थ है। हमें एक-एक श्वास को ईश्वर के चिंतन में लगाना चाहिए, परन्तु हमारी आदत क्या है? हम चिंतन में कम और चिंता में अधिक समय लगाते हैं। चिंता है, चिता तक लेकर जाती है और चिंतन परम मोक्ष की ओर तो क्यों न जीवन में ईश्वर का चिंतन किया जाये, परन्तु एक प्रश्न है कि चिंतन तो उसी का हो सकता है, जिसे देखा है, क्या हमने जीवन में कभी ईश्वर को देखा है? यदि पूर्ण गुरु की कृपा से गुरु ने आपके अंतकरण में ईश्वर के प्रकाश रूप के दर्शन करवाए हैं तो उस प्रभु चिंतन करना कठिन नहीं। यदि अभी तक ब्रह्मज्ञान का आगमन जीवन में नहीं हुआ तो हमें सर्वप्रथम ऐसे गुरु की खोज करनी चाहिए जो आपके घट में दर्शन करवाए तो उसका ध्यान लगाया जा सकता है। कार्यक्रम के अंत में सभी ने प्रभु ध्यान में रत होकर विश्व शांति की मंगल कामना के लिए ध्यान साधना की। इस अवसर पर साध्वी मनजीत भारती जी ने समुधर भजनों का गायन किया। इस मौके विशेष रूप से शंकर गुप्ता, धर्मपाल, करनैल सिंह, गुलजार सिंह, बहादुर सिंह, जग्गा सिंह, योगेश शर्मा, बिट्टू शर्मा, कोमल कुमार, अंतरप्रीत सिंह, परमिंदर सिंह, रमेश कुमार, संदीप, सतनाम सिंह, विकास कुमार, प्रदीप कुमार आदि ने अपनी हाजरी लगाई।

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