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शारदीय नवरात्रि का प्रथम दिन: माँ शैलपुत्री की पूजा
चंडीगढ़:21 सितंबर 2025: (आराधना टाईम्ज़ डेस्क टीम)::
शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन, माँ दुर्गा के पहले स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें 'शैलपुत्री' कहा जाता है। माँ शैलपुत्री की आराधना से जीवन में स्थिरता, शक्ति और दृढ़ता आती है। मान्यता है कि इनकी पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और बाधाएँ दूर होती हैं और उसे शांति का आशीर्वाद मिलता है। इनके स्वरूप की तस्वीर देखने से ही मन में गहरी शांति उतरने लगती है। तन में एक नई ऊर्जा नेहसूस होने लगती है।
माँ शैलपुत्री का स्वरूप
माँ शैलपुत्री के स्वरूप में, उनके माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित होता है। वे दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल धारण करती हैं और नंदी नामक बैल पर विराजमान होती हैं। यह स्वरूप शक्ति, पवित्रता और साहस का प्रतीक है। इस दिन कलश स्थापना के साथ ही नौ दिवसीय इस महापर्व का शुभारंभ होता है, जिसमें माँ शक्ति का आह्वान किया जाता है।
नवरात्रि और देवी के नौ रूप
नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग दिव्य रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें 'नवदुर्गा' के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक रूप एक विशेष गुण, ऊर्जा और जीवन के पहलू का प्रतीक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है।
नवदुर्गा के नौ रूप इस प्रकार हैं:
1. माँ शैलपुत्री: प्रथम दिन इनकी पूजा होती है। यह शक्ति, पवित्रता और स्थिरता का प्रतीक हैं।
2. माँ ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन इनकी पूजा की जाती है। यह तपस्या, ज्ञान और वैराग्य का प्रतिनिधित्व करती हैं।
3. माँ चंद्रघंटा: तीसरे दिन इनकी पूजा होती है। यह साहस और वीरता की प्रतीक हैं, और भक्तों को सभी भय से मुक्त करती हैं।
4. माँ कूष्मांडा: चौथे दिन इनकी पूजा की जाती है। यह सृष्टि की रचनाकार मानी जाती हैं और जीवन में ऊर्जा व समृद्धि लाती हैं।
5. माँ स्कंदमाता: पाँचवें दिन इनकी आराधना होती है। यह मातृत्व और प्रेम का प्रतीक हैं।
6. माँ कात्यायनी: छठे दिन इनकी पूजा की जाती है। यह शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक हैं।
7. माँ कालरात्रि: सातवें दिन इनकी पूजा होती है। यह दुष्टों का नाश करने वाली और भक्तों को निर्भय बनाने वाली मानी जाती हैं।
8. माँ महागौरी: आठवें दिन इनकी आराधना की जाती है। यह पवित्रता और शांति की प्रतीक हैं।
9. माँ सिद्धिदात्री: नौवें दिन इनकी पूजा होती है। यह सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं।
यह नौ दिन, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता में, देवी की शक्ति को सम्मान देने और आंतरिक शुद्धिकरण के लिए समर्पित हैं। लोग बहुत ही आस्था और श्रद्धा से इस पर्व को मानते भी हैं और उत्साह के साथ मनाते भी हैं। मौसम की तब्दीली का यह अवसर भी शक्ति संचय में सहायक होता है।
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