झंक्झौर रही थी मंच से आती गायत्री दीदी की आवाज़
लुधियाना: 3 अप्रैल 2017: (आराधना टाईम्ज़ टीम)::
दूर दूर तक लाऊड स्पीकर से आती आवाज़ अपनी तरफ खींच रही थी। शायद कोई धार्मिक आयोजन था। कुछ आगे जा कर देखा तो बहु चर्चित श्री राम कथा का आयोजन चल रहा था। भीड़ बहुत थी अंदर जाना आसान नहीं था लेकिन आयोजकों के शानदार प्रबन्धन ने सब आसान कर दिया। मंच के पास जाकर देखा तो सफेद वस्त्रों में अलौकिक आभा लिए एक दिव्य युवती कथा के साथ साथ गायन के ज़रिये भी माहौल को आध्यात्मिक रंग में रंग रही थी। पूछने पर पता चला यही तो थी गायत्री दीदी। प्रबन्धकों ने कहा कि दीदी को जम्मु से विशेष तौर पर बुलवाया गया है।
इस कथा में आग्रह था--घरों के कलह क्लेश से मुक्ति पायो--भगवान से सुर मिलाओ। एक औजपूर्ण निवेदन था---देश और लोगों के काम आओ। साथ ही एक सवाल भी कि कलह क्लेश और नशे में अपनी ऊर्जा गंवाने वालों तुम देश के लिए क्या कर सकोगे? निराशा भी कि शायद कुछ भी नहीं। साथ ही मार्गदर्शन भी कि बहुत कुछ गंवा लिया--अब तो जाग जायो। इसके साथ ही चेतावनी की सुर भी कि अब भी सम्भल जायो। बाकी नशे छोड़ कर भगवत रंग के नशे में जाओ। बहुत कुछ करना है --दुनिया के लिए।
आवाज़ में वरिष्ठ पारिवारिक सदस्य का दर्द भी छलक रहा था और मीठा मीठा क्रोध भी। चेतावनी भी थी और शिकवा भी। तनाव और कलह क्लेश में डूबे घरों की चर्चा करते हुए चेहरे पर महसूस हो रहा दर्द बता रहा था कि यह मार्मिक चेतावनी और आग्रह किसी अपने के दिल से उठी आवाज़ है। किसी सन्त हृदय का दर्द है-किसी सियासी नेता का भाषण नहीं। माहौल शांत था। बीच बीच में संगीत की लहरियां सभी को संगीत के रंग में भी रंग रही थी।
दूर दूर तक लाऊड स्पीकर से आती आवाज़ अपनी तरफ खींच रही थी। शायद कोई धार्मिक आयोजन था। कुछ आगे जा कर देखा तो बहु चर्चित श्री राम कथा का आयोजन चल रहा था। भीड़ बहुत थी अंदर जाना आसान नहीं था लेकिन आयोजकों के शानदार प्रबन्धन ने सब आसान कर दिया। मंच के पास जाकर देखा तो सफेद वस्त्रों में अलौकिक आभा लिए एक दिव्य युवती कथा के साथ साथ गायन के ज़रिये भी माहौल को आध्यात्मिक रंग में रंग रही थी। पूछने पर पता चला यही तो थी गायत्री दीदी। प्रबन्धकों ने कहा कि दीदी को जम्मु से विशेष तौर पर बुलवाया गया है।
इस कथा में आग्रह था--घरों के कलह क्लेश से मुक्ति पायो--भगवान से सुर मिलाओ। एक औजपूर्ण निवेदन था---देश और लोगों के काम आओ। साथ ही एक सवाल भी कि कलह क्लेश और नशे में अपनी ऊर्जा गंवाने वालों तुम देश के लिए क्या कर सकोगे? निराशा भी कि शायद कुछ भी नहीं। साथ ही मार्गदर्शन भी कि बहुत कुछ गंवा लिया--अब तो जाग जायो। इसके साथ ही चेतावनी की सुर भी कि अब भी सम्भल जायो। बाकी नशे छोड़ कर भगवत रंग के नशे में जाओ। बहुत कुछ करना है --दुनिया के लिए।
आवाज़ में वरिष्ठ पारिवारिक सदस्य का दर्द भी छलक रहा था और मीठा मीठा क्रोध भी। चेतावनी भी थी और शिकवा भी। तनाव और कलह क्लेश में डूबे घरों की चर्चा करते हुए चेहरे पर महसूस हो रहा दर्द बता रहा था कि यह मार्मिक चेतावनी और आग्रह किसी अपने के दिल से उठी आवाज़ है। किसी सन्त हृदय का दर्द है-किसी सियासी नेता का भाषण नहीं। माहौल शांत था। बीच बीच में संगीत की लहरियां सभी को संगीत के रंग में भी रंग रही थी।
नवरात्र के पावन अवसर पर लुधियाना में भी राम नाम की गंगा निरन्तर बह रही है। जगह जगह कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। कारोबारियों का शहर लुधियाना आध्यत्मिक रंग में रंगा हुआ है। इसी सिलसिले में श्री राम कथा का आयोजन हैबोवाल कलां टैंकी वाला पार्क में श्री राम महोत्सव कमेटी की ओर से भी हुआ। इसमें बेलन ब्रिगेड प्रमुख अनीता शर्मा भी विशेष तौर पर शामिल हुईं। कांग्रेस समर्थक मज़दूर संगठन इंटक के महिला विंग का प्रांतीय अध्यक्ष बनने के बाद किसी पब्लिक कार्यक्रम में अनीता शर्मा की यह पहली शमूलियत है। उन्होंने भगवान के चरणों में वन्दन करते हुए मज़दूरों के भले के लिए कुछ ठोस कर दिखाने की शक्ति भी मांगी। बहुत से अन्य धार्मिक, समाजिक और सियासी लोग भी इस दरबार में हाज़री लगवाने पहुंचे।
इस कार्यक्रम के आयोजन में भी बार बार याद दिलाया गया कि भगवान राम का चरित्र विश्व में सबसे महान है। मर्यदा पुरषोत्तम भगवान राम के पूरे जीवन चरित्र से मानव को बेहद प्रेरणाएं मिलती हैं जिनसे चरित्र को ऊंचा उठाया जा सकता है। वक्तायों ने ज़ोर दिया कि हमें भगवान राम के जीवन चरित्र का अनुसरण करना चाहिए। यह भाव भक्ति योग फाउंडेशन की संस्थापिका गायत्री दीदी ने हैबोवाल कलां टैंकी वाला पार्क में श्री राम महोत्सव कमेटी की ओर से प्रधान सुरिंदर पाल शर्मा की अध्यक्षता में जारी श्री राम कथा के चौथे दिन उपस्थित भक्तों के विशाल समूह को संबोधित करते हुए प्रकट किए। गायत्री दीदी ने कहा कि हमें धार्मिक स्थल पर जाकर वहां की भव्यता नहीं बल्कि दिव्यता की बात करनी चाहिए। मीडिया से एक भेंट के दौरान दीदी गायत्री ने कहा धर्म की दिव्यता का अहसास उसे जीवन में उतारने से होगा। भगवान की चर्चा और धर्म स्थल तो हमें केवल रास्ता दिखाते हैं इन पर चलना तो हमें खुद ही होगा। उन्होंने कहा कि परिवारों में होती कलह और झगड़ों में अपनी ऊर्जा मत गंवायो। खुद ही खुद को नहीं सम्भल पयोगे तो देश को क्या संभालोगे? देश का क्या सँवारोगे? उन्होंने याद दिलाया कि अक्सर मानव अज्ञानता वश मंदिर में जाकर भी भगवान की प्रतिमाओं की सुंदरता का बखान करना शुरू कर देता है जबकि उसे भगवान की दिव्यता का ध्यान करना चाहिए। इस दौरान चेयरमैन सुनील सिंगला, प्रधान सुरिंदर पाल शर्मा, उत्तम चंद जुमवाल, जगदीश भाटिया, पवन सहदेव, अंजलि ठुकराल, अशोक शर्मा, केवल कृष्ण मोदी, सुनील मेहता, शिव कुमार गुप्ता, अशोक गुप्ता, अविनाश चावला ने मेहमानों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कुल मिला कर आयोजन कामयाब रहा। कार्यक्रम में तकरीबन सभी धर्मों और राजनीतिक दलों से सबंधित लोग थे एक ही रंग छाया था। आध्यत्मिक रंग।
जीवन में बहुत कुछ गंवा लिया-अब तो जाग जायो-चेताया गायत्री दीदी ने
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