Saturday, 10 February 2024

चंद्रमा आपका मन है और मन पूरे शरीर के ऊपर एकाअधिकार रखता है

 Thursday 9th February 2024 at 11:46 AM

केमुन्द्रम दोष के बहाने से इंजीनियर बिभाष मिश्रा आपके सामने रख रहे हैं बहुत से रहस्य 


ज्योतिष की दुनिया से
03 फरवरी 2023: (बिभाष मिश्रा//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

पीड़ित चंद्रमा ... 

जन्म कुंडली में चंद्रमा एक बेहद विशेष स्थान रखता है

चंद्रमा आपका मन है और मन पूरे शरीर के ऊपर एकाअधिकार रखता है

कहावत भी है मन के जीते जीत ... और मन के हारे हार...

अर्थात जिसने मन पर  विजय हासिल किया है,वह विकट परिस्थिति में भी विजयी है,  और जो मन से हार चुका है वह लाख सुख सुविधा के बावजूद भी दुखी है ।।।

वेद में कहा गया है कि, चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत: च् !

अर्थात चंद्रमा जातक के मन का स्वामी होता है, मन का स्वामी होने के कारण यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति ठीक न हो या वह दोषपूर्ण स्थिति में हो तो, जातक को मन और मस्तिष्क से संबंधी परेशानियां होती हैं. चन्द्रमा मां का सूचक है और मन का कारक है, इसकी राशि कर्क होती हैं !।।

चन्द्र ग्रहों में सबसे छोटा ग्रह है, परन्तु इसकी गति ग्रहों में सबसे अधिक है ।। 

यानी नवग्रहों में यह सबसे तेज चलने वाला ग्रह है ।।

चन्द्रमा की तीव्र गति और इसके प्रभावशाली होने के कारण किस समय क्या घटना होगी, चन्द्र से ही पता चलता है ।।

चंद्रमा आपकी कुंडली में कितना महत्वपूर्ण स्थान रखता है इसका उदाहरण ऐसे समझिए ।।

विंशोत्तरी दशा, योगिनी दशा, अष्टोतरी दशा आदि यह सभी दशाएं चन्द्र की गति से ही बनती है ।।

गोचर कुंडली और शनि की साढेसाती भी चंद्र से ही देखी जाती है ।।

चन्द्र जिस नक्षत्र में बैठा हो उसके स्वामी ग्रह से ही जन्म की महादशाएं शुरू होती है ।।।

अर्थात जिस प्रकार आपके पूरे घर की व्यवस्था, घर का खानपान ,रखरखाव,राशन इत्यादि घर की कमी- बढ़त तमाम व्यवस्थाएं मां के द्वारा देखी जाती है ।।

इसी प्रकार आपकी कुंडली की तमाम व्यवस्थाएं चंद्रमा के द्वारा देखी जाती है ।।

इसीलिए ज्योतिष में चंद्रमा को मां की उपाधि दी गई है ।।

और मां शब्द के ऊपर में वही चंद्रबिंदु है ।।

तमाम सुख सुविधाओं के बावजूद भी जिस प्रकार एक मां के घर में ना होना पूरे घर को वीरान कर देता है,  उसी प्रकार आपकी कुंडली में तमाम राज योग होने के बावजूद एकमात्र चंद्रमा का पीड़ित होना आपके कुंडली के तमाम राजयोगों को वीरान और तन्हा कर देता है ।।

अब बात आती है चंद्रमा पीड़ित कब होता है और कैसे होता है

जब भी आपकी कुंडली में चंद्रमा राहु के संग ...केतु के संग बैठा हो, चंद्रमा नीच राशि वृश्चिक का बैठा हो तो पीड़ित कहलाएगा ।।

चंद्रमा के एक घर पहले और एक घर बाद कोई ग्रह ना हो जिसे केमुन्द्रम दोष कहते हैं तो चंद्रमा पीड़ित कहलाता है ।।

इसका उदाहरण ऐसा समझते हैं।। 

अगर कोई अकेली महिला सुनसान सड़क पर चल रही है और उसके दाएं और बाएं कोई ना हो तो उसके मन में एक अनजान सब भय रहेगा, एक हवा का झोंका भी चले तो वह सहसा सहम जाएगी ।।

वही महिला के दाहिने और बाएं दोनों ओर में एक-एक भाई हो तो वह महिला बड़े रौब के साथ सड़क पर चलेगी, क्योंकि उसके दाएं और बाएं में सुरक्षा हेतु उसके भाई खड़े हैं ।।

केमुन्द्रम दोष में भी चंद्रमा के जब दाहिने और बाएं ओर कोई ग्रह नहीं होता है तो अकेला पाकर चंद्रमा वही सहमी हुई महिला के समान है जो अपने आप को असहाय और डरी हुई महसूस करती है ‌‌।।

वही अनजान सा भय, चंचल मन, अस्थिर स्वभाव, मानसिक तनाव आपकी कुंडली का पीड़ित चंद्रमा है ।।

जैसे-जैसे चंद्रमा कला में कमजोर होती है जैसे अमावस्या की तिथि तो भय और डिप्रेशन बढ़ता जाता है ।।

यही कारण है कि पीड़ित चंद्रमा वाले अमावस्या के दिन खासकर ज्यादा मानसिक तनाव महसूस करते हैं ।।

और मानसिक तनाव कभी-कभी इतना बढ़ जाता है कि आत्महत्या तक के ख्याल आ जाते हैं ।।।

जब चंद्रमा पीड़ित हो तो जातक के मन का मिसाल तो बस ऐसा है ...

जैसे घना समंदर हो.... लहर के ऊपर लहर उठ रही हो... और भीतर कुप्प घना अंधेरा हो ...

ऐसा घना अंधेरा कि कोई अपना हाथ भी बाहर निकाले तो वह दिखाई ना दे ।।

और ऐसी स्थिति में ईश्वर ही एकमात्र बचाने वाला हो ।।।

चंद्रमा पीड़ित होने पर निर्णय क्षमता कमजोर हो जाती है , जातक बेहद भावुक हो जाता है , मानसिक तनाव बहुत ज्यादा हो जाती है , जातक एकांत प्रिय हो जाता है , और मन में चंचलता बेहद बढ़ जाती है ।।

उसे सही मायने में एक अच्छे सलाहकार की जरूरत होती है जो उसे ऐसे निराशावादी दौड़ से दूर  निकाल ले ।।

पीड़ित चंद्रमा के प्रभाव से मानसिक तनाव, मन में घबराहट, मन में तरह तरह की शंका और सर्दी बनी रहती है. व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार भी बार-बार आते रहते हैं !!

जातक किसी की कही गई बातों को दिल पर लेने लगता है और डिप्रेशन में चला जाता है ।।

खासकर चंद्रमा जब कुंडली में राहु के साथ हो तो स्थिति बड़ी ही भयावह हो जाती है ।।

जातक के पास तमाम सुख सुविधा हो, जो कुंडली में उपस्थित राजयोग से प्राप्त होती है,  उसके पास आलीशान मकान, वाहन , तमाम सुख सुविधा होती है ।।

फिर भी जातक भीड़ में तन्हा हो जाता है ....

उसकी तमाम सुख सुविधा कागज के रद्दी के ढेर के समान हो जाती है, और वह एकांत जीवन जीता है ।।

इसीलिए आपके पास आलीशान सुख सुविधा कुंडली में उपस्थित राजयोगी ग्रह तो दे देंगे,  पर उस सुख सुविधाओं को आप भोग कितना करेंगे यह तो कुंडली में उपस्थित चंद्रमा ही निर्धारित करेगी ।।

और आपकी कुंडली में अगर चंद्रमा पीड़ित हुआ तो सभी भोग रूपी वस्तु मिट्टी के ढेले के समान हो जाएंगे ।।

चंद्रमा केतु के साथ हो तो स्थिति उतनी भयावह तो नहीं होती , जितनी चंद्रमा, राहु के साथ हो तो होती है ।।

जातक तार्किक हो जाता है,  और कभी-कभी अच्छा सलाहकार भी हो जाता है, कड़वे अनुभव से सीख कर अच्छा सलाहकार भी हो जाता है ।।।

वही चंद्रमा जब शनि के साथ बैठा हो तो जातक में आध्यात्मिक गुण आ जाते हैं,  और अध्यात्म के क्षेत्र में शिखर तक पहुंचता है ।।

वही चंद्रमा जब केमुन्द्रम दोष में हो तो जातक के मन में एक अनजान सा भय, डर समाए रहता है ।।

पीड़ित चंद्रमा को ठीक करने का सबसे बेहतरीन उपाय अपने आप को ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक बनाए रखना,  ऐसी चीजों से बेहद दूर रहना जो निराशावादी सोच देती है ।।

ऐसे लोगों से दूर रहना जो निराशावादी हो ।।

अकेले में ज्यादा न रहकर लोगों के मध्य रहना और हंसी-खुशी जीवन जीने का प्रयास करना,  जितना पास में हो उतना में संतुष्ट रहना और अनिश्चितता के पीछे ना भगाना ।।

दूसरे से अपने खुद की तुलना कदापि न करना ...

और शिव की पूजा में खुद को समर्पित करना नित्य कच्चे दूध से शिवजी का अभिषेक करना और सोमवार का उपवास करना पीड़ित चंद्रमा को शांत करने का उपाय है ।। 

Er. Bibhash Mishra-Research Scholar and Astrologer Consultant

+91 99559 57433


Sunday, 4 February 2024

जब आसमान में दो चन्द्रमा दिखते हैं और उल्कापात होता है

दुनिया और ज़िंदगी के लिए होता है वह समय बहुत ही विशेष 


लुधियाना: 04 फरवरी 2024: (मीडिया लिंक रविंदर//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

ज्योतिष और अध्नायात्बम के जानकार  के गोपाल
उत्तर भारत में जब पंजाब पहुंच कर लुधियाना से जगराओं की तरफ जाया जाए तो थोड़ी सी दूरी पर ही  मुल्लांपुर, रायकोट और जगराओं के इलाकों में एक जाना माना नाम है जनाब के. गोपाल जी का। बहुत लोकप्रिय शख्सियत हैं वह। समाजसेवी, जहां फिलास्फर और पत्रकार  होने के साथ साथ वह बहुत अच्छे ज्योतिषी भी हैं। उनकी भविष्यवाणियां बहुत बार सच भी साबित हो चुकी हैं। 

कई बार उनकी गहन बातों को समझ पाना सबके बस में भी नहीं होता। आज उन्होंने कहा है कि आसमान में दो चांद नज़र आने वाले हैं। साथ ही उल्कापात वाली बरसात भी होगी। उल्का पिंड की बरसात या उल्कापात का सिलसिला बहुत पुराना है। समय समय पर इसके आसार बनते ही रहते हैं। उनकी राजनैतिक उथल पुथल की बातें भी सच निकलती रही हैं। 

आज सुबह सुबह मुंह अंधेरे पांच बजे से पहले ही उन्होंने भविष्वाणी की है कि आज आसमान में दो चांद नज़र आएंगे। इसके साथ ही उल्कापात भी देखने को मिलेगा। जहां जहां भी यह देखा जा सकेगा वहां के लोगों के लिए यह बहुत ही यादगारी भी होगा। इस तरह के पल बहुत काव्यपूर्ण और रूमानी भी महसूस हो सकते हैं। यदि किसी को किसी गृह के प्रकोप का विचार मन में हो तो उसके लिए भयानक महसूस भी हो सकते हैं। अर्थात आपके  भी होगा उसका अनुपर कई गुना बढ़ जाएगा। आपकी यादें सचमुच यादगारी बन जाएंगी। 

गौरतलब है कि इस तरह की बरसात के संबंध में बहुत कुछ कहा सुना जाता रहा है। उल्का वर्षा  अर्थात meteor shower एक खगोलीय घटना है जिसमें किसी ग्रह पर आकाश के एक ही स्थान से बार-बार कई उल्का बरसते हुए प्रतीत होते हैं। प्रकृतिक तौर पर यह एक सौंदर्यपूर्ण दृश्य भी बन सकता है। 

वैज्ञानिक तौर पर इसके अलग पहलू होते ही हैं। मानव और अन्य जीवों पर इसके प्रभाव भी हो सकते हैं।  यह उल्का पात वास्तव में खगोलीय मलबे की धाराओं के ग्रह के वायुमंडल पर अति-तीव्रता से गिरने से प्रस्तुत होते हैं। अधिकतर का आकार बहुत ही छोटा (रेत के कण से भी छोटा) होता है इसलिए वह सतह तक पहुँचने से बहुत पहले ही ध्वस्त हो जाते हैं। सो कई बार इनके गिरने का पता नहीं भी चलता। हां अगर अधिक घनी उल्का वर्षा को उल्का बौछार अर्थात meteor outburst  या फिर उल्का तूफ़ान meteor storm कहते हैं और इनमें एक घंटे में 1000 से अधिक उल्का गिर सकते हैं। इसकी कल्पना मात्र से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि दृश्य कैसा लग सकता है।  तन और मन में क्या महसूस हो सकता है। 

हमने एक गीत के बोलों की चर्चा की थी संगीत स्क्रीन में-

कैसी हसीन आज बहारों की रात है-एक चाँद आसमां पे है एक मेरे साथ है....

बेहद लोकप्रिय हुए इस गीत में दो पंक्तियां और भी विशेष हैं जो ब्रह्मण्ड के रहस्यों और ईश कृपा की तरफ भी इशारा करती हैं। 

देखिए ज़रा इन पंक्तियों की गहराई भी-

देने वाले तू ने तो कोई कमी न की;अब किस को क्या मिला ये मुक़द्दर की बात है

अगर आप किसी तरह आज की इस बरसात और दो चांद नज़र आने के दृश्य को देखने में कामयाब हो जाते हैं तो अवश्य बताएं कि आपको कैसा महसूस हुआ यह सब अलौकिक सा दृश्य? अब इस तरह के दो चन्द्रमा और उल्काजोोू आपके भविष्य और वॉटरमैन पर कैसा असर डालेगा इसका सही पता अच्छे ज्योतिषी ही बता सकेंगे। 

Saturday, 3 February 2024

वक्री ग्रह और उसका स्वभाव अगर समझ गए तो ज़िंदगी सहज लगने लगेगी

Saturday  3rd February 2024 at 11:13 AM

यह स्वभाव भी अपने आप में गहन रहस्य जैसा ही है 


ज्योतिष की दुनिया से
:
03 फरवरी 2023: (बिभाष मिश्रा//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

वक्री ग्रह और उसका स्वभाव अगर समझ गए तो ज़िंदगी सहज लगने लगेगी। मुश्किलें आएंगी तो सही पर खुद-ब-खुद उनका समाधान  भी होता जाएगा। बहुत से गन आप में आ जाएंगे इस स्वभाव को समझ लेने से। आज के इस पोस्ट में हम वक्री ग्रह और उसके स्वभाव के बारे में पुनः विशेष चर्चा करेंगे। ज्योतिष की दुनिया से जुड़े जिज्ञासुयों और पाठकों की तरफ से इसकी मांग बहुत तेज़ी से आ रही थी। इसलिए कुछ दिन पहले हमने वक्री ग्रह पर एक पोस्ट किया था आज पुण :  उसके बारे में और अधिक जानकारी हासिल करेंगे।

अगर एक लाइन में वक्री ग्रह के कांसेप्ट को समझे तो

हर ग्रह का अपना एक मूल स्वभाव होता है

कोई ग्रह अगर वक्री होता है तो अपने मूल स्वभाव और गुण को खो देता है ।।।

उदाहरण के तौर पर हम समझते हैं

आपने कभी-कभी देखा होगा कुछ औरतों में मर्दों वाली गुण होती है

उदाहरण के तौर पर मर्दों जैसी फुर्ती होना,  घर के भी काम को देखना संग ही  बाहर बाजार के काम को भी कर लेना

सुबह से रात बिल्कुल एक्टिव रहना, यहां तक घर वाले बोले भी की यह भूल से ही लड़की पैदा हो गई इसे तो लड़का पैदा होना चाहिए था ।।।

यानी उसके स्वभाव में वह सारा गुण होगा जो एक लड़के के स्वभाव में होता है ।।।

इसके उलट कर कुछ मर्दों को हम देखेंगे तो लगेगा उनका स्वभाव कुछ शर्मिला है और हर काम में वह बिल्कुल शर्मीलापन महसूस करते हैं

यानी दोनों ही पक्ष में अपने मूल स्वभाव को खो देना ।।

एक बहन को हमने देखा, पिताजी के घर पर नहीं मौजूद होने के वजह से घर का सारा काम भी देखी थी , और अपनी स्कूटी से बाजार की सभी खरीदारी भी करती थी, यानी सुबह से रात की सारी गतिविधि जो एक लड़के की होनी चाहिए, उसमें थी ।।

यहां तक कि निडर होकर अपने घर की रखवाली भी करती थी ।।

यानी लड़कियों का जो मूल स्वभाव होता है वह गुण न होकर अलग स्वभाव उसमें था ।।

वक्री ग्रह के उदाहरण को हम यहां बेहतरीन तरीके से समझ सकते हैं ।।

इसी प्रकार सभी ग्रहों का भी अपना एक मूल गुण स्वभाव होता है

और जब वह ग्रह वक्री होता है तो अपने बेसिक सिद्धांत को भूलकर अलग फल देने लगता है ।।

ग्रह के इस अलग स्वभाव को ही ग्रह का वक्री होना कहते हैं ।।

अन्य उदाहरण से समझते हैं गर्मी का मूल स्वभाव हम सभी जानते हैं लू का चलना ।।

ठंड का मूल स्वभाव हम जानते हैं शीत लहरी का चलना ।।

पर कभी-कभी भीषण गर्मी में भी मौसम अगर बेहद सुहावना हो तो यहां गर्मी का मौसम अपना मूल स्वभाव खो चुका होता है ।।

या दिसंबर महीने में भी आपने देखा होगा ठंड बिल्कुल नहीं पड़ रही है, और लोग कहते हैं कि लगता है इस बार ठंड नहीं पड़ेगी यानी ठंड के मौसम ने भी अपना मूल स्वभाव कुछ दिनों के लिए खो दिया ।।

और जब-जब कोई अपना मूल स्वभाव को खोता है तो उसे हम वक्री होना कहते हैं ।।

एक व्यक्ति प्रतिदिन घर का भोजन करता है जिसमें रोटी चावल दाल सब्जी शामिल होती है यह व्यक्ति के भोजन का मूल स्वभाव है , वही कभी-कभी वह बाहर होटल में जाकर खाना खाता है यहां पर मूल स्वभाव से अलग भोजन प्रणाली का वक्री होना समझेंगे ।।

एक व्यक्ति जो कहीं नौकरी करता है, तो उसकी सुबह से रात तक एक गतिविधि रहती है ।।।

सुबह सोकर उठना,  नहाना , टिफिन लेना, ऑफिस जाना भोजन अवकाश में भोजन करना,  शाम को घर आना ।।। वक्री ग्रह के स्वभाव पर बिभाष मिश्रा का विशेष लेख 

यह उसका एक मूल स्वभाव है, प्रतिदिन की दिनचर्या है ।।

इस मूल स्वभाव से कभी-कभी ऊबकर वह कुछ दिन की छुट्टी लेकर बाहर घूमने चला जाता है ,और मूल स्वभाव और दैनिक दिनचर्या से अलग हटके कुछ दिन अपने दिनचर्या को बदलता है , यहां भी वक्री होने को समझ सकते हैं ।।।।

अब ऊपर लिखे सभी कथनों को हम ग्रह पर अप्लाई करके देखते हैं ।।

अब गुरु का मूल स्वभाव क्या है यह आप सभी जानते हैं

गुरु 100% धर्म है गुरु बेहद बलवान हो तो जातक के माथे पर चंदन, सिखा, गले में तुलसी माला, गेरुआ वस्त्र, कथावाचक या सारा गुण उसमें मौजूद होगा ।।।

वही गुरु अगर वक्री हुआ तो जातक धार्मिक अवश्य होगा पर सूटेड बूटेड टाई लगाने वाला होगा ।।।

यानी यहां गुरु ने अपना मूल गुण को दिया ।।

हो सके जातक अपने धर्म में हुई आडंबर को दूर करने वाला भी होगा ।।

शनि खराब है तो शनि मंदिर में जाकर सरसों तेल शनि के पत्थर पर चढ़ाए यह  मार्गी गुरु वाला बोलेगा ।।।

वक्री गुरु वाला बोलेगा कि पत्थर पर तेल चढ़ाना बेकार है वह तेल किसी गरीब को दीजिए जिससे शनि ज्यादा खुश होगा , क्योंकि गरीब का कारक भी शनि है ।।

दोनों ही अपने जगह सही हैं पर कॉन्सेप्ट की लड़ाई है ।।।

वक्री ग्रह का बेहतरीन मिसाल आप ऐसे समझ सकते हैं ।।।

शिवलिंग पर दूध चढ़ाना एक आस्था है, 

गरीबों को दूध देना भी एक आस्था है ।।

मोहर्रम में मातम करना, हुसैन के नाम पर जंजीर से सीना पीटना और खून बहाना एक आस्था है ।।

ब्लड बैंक में गरीबों को खून देना भी एक आस्था है ।।

और जहां आस्था वाली बात है वह मार्गी गुरु है, पर वही आस्था पर जहां तर्क है वह वक्री गुरु है ।।।

शनि का मूल स्वभाव परिश्रम है,  मेहनत है,  दुख है , चिंता है ।।

पर वहीं शनि अगर वक्री हो जाए तो अपने मूल स्वभाव को खो देता है, यानि वक्री शनि वाले जातक बहुत मेहनत नहीं करते हैं और आराम पसंद से ही उनको चीजें हासिल हो जाती है ।।

शुक्र का मूल स्वभाव आराम पसंद है, मौज मस्ती है और सभी भौतिक सुख है ।।

वहीं अगर शुक्र वक्री हो जाए तो जातक आराम पसंद चीजों और भौतिक सुखों के भरपूर उपलब्धि होने के बावजूद भी उसे भोगना पसंद नहीं करेगा और  उससे बचने की कोशिश करेगा ।।

वक्री ग्रह चीजों को भी दोहराती है।।

चतुर्थ भाव वाहन और मकान का है अगर चतुर्थेश वक्री हुआ तो जातक के पास निश्चित तौर पर एक से ज्यादा वाहन और मकान होगा ही ।।।

पंचमेश वक्री हुआ तो एक से ज्यादा संतान एक से ज्यादा प्रेम संबंध एक से ज्यादा  एजुकेशन की डिग्री होगी ।।

लग्नेश वक्री हुआ तो दीर्घायु होगा, अष्टमेश वक्री हुआ तो मौत के मुंह से भी बच जाएगा, और पुनर्जीवन की प्राप्ति होगी और दीर्घायु भोगेगा ।।।

धनेश और लाभेश वक्री हुआ तो एक से ज्यादा आय के साधन होंगे।।

भाग्येश वक्री हुआ तो बारंबार भाग्योदय होगा ।।

सप्तमेश वक्री हुआ तो एक से ज्यादा विवाह होने की संभावना रहेगी ।।

दशमेश वक्री हुआ तो नौकरी  बार-बार बदलेगा ।।

या संभवतः नौकरी के साथ-साथ साइड इनकम के तौर पर व्यापार भी हो ।।

बुद्ध का संबंध व्यापार से है और बुध का मूल स्वभाव ही व्यापार करना है,  और बुध वक्री हुआ तो जातक व्यापार के नए-नए आइडिया बताएगा या बिज़नेस ट्रेनर होगा ।।

मंगल का मूल स्वभाव फुर्तीला जीवन, बगैर आलस के बिजली की फुर्ती , जातक क्रोधी स्वभाव का होता है ।।

मंगल अगर वक्री हुआ तो जातक मंगल के मूल गुण को खो देता है यानी वह अत्यधिक धैर्यवान होता है ।।

वक्री ग्रह पर आज इतना ही ...

Er. Bibhash Mishra

Research Scholar

Astrologer Consultant