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केमुन्द्रम दोष के बहाने से इंजीनियर बिभाष मिश्रा आपके सामने रख रहे हैं बहुत से रहस्य
ज्योतिष की दुनिया से: 03 फरवरी 2023: (बिभाष मिश्रा//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::
पीड़ित चंद्रमा ...
जन्म कुंडली में चंद्रमा एक बेहद विशेष स्थान रखता है
चंद्रमा आपका मन है और मन पूरे शरीर के ऊपर एकाअधिकार रखता है
कहावत भी है मन के जीते जीत ... और मन के हारे हार...
अर्थात जिसने मन पर विजय हासिल किया है,वह विकट परिस्थिति में भी विजयी है, और जो मन से हार चुका है वह लाख सुख सुविधा के बावजूद भी दुखी है ।।।
वेद में कहा गया है कि, चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत: च् !
अर्थात चंद्रमा जातक के मन का स्वामी होता है, मन का स्वामी होने के कारण यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति ठीक न हो या वह दोषपूर्ण स्थिति में हो तो, जातक को मन और मस्तिष्क से संबंधी परेशानियां होती हैं. चन्द्रमा मां का सूचक है और मन का कारक है, इसकी राशि कर्क होती हैं !।।
चन्द्र ग्रहों में सबसे छोटा ग्रह है, परन्तु इसकी गति ग्रहों में सबसे अधिक है ।।
यानी नवग्रहों में यह सबसे तेज चलने वाला ग्रह है ।।
चन्द्रमा की तीव्र गति और इसके प्रभावशाली होने के कारण किस समय क्या घटना होगी, चन्द्र से ही पता चलता है ।।
चंद्रमा आपकी कुंडली में कितना महत्वपूर्ण स्थान रखता है इसका उदाहरण ऐसे समझिए ।।
विंशोत्तरी दशा, योगिनी दशा, अष्टोतरी दशा आदि यह सभी दशाएं चन्द्र की गति से ही बनती है ।।
गोचर कुंडली और शनि की साढेसाती भी चंद्र से ही देखी जाती है ।।
चन्द्र जिस नक्षत्र में बैठा हो उसके स्वामी ग्रह से ही जन्म की महादशाएं शुरू होती है ।।।
अर्थात जिस प्रकार आपके पूरे घर की व्यवस्था, घर का खानपान ,रखरखाव,राशन इत्यादि घर की कमी- बढ़त तमाम व्यवस्थाएं मां के द्वारा देखी जाती है ।।
इसी प्रकार आपकी कुंडली की तमाम व्यवस्थाएं चंद्रमा के द्वारा देखी जाती है ।।
इसीलिए ज्योतिष में चंद्रमा को मां की उपाधि दी गई है ।।
और मां शब्द के ऊपर में वही चंद्रबिंदु है ।।
तमाम सुख सुविधाओं के बावजूद भी जिस प्रकार एक मां के घर में ना होना पूरे घर को वीरान कर देता है, उसी प्रकार आपकी कुंडली में तमाम राज योग होने के बावजूद एकमात्र चंद्रमा का पीड़ित होना आपके कुंडली के तमाम राजयोगों को वीरान और तन्हा कर देता है ।।
अब बात आती है चंद्रमा पीड़ित कब होता है और कैसे होता है
जब भी आपकी कुंडली में चंद्रमा राहु के संग ...केतु के संग बैठा हो, चंद्रमा नीच राशि वृश्चिक का बैठा हो तो पीड़ित कहलाएगा ।।
चंद्रमा के एक घर पहले और एक घर बाद कोई ग्रह ना हो जिसे केमुन्द्रम दोष कहते हैं तो चंद्रमा पीड़ित कहलाता है ।।
इसका उदाहरण ऐसा समझते हैं।।
अगर कोई अकेली महिला सुनसान सड़क पर चल रही है और उसके दाएं और बाएं कोई ना हो तो उसके मन में एक अनजान सब भय रहेगा, एक हवा का झोंका भी चले तो वह सहसा सहम जाएगी ।।
वही महिला के दाहिने और बाएं दोनों ओर में एक-एक भाई हो तो वह महिला बड़े रौब के साथ सड़क पर चलेगी, क्योंकि उसके दाएं और बाएं में सुरक्षा हेतु उसके भाई खड़े हैं ।।
केमुन्द्रम दोष में भी चंद्रमा के जब दाहिने और बाएं ओर कोई ग्रह नहीं होता है तो अकेला पाकर चंद्रमा वही सहमी हुई महिला के समान है जो अपने आप को असहाय और डरी हुई महसूस करती है ।।
वही अनजान सा भय, चंचल मन, अस्थिर स्वभाव, मानसिक तनाव आपकी कुंडली का पीड़ित चंद्रमा है ।।
जैसे-जैसे चंद्रमा कला में कमजोर होती है जैसे अमावस्या की तिथि तो भय और डिप्रेशन बढ़ता जाता है ।।
यही कारण है कि पीड़ित चंद्रमा वाले अमावस्या के दिन खासकर ज्यादा मानसिक तनाव महसूस करते हैं ।।
और मानसिक तनाव कभी-कभी इतना बढ़ जाता है कि आत्महत्या तक के ख्याल आ जाते हैं ।।।
जब चंद्रमा पीड़ित हो तो जातक के मन का मिसाल तो बस ऐसा है ...
जैसे घना समंदर हो.... लहर के ऊपर लहर उठ रही हो... और भीतर कुप्प घना अंधेरा हो ...
ऐसा घना अंधेरा कि कोई अपना हाथ भी बाहर निकाले तो वह दिखाई ना दे ।।
और ऐसी स्थिति में ईश्वर ही एकमात्र बचाने वाला हो ।।।
चंद्रमा पीड़ित होने पर निर्णय क्षमता कमजोर हो जाती है , जातक बेहद भावुक हो जाता है , मानसिक तनाव बहुत ज्यादा हो जाती है , जातक एकांत प्रिय हो जाता है , और मन में चंचलता बेहद बढ़ जाती है ।।
उसे सही मायने में एक अच्छे सलाहकार की जरूरत होती है जो उसे ऐसे निराशावादी दौड़ से दूर निकाल ले ।।
पीड़ित चंद्रमा के प्रभाव से मानसिक तनाव, मन में घबराहट, मन में तरह तरह की शंका और सर्दी बनी रहती है. व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार भी बार-बार आते रहते हैं !!
जातक किसी की कही गई बातों को दिल पर लेने लगता है और डिप्रेशन में चला जाता है ।।
खासकर चंद्रमा जब कुंडली में राहु के साथ हो तो स्थिति बड़ी ही भयावह हो जाती है ।।
जातक के पास तमाम सुख सुविधा हो, जो कुंडली में उपस्थित राजयोग से प्राप्त होती है, उसके पास आलीशान मकान, वाहन , तमाम सुख सुविधा होती है ।।
फिर भी जातक भीड़ में तन्हा हो जाता है ....
उसकी तमाम सुख सुविधा कागज के रद्दी के ढेर के समान हो जाती है, और वह एकांत जीवन जीता है ।।
इसीलिए आपके पास आलीशान सुख सुविधा कुंडली में उपस्थित राजयोगी ग्रह तो दे देंगे, पर उस सुख सुविधाओं को आप भोग कितना करेंगे यह तो कुंडली में उपस्थित चंद्रमा ही निर्धारित करेगी ।।
और आपकी कुंडली में अगर चंद्रमा पीड़ित हुआ तो सभी भोग रूपी वस्तु मिट्टी के ढेले के समान हो जाएंगे ।।
चंद्रमा केतु के साथ हो तो स्थिति उतनी भयावह तो नहीं होती , जितनी चंद्रमा, राहु के साथ हो तो होती है ।।
जातक तार्किक हो जाता है, और कभी-कभी अच्छा सलाहकार भी हो जाता है, कड़वे अनुभव से सीख कर अच्छा सलाहकार भी हो जाता है ।।।
वही चंद्रमा जब शनि के साथ बैठा हो तो जातक में आध्यात्मिक गुण आ जाते हैं, और अध्यात्म के क्षेत्र में शिखर तक पहुंचता है ।।
वही चंद्रमा जब केमुन्द्रम दोष में हो तो जातक के मन में एक अनजान सा भय, डर समाए रहता है ।।
पीड़ित चंद्रमा को ठीक करने का सबसे बेहतरीन उपाय अपने आप को ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक बनाए रखना, ऐसी चीजों से बेहद दूर रहना जो निराशावादी सोच देती है ।।
ऐसे लोगों से दूर रहना जो निराशावादी हो ।।
अकेले में ज्यादा न रहकर लोगों के मध्य रहना और हंसी-खुशी जीवन जीने का प्रयास करना, जितना पास में हो उतना में संतुष्ट रहना और अनिश्चितता के पीछे ना भगाना ।।
दूसरे से अपने खुद की तुलना कदापि न करना ...
और शिव की पूजा में खुद को समर्पित करना नित्य कच्चे दूध से शिवजी का अभिषेक करना और सोमवार का उपवास करना पीड़ित चंद्रमा को शांत करने का उपाय है ।।
Er. Bibhash Mishra-Research Scholar and Astrologer Consultant
+91 99559 57433