Saturday 3 February 2024

वक्री ग्रह और उसका स्वभाव अगर समझ गए तो ज़िंदगी सहज लगने लगेगी

Saturday  3rd February 2024 at 11:13 AM

यह स्वभाव भी अपने आप में गहन रहस्य जैसा ही है 


ज्योतिष की दुनिया से
:
03 फरवरी 2023: (बिभाष मिश्रा//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

वक्री ग्रह और उसका स्वभाव अगर समझ गए तो ज़िंदगी सहज लगने लगेगी। मुश्किलें आएंगी तो सही पर खुद-ब-खुद उनका समाधान  भी होता जाएगा। बहुत से गन आप में आ जाएंगे इस स्वभाव को समझ लेने से। आज के इस पोस्ट में हम वक्री ग्रह और उसके स्वभाव के बारे में पुनः विशेष चर्चा करेंगे। ज्योतिष की दुनिया से जुड़े जिज्ञासुयों और पाठकों की तरफ से इसकी मांग बहुत तेज़ी से आ रही थी। इसलिए कुछ दिन पहले हमने वक्री ग्रह पर एक पोस्ट किया था आज पुण :  उसके बारे में और अधिक जानकारी हासिल करेंगे।

अगर एक लाइन में वक्री ग्रह के कांसेप्ट को समझे तो

हर ग्रह का अपना एक मूल स्वभाव होता है

कोई ग्रह अगर वक्री होता है तो अपने मूल स्वभाव और गुण को खो देता है ।।।

उदाहरण के तौर पर हम समझते हैं

आपने कभी-कभी देखा होगा कुछ औरतों में मर्दों वाली गुण होती है

उदाहरण के तौर पर मर्दों जैसी फुर्ती होना,  घर के भी काम को देखना संग ही  बाहर बाजार के काम को भी कर लेना

सुबह से रात बिल्कुल एक्टिव रहना, यहां तक घर वाले बोले भी की यह भूल से ही लड़की पैदा हो गई इसे तो लड़का पैदा होना चाहिए था ।।।

यानी उसके स्वभाव में वह सारा गुण होगा जो एक लड़के के स्वभाव में होता है ।।।

इसके उलट कर कुछ मर्दों को हम देखेंगे तो लगेगा उनका स्वभाव कुछ शर्मिला है और हर काम में वह बिल्कुल शर्मीलापन महसूस करते हैं

यानी दोनों ही पक्ष में अपने मूल स्वभाव को खो देना ।।

एक बहन को हमने देखा, पिताजी के घर पर नहीं मौजूद होने के वजह से घर का सारा काम भी देखी थी , और अपनी स्कूटी से बाजार की सभी खरीदारी भी करती थी, यानी सुबह से रात की सारी गतिविधि जो एक लड़के की होनी चाहिए, उसमें थी ।।

यहां तक कि निडर होकर अपने घर की रखवाली भी करती थी ।।

यानी लड़कियों का जो मूल स्वभाव होता है वह गुण न होकर अलग स्वभाव उसमें था ।।

वक्री ग्रह के उदाहरण को हम यहां बेहतरीन तरीके से समझ सकते हैं ।।

इसी प्रकार सभी ग्रहों का भी अपना एक मूल गुण स्वभाव होता है

और जब वह ग्रह वक्री होता है तो अपने बेसिक सिद्धांत को भूलकर अलग फल देने लगता है ।।

ग्रह के इस अलग स्वभाव को ही ग्रह का वक्री होना कहते हैं ।।

अन्य उदाहरण से समझते हैं गर्मी का मूल स्वभाव हम सभी जानते हैं लू का चलना ।।

ठंड का मूल स्वभाव हम जानते हैं शीत लहरी का चलना ।।

पर कभी-कभी भीषण गर्मी में भी मौसम अगर बेहद सुहावना हो तो यहां गर्मी का मौसम अपना मूल स्वभाव खो चुका होता है ।।

या दिसंबर महीने में भी आपने देखा होगा ठंड बिल्कुल नहीं पड़ रही है, और लोग कहते हैं कि लगता है इस बार ठंड नहीं पड़ेगी यानी ठंड के मौसम ने भी अपना मूल स्वभाव कुछ दिनों के लिए खो दिया ।।

और जब-जब कोई अपना मूल स्वभाव को खोता है तो उसे हम वक्री होना कहते हैं ।।

एक व्यक्ति प्रतिदिन घर का भोजन करता है जिसमें रोटी चावल दाल सब्जी शामिल होती है यह व्यक्ति के भोजन का मूल स्वभाव है , वही कभी-कभी वह बाहर होटल में जाकर खाना खाता है यहां पर मूल स्वभाव से अलग भोजन प्रणाली का वक्री होना समझेंगे ।।

एक व्यक्ति जो कहीं नौकरी करता है, तो उसकी सुबह से रात तक एक गतिविधि रहती है ।।।

सुबह सोकर उठना,  नहाना , टिफिन लेना, ऑफिस जाना भोजन अवकाश में भोजन करना,  शाम को घर आना ।।। वक्री ग्रह के स्वभाव पर बिभाष मिश्रा का विशेष लेख 

यह उसका एक मूल स्वभाव है, प्रतिदिन की दिनचर्या है ।।

इस मूल स्वभाव से कभी-कभी ऊबकर वह कुछ दिन की छुट्टी लेकर बाहर घूमने चला जाता है ,और मूल स्वभाव और दैनिक दिनचर्या से अलग हटके कुछ दिन अपने दिनचर्या को बदलता है , यहां भी वक्री होने को समझ सकते हैं ।।।।

अब ऊपर लिखे सभी कथनों को हम ग्रह पर अप्लाई करके देखते हैं ।।

अब गुरु का मूल स्वभाव क्या है यह आप सभी जानते हैं

गुरु 100% धर्म है गुरु बेहद बलवान हो तो जातक के माथे पर चंदन, सिखा, गले में तुलसी माला, गेरुआ वस्त्र, कथावाचक या सारा गुण उसमें मौजूद होगा ।।।

वही गुरु अगर वक्री हुआ तो जातक धार्मिक अवश्य होगा पर सूटेड बूटेड टाई लगाने वाला होगा ।।।

यानी यहां गुरु ने अपना मूल गुण को दिया ।।

हो सके जातक अपने धर्म में हुई आडंबर को दूर करने वाला भी होगा ।।

शनि खराब है तो शनि मंदिर में जाकर सरसों तेल शनि के पत्थर पर चढ़ाए यह  मार्गी गुरु वाला बोलेगा ।।।

वक्री गुरु वाला बोलेगा कि पत्थर पर तेल चढ़ाना बेकार है वह तेल किसी गरीब को दीजिए जिससे शनि ज्यादा खुश होगा , क्योंकि गरीब का कारक भी शनि है ।।

दोनों ही अपने जगह सही हैं पर कॉन्सेप्ट की लड़ाई है ।।।

वक्री ग्रह का बेहतरीन मिसाल आप ऐसे समझ सकते हैं ।।।

शिवलिंग पर दूध चढ़ाना एक आस्था है, 

गरीबों को दूध देना भी एक आस्था है ।।

मोहर्रम में मातम करना, हुसैन के नाम पर जंजीर से सीना पीटना और खून बहाना एक आस्था है ।।

ब्लड बैंक में गरीबों को खून देना भी एक आस्था है ।।

और जहां आस्था वाली बात है वह मार्गी गुरु है, पर वही आस्था पर जहां तर्क है वह वक्री गुरु है ।।।

शनि का मूल स्वभाव परिश्रम है,  मेहनत है,  दुख है , चिंता है ।।

पर वहीं शनि अगर वक्री हो जाए तो अपने मूल स्वभाव को खो देता है, यानि वक्री शनि वाले जातक बहुत मेहनत नहीं करते हैं और आराम पसंद से ही उनको चीजें हासिल हो जाती है ।।

शुक्र का मूल स्वभाव आराम पसंद है, मौज मस्ती है और सभी भौतिक सुख है ।।

वहीं अगर शुक्र वक्री हो जाए तो जातक आराम पसंद चीजों और भौतिक सुखों के भरपूर उपलब्धि होने के बावजूद भी उसे भोगना पसंद नहीं करेगा और  उससे बचने की कोशिश करेगा ।।

वक्री ग्रह चीजों को भी दोहराती है।।

चतुर्थ भाव वाहन और मकान का है अगर चतुर्थेश वक्री हुआ तो जातक के पास निश्चित तौर पर एक से ज्यादा वाहन और मकान होगा ही ।।।

पंचमेश वक्री हुआ तो एक से ज्यादा संतान एक से ज्यादा प्रेम संबंध एक से ज्यादा  एजुकेशन की डिग्री होगी ।।

लग्नेश वक्री हुआ तो दीर्घायु होगा, अष्टमेश वक्री हुआ तो मौत के मुंह से भी बच जाएगा, और पुनर्जीवन की प्राप्ति होगी और दीर्घायु भोगेगा ।।।

धनेश और लाभेश वक्री हुआ तो एक से ज्यादा आय के साधन होंगे।।

भाग्येश वक्री हुआ तो बारंबार भाग्योदय होगा ।।

सप्तमेश वक्री हुआ तो एक से ज्यादा विवाह होने की संभावना रहेगी ।।

दशमेश वक्री हुआ तो नौकरी  बार-बार बदलेगा ।।

या संभवतः नौकरी के साथ-साथ साइड इनकम के तौर पर व्यापार भी हो ।।

बुद्ध का संबंध व्यापार से है और बुध का मूल स्वभाव ही व्यापार करना है,  और बुध वक्री हुआ तो जातक व्यापार के नए-नए आइडिया बताएगा या बिज़नेस ट्रेनर होगा ।।

मंगल का मूल स्वभाव फुर्तीला जीवन, बगैर आलस के बिजली की फुर्ती , जातक क्रोधी स्वभाव का होता है ।।

मंगल अगर वक्री हुआ तो जातक मंगल के मूल गुण को खो देता है यानी वह अत्यधिक धैर्यवान होता है ।।

वक्री ग्रह पर आज इतना ही ...

Er. Bibhash Mishra

Research Scholar

Astrologer Consultant

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