Thursday 1 February 2018

अध्यातिमक परिर्वतन द्धारा ही युवा वर्ग कुरीतयो का अंत कर सकता है

Thu, Feb 1, 2018 at 11:08 AM
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्धारा होटल महल  में संगीत मई भजन संधया का आयोजन किया गया

लुधियाना: 31 जनवरी 2018: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::
हमारी सनातन पद्धति को निभाते हुए श्री  रजनीश धिमान (बी.जे.पी सैकरेटरी लुधियाना), ज्ञान चनद शरमाजी के द्वारा ज्योति को प्रज्जवलित  किया गया। जिसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के परम शिष्य साध्वी गरिमा भारती जी ने अध्यातम की जानकारी देते हुए समुह को संबोधित किया कि आज इंसान ने संसार की हर बुलंदी को छुआ है। चाहै वह विज्ञान का जगत हो या फिर राजनीतिक जगत। पर इन बुलंदीयो को प्राप्त कर लेना ही जीव की असल प्राप्ति नही है। कयोकि इन सभी का सबंध अध्यातिमक जगत से है। कयोकि अध्यातम को जाने बिनां इंसान का जीवन अपूर्ण है। जब इंसान अध्यात्म की शरण में जाता है तो उसके जीवन में आंतरिक बदलाव आता है। बाहर से जीव जितना भी बदल जाए कितनी भी उन्ती कयो न कर लें। यदि उसने अपने आप को नही बदला, अच्छाई को अपने भीतर आरोपित नही किया। तब तक वह असली जीत को हासिल नही कर सकता और यह बदलाव एक पुर्ण संत की शरण में जाकर ही हासिल हो सकता है।  
           आगे साध्वी जी ने बताया कि जैसे अंगुलीमार डाकू अपने जीवन में पाप करने के लिए चाहे कितना दृढ संकलपी था पर उसके जीवन को सही दिशा तब ही मिली, जब उसके जीवन में भगवान बुद्ध जी का आगमन हुआ। कयोंकि बुद्ध जी ने ऊंगलीमार के जीवन में अध्यातिमक परिर्वतन किया। जिसके कारण वह डाकु से भकत बन गया। संसार में अनेक प्रकार की क्रांतियां अनेक प्रयासों के द्धारा की जाती हैं। अध्यातिमक क्रांति केवल पुर्ण संत के द्धारा ही संभव है। सत्संग में जाकर इंसान की सोच परिवर्तित होती है और जो इंसान सोचता है वही उसके कर्म में दिखाई देता है और कर्म के आधार पर ही इंसान की आसतित्व निरधारित होता है। सत्संग में ही इंसान की हैबानीयत या बुराई भरी सोच को परिवर्तत करके अच्छाई में तबदील किया जाता है।  
           आगे साध्वी जी ने कहा कि आज समाज में जो सबसे बढी समस्या है वह है युवा वर्ग में नशे की समस्या नशे की बढती हुई लत। समाज का प्रत्येक वर्ग इस गंभीर बिमारी से जुझ रहा है। आज यदि इस समस्या को नियंत्रण ना किया गया तो इसके बहुत ही कुप्रभाव हमारे समाज को देखने को मिलेगे। एक मात्र सत्संग ही ऐसा माध्यम है जो युवा वर्ग को उस की वास्तविक पहचान करा सकता है। 
          इसी अवसर पर विशेष रूप में स्वामी प्रकाशानंद, स्वामी गुरु कृपा नंद, ने अपनी अपस्थित दी