Saturday 9 October 2021

पांचवां विशाल भगवती जागरण आज

साडी आवाज नवी सोच ग्रुप की ओर से  कराया गया विशेष आयोजन        

लुधियाना: 9 अक्टूबर 2021: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्ज़)::

मौसम में तब्दीली की दस्तक होते ही सुबह और शाम के वक्त सर्दियों की ठंडक भी महसूस होनी शुरू हो गई। गर्मियों के झुलसा देने वाली धुप से राहत बहुत अच्छी लग रही है। साथ ही त्योहारों का मौसम भी आ गया है। जागरण के आयोजन भी ज़ोर पकड़ने लगे हैं। मां की ज्योति को लोग बहुत ही आस्था से ले आकर आते हैं। बहुत ही श्रद्धा से नतमस्तक होते हैं। अपने घरों में फेरी डलवाते हैं। फिर स्थापना करते हैं। जागरण के वक्त सभी लोग पूजन और कीर्तन करते हैं। आज ऐसा ही एक यादगारी आयोजन होने जा रहा है समराला चौंक क्षेत्र के नज़दीक। 

साडी आवाज नवी सोच ग्रुप की ओर से पांचवां विशाल भगवती जागरण महाराजा रणजीत सिंह पार्क गली नंबर-5 शिंगार सिनेमा रोड पर बड़ी धूमधाम से करवाया जा रहा है। जागरण के उपलक्ष में आज महामाई की जोत ज्वाला जी से लाई गई। महामाई की ज्योत को ढोल नगाढों और बैंड बाजों के साथ महामाई के जागरण स्थल पर लाया गया। इस ज्योति का गली मोहल्ला निवासियों की ओर से पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। आज रात्रि जागरण में टी सीरीज गायक सुनील हीर एंड पार्टी और मीनू चावला एंड पार्टी द्वारा महामाई का गुणगान किया जाएगा। इस अवसर पर ग्रुप के मनमोहन कुमार , रोबिन सिंगला , गौरव गुप्ता , मन्नू , मोहित कुमार , विक्की आहूजा , संजय सूद आदि उपस्थित थे। इलाके के लोगों में इसे लेकर बहुत ही उत्साह है। 

आप भी आमंत्रित हैं इस जागरण में। आएं और जागरण में नतमस्तक हो कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करें। मां की कृपा और मां का प्रसाद ज़िंदगी भी बदल देते हैं और किस्मत की लकीरें भी। इसलिए आना न भूलें। स्वयं भी आएं। परिवार को भी लाएं। पड़ोस को भी बताएं। मिलजुल कर प्रेम के साथ दिल से आवाज़ देते हुए जय माता दी गाएं और गम को और दूर भगाएं। बहुत कुछ मिलेगा मां के दरबार से। बस आ कर ज़रा सिर तो झुका कर देखें। एक जैकारा तो लगा कर देखें। मां खुशियों से झोली भर देगी। 

Tuesday 5 October 2021

उन्होंने मेरे जीवन को कीर्तन से भर दिया--चरणजीत सिंह हीरा

Sunday 3rd October 2021 10:17 PM

स्मृतियों के झरोखों से झांकते हुए जोधपुरी जी के अंर्तमन की झलक

सोशल मीडिया: 5 अक्टूबर 2021 (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::


जिन दिनों कॉलर टयून, हैलो टयून, रिंग टोन जैसे रिवाज नए नए चले थे उन दिनों गीतों का बोलबाला था। फिर धीरे धीरे भजन भी आए। गुरुबाणी शब्दों सेट हुआ था भाई सुरिंदर सिंह जोधपुरी जी के शब्दों से। सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हुआ था उनका गया शब्द "हरि जीउ निमाणिआ तू माणु---" जब कठिन वक्त अत है। मुसीबतें आती हैं तब सबसे पहले वही लोग छोड़ जाते हैं जिन पर सबसे से ज़्यादा गहरा विश्वास और प्रेम होता है। दुनिया जब नकार देती है तन मन की पीड़ा और बढ़ जाती है---उस समय यह शब्द भी बहुत हौंसला देता है और भगवन के साथ जोड़ता है। गुरु के कीर्तन को घर घर पहुँचाने वाले भाई सुरिंदर सिंह जोधपुरी जी ने अपने परिवार सहित खुद भी बहुत सी मुसीबतों का सामना किया। अफ़सोस उन की कुर्बानियों की कभी चर्चा नहीं हुई। वह स्वयं भी भगवन के रंग में मगन रहने वाले थे। बहुत कुछ था जो उनके साथ चला गया लेकिन कीर्तन का अनमोल खज़ाना, अपने गायन की अनमोल निधि वह चरणजीत सिंह हीरा जी को दे गए। उन्होंने एक आलेख फेसबुक पर भी पोस्ट किया तीन अक्टूबर 2021 की रात्रि को 10:17 पर। यह आलेख जोधपुरी जी के उस अंतर्मन की थोड़ी सी झलक देता है जिसकी चमक उनके चेहरे पर सदैव रही। स्वार्थों भरी दुनिया में उनकी मासुमियत भी बरकरार रही। एक दिव्यता उनकी शख्सियत में थी। पढ़िए आप स्वयं ही पढ़िए चरणजीत सिंह हीरा जी की वह पोस्ट। जिनमें कीर्तन की बात के साथ साथ इस रूहानी मिलन की बातें भी हैं। जो बताती हैं कि आजकल भी ऐसे मिलन होते हैं। --रेक्टर कथूरिया

इस वीडियो में है अंतिम संस्कार के कार्यक्रम की कुछ यादें, कुछ तस्वीरें, कुछ वीडियो क्लिप। यही है आजकल यादों को संभालने का सिलसिला। 

अगर किसी ने जोधपुरी जी का कीर्तन सुनने के रस लिया हैं। तो मैंने उस कीर्तन करने का स्वाद चखा है।
मैंने उनका ज़हन पिया है। उनकी चेतना की गहराइयों को जाना है जिससे कीर्तन उत्पन्न होता है। वो गहराई जहां भीतर का अनंत आकाश शुरू होता है।
इसलिए मुझे किसी और का कीर्तन बहुत पसंद नहीं है।
उन्होंने मेरे जीवन को कीर्तन से भर दिया। कीर्तन-मय कर दिया।
चरणजीत सिंह हीरा 
जो भी राजनीति या सांसारिक कारण से उनके साथ रहे हैं। भले वह बाहर बाहर ही रहे पाए लेकिन मुझे खुशी है कि मैं उनके साथ उनके अंदर की इतनी गहराई से जुड़ा।
1995-96 के आसपास जब हम उन्हें फ़ोन करते थे। जब कभी भी वह दिल्ली में मॉडल टाउन के पास किसी एक भारी शरीर वाले गुरसिख के घर पर ठहरते थे।
फोन पर वे मुझे मज़ाक में चिढ़ाते थे, "की हाल है Mr. हीरा आंनद गुणी गहिरा ?" शायद मजाक में ही सही मुझे वह कीर्तन का वरदान दे गए।
उन दिनों में ही मैंने कीर्तन करना थोड़ा थोड़ा इज़ात कर लिया था। रकाब गंज गुरुद्वारा में मेरे पिता जी ने उनसे कहा कि यह भी कीर्तन भी लेता है। ओर आपके शब्द गाता है।
और उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा, "बेटा, तुम्हें बहुत मेहनत करनी है, बहुत मेहनत करनी है।"
और एक बार रेलवे कॉलोनी रानी बाग में उनका कीर्तन हुआ। और कीर्तन के बाद, उनसे बात करते हुए, सहज में अपने हाथ को बातों बातों में ऊपर कर रहे थे और मैं अपना हाथ नीचे कर रहा था । मेरे हाथ में जेल पेन था । जो उनके हाथ में ज़ोर से लगा।
एक बार जब हम जगाद्री कीर्तन दरबार में मिले, तो मैं उनके पैर छूने लगा तो उन्होंने मेरे कंधे पकड़ लिए और कहा, "चलो, अच्छा है, कोई तो मुझे गाने वाला हुआ।"
उनके साथ मेरा रिश्ता इतना गहरा है कि या तो वे जानते थे या मैं। इस कीर्तन दात के लिए मुझे चुनने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। अंदर ही अंदर सारा हस्तांतरण कर दिया।
मुझे इतना अपना बनाने के लिए धन्यवाद। इतना अपना जो दूसरों को कभी नहीं पता नही चल पाएगा।
बिछड़ी रूह को कोट कोट नमन एवं श्रद्धांजलि।
चरणजीत सिंह "हीरा"