Wednesday 21 September 2016

हमें अपने संस्कारों तथा रीति-रिवाजों को महत्व देना चाहिए

सभ्यता तथा संस्कृति के प्रति स्वाभिमान सिखाते ठाकुर दलीप सिंह 
हमारा देश भारत महान है।इसकी सभ्यता और संस्कृति भी महान है इसलिए हमें अपने देश के प्रति स्वाभिमान होना चाहिए। सबसे पहले तो हमारे देश का नाम इंडिया या हिंदुस्तान नहीं बल्कि भारत है जो कि भरत नाम के प्रतापी और महान राजे के नाम पर रखा गया है। अन्य नाम तो विदेशियों द्वारा रखे हुए नाम है इसलिए हमें अपने देश के नाम भारत पर गर्व होना चाहिए कि हमारे देश जैसा कोई और देश हो ही नहीं सकता।
        इसी तरह सभी को अपनी-अपनी मातृभाषा का प्रयोग ही ज्यादा करना चाहिए। हमारी मातृभाषा हमारी अपनी माँ है। इसलिए हमें अपनी भाषा पर स्वाभिमान होना चाहिए। हमारी भाषा की विशेषता यह भी है की इसमें अंग्रेजी से ज्यादा अक्षर व शब्दावली हैं, अतः हमारी भाषा ज्यादा अमीर है। इसलिए अपनी भाषा पर गर्व करते हुए हमें दैनिक जीवन में, आपस में वार्तालाप करते समय Father , Mother , Brother, Sister , Uncle ,or Aunt की जगह; माता जी, पिता जी, वीर जी, बहन जी, चाचा जी, चाची जी, मामा जी, मामी जी, इत्यादि शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए जो कि ज्यादा प्यार व स्नेह के सूचक हैं। इसके अलावा आपस में एक दूसरे को मिलने पर नमस्ते, सत श्री अकाल या फतहि आदि बुलानी चाहिए। जो हमें हाथ जोड़ना ,एक दूसरे के चरण स्पर्श करना तथा सत्कार करना सिखाती है।हाथ मिलाना  हमारे संस्कारों में नहीं आता। वैसे भी एक दूसरे से हाथ मिलाने से शरीर में कीटाणु फैल सकते हैं। 
         शिक्षा की नींव भी हमारे देश में ही सबसे पहले रखी गई। गणित की शिक्षा ,योगा , आयुर्वेद जैसी शिक्षाएं भारत की ही देन है.
       अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व करते हुए हमें स्वदेशी प्रथा अर्थात अपने ही रीति -रिवाजों को अपनाना चाहिए। जैसे यदि हम अपने जन्म दिन मनाते हैं,तो उस अवसर पर हमें एक दूसरे को शुभ कामना हैप्पी बर्थडे तो यू कह कर नहीं," जन्म दिन की बधाई हो" कह कर देनी चाहिए।इसके अलावा हैप्पी बर्थडे टू यू गाने के बजाय गुरबाणी का शबद पुता माता की आसीश पढ़ना चाहिए,जिससे सतगुरु जी की खुशियां तथा कृपा प्राप्त होगी। इसी तरह जो हम केक काटने की परम्परा को अपना चुके हैं उसकी जगह कड़ाह प्रसाद बनाकर प्रसाद के रूप में दिया जा सकता है। यदि हमें काटकर ही कहना है है तो करद या चाकू की जगह किरपान का प्रयोग कर सकते हैं ,जो कम से कम हमारे संस्कारों में तो शामिल है। विशेष बात यह है कि क से केक, क से कड़ाह प्रसाद, क से करद और के से ही किरपान होती है। 
       अतः हमें अपने ही संस्कारों तथा रीति-रिवाजों को ही महत्व देना चाहिए तथा इन सब के प्रति हमारे अंदर स्वाभिमान की भावना होनी चाहिए।            (श्री ठाकुर दलीप सिंह जी के प्रवचनों में से)
द्वारा: प्रिंसिपल राजपाल कौर : 90231-50008,  ईमेल: rajpal16773@gmail.com

Tuesday 20 September 2016

सद्भावना से ही मिलेगा राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा

भाजपा नेता सतपाल महाराज ने किया लोगों की मंत्रमुग्ध 
हरिद्वार: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो): 
अब जबकि अलगाव और भेदभाव का जोर लगातार बढ़ रहा है उस नाज़ुक हालात में एक बार फिर सौहार्द की आवाज़ आई है हरिद्धार से। भाजपा नेता सतपाल महाराज ने एक आयोजन में कहा कि सद्भावना से ही राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसी से हम देश को मजबूत बना सकते हैं। वह मंगलवार को अपने जन्मदिन के मौके पर श्रीप्रेमनगर आश्रम में आयोजित दो दिवसीय सद्भावना सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी का परिचय उसके नाम से होता है, वैसे ही प्रभु का परिचय अंत:करण में प्रभुका नाम लेने और जानने से होता है। प्रत्येक देशवासी को देश के सर्वागीण विकास के लिए अपना बहुमूल्य योगदान देना होगा। इस अवसर पर लोगों ने उन्हें मंत्रमुग्ध हो कर सुना। 

स्वच्छता का भी दिया संदेश
सतपाल महाराज ने कहा कि भारत में कई जगह भारी मात्रा में कूड़ा जमा होकर दुर्गध व रोगों को फैलाता है, जो वातावरण व हमारे स्वास्थ्य लिए खतरा बना है। हमे कूड़े की रिसाइकिलिंग की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इस वैज्ञानिक सन्देश से पीढ़ी बेहद प्रभाविर हुई। युवक युवतियां उन्हें बहुत ध्यान से सुनते देखे गए। 
राज्य से पलायन पर जताई गहन चिंता 
सतपाल महाराज ने राज्य से हो रहे पलायन पर गहरी जताई।  उन्होंने कहा कि राज्य देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित है। यहां विकास न होने से क्षेत्रीय जनता को यातायात, स्वास्थ्य, शिक्षा की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इस कारण लोग पलायन कर रहे हैं। इससे पहले कार्यक्रम में सतपाल महाराज और अमृता रावत का माला पहना कर स्वागत किया गया। भजन कलाकारों ने देशभक्ति से ओत-प्रोत भजन प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन हरिसंतोषानंद ने किया। भक्ति संगीत और मौजूद हाल की चर्चा का यह मधुर संगम यादगारी रहा।