Monday 30 March 2020

कोरोना और कर्फ्यू:बहुत जल्द सब ठीक हो जायेगा-लेकिन ध्यान रखिये

तब तक तन और मन दोनों की शक्ति बढ़ाते रहिये 
मोहाली: 30 मार्च 2020: (पुष्पिंदर कौर//आराधना टाईम्ज़)::
लुधियाना:पुराने डीएमसी अस्पताल के निकट लाडी शाह जी के दरबार की तस्वीर
जब मन बेबस सा हो जाये तो भगवान याद आते हैं। धर्म स्थल भी बंद हैं लेकिन फिर भी आजकल लोगों की आस्था लगातार बढ़ रही है। बहुत से लोगों से पूछा आज कल क्या कर रहे हो घर बैठे तो ज़यादातर लोगों का जवाब था पाठ कर रहे हैं। शायद कभी भी ऐसा समय पहले नहीं आया कि नवरात्र में मंदिर बंद हो गए हों। शहीद भगत सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित करने हों तो आसपास के शहीदी स्मारक बंद नज़र आएं। एक बारगी तो कोरोना ने सभी एक दुसरे के बराबर कर दिए है। सभी को कोरोना डर पूरो शिद्द्त से शता रहा है। जिनकी कहीं न कहीं आस्था है वे लोग फिर भी काफी शांत हैं। उनको यकीन है कि जल्द ही भगवान कोई करिश्मा दिखाएंगे। कोरोना का कहर जल्द ही शांत होगा। जैसे पर्यावरण का प्रदूषण हट गया है वैसे ही दिल, दिमाग और मन के प्रदूषण भी हट जायेंगे। कोरोना ने सभी को इतना अकेला ज़रूर कर दिया है की सब खुद के अंदर झाँक सकें। खुद के बारे में खुद की बात कर सकें। 
अकेलापन शायद बुरा भी हो सकता है लेकिन एकांत तो बहुत ही रचनत्मक बना देती है।  कुछ ऐसा ही हुआ लगता है लुधियाना स्थित पत्रकार और शायर रेक्टर कथूरिया के साथ। फोन करके पूछा तो पता चला कि हाल ही में कुछ तस्वीरें खींचने के लिए बाहर निकले थे। फिर घर में बैठे शायरी करने लगे। कुछ किताबें भी पढ़ीं। जिन्हें आप देख रहे हैं यह हाल ही की तस्वीरें हैं और शेयर भी ताज़ा ही लिखा है। 
एक तस्वीर है लुधियाना के पुराने डीएमसी अस्पताल के नज़दीक स्थित लाडी शाह जी के दरबार की जहां लोग अपने मन की मुरादें पूरी कराने के लिए मन्नतें मांगते हैं। लोगों का कहना है कि उनकी मुरादें पूरी भी होती हैं। नंगे पाँव आते है युवा लड़के और लड़कियां। नव विवाहित जोड़े। दरबार में आ कर लम्बे समय तक आँखें बंद करके बैठते हैं। उस वक़्त उनके चेहरे पर एक अलग किस्म का सकून नज़र आता है। यह तस्वीर 19 मार्च 2020 को खुद रेक्टर कथूरिया ने ही क्लिक की। 
इसके बाद शुरू हुआ लॉक डाउन का सिलसिला और फिर कर्फ्यू।  रेलवे स्टेशन के एक नंबर प्लेटफार्म और ान प्लेटफार्मों को जोड़ने वाले पुल की तस्वीरें भी आज के समय की उदासी और बेबसी को दर्शाती हैं। आजकल का ज़्यादा समय किताबें पढ़ने और ब्लॉग लिखने में गुज़रता है। ज़रूरी लगे तो कभी कभार कवरेज के लिए भी निकलना पढ़ता है लेकिन बहुत ही आवश्यक हो तो। उनका भी कहना है कि सरकार का कहा मानने में ही भलाई है हम सभी की। कोरोना से बचने का यही एक तरीका है। घर में रहना आवश्यक हो गया है। जो घरों में रहेंगे वही बचेंगे।  

Thursday 26 March 2020

इच्छापूर्ति वॄक्ष आपके पास भी है

चाहो तो आज ही पा लो--लेकिन साधना तो करनी ही होगी 
चर्चा-विचार चर्चा और नए पहलू: 26 मार्च 2020: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::
आप ने इच्छापूर्ति वृक्ष की कहानी सुनी है? जीवन की विकट स्थितियों पर नियन्त्रण पाने के बहुत ही गहरे रहस्य हैं उसमें। सुना है एक घने जंगल में एक इच्छापूर्ति वृक्ष था, उसके नीचे बैठ कर कोई भी इच्छा करने से वह तुरंत पूरी हो जाती थी। किसी को भी इसका एतबार न होता लेकिन थी यह एक हकीकत। 
यह बात बहुत कम लोग जानते थे..क्योंकि उस घने जंगल में जाने की कोई हिम्मत ही नहीं करता था। इसलिए इस लिए इस हकीकत को बहुत ही कम लोग जानते थे लेकिन बिना जानने इसे मानने वालों की संख्या भी कम न थी। इस तरह यह एक किवदन्ती भी बन गयी। 
इन्हीं कहानियों के बीच एक बार संयोग से एक थका हुआ व्यापारी उस वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए बैठ गया उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी नींद लग गई। उस पेड़ के नीचे सपने भी बहुत सुंदर आये। उस दिन नींद भी बहुत अच्छी आई। जाग खुली तो आत्मविश्वास भी पहले से ज्यादा था और मूड भी बहुत अच्छा। लेकिन भूख कहाँ टिकने देती है यह सब? जागते ही उसे बहुत भूख लगी,उसने आस पास देखकर सोचा- 'काश !
कुछ खाने को मिल जाए ! तत्काल स्वादिष्ट पकवानों से भरी थाली हवा में तैरती हुई उसके सामने आ गई।
व्यापारी ने भरपेट खाना खाया और भूख शांत होने के बाद सोचने लगा..काश कुछ पीने को मिल जाए..तत्काल उसके सामने हवा में तैरते हुए अनेक शरबत आ गए। यह तो कमाल हो गया था।  यकीन ही नहीं हो रहा था। कभी कभी सुख का भी यकीन नहीं होता। आनन्द भी हो तो भी सपना ही लगने लगता है। 
इस तरह का मीठा शरबत पहले कभी न पिया था। शरबत पीने के बाद वह आराम से बैठ कर सोचने लगा-कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं। दिल में आशंका अपना घर बनाने लगी। शक उठने शुरू हो गए। शक के साथ ही मनोस्थिति भी बदलने लगी। 
वह हैरान था।  बेहद हैरान। हवा में से खाना पानी प्रकट होते पहले कभी नहीं देखा था-न ही सुना था।  उसे लगा जरूर इस पेड़ पर कोई भूत रहता है जो मुझे खिला पिला कर मोटा ताज़ा कर रहा है और बाद में मुझे खा लेगा। मन में उठी आशंका विकराल रूप लेने लगी। हम से बहुतों के साथ यही तो होता है। बस ऐसा सोचना ही था कि तत्काल उसके सामने एक भूत आया और उसे खा गया। उसे हैरान होने और सवाल पूछने का भी मौका नहीं मिला। देखते ही देखते वह वर्तमान से अतीत बन गया। अक्सर हममें से अधिकांश की जिंदगी के साथ यही तो होता है। सारी उम्र खत्म हो जाती है लेकिन हम ज़िंदगी को पहचान ही नहीं पाते। नकारत्मक विचरों की भीड़ में हम अपना हर सकारत्मक गुण गंवा बैठते हैं। सब कुछ लुटा के होश में आते हैं लेकिन उस समय कुछ सम्भव ही नहीं होता। 
इच्छापूर्ति वृक्ष और भूत के इस प्रसंग से भी आप यह सीख सकते है कि हमारा मस्तिष्क ही इच्छापूर्ति वृक्ष है आप जिस चीज की प्रबल कामना करेंगे वह आपको अवश्य मिलेगी। यह बात शत प्रतिशत सही है। इसलिए कोई इच्छा भी करना तो बहुत ही सोच समझ कर ही करना वरना खुद के जाल में ही उलझ कर रह जाओगे। 
यही वजह है कि अधिकांश लोगों को जीवन में बुरी चीजें इसी लिए मिलती हैं क्योंकि वे बुरी चीजों की ही कामना करते हैं। जाने या अनजाने वे इन नैगेटिव विचारों से ही घिरे रहते हैं। इन नैगेटिव विचारों से उनके कर्म हबी भी नैगेटिव ही होते चले जाते हैं। इस पर वे खुद को नहीं सुधारते बस किस्मत को कोसते हैं जिसका कोई कसूर ही नहीं होता। किस्मत तो उनको भी बहुत कुछ दे रही थी लेकिन उन्होंने बुरा ही चुना। 
ऍम इन्सान की रोज़ की ज़िंदगी पर ज़रा एक नजर तो डालो। इंसान ज्यादातर समय सोचता है-कहीं बारिश में भीगने से मै बीमार न हों जाँऊ..और वह बीमार हो जाता हैं..! यह सब तकरीबन हर रोज़ होता है। इसी तरह बार बार इंसान सोचता है - मेरी किस्मत ही खराब है .. और उसकी किस्मत सचमुच खराब हो जाती हैं ..! उसके हाथ में आये बहुत से सुनहरी अवसर झट से निकल जाते हैं। इस तरह आप देखेंगे कि आपका अवचेतन मन इच्छापूर्ति वृक्ष की तरह आपकी इच्छाओं को ईमानदारी से पूर्ण करता है..! आप क्या पाना चाहते हैं यह आप ने ही फैसला करना है। इसलिए आपको अपने मस्तिष्क में विचारों को सावधानी से प्रवेश करने की अनुमति देनी चाहिए। यदि गलत विचार अंदर आ जाएगे तो गलत परिणाम मिलेंगे। विचारों पर काबू रखना ही अपने जीवन पर काबू करने का रहस्य है..! इसके बाद ही शुरू होता है विजय या पराजय का सिलसिला। आपके विचारों से ही आपका जीवन या तो.. स्वर्ग बनता है या नरक..उनकी बदौलत ही आपका जीवन सुखमय या दुख:मय बनता है...।
यह बहुत बड़ा सत्य है कि वास्तव में विचार जादूगर की तरह होते है जिन्हें बदलकर आप सचमुच अपना जीवन बदल सकते है।  इसलिये सदा सकारात्मक सोच रखें। यदि आप अच्छा सोचने लगते है तो पूरी कायनात आपको और अच्छा देने में लग जाती है। इसलिए देरी मत कीजिये। आज ही कीजिये विचारों में परिवर्तन और पाईये मन चाही मुराद। 

Monday 23 March 2020

31 मार्च तक बंद रहेगी जामा मस्जिद दिल्ली में

Monday 23rd March 2020 at 18 :45 
कोरोना न फैले--इसलिए उठाया महत्वपूर्ण कदम 
नयी दिल्ली: 23 मार्च 2020: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::
कोरोना कहर का सामना करने के लिए अब धार्मिक संगठन भी खुल कर सामने आ रहे हैं। कोरोना से बचाव के लिए शुरू लॉक डाऊन को सफल बनाने के लिए धार्मिक स्थलों के प्रबंधन भी महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। 
दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद कोरोना वायरस महामारी की वजह से नमाज़ियों के लिए 31 मार्च तक बंद रहेगी। लोगों को अपने अपने घरों में नमाज़ अदा करने को कहा गया है। जामा मस्जिद के इस कदम से कोरोना को हराने में काफी मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि ज़्यादा  कोरोना को नए शरीर मिलते हैं।
जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने सोमवार को कहा कि बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए एहतियाती उपाय के तहत इस बाबत फैसला लिया गया है, क्योंकि विदेश से लौटने वाले कई लोग मस्जिद में नमाज़ अदा करने आते हैं।  बुखारी ने कहा कि इस दौरान मस्जिद में अज़ान तो होगी लेकिन मस्जिद में लोगों को नमाज़ अदा करने की इजाजत नहीं होगी। ऐसा करने से बहुत बड़ी भीड़ जमा मस्जिद में नहीं पहुंचेगी। लोग एक जगह एकत्र नहीं होंगें। गौरतलब है कि यहाँ नमाज़ियों के एकत्र होने क्षमता बहुत बड़ी है। 
इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनवाई गई मस्जिद में रोजाना करीब दो हजार लोग नमाज पढ़ते हैं जबकि जुमे (शुक्रवार) को यह तादाद 10,000 के पार चली जाती है। इसलिए जमा मस्जिद के इस फैसले से बचाव अभियान को बाउट बड़ी सफलता मिलेगी। 
इस संबंध में विवरण देते हुए शाही इमाम बुखारी ने कहा कि एहतियाती उपाय के तहत हम नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिद को 31 मार्च तक बंद कर रहे हैं। हमने लोगों से अपील की है कि वे इस दौरान अपने घरों में ही नमाज़ पढ़ें। इस फैसले से नमाज़ी लोग निश्चय ही भीड़ में नहीं जायेंगे और  घरों के एकांत माहौल में नमाज़ अदा करेंगे। लुधियाना में स्थित जमा मस्जिद के शाही इमाम (पंजाब) पहले ही इस संबंध में अहम एलान कर चुके हैं।
पंजाब स्क्रीन हिंदी में भी पढ़िए यही खबर
कर्फ्यू के दौरान छूट अब बुधवार 25 मार्च को ही मिलेगी

Read in Punjab Screen English also
Curfew Relaxation Starts From 25th March Wednesday

ਪੰਜਾਬ ਸਕਰੀਨ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਵੀ ਪੜ੍ਹੋ ਇਹੀ ਖਬਰ 
ਕਰਫਿਊ ਦੌਰਾਨ ਖੁੱਲ੍ਹ 25 ਮਾਰਚ (ਬੁੱਧਵਾਰ) ਤੋਂ ਹੀ ਮਿਲੇਗੀ

Sunday 15 March 2020

पूरी तरह वैज्ञानिक हैं हवन के फायदे

Saturday: 14th March 2020 at 09:52 PM  
अब विज्ञान ने भी पूरी बारीकी से परख कर देख लिया 
हवन के लिए तैयारी की यह तस्वीर सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की एक शाखा में हुई पूजा के दौरान आराधना टाईम्ज़ द्धारा ली गयी थी
कुछ लोग विदेश में रह कर भी स्वदेश से प्रेम बनाये रखते हैं। अपने धर्म और संस्कृति को दिल और दिमाग में संजोये रखते हैं।  मधु गजाधर भी ऐसे अनमोल लोगों में से एक हैं। हवन पर उनका एक खोजपूर्ण आलेख हम यहां आराधना टाईम्ज़ के पाठकों के लिए भी दे रफ़हे हैं। आशा है आपको अच्छा लगेगा। इस पर आपके विचारों की इंतज़ार रहेगी ही। -रेक्टर कथूरिया 
सोशल मीडिया//फेसबुक: 14 मार्च 2020: (*मधु गजाधर//आराधना टाईम्ज़)::
फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमे उन्हें पता चला की हवन मुख्यतः आम की लकड़ी पर किया जाता है। जब आम की लकड़ी जलती है तो फ़ॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है जो की खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओ को मारती है तथा वातावरण को शुद्द करती है। इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिकों को इस गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला। गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है।
(२) टौटीक नामक वैज्ञानिक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में ये पाया की यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाये अथवा हवन के धुएं से शरीर का सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है।
(३) हवन की महत्ता देखते हुए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस पर एक रिसर्च की क्या वाकई हवन से वातावरण शुद्द होता है और जीवाणु नाश होता है अथवा नही. उन्होंने ग्रंथो. में वर्णित हवन सामग्री जुटाई और जलाने पर पाया की ये विषाणु नाश करती है। फिर उन्होंने विभिन्न प्रकार के धुएं पर भी काम किया और देखा की सिर्फ आम की लकड़ी १ किलो जलाने से हवा में मौजूद विषाणु बहुत कम नहीं हुए पर जैसे ही उसके ऊपर आधा किलो हवन सामग्री डाल कर जलायी गयी एक घंटे के भीतर ही कक्ष में मौजूद बॅक्टेरिया का स्तर ९४ % कम हो गया। यही नही. उन्होंने आगे भी कक्ष की हवा में मौजुद जीवाणुओ का परीक्षण किया और पाया की कक्ष के दरवाज़े खोले जाने और सारा धुआं निकल जाने के २४ घंटे बाद भी जीवाणुओ का स्तर सामान्य से ९६ प्रतिशत कम था। बार बार परीक्षण करने पर ज्ञात हुआ की इस एक बार के धुएं का असर एक माह तक रहा और उस कक्ष की वायु में विषाणु स्तर 30 दिन बाद भी सामान्य से बहुत कम था। 
यह रिपोर्ट एथ्नोफार्माकोलोजी के शोध पत्र (resarch journal of Ethnopharmacology 2007) में भी दिसंबर २००७ में छप चुकी है।
रिपोर्ट में लिखा गया की हवन के द्वारा न सिर्फ मनुष्य बल्कि वनस्पतियों फसलों को नुकसान पहुचाने वाले बैक्टीरिया का नाश होता है। जिससे फसलों में रासायनिक खाद का प्रयोग कम हो सकता है।
क्या हो हवन की समिधा (जलने वाली लकड़ी):-👇
समिधा के रूप में आम की लकड़ी सर्वमान्य है परन्तु अन्य समिधाएँ भी विभिन्न कार्यों हेतु प्रयुक्त होती हैं। सूर्य की समिधा मदार की, चन्द्रमा की पलाश की, मङ्गल की खैर की, बुध की चिड़चिडा की, बृहस्पति की पीपल की, शुक्र की गूलर की, शनि की शमी की, राहु दूर्वा की और केतु की कुशा की समिधा कही गई है।
मदार की समिधा रोग को नाश करती है, पलाश की सब कार्य सिद्ध करने वाली, पीपल की प्रजा (सन्तति) काम कराने वाली, गूलर की स्वर्ग देने वाली, शमी की पाप नाश करने वाली, दूर्वा की दीर्घायु देने वाली और कुशा की समिधा सभी मनोरथ को सिद्ध करने वाली होती है।
हव्य (आहुति देने योग्य द्रव्यों) के प्रकार
प्रत्येक ऋतु में आकाश में भिन्न-भिन्न प्रकार के वायुमण्डल रहते हैं। सर्दी, गर्मी, नमी, वायु का भारीपन, हलकापन, धूल, धुँआ, बर्फ आदि का भरा होना। विभिन्न प्रकार के कीटणुओं की उत्पत्ति, वृद्धि एवं समाप्ति का क्रम चलता रहता है। इसलिए कई बार वायुमण्डल स्वास्थ्यकर होता है। कई बार अस्वास्थ्यकर हो जाता है। इस प्रकार की विकृतियों को दूर करने और अनुकूल वातावरण उत्पन्न करने के लिए हवन में ऐसी औषधियाँ प्रयुक्त की जाती हैं, जो इस उद्देश्य को भली प्रकार पूरा कर सकती हैं।
होम द्रव्य-
होम-द्रव्य अथवा हवन सामग्री वह जल सकने वाला पदार्थ है जिसे यज्ञ (हवन/होम) की अग्नि में मन्त्रों के साथ डाला जाता है।
(१) सुगन्धित : केशर, अगर, तगर, चन्दन, इलायची, जायफल, जावित्री छड़ीला कपूर कचरी बालछड़ पानड़ी आदि
(२) पुष्टिकारक : घृत, गुग्गुल ,सूखे फल, जौ, तिल, चावल शहद नारियल आदि
(३) मिष्ट - शक्कर, छूहारा, दाख आदि
(४) रोग नाशक -गिलोय, जायफल, सोमवल्ली ब्राह्मी तुलसी अगर तगर तिल इंद्रा जव आमला मालकांगनी हरताल तेजपत्र प्रियंगु केसर सफ़ेद चन्दन जटामांसी आदि

उपरोक्त चारों प्रकार की वस्तुएँ हवन में प्रयोग होनी चाहिए। अन्नों के हवन से मेघ-मालाएँ अधिक अन्न उपजाने वाली वर्षा करती हैं। सुगन्धित द्रव्यों से विचारों शुद्ध होते हैं, मिष्ट पदार्थ स्वास्थ्य को पुष्ट एवं शरीर को आरोग्य प्रदान करते हैं, इसलिए चारों प्रकार के पदार्थों को समान महत्व दिया जाना चाहिए। यदि अन्य वस्तुएँ उपलब्ध न हों, तो जो मिले उसी से अथवा केवल तिल, जौ, चावल से भी काम चल सकता है।
सामान्य हवन सामग्री-
तिल, जौं, सफेद चन्दन का चूरा , अगर , तगर , गुग्गुल, जायफल, दालचीनी, तालीसपत्र , पानड़ी , लौंग , बड़ी इलायची , गोला , छुहारे नागर मौथा , इन्द्र जौ , कपूर कचरी , आँवला ,गिलोय, जायफल, ब्राह्मी.
मधु गजाधर मॉरिशियस ब्राडकास्टिंग कार्पोरेशन में मीडिया प्रेसेंटर हैं। लम्बे समय से अपने विचार बहुत बेबाकी से रखती ा रही हैं। हवन पर उनका यह आलेख हम उनके फेसबुक प्रोफाईल से साभार दे रहे हैं।