Saturday 30 December 2023

मोहाली के भक्तों में भी अक्षित कलश यात्रा को लेकर उत्साह

 Saturday 30th December 2023 at 20:19     

मोहाली के वेव एस्टेट वाले फव्वारा चौंक में विशेष आयोजन 

मोहाली30 दिसंबर 2023: (कार्तिका कल्याणी सिंह//आराधना टाईम्स ऑनलाइन)::

श्री राम मन्दिर को लेकर मोहाली में भी भारी उत्साह है। कंप-कंपाने वाली शीत लहर और घने कोहरे के बावजूद भगवान श्री राम जी के भक्तों ने अक्षित कलश यात्रा निकालने की हिम्मत दिखाई है। भगवत कृपा के बिना इस तरह का उत्साह सम्भव ही नहीं। मोहाली के विभिन्न क्षेत्रों के लोग इस यात्रा में सम्मिलत हो कर अपनी हाज़री राम जी के दरबार में लगवाने को उत्सुक हैं। लगता है राम राज्य का समय अब तेज़ी से दस्तक देने लगा है। 

ज़ाहिर है कि श्री अयोध्या में बनने वाले
भगवान श्री राम जी के भव्य मंदिर को लेकर आध्यात्मिक माहौल में तेज़ी आ रही है। राम-मय जन चेतना बेहद तेज़ी से विकसित हो रही है। 

अस्सी के दशक की तरह फिर से सारा पर्यावरण राम-मय होता जा रहा है। इस राम मंदिर की भव्यता के साथ साथ आस्था तेई से बढ़ रही है। लोग इस मकसद के लिए पूजा अर्चना और के लिए तेज़ी से आगे बढ़ कर आ रहे हैं। इसी सिलसिले में के विशेष आयोजन रविवार को रखा गया है। 

मोहाली में अक्षित कलश यात्रा की सफलता के लिए लोग पूरी तरह से उत्साहित हैं। इस मौके पर मीडिया, लेखन और फोटोग्राफी से जुड़े लोगों के लिए भी विशेष निमंत्रण है। इस अवसर पर रचा जाने वाला लेखन और शायरी इत्यादि का भी विशेष इतिहास रचा जा रहा है जिसकी कदर और कीमत आने वाले निकट भविष्य में महसूस होगी। यह इतनी ज़्यादा होगी कि एक नया इतिहास रचा जाएगा। 

जो इस दिव्य आयोजन के अहसासों की अनुभूति सहेजना चाहते हैं उन सभी को सूचित किया जाता है कि 31 दिसंबर 2023 दिन रविवार को मोहाली के वेव एस्टेट सैक्टर 85 एवं 99 के निवासीओ द्वारा वेव एस्टेट के फुवहारा चौक में सुबह 11:00 से 1:00 बजे तक किया जाएगा। आप सभी मीडिया वाले साथी सहयोगी इस कार्यक्रम की ऐतिहासिक कवरेज हेतु सादर आमंत्रित हैं। कृपया समय पर पहुँच कर कार्यक्रम की कवरेज करने की कृपालता करें। इसे मिस करने की गलती मत करें। ऐसे अवसर बार बार कहां आते हैं!

आवश्यकता पड़ने पर भारतीय जनता पार्टी पंजाब के प्रदेश मीडिया सचिव हरदेव सिंह उभ्भा उपलब्ध रहेंगे ही। इन पलों को अपनी कलम और कैमरे में सहेजने वाले लोगों को "आराधना टाईम्ज़" की तरफ से  भी विशेष तौर पर उत्साहित किया जाएगा। 

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Monday 25 December 2023

शनि ने आपकी हर गतिविधि पर मानो सीसीटीवी लगा कर रखी

Sunday 24th December 2023 at 5:45 AM

वही CCTV  का Replay वह साढेसाती के दौरान करवाता है  


ज्योतिष की दुनिया से
: 25 दिसंबर 2023: (बिभाष मिश्रा//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

शनि और आपका जीवन किस तरह संबंधित हैं और किस तरह पड़ता है यह बहुत सरल भी है लेकिन इसे समझना आसान भी नहीं। बहुत जागरूक रहना पड़ता है इन रहस्यों का भेद लिए। इसी मकसद से आज के इस पोस्ट में हम शनि ग्रह के स्वरूप को समझेंगे। 

आपको मालुम भी होगा कि नवग्रह में शनि को न्यायाधीश कहा गया है, शनि नवग्रह में सबसे मंद गति से चलने वाला ग्रह है, इसी वजह से इसका नाम शनिश्चर ... शनै  अर्थात धीरे... चर अथार्त चलने वाला ..यानी धीरे-धीरे चलने वाला॥ 

जातक के जीवन के तमाम कर्मो का लेखा-जोखा शनि के ही पास होता है...! जो परिणाम उसे शनि की महादशा या फिर साढेसाती में नजर आता है।  करता शनि कर्मों का  इन्साफ कर देता। है। 

शनि की महादशा भले ही बहुतो के जीवन में आए ना आए पर साढ़ेसाती अवश्य ही आती है।  बहुत कुछ  सीखा जाते हैं। 

शनि का प्रभाव एक मानव जीवन पर कितना है इसको हम यू समझते हैं-एक जातक के संपूर्ण जीवन में लगभग तीन बार उसे साढेसाती का सामना करना पड़ता है। 

(जब शनि का गोचर जन्म राशि से एक राशि पहले, जन्म राशि पर , और जन्म राशि से एक राशि बाद पर चले)

इसके बाद समय-समय पर ढैया भी आती है। 

(जब शनि का गोचर  जन्म राशि से चतुर्थ और जन्म राशि से अष्टम चले)

इसके बाद शनि की अंतर्दशा और प्रत्यंतर, सूक्ष्मदशा  और प्राणदशा भी है होती है।  

अब अगर शनि की महादशा किसी जातक के पूरे जीवन ना भी चले तो भी...

साढेसाती ...ढैया ...अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्मदशा और प्राण दशा मिला लिया जाए तो मानव के संपूर्ण जीवन पर लगभग 75% पर शनि अपना अधिकार रखता ही रखता है ॥।

अब नवग्रह पर और आपके जीवन पर शनि का क्या प्रभाव है इससे आप बेहतर समझ सकते हैं ॥।

इसलिए कहा जाता है कि आपके तमाम कर्मों का लेखा-जोखा शनि के पास है ...

यानी शनि ने आपकी हर गतिविधि पर मानो सीसीटीवी लगा कर रखी है ॥

और वही CCTV  का Replay वह साढेसाती के दौरान करवाता है  

अब आपकी कुंडली में शनि जिस स्थान का,  जिस जिस भाव का अधिपति है साढेसाती में उससे संबंधित प्रारब्ध को भोग करवाता है

उदाहरण के तौर पर किसी की वृश्चिक लग्न की कुंडली है तो वृश्चिक लग्न की कुंडली में शनि चतुर्थ भाव का स्वामी है तो साढेसाती के दौरान संभवत उसको गृहक्लेश,  मकान संबंधित विवाद या माता संबंधित या चतुर्थ भाव संबंधित तमाम प्रारब्ध को भोगना पड़े ॥।

किसी की कर्क लग्न या सिंह लग्न की कुंडली है तो वहां पर सप्तमेश शनि है तो उसे जीवन साथी, व्यापार संबंधित प्रारब्ध भोगना पड़े ॥।

कलयुग में लोग धड़ल्ले से पाप कर रहे हैं... उनकी सुबह से रात की तमाम गतिविधि ऐसी है... जिसे शनि को सख्त सख्त सख्त नफरत है ....

और शनि धारदार तलवार लिए ...आंखें लाल किए बैठा है ...और   और इंतजार करता है तो बस साढेसाती का...

और जब साढ़ेसाती में शनि की जब हंटर चलती है तो जातक त्राहिमाम त्राहिमाम करता है...

हकीकत में यह उसके ही किए गए कर्मों का फल होता है॥।

वहीं हमने कई जातकों को ऐसे भी देखा है जो साढेसाती में बुलंदी पर होते हैं...

शनि की महादशा चल रही है... शनि की साढ़ेसाती चल रही है पर एक मक्खी तक नहीं हिलता है ...

सवाल है कोई बाल भी बांका कर दे...

क्योंकि शनि जब साढेसाती के दौरान उसे न्याय के कटघरे में खड़ा करता है... तो वह जातक बा इज्जत बरी हो जाता है...

यानी  उसका कोई भी पाप शनि, प्रारब्ध और पहले का किया खराब कर्म शनि  को नहीं नजर आता है ...

तो शनि उसे आशीर्वाद प्रदान करते हैं... और शनि की आशीर्वाद ...

दीर्घायु... दीर्घायु ....दीर्घायु

ध्यान रहे शनि जड़ है ...पेड़ में पीपल सबसे मजबूत है... पीपल की जड़  दूर-दूर तक होती है ... इतना कि कई मकानों के अंदर तक चली जाती है ...शनि की सफलता भी  स्थायित्व होती है और उसकी सफलता कई पुश्ते भोगती है

शनि का प्रारब्ध हो ...या शनि का आशीर्वाद...उसको कई पुश्तों को भोगना पड़ता है

अगर शनि ने आशीर्वाद दिया तो इतना आलीशान मकान देगा जिसको कई वंश उसके सुख को भोगेंगे...

 ऐसी प्रणाली... ऐसी व्यवस्था देगा... जिसको कई पुश्त , दर पुश्त याद रखेंगे... क्योंकि शनि जड़ है और शनि की सफलता में  गजब का स्थायित्व होता है ॥।

शहर की मकान उतनी टिकाऊ नहीं होती... पर गांव का वह पुराना मिट्टी का मकान कई पुश्तों की निशानियां होती है...

वही पुराना मकान शनि है...

तमाम प्रकार के जमीन शनि है... जब शनि बलवान हो तो जातक जमींदार या गांव का मुखिया होता है ॥।

तमाम प्रकार के कोर्ट की न्याय प्रणाली... पुलिस प्रशासन की व्यवस्था...आपके सड़क नालों की साफ सफाई... तमाम प्रकार के न्यायिक प्रणाली पर शनि का अधिकार है ॥॥

खासकर ऐसे जातक जो बहुत ज्यादा दीर्घायु जीवन जीते हैं 100% शनि उनकी कुंडली में बलवान होती है... क्योंकि दीर्घायु शनि ही देता है ॥।

एक सज्जन जिनकी आयु लगभग 93 वर्ष की है... चर्चा के दौरान जब हमने उनसे पूछा तो उन्होंने आज से 50 वर्ष पूर्व अपने जमाने का समय बताया ....

कि उन जमाने में घर में मिट्टी के चूल्हे में रोटियां पकती थी, खेत में सब्जियां होती थी ...सरसों होते थे शुद्ध तेल निकाला जाता था ...और घर का ही भोजन खाया जाता था ...

कढ़ाई वर्ष में केवल दो बार  चूल्हे पर मां चढ़ाती थी...

 होली के वक्त और दशहरा के वक्त ...

यानी वर्ष में केवल चंद दिन  होली... दिवाली... दशहरे ...रक्षाबंधन ...या किसी की जन्मदिन में पूरी और पकवान मां खिलाती थी... और पूरे वर्ष हम सुखी रोटी ही खाते थे... तब जाकर आज 93 वर्षों तक सभी दांत सुरक्षित हैं ॥।

 आज के जमाने में सभी को हर दिन पकवान चाहिए...

 हर दिन बाहर का खाना चाहिए.... घर के खाने रोटी और चावल से बच्चे दूर हो रहे हैं... केएफसी स्विग्गी जोमैटो ने घर के किचन प्रणाली को चौपट कर दिया है...

 तो पेट और शरीर की क्या हालत होगा...

यानी तमाम प्रकार के प्रक्रिया फूड और  कलयुग पर राहु का प्रभाव है जिन्होंने आपके किचन... घर और पेट सबको चौपट कर दिया है ॥।

जबकि पुराने ख्यालात ...सादा खान पान के ऊपर शनि का प्रभाव है जो दीर्घायु जीवन का कारक है ॥॥

ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः

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Friday 22 December 2023

एस्ट्रोलॉजर इंदरप्रीत सिंह खुराना को मिला "राष्ट्र धर्म प्रहरी सम्मान" .

22nd December 2023 at 08:12 AM 

सहारनपुर में हुआ विशेष संत-सम्मेलन का  आयोजन 

श्री बाला जी सेना (भारत) तथा केसरिया जाग्रति वाहिनी के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं श्री खुराना 

प्रसिद्ध समाज सेवक होने के साथ साथ विश्वविख्यात ज्योतिषी होने का भी दावा 

संत श्री कमल किशोर जी ने करवाया सहारनपुर उत्तर प्रदेश में महा संत सम्मेलन

इस सम्मेलन में हुई  वेद, प्राच्या विद्या, आयुर्वेद एवं ज्योतिष की परिचर्चा


सहारनपुर
: (उत्तर प्रदेश):22 दिसंबर 2023: (
आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::

धर्मकर्म और इससे जुडी अन्य विद्याओं को लेकर आयोजनों का सिलसिला जारी है। इसी तरह का एक सम्मेलन सहारन पुर में भी करवाया गया। मुख्य आयोजक आचार्य महा मंडलेश्वर पूजनीय संत श्री कमल किशोर जी महाराज दिव्या शक्ति अखाडा ट्रस्ट (पंजी.) थे। उन्होंने श्री राजन स्वामी जी के साथ मिल कर तीन दिवसीय निशुल्क वेद प्राच्या विद्या एवं संत सम्मेलन का आयोजन 15 ,16 ,17 दिसंबर 2023 को श्री प्राणनाथ ज्ञानपीठ ट्रस्ट नकुड़ रोड ,सरसावा, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश में करवाया।

इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन में पुरे भारत से 200 से ज्यादा ज्योतिषी, आयुर्वेदिक डॉक्टर,समाज सेवक, संत समाज से संत महा पुरुष ,महा मंडलेश्वर ,धार्मिक ,धर्म ,ज्योतिष , आयुर्वेद ,ज्ञान चर्चा ,महा संत सम्मेलन में शामिल हुए। इस अवसर पर धर्म,सामाजिक ,राजनितिक , ज्योतिष के छेत्र में कार्य सेवाएं देने के लिए पंजाब के लुधियाना  शहर के रहने वाले जानेमाने ज्योतिषी व् प्रसिद्ध समाज सेवक इंदरप्रीत सिंह खुराना को " राष्ट्र धर्म प्रहरी सम्मान" दे कर सम्मानित किया गया। 

 इस सम्मान में अंगवस्त्र ,ज्योतिष की किताबों का खास पुरस्कार, सर्टिफिकेट,फूल माला,और बहुत से उपहार दे कर सम्मानित किया गया। गौर तलब है कि इस वक़्त खुराना जी श्री बाला जी सेना (भारत) बरेली उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय सलाहकार, केसरिया जाग्रति वाहिनी भोपाल मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय सलाहकार,पंच तत्व स्पिरिचुअल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट कुरुक्षेत्र हरियाणा के राष्ट्रीय सलाहकार, नक्षत्रा 27 रिसर्च सेंटर फॉर एस्ट्रोजिकल साइंस चंडीगढ़ के राष्ट्रीय सलाहकार और वयोम इंटरनेशनल ऑस्ट्रेलिया के इंटरनेशनल सलाहकार के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे रहे है। 

इस धार्मिक महा संतसम्मेलन में अनंत विभूषित महंत श्री रविन्दरपुरी महाराज तथा बाबा निरंजन नाथ अवधूत  मुख्या मेहमान के तौर पर सब विद्वानों को आशीर्वाद व् सम्मान देने के लिए इस धार्मिक आयोजन में खास तोर पर शामिल हुए।  इस अवसर पर खुराना के साथ उनके सभी साथिओ को भी सम्मानित किया गया जिनमें आचार्य जगदीश वेदी कोटा राजस्थान,राजीव बंसल जीरकपुर,मनोज गुप्ता दिल्ली, एडवोकेट ऋतू सूद चंडीगढ़, प्रसिद्ध समाज सेवक व् भारतीय जनता पार्टी की सीनियर लीडर आदरणीय यशोधा कोश्यारी चंडीगढ़, कोमल आसरा दिल्ली, अर्चना कपूर पंचकूला हरियाणा,आचार्य महेश जैन दिल्ली, एडवोकेट सुनील त्रिपाठी राजस्थान, करनैल सिंह कँवल पटिआला ,नलिन कुमार जोशी जी मुम्बई सबको विशेष तोर पर सम्मानित किया गया। 

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Saturday 16 December 2023

महाराजा अज्ज सरोवर पर स्थापित होगी भगवान राम की प्रतिमा

16th December 2023 at 6:48 PM

यह प्रतिमा अयोध्या में स्थापित प्रतिमा की प्रतिकृति होगी

*कैबिनेट मंत्री अनमोल गगन मान की घोषणा से इलाके में उत्साह 

*बहुत ही ऐतिहासिक महत्व का है यह स्थल 

*इस स्थल पर चल रहे नवीकरण कार्य का जायजा लिया। 

*जायज़े के मकसद से महाराजा अज्ज सरोवर स्थल का दौरा किया

*खरड़ का प्रतिष्ठित नहरी जलापूर्ति प्रोजेक्ट जल्द तैयार होगा

*खरड़ को नया रूप देने और स्वागत द्वार के साथ मॉडल शहर बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई


खरड़
//एस.ए.एस. नगर: 16 दिसंबर 2023: (कार्तिका कल्याणी सिंह//आराधना टाईम्स डेस्क)::

त्रेता युग की स्मृतियों का स्मरण करने वाले महाराजा आज सरोवर स्मारक का कायाकल्प करने के लिए तैयारियां तेज़ी से जारी हैं। भगवान राम के दादा महाराजा अज की तरफ से बनाए गए सरोवर को अब फिर से पूरी शानोशौकत से आम जनता के सामने लाया जाएगा। पंजाब के पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुश्री अनमोल गगन मान ने कहा कि पंजाब की भगवंत सिंह मान सरकार जल्द ही ऐतिहासिक शहर खरड़ को एक मॉडल शहर में बदल देगी।

इसी सिलसिले में पर्यटन विभाग द्वारा महाराजा अज्ज सरोवर के चल रहे नवीकरण कार्यों का दौरा करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए, पर्यटन मंत्री ने श्री राम मंदिर महाराजा अज्ज सरोवर विकास समिति के पदाधिकारियों को आश्वासन दिया कि ऐतिहासिक सरोवर आध्यात्मिक प्रेरणा के साथ-साथ एक विरासती पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा। 

उन्होंने कहा कि यहां स्थापित की जाने वाली भगवान राम चंद्र जी की प्रतिमा की ऊंचाई पहले से प्रस्तावित 18 फीट से बढ़ाकर 118 फीट की जाएगी ताकि हर राहगीर खरड़ शहर के राष्ट्रीय राजमार्ग फ्लाईओवर क्रॉसिंग से इसे देख सके। उन्होंने आगे कहा कि यह मूर्ति अयोध्या में स्थापित भगवान राम चंद्रजी की मूर्ति की प्रतिकृति होगी।

उन्होंने कहा कि रेस्तरां, फव्वारे, हेरिटेज लाइटें, झील के पानी में 10 नावें, भव्य स्वागत साइनबोर्ड, फूलदार पौधे और सजावटी पेड़, ओपन जिम, रोलर कोस्टर, खिलौना ट्रेन आदि स्थापित कर इस स्थान का धार्मिक दृष्टि से विकास करने के साथ साथ, इसे बच्चों और अन्य लोगों के लिए मनोरंजन केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा।

खरड़ को अपनी राजनीतिक जन्मभूमि बताते हुए पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामलों के मंत्री ने आगे कहा कि खरड़ के लोगों ने उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में जो पहचान दी है, उसके लिए वह हमेशा उनके आभारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि अब खरड़ के लोगों के लिए यह उनका कर्तव्य है कि वे ईमानदारी और मेहनत से इस ऐतिहासिक शहर का सर्वांगीण विकास करें। उन्होंने कहा कि सुंदर और विशाल स्वागत द्वार, बाजारों का हेरिटेज लुक, शहर की साफ-सफाई के अलावा दर्पण सिटी का कूड़ा निस्तारण उनका मुख्य एजेंडा है।

उन्होंने कहा कि 100 करोड़ रुपये की सतही जल परियोजना (कजौली से) पिछले सप्ताह ही शुरू की गई है। पिछले कई सालों से निर्माण की शक्ल नहीं देख पाने वाले नए बस स्टैंड के निर्माण को कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री स.भगवंत सिंह मान ने हरी झंडी दे दी है।

उन्होंने आगे कहा कि शहर को नया लुक देने के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी के अलावा टाउन प्लानर की भी नियुक्ति की जा रही है।

 इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में एस डी एम गुरमंदर सिंह, डी एस पी करण सिंह संधू, ई ओ एम सी खरड़ मनवीर सिंह गिल, श्री राम मंदिर महाराजा अज्ज सरोवर विकास समिति के पदाधिकारी सुदर्शन वर्मा, अशोक शर्मा, जे पी धीमान और शशि पाल जैन के अलावा राम स्वरूप और डॉ. विनीत जैन बिट्टू (दोनों पार्षद) और हाकम सिंह के नाम उल्लेखनीय हैं।

इस संबंध में मिलते विवरण के मुताबिक अज्ज सरोवर ,खरड-मोहाली सड़क, पंजाब, भारत में बेहद लोकप्रिय है। । "अज सरोवर" श्री राम चंद्र जी के दादा , महाराजा अज ने बनवाया था जिनके नाम पर ही इसका नाम अज्ज सरोवर पड़ा। इसकी विशालता और विराटता इसकी भव्यता का अहसास दिलाती है। इसे देख कर पता चलता है कि किसी समय इसकी भवजट बहुत चर्चित रही होगी। इसके पास से गुज़रो तो इसका माहौल 

आज भी इसे जहाँ लोगों ने याद  रखा वहीँ अब शासन प्रशासन से जुड़े लोग भी इसकी पुरानी शानोशौकत को फिर से सामने लेन के प्रयास में हैं।  करने की  सक्रिय हो रहा है। अज सरोवर (पंजाबी उच्चारण:अज्ज सरोवर) भारत के पंजाब राज्य के जिला एस.ए.एस.नगर (मोहाली) के खरड़ नगर कौंसल में एक धार्मिक एंव इतिहासक स्थान है। इसके साथ ही एक एतिहासिक मंदिर चिंता हरण मंदिर भी है। अज्ज सरोवर इस मंदिर के साथ बना हुआ है। इस मंदिर और सरोवर के बारे में यह बात प्रचलित है कि इस मंदिर और सरोवर का निर्माण भारत के प्राचीन राजा महाराज अज,जो श्री राम रामचन्द्र जी के दादा थे , ने किया था। अज्ज सरोवर मोहाली खरड़ सड़क पर स्थित है। इस सरोवर के लिए 15 एकड़ स्थान उपलब्ध है पर इस समय सरोवर की स्थिति ठीक नहीं है। यहाँ घास फूस उगा हुआ है और सरोवर के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। सरोवर की दशा सुधारने के लिए समय समय पर  माँग भी की जाती रही है। इस मकसद के लिए योजनाएं भी बनती रहीं और एलान भी होते रहे। 


कांग्रेस पार्टी वाली चन्नी सरकार ने भी
इसी दिशा में विशेष पहल दिखाई थी। काम भी शुरू हुआ था लेकिन उस सरकार को ज़्यादा वक़्त ही नहीं मिल पाया। अब मान सरकार भी इस दिशा में नए जोश और उत्साह के साथ अग्रसर हो रही है। इस दिशा में उठाए जा रहे कदमों को लेकर खरड़ का राम प्रेमी जनमानस बहुत उत्साहित है। भगवान राम जी के पूर्वजों की इस निशानी को भव्य रूप मिलने के इस अभियान से हर तरफ ख़ुशी की लहर है। उम्मीद है कि जल्द ही इस सरोवर का विशेष नया रूप सामने आएगा।  

इसके सम्मान का भी विशेष ध्यान रखा जाता रहा। सन 1926 में उस समय के अम्बाला मण्डल की रोपड़ सब-डिवीजन (जिसके अधीन यह क्षेत्र आता तह ) में नियुक्त सब-डिविजनल अधिकारी जे डबलियू फेअरलिए ने एक आदेश जारी कर कर इस सरोवर में नाव चलाने और मछली पकड़ने की मनाही की थी क्योंकि इस को धार्मिक और ऐतिहासक दर्जा प्राप्त था।

निरंतर सामाजिक चेतना और जनहित ब्लॉग मीडिया में योगदान दें। हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने या कभी-कभी इस शुभ कार्य के लिए आप जो भी राशि खर्च कर सकते हैं, उसे अवश्य ही खर्च करना चाहिए। आप इसे नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आसानी से कर सकते हैं।

Monday 11 December 2023

बेहद क्रूर है केतु और उसकी महादशा--बिभाष मिश्रा

11th दिसंबर 2023 at 03:54 PM

7 वर्षीय केतु की महादशा बेहद कष्टकारी मानी जाती है


अचानक कभी कभी लगता है हम मज़बूत हो गए। कभी कभी लगता है हम टूट गए। बहाना कोई इंसान  है और कोई हालात भी लेकिन यह  सब ग्रह दशा के चलते हो रहा होता है। इस बार बिभाष मिश्रा जी ने अपनी रचना में केतु के संबंध में बेहद सादगी  भरे शब्दों के साथ बताया है। इसमें दी गई जानकारी आपसभी के लिए फायदेमंद हो सकती है अगर आप इसका फायदा उठाना चाहें तो? केतु की महादशा और इसके प्रभाव की जानकारी है इस विवेचन में।कार्तिका कल्याणी सिंह (समन्वय संपादक)

ज्योतिष की दुनिया से: 11 दिसंबर 2023: (बिभाष मिश्रा//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

आमतौर पर जब महादशा की बात आती है तो क्रूर ग्रह की महादशा जैसे शनि की महादशा ...और राहु की महादशा ...कष्ट देने वाली होती है ।।।  

 पर अनुभव में यह हमने पाया कि सबसे ज्यादा कष्ट देने वाली अगर कोई महादशा है तो वह केतु की महादशा होती है,  जो अच्छे-अच्छे इंसान की जड़े हिला देती है ।।।

एक चट्टान और बरगद के पेड़ के समान व्यक्तित्व भी जो बुद्ध की महादशा में फल फूल रहा हो ...केतु की महादशा में उसकी जड़ हिल जाती है...

इसलिए 7 वर्षीय केतु की महादशा बेहद कष्टकारी मानी जाती है ।।।

हम आज की इस पोस्ट में केतु को समझने की कोशिश करेंगे जैसा कि हम सभी जानते हैं की सर वाला भाग राहु है और धर वाला भाग केतु है ।।।

यह जानकर आश्चर्य होता है कि सूर्य और चंद्रमा के ग्रहण का कारण बनने वाले राहु-केतु दोनों का जन्म वास्तव में महाकाल की नगरी उज्जैन में हुआ था।।।।

जब विष्णु मोहिनी रूप धारण करके देवताओं में अमृत बांट रहे थे, तो राहु भी छल से देवताओं की श्रेणी में जा बैठा ...और  अमृत का पान कर लिया, तो सूर्य और चंद्र के संकेत से नारायण के चक्र ने  राहु-केतु का सिर धड़ से अलग कर दिया ।।।

अमृत ग्रहण करने के कारण शरीर के दोनों हिस्से जीवित ही रहे और राहु और केतु के नाम से जाने जाने लगे ।।

राहु-केतु के जन्म की कथा स्कंद पुराण में मिलती है, वैदिक और पौराणिक शोध के आधार पर कहा जाता है कि स्कंद पुराण के अवंती खंड के अनुसार, उज्जैन राहु और केतु की जन्मस्थली है।।।

सूर्य और चंद्र ग्रहण का कारण बनने वाले ये दो छाया ग्रह विशेष रूप से उज्जैन में पैदा हुए थे।।।

अमृत ​​वितरण के समय राहु और केतु का जन्म हुआ, अवंती खंड कथा के अनुसार समुद्र मंथन से निकला अमृत महाकाल वन में वितरित हुआ था। ।।

इसी वन में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाया था। ।।

हालाँकि देवता के वेश में एक राक्षस ने अमृत पी लिया।।। 

परिणाम स्वरूप भगवान विष्णु ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत ​​पीने से उनके शरीर के दोनों हिस्से जीवित रहे, और उन्हें राहु और केतु के नाम से जाना जाने लगा।।।

केतु का सिर नहीं है, जबकि राहु का धड़ नहीं है...

ज्योतिष में ये खगोलीय पिंड जिन्हें छाया ग्रह के रूप में जाना जाता है, दोनों एक ही राक्षस के शरीर से प्राप्त हुए हैं।।। 

राहु राक्षस के सिर वाले हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि केतु धड़ का प्रतिनिधित्व करता है। ।।

केतु मोक्ष प्रदाता ग्रह है, चुकी अमृत वाला भाग केतु को प्राप्त हुआ इसलिए इससे आध्यात्मिक सुख भी देखी जाती है ।।

चूं कि कुंडली का बारहवां भाग मोक्ष का है, और केतु भी मोक्ष प्रदाता ग्रह है , इसलिए कुंडली के द्वादश भाव में बैठकर यह मोक्ष देता है ।।

आमतौर पर केतु अलगाववादी ग्रह है, या तो यह स्थिति को शून्य करता है या इतना देता है कि जातक तृप्त हो जाए क्योंकि केतु तृप्ति का कारक है ।।

उदाहरण स्वरूप किसी की जन्म कुंडली में द्वितीय भाव में केतु बैठा है तो शोध में हमने देखा कि ऐसे जातक को जबर्दस्त आर्थिक तंगी होती है.. या ऐसे जातक के पास इतना धन होता है ...इतना धन होता है.. कि उसे धन के प्रति मोह ही खत्म हो जाता है ।।

इसी प्रकार अगर पंचम भाव में केतु हो, तो यह संतान की हानि कराता है, गर्भ हानि कराता है , या फिर चार-पांच संतान का पूर्ण सुख देता है ।।

कुंडली के नवम भाव और दशम भाव दोनों से पिता की सुख देखी जाती है, यहां पर बैठकर केतु या तो पिता का बिल्कुल सुख नहीं देता या पिता पूर्ण दीर्घायु होते हैं ।।।

बाकी घर के  बारे में भी ऐसा ही फलादेश समझे ।।

यानी केतु की अशुभ स्थिति फल में शुन्यता देगी और शुभ स्थिति प्रचुरता देगी ।।।

कुंडली में केतु अगर उच्च का बैठा हो,  खुद के नक्षत्र में बैठा हो तो ऐसी स्थिति में केतु को शुभ माना जाएगा ।।

वही केतु अगर कुंडली में नीच का बैठा हो,  या फिर षष्ठेश , अष्टमेश या द्वादशेश के नक्षत्र में बैठा हो तो यह अशुभ फल देने वाला माना जाएगा ।।

केतु वैराग का भी कारक है, एकांत मोक्ष का भी कारक है ।।

7 वर्षीय केतु की महादशा जीवन के वह रंग को दिखाती है जिसे जातक और किसी महादशा में नहीं सीख पाता ।।

द्वितीय धान भाव में अगर केतु बैठा हो और केतु की महादशा चल तो बड़े से बड़े खजाने में खाली हो जाते हैं और जातक के पास धन का भयंकर अभाव हो जाता है ।।

ज्‍योत‍िष शास्‍त्र के अनुसार कुंडली में केतु खराब होने पर जातक के बाल झड़ने लगते हैं, नसों में कमजोरी, पथरी की समस्‍या, जोड़ों में दर्द, स्किन प्राब्‍लम जैसी समस्‍याएं होती हैं. जातक की सुनने की क्षमता कम हो जाती है. संतान उत्‍पत्ति में समस्‍या होना, यूरिन संबंधी परेशानी होना भी शामिल है ।।।

गणेश जी को केतु का कारक देवता माना गया है। बुधवार के दिन गणेश पूजा, घी और दूर्वा से गणेश जी का हवन करने से केतु के दुष्प्रभाव को दूर किया जा सकता है। 

केतु दोष से मुक्ति के लिए शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना भी लाभकारी माना जाता है ।।

नीम के पेड़ से केतु का बड़ा गहरा संबंध है, नीम की लकड़ी से दातुन करना, नीम की लकड़ी से कंघी करना और अपने हाथों से नीम का पेड़ लगाना केतु को शुभ करने का उपाय है ।।

नेत्रहीन कोढ़ी अपंग के ऊपर केतु का प्रभाव है, इनको यथासंभव मदद कीजिए

हाथी, चींटी, मछली के ऊपर केतु का प्रभाव है।।

चींटी और मछली को चारा देना और हाथी दांत से बनी चीजों को व्यवहार में लाना केतु को शांति देने का उपाय है ।।  

Er. Bibhash Mishra

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Thursday 7 December 2023

कौन कौन सा उपवास हो सकता है फायदेमंद?

गुरु को बलवान करने के लिए क्या क्या करना आवश्यक है?

गुरु बृहस्पति और अध्यात्म पर बहुत कुछ बता रहे हैं बिभाष मिश्रा 


किसी भी इंसान के जीवन को ऊपरी नज़र से भी देखें तो आपको अहसास होने लगेगा कि इस व्यक्ति पर किस ग्रह का प्रभाव चल रहा है किसकी महादशा चल रही है। इस पोस्ट को पढ़ कर ज़रा ध्यान से देखना और सोचना कि आपके सर्किल में कौन है ऐसा व्यक्ति? बिभाष मिश्रा जी ने अपनी रचना में इस बार गुरु बृहस्तपति के संबंध  सादगी के साथ बताया है। इसमें दी गई जानकारी आपसभी के लिए फायदेमंद हो सकती है अगर आप इसका फायदा उठाना चाहें तो? - कार्तिका कल्याणी सिंह (समन्वय संपादक)

बृहस्पति-वह चिराग जो खुद जलकर भी सभी को रौशनी ही देता है

गुरु बृहस्पति धाम मंदिर के प्रोफ़ाइल पेज से साभार तस्वीर 
नवग्रह में बृहस्पति को देवगुरु की उपाधि दी गई है... सूर्य अगर राजा है ..मंगल अगर मंत्री है. तो वहीं गुरु राजपुरोहित है ।।।

गुरु ग्रह को सलाहकार की उपाधि दी गई है.. यानी गुरु से बेहतर तजुर्बा किसी दूसरे ग्रह के पास नहीं होता है ,  इसी वजह से गुरु को एक अच्छा सलाहकार माना जाता है ।।

ज्योतिष में गुरु को चिराग की उपाधि दी गई है, वह चिराग जो खुद जलकर भी जहां बैठता है अपने आसपास को रोशन करता है भले ही उसके धरातल पर ही अंधेरा क्यों ना हो ।।।

गुरु एक जिम्मेदारी है इसलिए जिस व्यक्ति का गुरु बलवान होता है वह परिवार का सबसे जिम्मेदार सदस्य होता है, या यू कहिए कम उम्र में ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसे पर थोप दी जाती है ।।

गुरु में गंभीरता है, भारीपन है.. स्थिरता है, चंचलता तो नाम मात्र भी नहीं है ।।

गुरु त्याग है, बलिदान है, आध्यात्मिक सुख है, भौतिक सुख से दूर करता है ।।

शायद इसी वजह से गुरु की महादशा चल रही हो तो वैवाहिक सुख में कमी देखी जाती है ।।

जातक अध्यात्म की ओर जुड़ जाता है क्योंकि बृहस्पति से हम आध्यात्मिक सुख को देखते हैं ।।

बृहस्पति मोटापा का भी कारक है तो बहुत बार हमने यह भी देखा है कि बृहस्पति की महादशा चल रही है तो जातक का वजन तेजी से बढ़ता है खासकर कमर वाले हिस्से में ।। 

गुरु को बलवान करने के लिए शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए क्योंकि घी के ऊपर बृहस्पति का जबरदस्त प्रभाव है ।।

शोध में हमने यह भी देखा कि जिन लोगों की गुरु की महादशा चल रही है, उनकी संगत हमेशा उनसे बड़ी उम्र वालों के साथ होते हैं 

उदाहरण के तौर पर अगर आप 30 वर्ष के हैं तो निश्चित तौर पर आप जिसके साथ उठते बैठते हैं वह एक तजुर्बेकार इंसान होगा, शायद कोई बुजुर्ग... या फिर कोई अधेड़ उम्र का जिससे आपको ज्यादा से ज्यादा अनुभव मिल रहा हो ।।।

गुरु ग्रह श्री हरि यानी नारायण रूपी विष्णु को दर्शाते हैं ।।

बृहस्पतिवार का उपवास...एकादशी का उपवास ...श्री सत्यनारायण की कथा इन सब के ऊपर गुरु ग्रह का प्रभाव है

नारायण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपरोक्त किसी भी उपवास को आप कर सकते हैं, साप्ताहिक गुरुवार का उपवास ...मासिक एकादशी का उपवास ...और हर पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण का कथा गुरु ग्रह को बलवान करने का बेहतरीन उपाय है ।।।

नाभि में चंदन और केसर के इत्र को लगाना भी गुरु को बलवान करने का उपाय है ।।

श्री हरि को सुगंध, श्रृंगार और दर्पण बेहद पसंद है ...

श्री कृष्ण की सेवा ..या घर में लड्डू गोपाल की सेवा... हरि को सुंदर वस्त्र पहनाना ..इत्र लगाना... और दर्पण दिखाना उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का सहज उपाय है ।।।

गुरु से धन की स्थिति देखी जाती है... क्योंकि जहां नारायण है वहां लक्ष्मी का वास आवश्यक होता है ।।।

जितने भी प्रकार की पुरानी वस्तुएं हैं, पुरानी रीति रिवाज,  पुराना प्रचलन, पुराना रहन-सहन के ऊपर गुरु का प्रभाव है ।।।

एक सज्जन को देखा कि बेहद उच्च पद पर होने के बावजूद आज के अत्यधिक युग में भी रेडियो रखे हैं , और उसपर ही समाचार और गाना सुनते हैं ।।

छोटी मोटी कार्य साइकिल से किया करते हैं ।।

और फुर्सत के क्षण में अपने पैतृक निवास में खेतों के बीच खटिया में बैठकर और पुराने दोस्तों से बचपन की बात किया करते हैं ।।

आज से लगभग 50 वर्ष पीछे जाइए, और देखिए कि उसे जमाने में लोगों का खानपान क्या था, उनका रहन-सहन क्या था ..

आपके परिवार में बैठा सबसे बुजुर्ग व्यक्ति बृहस्पति है उससे पूछिए कि उन ज़माने में लोग सुबह से रात अपनी दिनचर्या कैसे बिताते थे...

आज के वक्त एक सेकंड भी मोबाइल के बगैर कार्य नहीं हो सकता हम इलेक्ट्रॉनिक युग से इतनी घिर चुके हैं

उस जमाने में अंतर्देशी और पोस्टकार्ड हुआ करता था और उस माध्यम से ही हम समाचार का आदान-प्रदान करते थे ।।

लोग शारीरिक श्रम करते थे, और सेहत मजबूत रहती थी, खाने के नाम पर घर के खेत का ही गेहूं.. खेत की ही सब्जिया..और खेत की ही सरसों की तेल हुआ करते थे यानी मिलावट में शुन्यता ।।

रिश्ते भी बड़ा मजबूत हुआ करते थे क्योंकि हाथों में मोबाइल नहीं था और एक दूसरे की शिकायत वाला मामला नहीं था ।।

वे  लोगों तन और मन दोनों से स्वस्थ थे, और यही वजह उनके दीर्घायु जीवन का राज था ।।

आज के इस  कलयुगी माहौल में तमाम चीज नकली है, चाहे वह खान-पान हो चाहे रिश्ते...

 जिससे जातक बुरी तरह घिर चुका है ...और हालात यह है कि वह हर दिन अपने आप को खोता जा रहा है ।।

या यूं  कहिए गुरु की शुद्धता इस कलियुग में शून्य हो गई है ।।

शायद इस वजह से सभी सज्जनों को यह मलाल है कि गुरु की महादशा बेहद कष्टकारी व्यतीत हो रही है ।।।

जय श्री कृष्णा ...जय श्री हरि.. 

अनंत चतुर्दशी की हार्दिक शुभकामनाएं

Er. Bibhash Mishra

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Wednesday 6 December 2023

शमशान से बड़ा कोई तीर्थ नहीं

मृत्यु का कारक शनि है और शमशान का कारक राहु है

ज्योतिष की दुनिया से (आराधना टाइम्स ज्योतिष डेस्क)::


शनि, राहु, केतु, जीवन, मृत्यु. सफलता और असफलता जैसे कई मुद्दों को लेकर लोग परेशान रहते हैं।  रहस्यों को इस बार भी सुलझा रहे हैं माननीय बिभाष मिश्रा। इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वाले जिज्ञासुयों के लिए उनके विचार आप तक प्रामाणिक जानकारी पहुंचाने की पूरी कोशिश करते हैं। इस बार हम बात कर रहे हैं शनि,राहु और कर्म बोध की। कर्म बोध के आधार और विज्ञान के संबंध में पते की और गहरी बातें कर रहे हैं  जमशेदपुर (झारखंड)
 के प्रसिद्ध ज्योतिष विशेषज्ञ बिभाष मिश्रा।  उनका का यह विशेष लेख इस संबंध में कई नै जानकारियां। ज्योतिष में रुचि रखने वालों के लिए इस बार की चर्चा भी अत्यंत ज्ञानवर्धक होगी।         ---कार्तिका कल्याणी सिंह (समन्वय संपादक)

जमशेदपुर (झारखंड): 6 दिसंबर 2023: (बिभाष मिश्रा//(आराधना टाइम्स ज्योतिष डेस्क)::

कर्म बोध और शनि पर बिभाष मिश्र जी  विशेष चर्चा करते हुए बता रहे हैं ज्योतिष  के जहां रहस्य जो आपके जीवन  की सफलता और हालात के साथ भी जुड़े हुए। इन्हीं में छुपा है सफकता प्राप्ति का मार्ग और मन्त्र। 

आज की इस पोस्ट में शनि और मानव के द्वारा किए गए कर्मों की चर्चा है। 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शनि आपके कर्म फल को निर्धारित करने वाला ग्रह है

इंसान जो कुछ भी आज प्राप्त कर रहा है चाहे वह सुख हो चाहे दुख वह उसके ही किए गए कर्मों का फल होता है। इस रहस्य को समझ लेना ही इस विज्ञान को समझने के रस्ते पर पहला महत्वपूर्ण कदम है। 

शायद इसी के लिए कहा गया है कि कर्म फल को भोगना पड़ता है

और कर्म फल की बात हो और चर्चा शनि की ना हो या हो ही नहीं सकता है.....!

नवग्रह में सबसे धीरे चलने वाला ग्रह शनि है, और कुंडली में चंद्रमा आपका मन है, और जब उस मन रूपी चंद्रमा पर शनि का गोचर हो तो उसे हम शनि के साढेसाती कहते हैं, क्योंकि शनि सबसे धीरे चलता है इसलिए शनि की महादशा या साढेसाती में आपका मन स्थिर, शिथिल निराश हो जाता है ..

नवग्रह में शनि को न्यायाधीश की उपाधि दी गई है

हमने देखा है अपनी ज्योतिषीय यात्रा में कई लोग जो शनि की साढ़ेसाती में जबरदस्त उन्नति में रहते हैं, और कई लोग साढेसाती ना हो तब भी दुखी रहते हैं इसे अपने किए गए पूर्व और संचित कर्म ही कहेंगे ना ॥।

जीवन एक चक्र है जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो वह प्रसव पीड़ा के दौरान काफी संघर्ष में उसकी उत्पत्ति होती है..  जीवन के संघर्षों का यही चक्र बेहद  है। 

उसके बाद प्रारंभिक पढ़ाई करता है, तो पढ़ाई के वक्त भी उसे काफी कुछ सीखना होता है पेंसिल पकड़ना और बाकी चीज लिखना वह भी एक संघर्ष है ...

उसके बाद शिक्षा काल में उसकी 12वीं तक की पढ़ाई होती है जिसमें हर वर्ष व प्रतिस्पर्धा करता है और एक संघर्ष हासिल करता है

तत्पश्चात उसको उच्च शिक्षा हेतु भी संघर्ष करना पड़ता है

उसके बाद नौकरी प्राप्ति हेतु उसे जबरदस्त संघर्ष या प्रतियोगिता परीक्षा में प्रतिस्पर्धा करना पड़ता है

उसके बाद उसका विवाह होता है और विवाह के बाद तो ऐसी प्रतिस्पर्धा की क्या कहना...

 फिर उसके बच्चे होते हैं... फिर बच्चे बड़े होते हैं... फिर उनका विवाह ...

और फिर एक वक्त  बुढ़ापा दस्तक देती है...!

यानी बचपन से लेकर बुढ़ापे तक वह सिर्फ संघर्ष करता है और शनि इसी संघर्ष का परिचायक है...

कहने का तात्पर्य जातक जन्म से लेकर बुढ़ापे तक शनि के ही सीसीटीवी पर रहता है...

और अपने ही कर्म फल को भोगता रहता है...

एक जातक बड़ी आसानी से पराई स्त्री को गंदी नजर से देख लेता है....  उसे यह पता भी नहीं रहता कि उसके घर में भी एक स्त्री है उसकी बहन रूपी... उसकी बेटी रुपी...

और जब यही प्रारब्ध लौटता है तो वह दुखी हो जाता है...

हर आदमी यही चाहता है कि हम परस्त्री को तो भले देख ले पर हमारी बहन और हमारी बीवी को कोई गंदी नजर से ना देखें...

पर सदैव ध्यान रखें शनि सब देखता है...

कलयुग में लोग नाना प्रकार का मांस भक्षण कर रहे हैं, पर स्त्री गमन कर रहे हैं, और तमाम प्रकार का वह काम कर रहे हैं जो उन्हें हर दिन काल के गाल में भेज रही है फिर भी वह मदमस्त हैं...

यह सभी कर्म आहिस्ता आहिस्ता संचित होते हैं, और शनि की साढ़ेसाती में रौद्र रूप धारण कर लेते हैं...

शनि यथार्थ का कारक है, वह बताता है कि तमाम प्रकार के रिश्ते सगे संबंधी सभी महज दिखावे हैं, और यह तभी है जब तक आपके पास धन पद प्रतिष्ठा है...  धन पद प्रतिष्ठा अपने पास गिरवी रखकर शनि आपको आपके ही समाज के हकीकत को दर्शाता है...

और साढेसाती या महादशा खत्म होने के बाद वह पद प्रतिष्ठा जो अपने पास गिरवी रखा था वह आपको वापस लौटा देता है ...

आपकी जीभ को करेला कतई पसंद नहीं है...जबकि वह शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है , जबकि आपके जीभ को जलेबी पसंद है जबकि वह आपके शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक है ..

शनि वही नीम है... करेला है... जो आपके शरीर को कुंदन बनाता है ॥।

प्रारब्ध का बोध... कर्म का बोध शनि कराता है...

 और अपनी महादशा या साढेसाती में इतना दुख देता है की जातक के आंखों का आंसू उसे कुंदन बना देता है...

सारे रिश्ते तार-तार हो जाते हैं ...जमीन और आसमान एक हो जाते हैं वह यथार्थ शनि दिखाता है..

और यहां जब शनि की मित्रता या साथ राहु के संग हो जाए तो जरा सोचे के जातक की क्या हालत होती है ...

क्योंकि कर्म फल के मामले में शनि और राहु दोनों सगे मित्र हैं

शायद इसलिए कहा जाता है कि मृत्यु से बड़ा कोई उत्सव नहीं... और शमशान से बड़ा कोई तीर्थ नहीं ॥

यहां मृत्यु से तात्पर्य जातक के खुद की मृत्यु से है, मृत्यु के नाम से सांसारिक  लोग भय पाते हैं, जबकि साधु आनंद मनाते हैं...

उन्हें मालूम भी नहीं उनकी खुद की मृत्यु से बड़ा कोई उत्सव भी नहीं और यह परम आनंद है और इस संसार के दुष्चक्र से उसकी मुक्ति है...

और उस मृत्यु का कारक शनि है॥

और शमशान से बड़ा कोई तीर्थ नहीं॥

जो एक कड़वी सच्चाई है इसलिए जरूरत ना भी हो तो शमशान की पवित्र भूमि को महीने में एक बार स्पर्श जरूर करना चाहिए,  कि जीवन की एकमात्र वह सच्चाई है ॥

आप जीवन में करोड़पति बनेंगे... आपके पास तीन मंजिला मकान होगा... आप सुखी होंगे... इसमें संचय है, पर शमशान एक दिन जाना है यह परम सत्य है ॥

और उसे शमशान का कारक राहु है ॥।

जिस दिन पाठकगण आपने शनि और राहु को अपना दायी और बायी भुजा , और अपना अस्त्र और शास्त्र मान लिया , मानो जीवन में आपने परम विजय और दीर्घायु जीवन को प्राप्त कर लिया॥।

Er. Bibhash Mishra

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Sunday 3 December 2023

दिव्य जयोति जाग्रति संस्थान की तरफ से हरनाम पूरा में विशेष आयोजन

Sunday 3rd December 2023 at 4:00 PM

साध्वी सुश्री राजविद्या भारती ने सुनाई मनुष्य की करुण दास्तान 


लुधियाना
: 3 दिसंबर 2023: (कार्तिका कल्याणी सिंह//आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::

समाज को जागरूक और आध्यात्मिक  बनाए रखने के लिए जो संगठन सक्रिय हैं उनमें दिव्य जयोति जाग्रति संस्थान भी है। की तरफ से लगातार धार्मिक भजन संगीत के कार्यक्रम किए जाते हैं। इसी तरह का एक और प्रोग्राम हरनामपुरा आश्रम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस आयोजन में  सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की  शिष्या साध्वी सुश्री राजविद्या भारती जी ने मनुष्य की लगातार सुख के पीछे लगी हुई दौड़ के विषय में अपने विचार रखे। 

साध्वी जी ने कहा की जन्म से मृत्यु तक बचपन से बुढ़ापे तक एक दौर निरंतर चलता रहता है सुख को पाने का। मनुष्य अपना पूरा प्रयास करता है एक-एक सुख के तिनके को इकट्ठा करने के लिए।संपूर्ण शक्ति और कीमती समय सुख के तिनके के लिए खर्च होता है  पर सुख के इस तिनके की तलाश में वह कहीं दूर ही  चला गया,किसी और ही दिशा में पहुँच गया। किसी और ही उलझन को बुनता चला गया। धीरे-धीरे यह जाल इतना विशाल हो गया कि उसको कहीं  छोर  दिखाई नहीं  दे रहा। 

सुख के तिनके की लालसा उसके जीवन में ढेरों दुखों को निमंत्रण देने लगी है ।   कैसा आश्चर्य है? पाने की आकांक्षा कुछ और थी, परंतु प्राप्ति कुछ और की हो जाती है। आखिर इसके पीछे कारण क्या है?  उन्होंने कहा  कि इसका कारण और निवारण हमें तुलसीदास जी द्वारा रचित ज्ञानदीपक प्रसंग से स्पष्ट होता है। वे इस प्रसंग में लिखते हैं कि अगर एक मनुष्य अंधेरे कमरे में एक गांठ को सुलझाना चाहे, तो क्या होगा? वह उस गांठ को सुलझाने की बजाय उसे और अधिक उलझा देगा। वह गांठ उस अंधकार में कभी सुलझ ना पाएगी। 

परंतु यदि उस कमरे में दीप जला दिया जाए, तो उस दीपक के प्रकाश में मनुष्य गांठ को शीघ्र ही सुलझा पाएगा।  इसी प्रकार मनुष्य भी आज अज्ञानता रूपी अंधकार में विचरण कर रहा है। इसलिए आवश्यकता है, दीप जलाने की अर्थात् प्रकाश करने की। जब तक उसके हृदय में ज्ञान का दीपक प्रज्वलित नहीं होगा, तब तक मनुष्य दुखों का अधिकारी रहेगा। परंतु यह ज्ञान  का बीज केवल मात्र एक पूर्ण गुरु ही जीव के अंदर रोपित कर सकते हैं।

Saturday 18 November 2023

राहू बना सकता है रंक से राजा

18 नवंबर 2023 सुबह 08:25 बजे व्हाट्सएप 

राहू की माया और रहस्यों की चर्चा कर रहे हैं बिभाष मिश्रा 

जमशेदपुर: (झारखंड): 18 नवंबर 2023: (आराधना टाइम्स ज्योतिष डेस्क)::

राहु, केतु, साढ़ेसाती  जैसे कई मुद्दों को लेकर लोग परेशान हैं। आख़िर ये पूरा मामला क्या है? इन मुद्दों का वैज्ञानिक पहलू एवं समुचित समाधान कैसे संभव है? कुछ लोग इन बातों पर खुलेआम विश्वास करते हैं तो कुछ लोग छुपकर।इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वाले जिज्ञासुयों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण यह क्षेत्र एक बड़ा उद्योग बन गया है। हम आप तक प्रामाणिक जानकारी पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे। इस प्रायोजन के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से नियमित रूप से परामर्श लिया जाता है। इस बार हम बात कर रहे हैं राहु की. राहु को लेकर लोगों के मन में बहुत डर, भ्रम और भ्रांति है जबकि वास्तविकता के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इस बार हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं झारखंड के प्रसिद्ध ज्योतिष विशेषज्ञ बिभाष मिश्रा का एक विशेष लेख जिसमें राहु के बारे में कई गलतफहमियां दूर की गई हैं। ज्योतिष में रुचि रखने वालों के लिए राहू की अत्यंत सार्थक व्याख्या अत्यंत ज्ञानवर्धक होगी।                                                                                                                                       -कार्तिका कल्याणी सिंह (समन्वय संपादक)


राहु की उड़ान कितनी महत्वपूर्ण है इसका कुछ कुछ अनुमान शायद आपको यह पोस्ट पढ़ कर हो सके। 

आज की इस पोस्ट में हम राहु ग्रह के गति के बारे में चर्चा करेंगे

इसका मिसाल को हम ऐसे समझते हैं

मान के चलिए आपके पास डेढ़ करोड़ की मर्सिडीज़ कार है सारा फंक्शन ऑटोमेटिक है और तमाम सुख सुविधा से लैस...

इसके साथ-साथ आपके पास एक प्राइवेट प्लेन भी है.. सीट फटी हुई है ,सीटों में खटमल लगी है , जेट का पेंट भी उखड़ा हुआ है... यानी पूरी पुरानी अवस्था में है ...सिर्फ इंजन ही सही से काम करता है ॥

अब यह बताइए कि गंतव्य तक पहुंचना हो तो डेढ़ करोड़ की मर्सिडीज़ काम करेगी या पुरानी प्राइवेट प्लेन ॥

मर्सिडीज़ कितनी भी महंगी हो, पर चलना उसे सड़क में ही है....

और सड़क पर चलने के क्रम में अगर ट्रैफिक जाम हो जाए तो मर्सिडीज़ आसमान में उड़ नहीं सकती ...

 या अगर गड्ढे और उबर खाबड़ आए तो मर्सिडीज़ का टायर कितना भी अच्छे कंपनी का हो वह जर्किंग करेगा ही...

और अगर जबरदस्त ट्रैफिक हो तो वही खड़ी रहेगी आपकी डेढ़ करोड़ की मर्सिडीज़...

आप कितना भी रो ले ..चिल्ला ले.. कि आपके पास डेढ़ करोड़ की मर्सिडीज़ है.. आपको पहले जाने दिया जाए .. 

फिर भी कोई सुनवाई नहीं.. और ट्रैफिक जाम में आपके ठीक आगे एक ठेला या ऑटो रिक्शा ही क्यों न खड़ा हो आपको कतार में उसके पीछे ही खड़ा रहना पड़ेगा ॥।

क्योंकि मर्सिडीज़ कितनी भी महंगी क्यों ना हो चलना उसे सड़क पर ही है ...

और हवाई जहाज कितना भी पुराना क्यों न हो उसे उड़ना आसमान में है ....

जहां ना तो कोई ट्रैफिक है... ना उबड़-खाबड़ भरी सड़क...

आसमान को चीरता हुआ अकेला बेताज बादशाह...

अब उपरोक्त उदाहरण को ग्रह से समझने की कोशिश करते हैं

आपके पास कोई ग्रह कितना ही क्यों ना बली हो चाहे वह शुक्र हो चाहे गुरु हो चाहे बुद्ध हो.... और उसकी महादशा चल रही हो तो वह आपके पास शोभा रूपी डेढ़ करोड़ की मर्सिडीज़ ही है...

जो केवल शोभा रूपी खूबसूरत है... पर चलेगी वह सड़क पर और एक बार ट्रैफिक जाम लग गया तो उसे वहां रुकना पड़ेगा...

यानी उसे बड़े-बड़े ग्रहों की अपनी एक सीमा है...

और आपकी कुंडली में पड़ा एकांत में राहु... कितनी भी फटे हालत में क्यों ना हो पर याद रखें उसे उड़ना आसमान में है...

लेखक जानेमाने ज्योतिष विशेषज्ञ बिभाष मिश्रा
राहु को न ट्रैफिक की चिंता है ना कोई सड़कों पर भीड़ की...

उसे तो आजाद पंछी की तरह खुले आसमान को चीरता हुआ आपकी मंजिल को पहुंचाना है...

शायद इसलिए कहा जाता है कि बाकी के ग्रह अपनी महादशा में जो काम करने की सोचेंगे... तब तक राहु उसे अपनी महादशा में करके बैठ चुका रहेगा। ॥।

हमने बड़े-बड़े प्रसिद्ध संगीतकार, क्रिकेटर ...सरकारी पद पर उच्च अधिकारी की कुंडलिया देखी है... सभी ने अपनी सफलता राहु की महादशा में ही हासिल की है ॥।

वह काम जो आपकी सोच से पड़े हैं वह असंभव सा काम राहु है...

एक छैनी और एक हथौड़ी लेकर 22 साल तक बड़े पहाड़ को तोड़कर रास्ता बना देना राहु है...

पेड़ से सेब का जमीन पर गिरना... और उसे पर शोध करके गुरुत्वाकर्षण की खोज करना राहु है ॥।

ऐसी सुख जिसकी आपने कल्पना भी ना कि हो राहु है...

ग्लैमर से भरा जबरदस्त लाइफस्टाइल बड़े-बड़े क्रिकेटरों का लाइफस्टाइल 100% राहु है ॥।

एक क्रिकेटर मंगल की महादशा में क्रिकेट खेलना शुरू करता है मंगल खेल का कारक है

राहु की 18 वर्ष की महादशा में वह चरम स्थिति पर होता है राहु प्रसिद्धि और ग्लैमर का कारक है

राहु की महादशा के अंत चरण में वह रिटायरमेंट लेता है

चंद वर्षों में वह कोच और प्रशिक्षण पद पर नियुक्त होता है जब उसकी गुरु की महादशा चल रही होती है गुरु सभी प्रकार के प्रशिक्षण का कोचिंग का कारक है ॥।

कभी-कभी उसे राजनीति का भी अवसर प्राप्त होता है और वह बदनामी , हार या बाकी चीजों को भी उसे झेलना पड़ता है जब उसकी शनि की महादशा चल रही होती है ॥

इस प्रकार भिन्न-भिन्न महादशा में अलग-अलग किरदार के रूप में वह अपने किरदार को बखूबी से निभाता है

पर तमाम किरदारों में जो  उसका स्वर्णिम युग रहा होता है.. वह राहु की महादशा होती है... यानी राहु व प्लेटफार्म सेट करता है जिसका फायदा उसे बाकी की महादशा में मिलता है

आपके जीवन में वह घटना जो अचानक घटती है.. चाहे वह अच्छी हो चाहे बुरी हो... वह घटना जो आपके जीवन को पूरी तरीका से पलट कर रख दे, का कारक राहु है ॥।

अब बात यह आती है कि राहु की राजयोग कारक की स्थिति सबसे अच्छी कब बनती है

जब आपकी कुंडली में राहु तृतीय भाव में हो या आपकी कुंडली में राहु एकादश भाव में हो...

और राहु की सबसे राजयोगी स्थिति तब होती है जब राहु अपने खुद के नक्षत्र आर्द्रा.. शतभिषा .. स्वाति का बैठा हो 

तीनों नक्षत्र ही राहु के अपने हैं ...पर इसमें शतभिषा में तो कमाल का प्रभाव दिखाता है ॥।

तीनों नक्षत्र में शतभिषा उसकी धर्मपत्नी के स्वरूप है, आद्रा उसका पुत्र जबकि स्वाति उसकी पुत्री स्वरूप है...

जाहिर  है कोई भोगी व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ बेहद खुश रहता है... इसलिए राहु भी अगर शतभिषा का हो तो कमाल का प्रभाव दिखाता है..

यह बहुत मायने में नहीं है कि राहु किस राशि में बैठा हो या बेहद महत्वपूर्ण है कि राहु किस नक्षत्र में बैठा है...

अगर इसका संबंध लग्नेश के नक्षत्र के साथ हो... धनेश और लाभेश के नक्षत्र के साथ हो... पंचमेश और भाग्येश के नक्षत्र के साथ हो...

या कुंडली के तृतीय भाव या एकादश भाव में बैठा हो..

 साथ में शतभिषा आद्रा या स्वाति नक्षत्र में बैठ जाए तब जरा देखें अपनी महादशा में यह क्या करके दिखाता है ॥।

राहु धैर्य के परिचय का कारक है..

सिर्फ दांत में दांत दबा के धैर्य के साथ टिके रहे... फिर देखे राहू  अपनी महादशा में इतिहास रचा देगा ॥।

Er. Bibhash Mishra 

Research Scholar

Astrologer Consultant

Thursday 21 September 2023

माननीय दादा श्री सत्यश्रेयानन्द अवधूत बता रहे हैं सफलता के गुर

Thursday 21st September 2023 at 07:35 AM FB

बाबा आज भी मार्गियों को निकटता का अहसास दिलाते हैं 


नई दिल्ली
: 21 सितंबर 2023: (रेक्टर कथूरिया//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

आनंद मार्ग को जिन लोगों ने नज़दीक से देखा है उनको मालुम है कि आनंद मार्ग में रह कर इन्सान को जहां सात्विक और अध्यात्मिक ढंग से जीवन जीने के ढंग तरीके आ जाते हैं वहीं उसमें अनुशासन और एकाग्रता जैसे गुण भी धीरे धीरे विकसित हो जाते हैं।  साधक चमत्कारों और सिद्धियों से बहुत ऊंचा उठ कर केवल बाबा के चरणों में ध्यान लगाना ही सबसे आवश्यक समझने लगते हैं। समाज को कैसे ऊंचा उठाना है यही सोच अधिक सक्रिय हो जाती है। 

सफलता और खुशहाली  उनके कदम चूमने लगती है। पराजय उनसे दूर भागने लगती है। किसी भी तरह का भय उनके निकट नहीं आता। अंतर्मन से लेकर बाहरी जीवन तक में उनमे एक गरिमा और मज़बूती सी आ जाती है। किसी भी तरह की मुसीबत अगर उन पर आ भी जाए तो वह उन्हें और भी मज़बूत बना कर जाती है। 

खुशियों में भी संतुलित बनाए रहना और संकट में भी घबराहट से बचे रहना हर मार्गी के लाइफ स्टाईल में शामिल हो जाता है। ज़रूरत पड़ने पर वह बड़ी से बड़ी नकारत्मक शक्ति के खिलाफ स्टैंड लेने से गुरेज़ नहीं करता। हालाँकि हर क्षेत्र में सक्रिय मार्गी समाज उसका साथ देने को तत्पर रहता है लेकिन मार्गी साधक अकेले में भी बेहद बलवान हो जाता है। उसकी प्रतिबद्धता और संकल्पशीलता कभी भी डगमगाते ही नहीं। 

साधकों और दुसरे मार्गियों के लिए भी हर पल आनंद जैसी स्थिति ही बन जाती है इस सब के बावजूद ज़िंदगी हर कदम पर एक जंग कही जाती है। बिना संघर्ष वाले जीवन की मार्गी कल्पना भी नहीं करते। हर रोज़ सुबह से लेकर रात्रि तक उनका साधनामय जीवन उन्हें याद दिलाता है कि जीवन के एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाने देना। मानव जन्म अनमोल है इसलिए इस सो कर या खा कर व्यर्थ नहीं गंवाना है। 

इस सारे संघर्ष और साधनामय जीवन में बहुत सी मुश्किलें भी आती ही हैं। साधनापथ पर चलना सहज भी नहीं होता ख़ास तौर पर नए साधकों के लिए। इसी बात को सामने रख कर माननीय दादा श्री सत्यश्रेयानन्द अवधूत समय समय पर गहरे ज्ञान की बातें सोशल मीडिया पर भी शेयर करते रहते हैं।  

अपनी नई पोस्ट में दादा बताते हैं-अपने जीवन में चार बातें याद रखें।

1. अगर आप सही हैं तो इसे सबके सामने साबित करने में समय बर्बाद न करें।

 2. अगर आप गलत हैं तो सही होने का दिखावा करने में समय बर्बाद न करें।

 3. अगर आपको मदद की जरूरत है तो इसे मांगने में समय बर्बाद न करें ।

और

4.  हमेशा याद रखें कि जीवन बहुत छोटा है, अपना समय दुःख, उदासी और नकारात्मकता में बर्बाद न करें।

इसके साथ ही दादा याद दिलाते हैं कि बाबा ने समय समय पर बहुत से सूत्र बताए हैं जिन्हें अपना कर हम बड़े से बड़े संकट को हर सकते हैं। बाबा ने निन्दन्तु नीतिनिपुणा यद...निन्दन्त

निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु ।

लक्ष्मी: समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम् ॥

अधैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा ।

न्याय्यात्पथ: प्रविचलन्ति पदं न धीरा: ॥ ( भर्तृहरि )

अर्थ :- नीति को जानने वाले लोग चाहें निन्दा करें या प्रशंसा , धन आय या जाए, मृत्यु अभी आ जाए या चिरकाल के बाद आए प्रन्तु धैर्यवान् लोग न्याय के मार्ग से विचलित नही होते ।

इस श्लोक को अनेक प्रवचनों में कहा गया है। बाबा के प्रवचन पढ़ते या सुनते हुए या फिर कोई पुरानी वीडियो देखते हुए ऐसा लगने लगते है जैसे एक नई ऊर्जा हमें मिल रही है। कईओं की तो सुनते सुनते समाधि लग जाते है। कुछ साधक बैठे बैठे सुनते हुए ही आनंद विभोर हो जाते हैं। 

Thursday 7 September 2023

बस भगवान कृष्ण का संदेश याद रखिए हर संकट आपसे हार जाएगा

भगवान कृष्ण हर संकट का सामना सहजता से करना सिखाते हैं


लुधियाना
: 6 सितम्बर 2023: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

यूं तो जन्माष्टमी एक हिन्दू त्यौहार के तौर पर ही जाना और मनाया जाता है लेकिन वास्तव में यह सारे  विभाजन हम लोगों ने ही बनाए और मज़बूत किए हैं जबकि वास्तव में धर्म की स्थापना के लिए आने वाले महापुरुषों का उपदेश सभी के लिए फायदेमंद होता है। जीवन की गहराइयां इन्हीं उपदेशों से समझ में आती हैं। धर्म कोई भी हो उसका मर्म बहुत गहरा होता है।   

बहुत से अन्य त्योहारों की तरह जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पूरी तरह से विलक्षण भी है। जन्म के साथ ही संघर्षों भरे जीवन के सत्य  है यह त्योहार। केवल जन्माष्टमी के पावन त्यौहार से ही हमें समझ में आता और समरण आने लगता है कि भगवान श्री कृष्ण तो जन्म के समय ही  मुसीबतों से घिरे हुए थे। इन मुश्किलों ने काफी देर तक उनका पीछा भी नहीं छोड़ा लेकिन इसके बावजूद वह हर संकट का सामना मुस्कराते हुए बहादुरी से करते हैं। 

यह ख़ास त्यौहार है जिसके आते और जाने की रात में ही मौसमी तब्दीली शुरू समझी जाती है। गर्मी का प्रकोप भी मंद पड़ना है। कुछ ही दिनों के बाद आने वाली गुलाबी ठंडक एक खास अहसास भी कराएगी। जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मुसीबतें भी मामूली नहीं थी। कंस सगा मामा ही तो था लेकिन हत्या पर उतारू था। आज हमारा कोई अपना अगर ज़रा सा भी हमारे खिलाफ हो जाए तो हम समझते हैं न जाने कौन सा पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन भगवान् श्री कृष्ण ने बाकायदा एक जंग लड़ी अन्याय के खिलाफ। अत्याचार के खिलाफ। राजशाही के खिलाफ। 

आज हम में से कितने लोग हैं जो अपने बेगानी के रिश्ते को दरकिनार कर के गलत को गलत कहने की हिम्मत जुटा पाते हैं? भगवान श्री कृष्ण का जीवन और उपदेश हमें विपरीत प्रस्थितियों में भी हंसना, मुस्कराना, हिम्मत बनाए रखना और इन विपरीत हालात के साथ पूरी शक्ति से टकराना सिखाता है। 

आसान नहीं है भगवान कृष्ण का भक्त बन जाना। कालिया नाग आज भी ज़हर जैसी खतरनाक मुसीबतों का ही प्रतीक है। तस्वीर बहुत कुछ बताती और सिखाती है। उस कालिया नाग के फन पर नाचना आना चाहिए अगर जीवन जीना है तो।  हालत को अपने वश में करना सीखना होगा। भगवान श्री कृष्ण की हर बात बहुत कुछ सिखाती है। जीवन के गहन सत्यों से रूबरू करवाती है। 

जन्माष्टमी की रात्रि को लोग व्रत और उपवास रखते हैं-इसका भी गहरा अर्थ है। उपवास से ही भक्ति, आस्था, चेतना और हिम्मत का सामंजस्य बना रहता है। इसी से एक शक्ति जगती है। मदहोशी की नींद से जाग कर ही सम्भव हैं भगवान कृष्ण के दर्शन। इस लिए मध्यरात्रि में जब जन्म का समय आता है तो उस वक्त तक पूरी तरह से सतर्कता के साथ जागना, प्रेम के साथ जागना आम तौर पर सभी के लिए सम्भव नहीं रहता। बहुत कठिन होता है कुछ घंटों का ही यह जागरण लेकिन अगर आस्था, श्रद्धा और विधि से कर लिए जाए तो शक्ति की अनुभूति भी देता है। 

यह परम्परा भी है कि जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उस समय मंदिरों और घरों में पूजा-अर्चना की जाती है। उस समय घंटियां बहुत मधुरता से सुनाई देती हैं। इस पूजा अर्चना और सेलिब्रेशन का भी बाकायदा एक विज्ञान है। जब अंतर्मन में जाग्रति आती है। किसी महान शक्ति की अनुभूति होती है और विराटता के दर्शन होते हैं तो संगीत सुनाई देने लगता है। घंटियां सी बजने लगती हैं। वास्तव में अगर आस्था और हसरद्दा सच में है तो आपके अंतर्मन में भी वही सब अनुभव होने लगेगा। बेशक आप मंदिर में न भी हों पर अगर वह आस्था और श्रद्धा नहीं है तो फिर मंदिर में बैठ कर भी शायद वो बात न बने। 

जन्माष्टमी के दिन लोग श्रीकृष्ण की कथाएँ सुनते हैं, भजन-कीर्तन में शामिल होते हैं और मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। बच्चे श्रीकृष्ण के वेश में सजकर उनकी लीलाओं का अनुकरण करते हैं। यह सब हमारे अंतर्मन में एक सात्विक शख्सियत के निर्माण की प्रक्रिया का ही भाग होता है। इसका असर पूरे समाज के नव निर्माण तक पहुंचता है। इन्हीं छोटे छोटे कदमों से मिलने लगती हैं बड़ी बड़ी उपलब्धियां। 

इसी अवसर पर एक प्रमुख परंपरा 'दही-हांडी' की भी होती है, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है लेकिन अब तो पंजाब में  लोकप्रिय होती जा रही है। इसमें एक ऊंचाई पर दही भरी मटकी (हांडी) टांग दी जाती है और युवक टोलियाँ उसे तोड़ने का प्रयास करते हैं। यह प्रसंग श्रीकृष्ण की माखन चोर लीला को प्रस्तुत करता है। बात केवल माखन चोरी की तो नहीं है। यह भी बेहद महत्वपूर संकट है कि ज़िंदगी में सफलता का माखन आसानी से नीचे बैठे बिठाए नहीं मिलता। उसके लिए संघर्ष की भी ज़रूरत होती है और साथियों के सहयोग की भी। तब बनती है बात। सफलता के लिए संघर्ष का ही संदेश है यह रस्म भी। 

दिलचस्प बात है कि जन्माष्टमी भारतीय संस्कृति में श्रीकृष्ण के जीवन, उनके संदेश और उनकी लीलाओं की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है। यह त्योहार विशेष रूप से भक्ति, प्रेम और समर्पण की भावना के साथ मनाया जाता है। बांसुरी और सुदर्शन चक्र के दरम्यान का समन्यव भगवन कृष्ण की बातों को गहराई से समझ कर ही समझा जा सकता है। ये प्रतीक बेहद अनमोल हैं। 

Thursday 17 August 2023

'मेरा बंगाल, व्यसन मुक्त बंगाल' अभियान का शुभारंभ किया

प्रविष्टि तिथि: 17 AUG 2023 1:25 PM by PIB Delhi

आयोजन का शुभारंभ किया राष्ट्रपति ने कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित


नई दिल्ली//कोलकाता: 17 अगस्त 2023: (पी आई बी//आराधना टाईम्ज़)::

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (17 अगस्त, 2023) राजभवन, कोलकाता में ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित 'नशा मुक्त भारत अभियान' के तहत 'मेरा बंगाल, व्यसन मुक्त बंगाल' अभियान का शुभारंभ किया।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि मादक द्रव्यों का दुरुपयोग समाज और देश के लिए चिंता का विषय है। इन व्यसनों के कारण युवा अपने जीवन में सही दिशा नहीं चुन पाते हैं। यह अत्यंत चिंताजनक है और इस मामले में सभी मोर्चों पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में आध्यात्मिक जागृति, चिकित्सा, सामाजिक एकजुटता और राजनीतिक इच्छाशक्ति के माध्यम से सुधार किया जा सकता है। उन्होंने ऐसे मुद्दों पर चर्चा करने और उनके समाधान की दिशा में काम करने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ जैसे संगठनों की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी प्रकार का व्यसन मानसिक तनाव और साथियों के दबाव के कारण विकसित होता है। नशे की लत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। व्यसन से कई अन्य विकार भी उत्पन्न होते हैं। व्यसन करने वाले लोगों के परिवार और मित्रों को भी काफी परेशानी होती है। उन्होंने सभी युवाओं से आग्रह किया कि वे नशे के आदी किसी भी मित्र की जानकारी उसके परिवार को दें।

राष्ट्रपति ने मादक पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों से अपना जीवन नष्ट नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर वे किसी भी तरह के तनाव में हैं तो उन्हें अपने मित्रों, परिवार या किसी सामाजिक संगठन से बात करनी चाहिए। ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका वे अपनी इच्छाशक्ति से सामना नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि असामाजिक तत्व मादक द्रव्यों के उपयोग और नशे की लत का फायदा उठाते हैं। मादक द्व्यों को खरीदने में खर्च होने वाले पैसे का उपयोग आपराधिक गतिविधियों में भी किया जाता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नशे के आदी लोग अपनी भलाई तथा समाज और देश के हित में इस बुरी आदत से बाहर आएंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि युवा हमारी सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति हैं। उन्हें अपना समय और अपनी ऊर्जा भविष्य की नींव को मजबूत करने में लगानी चाहिए, वह नशे की वजह से बर्बाद हो रही है। शिक्षण संस्थानों को यह पता लगाना चाहिए कि क्या विद्यार्थी गलत दिशा में जा रहे हैं। यदि कुछ सामने आता है, तो तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।

राष्ट्रपति का भाषण देखने के लिए कृपया यहां क्लिक करें -

*** PIB//एमजी/एमएस/आरपी/एजी/एसके/डीके

Sunday 6 August 2023

विश्वास फाउंडेशन ने लगाया पंचकूला में खीर मालपूड़े का लंगर

 Saturday 5th August 2023 at 3:38 PM

3 अगस्त से 9 अगस्त तक चलाया जा रहा है सेवा सप्ताह 


पंचकूला
: 5 अगस्त 2023: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

भारतीय संस्कृति में धर्मकर्म के सा भी विधिविधान पूरी तरह से वैज्ञानिक हैं। सुबह उठने से ले कर रात्रि को सोने तक हर बात में पूरा विज्ञान है। सुबह सुबह मेडिटेशन से लेकर रात्रि की मेडिटेशन तक गहरे अर्थों से भरी बातें हैं। यही सब खानपान में भी है। सावन महीने में माल पूरे और खीर खाने की परम्परा भी बहुत गहरी है। सावन में शराब, नशीली चीज़ें और शरीर को बिगड़ने वाले सभी पदार्थ सेवन करने की मनाही है लेकिन माल पूरे और खीर का विशेष महत्व है। आर्थिक कारणों से सब के बस में नहीं होता खीर और मालपूरे खा पाना। इस लिए लगातार ख़ामोशी से काम करती आ रही विश्वास फाउंडेशन ने खीर और माल पूर्व का लंगर भी लगाया। 

गौरतलब है कि विश्वास फाउंडेशन द्वारा सेवा कार्यों की श्रृंखला में 3 अगस्त से 9 अगस्त तक चलाये जा रहे सेवा सप्ताह के अंतर्गत सती साध्वी बहन कृष्णामूर्ति विश्वास जी की स्मृतिओं को ताज़ा रखने व सावन के उपलक्ष्य पर आज पंचकूला में खीर मालपूड़े का लंगर लगाया गया। लगभग 1500 लोगों में लंगर वितरित किया गया।

विश्वास फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी नीलिमा विश्वास ने बताया कि लंगर पंचकूला सिविल अस्पताल सेक्टर 6 के बाहर मरीजों के उनके अभिभावकों को व अन्य आने जाने वालों को, सूरजपुर पंचकूला कालका मार्ग पर स्थित झुग्गिओं में, सेब मंडी पिंजोर में व हिमशीखा की झुग्गिओं में लोगों को बाँटा गया। इस मौके पर इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी यूटी चंडीगढ़ से सुशील कुमार टाँक व विश्वास फाउंडेशन के सभी अनुयाईओं ने बढ़ चढ़ कर सेवा की। 

इस शुभअवसर पर बहुत सी संगत के साथ गैर सतसंगी लोगों ने भी खीर और माल पूरे खाए और विश्वास फाउंडेशन का आभार व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि इस संगठन की तरफ से इस तरह के कार्य पूरा बरस जारी रहते हैं। 

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Saturday 1 July 2023

दोराहा में पत्रकार हरमिंदर सेठ को गहरा सदमा

2 जुलाई को पत्नी की अंतिम अरदास निरंकारी भवन में होगी 

दोराहा: 1 जुलाई 2023: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::

दिवंगत सुश्री सुरिंदर कौर जो30 जून
को हमेशां के लिए बिछड़ गए 
पति पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का रिश्ता गिना जाता है। पत्नी को अर्धांगिनी का सम्मानजनक दर्जा भी  हासिल है। ज़िंदगी की कठिनाइयों का सफर हो या फिर सुख और आनंद का सागर दोनों को दोनों का साथ ही सफल बनता है। जब जीवन रूपी इस रथ का एक पहिया टूट जाता है तो सफर  बेहद कठिन हो जाता है। कुछ इसी तरह का सदमा पहुंचा है दोराहा के पत्रकार हरमिंदर सेठ को। 

दैनिक नवां ज़माना के लिए दोराहा से रिपोर्टिंग करने वाले हरमिंदर सेठ को उस समय गहरा सदमा लगा जब उनकी जीवन साथी सुरिंदर कौर अचानक उनसे अलग हो गईं। साँसों की पूँजी का समापन होते ही भगवान्उ ने उन्हें अपने पास बुला लिया। उनका अंतिम संस्कार दोराहा में ही कर दिया गया था। अंतिम अरदास, भोग और श्रद्धांजलि समारोह 2 जुलाई को दोराहा में आयोजित किया जाना है। 

अंतिम संस्कार के मौके पर पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की तरफ से तरूण आनंद, प्रोफेसर लवली बैंस, जोगिंदर सिंह ओबेरॉय, जसवीर झज, मंजीत सिंह गिल, मनप्रीत मांगट, रोहित गुप्ता, नरेंद्र कुमार आनंद, रविंदर सिंह ढिल्लों, विपन भारद्वाज, सुखवीर सिंह चंकोया, शिव. विनायक, मैडम गुरमीत कौर, जोगिंदर सिंह कीर्ति , मुदित महिंद्रा, पंकज सूद, विकास सूद, प्रकाश सेह, मनप्रीत सिंह रणदिओ  और कई अन्य भी शामिल हुए। 

लुधियाना से एमएस भाटिया, प्रदीप शर्मा, रेक्टर कथूरिया, डीपी मोड़, रमेश रतन, चमकौर सिंह, विजय कुमार और कई अन्य लोगों ने भी शोक संदेश भेजे। भाई साहिब गुरमेल सिंह जी ने भी अंतिम अरदास  की सुचना को लेकर संत निरंकारी मंडल दोराहा के कार्यक्रम के अनुसार निश्चित प्रोग्राम बताया। 

यह समारोह 2 जुलाई को किया जाना है। दोराहा शाखा के प्रधान भाई साहिब भाई गुरमेल सिंह,  शाखा दोराहा के प्रबंधक-हरमिंदर सेठ, शाखा दोराहा के शिक्षक-भाई साहिब जीत सिंह  द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि अंतिम प्रार्थना की यह रस्म रविवार, 2 जुलाई को आयोजित की जाएगी. और समय रहेगा दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक। ज़ेह सारा आयोजन निरंकारी सत्संग भवन दोराहा में होगा जो कि नहर के किनारे है। । इस मौके पर कई अन्य संगठनों और लोगों ने भी गहरा दुख व्यक्त किया। 

दुःख-सुख के मौकों पर भी  आराधना टाईम्ज़ के लिए आर्थिक सहयोग का कर्तव्य न भूलें।  

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