Tuesday 12 May 2020

पुरानी कहानियां भी दे रही हैं नए नए संदेश

उनमें छुपे शाश्वत सत्यों को समझिये और जीवन में उतारिये 
लुधियाना12 मई 2020: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्ज़)::
वक्त बदला तो कहानियां भी बदल रही हैं। लॉक डाउन ने बहुत कुछ नया सोचने का वक्त भी दिया है। लॉक डाउन से सन्नाटा छाया मोर भी बाहर आ गये और एनी पक्षी भी। कछुए ने फिर खरगोश को ललकारा तो खरगोश बोला चलो अभी दौड़ते हैं। खरगोश इस बार स्मार्ट निकला। रास्ते में कहीं नहीं रुका और मिनटों में ही मंज़िल पर अपनी जीत का ध्वज लहरा कर लौट आया। इधर कछुआ तो धेरे धीरे सरक ही रहा था। खरगोश बोला मित्र हर युग की बात हर युग में नहीं चलती। मैंने अपनी हार से सबक सीख लिया था। 
इसी तरह एक और पुरानी कथा भी इस समय के लिए आज भी बहुत ही प्रसांगिक है।
एक राजा को राज भोगते काफी समय हो गया था। बाल भी सफ़ेद होने लगे थे। एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने गुरुदेव एवं मित्र देश के राजाओं को भी सादर आमन्त्रित किया। उत्सव को रोचक बनाने के लिए राज्य की सुप्रसिद्ध नर्तकी को भी बुलाया गया। ...✍
Admin: रमन गोयल 
राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्रायें अपने गुरु जी को भी दीं, ताकि नर्तकी के अच्छे गीत व नृत्य पर वे उसे पुरस्कृत कर सकें। सारी रात नृत्य चलता रहा। ब्रह्म मुहूर्त की बेला आयी। नर्तकी ने देखा कि मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है और तबले वाले को सावधान करना ज़रूरी है, वरना राजा का क्या भरोसा दंड दे दे।... तो उसको जगाने के लिए नर्तकी ने एक  दोहा पढ़ा -
"बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिताई।
एक पल के कारने, ना कलंक लग जाए ।"
अब इस दोहे का अलग-अलग व्यक्तियों ने अपने अनुरुप अर्थ निकाला। तबले वाला सतर्क होकर बजाने लगा।
जब यह दोहा  गुरु जी ने सुना और गुरु जी ने सारी मोहरें उस नर्तकी को  अर्पण कर  दीं।
दोहा सुनते ही राजा की लड़की ने  भी अपना नौलखा हार नर्तकी को भेंट कर दिया।
दोहा सुनते ही राजा के पुत्र युवराज ने भी अपना मुकट उतारकर नर्तकी को समर्पित कर दिया।
राजा बहुत ही अचिम्भित हो गया।
सोचने लगा रात भर से नृत्य चल रहा है पर यह क्या! अचानक एक दोहे से सब  अपनी मूल्यवान वस्तु बहुत ही ख़ुश हो कर नर्तिकी को समर्पित कर रहें हैं,
 राजा सिंहासन से उठा और नर्तकी को बोला *एक दोहे* द्वारा एक सामान्य नर्तिका  होकर तुमने सबको लूट लिया ।"

जब यह बात राजा के गुरु ने सुनी तो गुरु के नेत्रों में आँसू आ गए और गुरु जी कहने लगे-"राजा! इसको नीच नर्तिकी  मत कह, ये अब मेरी गुरु बन गयी है क्योंकि इसने दोहे से मेरी आँखें खोल दी हैं। दोहे से यह कह रही है कि मैं सारी उम्र जंगलों में भक्ति करता रहा और आखिरी समय में नर्तकी का मुज़रा देखकर अपनी साधना नष्ट करने यहाँ चला आया हूँ, भाई! मैं तो चला।" यह कहकर गुरु जी तो अपना कमण्डल उठाकर जंगल की ओर चल पड़े।
राजा की लड़की ने कहा-पिता जी! मैं जवान हो गयी हूँ। आप आँखें बन्द किए बैठे हैं, मेरी शादी नहीं कर रहे थे और आज रात मैंने आपके महावत के साथ भागकर अपना जीवन बर्बाद कर लेना था। लेकिन इस नर्तकी के दोहे ने मुझे सुमति दी है कि जल्दबाजी मत कर कभी तो तेरी शादी होगी ही। क्यों अपने पिता को कलंकित करने पर तुली है?"
युवराज ने कहा- "पिता जी ! आप वृद्ध हो चले हैं, फिर भी मुझे राज नहीं दे रहे थे। मैंने आज रात ही आपके सिपाहियों से मिलकर आपका कत्ल करवा देना था। लेकिन इस नर्तकी के दोहे ने समझाया कि पगले! आज नहीं तो कल आखिर राज तो तुम्हें ही मिलना है, क्यों अपने पिता के खून का कलंक अपने सिर पर लेता है। धैर्य रख।"
जब ये सब बातें राजा ने सुनी तो राजा को भी आत्म ज्ञान हो गया। राजा के मन में वैराग्य आ गया। राजा ने तुरन्त फैंसला लिया- "क्यों न मैं अभी युवराज का राजतिलक कर दूँ। फिर क्या था, उसी समय राजा ने युवराज का राजतिलक किया और अपनी पुत्री को कहा-पुत्री! दरबार में एक से एक राजकुमार आये हुए हैं। तुम अपनी इच्छा से किसी भी राजकुमार के गले में वरमाला डालकर पति रुप में चुन सकती हो। राजकुमारी ने ऐसा ही किया और राजा सब त्याग कर जंगल में गुरु की शरण में चला गया।
यह सब देखकर नर्तकी ने सोचा-"मेरे एक दोहे से इतने लोग सुधर गए, लेकिन मैं क्यूँ नहीं सुधर पायी? उसी समय नर्तकी में भी वैराग्य आ गया। उसने उसी समय निर्णय लिया कि आज से मैं अपना बुरा नृत्य  बन्द करती हूं और कहा कि "हे प्रभु! मेरे पापों से मुझे क्षमा करना। बस, आज से मैं सिर्फ तेरा नाम सुमिरन करुँगी ।"
वही कुछ अब लॉक डाउन के दौर में हमारी जिंदगी में भी घटित हो रहा है।
"बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिताई।
एक पल के कारने, ना कलंक लग जाए ।"
 आज हम इस दोहे को यदि हम  कोरोना को लेकर अपनी समीक्षा करके देखे तो हमने पिछले 22 तारीख से जो संयम बरता, परेशानियां झेली ऐसा न हो हमारी कि अंतिम क्षण में एक छोटी सी भूल, हमारी लापरवाही, हमारे साथ पूरे समाज को न ले बैठे।
आओ हम सब मिलकर कोरोना से संघर्ष करे,  घर पर रह सुरक्षित रहे व सावधानियों का विशेष ध्यान रखें।
                                                                                                     --जय सिंह
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Sunday 3 May 2020

पूज्य श्री श्री आनंदमूर्ति जी का 99 वां आनंद पूर्णिमा दिवस 7 मई को

लॉक डाउन के चलते सभी मार्गी घरों में मनाएंगे जन्मोत्सव 
पुरुलिया: 2 मई 2020: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::
आनंद मार्ग के सौजन्य से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस बार पूज्य गुरुदेव भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी का 99 वां आनंद पूर्णिमा दिवस 7 मई 2020 को सभी मार्गी अपने अपने घर में मनाएंगे। यह फैसला कोरोना के चलते लॉक डाउन को देखते हुए लिया गया है। इस संबंध में पुरुलिया स्थित  केन्द्रीय कार्यालय:-आनन्द नगर प.बंगाल से आनंद मार्ग प्रचारक संघ ने सभी मार्गियों के नाम एक अपील भी जारी की है। इस अपील में कहा गया है:
प्रिय मार्गी भाइयों एवं बहनों 
नमस्कार।
आशा करता हूं बाबा के कृपा से आप सपरिवार स्वस्थ होंगे।
वर्तमान वैश्विक संकट कोरोनावायरस के कारण उत्पन्न महामारी से निजात पाने के लिए जो लॉक डाउन लगाया गया उसी के मध्य नजर पूज्य गुरुदेव भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी का 99 वां आनंद पूर्णिमा दिवस 7 मई 2020  को सभी मार्गी अपने अपने घर में ही मनाएंगे।
6 मई को ही संध्या में साधना स्थल को सजा लेंगे।
 कार्यक्रम इस प्रकार है :____ 
 सुबह 4:00 जाग जायें। 
  गुरु सकाश, शपथ स्मरण, उत्क्षेप मुद्रा, नित्य क्रिया, स्नान एवं सज-धज कर पोशाक पहनकर

 4 बजकर 50 मिनट तक अपने घर में जहाँ साधनास्थल तय किया है वहां पर ही परिवार के सभी सदस्य गण बैठकर प्रेम और निष्ठा से 

5:00 बजे 5:35 तक पाञ्चजन्य करें ।
पाञ्चजन्य के उपरांत 

5 बजकर 35 मिनट से लेकर 6:00 बजकर 7 मिनट तक आविर्भाव,  व आगमन के सम्बन्धित प्रभात संगीत गायन करें । 
जो लोग प्रभात संगीत नहीं जानते हैं वे 5 बजकर 35 मिनट से 6 बजकर 7 मिनट तक 
कीर्तन करते रहें। 

6 बजकर 7 में शंख ध्वनि करें और जहां शंख नहीं है वहां कोई भी वाद्य यंत्र जैसे थाली, ताली , झाल बजाकर जयघोष करें ।

 6:10 से 6: 20 तक प्रभात संगीत:- 1. तुमि जे एसे छो आज व्यथित जनेर कथा भाविते, 
2. तुमि एसे छो भालोबेसेछो मोरे विश्वे तोमार नय कोनो तुलना 3.आये हो तुम,आये हो तुम युगों के बाद प्यारे का गायन करें :

 तदोपरांत कीर्तन 6:20 से 6:35 तक और 

6:35 से 7:05 बजे तक आधे घंटे का सामूहिक साधना करें 

7:05 से 7:30 तक आनन्द वाणी पाठ और व्याख्या करें । आनंद वाणी पाठ के बाद सामूहिक रूप से आसन, कौशिकी एवं तांडव करने के बाद प्रसाद वितरण करें। हर्ष उल्लास के साथ स्वादिष्ट भोजन बनाकर पूरे परिवार मिलजुल कर भोजन करें। सेवा के रूप में कम से कम एक आदमी का भोजन(50रूपये) ,अधिक आपकी क्षमता पर निर्भर करता है, कोरोना रिलीफ ऑपरेशन चला रहे अपने भुक्ति कमिटी को 
सुपुर्द करें।
नाश्ता के उपरांत जीवन वेद एवं चर्याचर्य प्रथम भाग द्वितीय भाग एवं तृतीय भाग से प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम अवश्य करें।
दोपहर में सामूहिक साधना करने के बाद मिलित भोजन ग्रहण करें।

विशेष द्रष्टव्य :--- किन्हीं के परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक है या दृढ़ संकल्प शक्ति है तो तो वे 3 घंटे 6 घंटे का अखंड कीर्तन करने के लिए स्वतंत्र हैं।

            आपका ही
आचार्य सत्याश्रयानंद अवधूत
 केंद्रीय धर्म प्रचार सचिव
 आनंद मार्ग प्रचारक संघ