Nov 30, 2019, 11:58 AM
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के सतसंग का सिलसिला निरंतर जारी
लुधियाना: 30 नवंबर 2019: (आराधना टाईम्ज़ ब्यूरो)::
दिव्य ज्योति जाग्रति सस्ंथान द्वारा कैलाश नगर में सत्संग का आयोजन किया गया। सस्ंथान के संचालक एवं संस्थापक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी नीरजा भारती जी ने नामदेव प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भक्त नामदेव भगवान विठ्ठल के बहुत बड़े भक्त थे। उनसे प्रगाढ़ प्रेम करते थे। भगवान विठ्ठल उनके भावों को स्वीकार करने के लिए कई बार मूर्ति से प्रकट हुए क्योंकि भगवान तो भाव के भूख होते हैं। खुद प्रेमस्वरूप भगवान प्रेमावतार लेकर भक्तों के द्वार-द्वार पर अलख जगाते हैं। इसी प्रेम को ग्रहण करने के लिए प्रभु कभी विदुर के घर साग खाते हैं तो कभी शबरी के जूठे बेरों का भोग लगाते हैं। इसी प्रेम के वशीभूत होकर भगवान विठ्ठल नामदेव के समक्ष भी प्रकट होते हैं और उन्हें भक्ति का शाश्वत र्माग प्राप्त करने के लिए कहते हैं। भक्त नामदेव जी ने भक्ति के शाश्वत र्माग को प्राप्त करने के लिए गुरू विशोबा खेचर जी की शरण को प्राप्त किया। गुरू विशोबा खेचर जी ने उन्हें चार पदार्थो का ज्ञान प्रदान किया।
साध्वी जी ने बताया कि श्री हरि के चार हाथ इन्हीं चार पदार्थो की ओर संकेत करते हैं। उनके एक हाथ में है शंख, एक में चक्र, एक में पद्म और एक में गदा है। सुदर्शन चक्र प्रतीक है प्रकाश का, शंख प्रतीक है अनहद नाद का, पद्म अमृत का और गदा प्रतीक है प्रभु के शाश्वत नाम का। गुरू ब्रह्म्ज्ञान द्वारा घट में ये चार पदार्थ प्रकट करता है और दिक्षा के समय ही परमात्मा का दर्शन करवाता है। आज हमें भी ऐसे सतगुरू की आवश्यकता है जो चार पदार्थों का ज्ञान घट के भीतर प्रकट कर दे।
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