Sunday 3 September 2017

गुरुद्धारा दुःख भंजन साहिब में गुरमति आयोजन

भाजपा नेता प्रवीण बांसल ने भी देर रात तक उठाया अलौकिक आनंद 
लुधियाना: 3 सितम्बर 2017: (कार्तिका सिंह//आराधना टाईम्स):: 
बहुत से लोग बेचैन हैं क्यूंकि उनके पास दो वक़्त की रोटी का भी प्रबंध नहीं। गरीबी ही उनको हर दुःख दर्द का कारण लगने लगती है जबकि ऐसा है नहीं।  दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास कितना धन है इसका पता उनको खुद भी नहीं होता लेकिन वे गरीब से भी ज़्यादा दुखी हैं। हिम्मत करके पूछा शायद आपने किसी का हक मारा हो तो वो कर्म और उसका फल आपको दुखी कर रहा हो? जवाब मिला ऐसा भी नहीं। तब याद आये लुधियाना के जाने माने  रागी भाई हरबंस सिंह जगाधरी वाले जो बहुत ही अच्छा कीर्तन किया करते थे और साथ ही ध्यान में बिजली की तरह नाम कौंधा संत सिंह मस्कीन जी का जो कहा करते थे जिसे गुरबाणी का कीर्तन सुन कर आनंद नहीं आता उसे किसी भी सुख-सुविधा या अन्य गीत संगीत से आनंद नहीं आ सकता। 
संगीत के सुनिश्चित रागों में आधारित गुरुबाणी के शब्दों का गायन जब पूरी श्रद्धा और नियम से होता है तो अंतर्मन के सभी ताप और संताप तुरंत दूर होने लगते हैं।  एक अलौकिक सी शीतलता उस रूहानी संगीत की वर्षा से ऐसी उतरती है कि इंसान उसी में लीन हो जाता है।
पर आजकल के व्यस्त समय में न तो किसी के पास वक़्त है और न ही सुविधा के कुछ पल जो इस कीर्तन को सुन कर निहाल हो सके। नसीबों के बिना यह खज़ाना हाथ में आता भी नहीं। आज के व्यस्त जीवन में न्यू कुंदनपुरी में स्थित गुरुद्धारा श्री दुःख भंजन साहिब में अक्सर  ही ऐसे आयोजन होते रहते हैं जो इस तरह के अवसर प्रदान कराते हैं। ऐसा ही एक यादगारी आयोजन हुआ गत 2 सितंबर 2017 की रात को जो आधी रात तक जारी रहा। गर्मी के जाते हुए मौसम में रात के समय रुक रुक कर चलती ठंडी ठंडी हवा इस सारे माहौल को और भी प्राकृतिक और सुंदर बना रही थी। आसमान के सितारे और हवा का छूना आरती के शब्दों की याद दिला  रहा था। महसूस हो रहा था कि कैसे सारी प्रकृति उस अदृश्य भगवान का गुणगान कर रही है। 
इस अवसर पर जो लोग पहुँच सके वो बहुत ही किस्मत वाले लोग थे। इनमें जानेमाने भाजपा नेता प्रवीण बांसल भी शामिल थे जो अक्सर लोगों के हर दुःख सुख में अवश्य पहुंचते हैं। जागरण हो या कीर्तन दरबार वह अपनी हाज़िरी लगवाना नहीं भूलते। खास बात यह भी कि अन्य नेताओं की तरह झट से भागने की नहीं करते बल्कि आराम से बैठ कर भजनों और शब्दों का आनंद लेते हैं। उनकी मौजूदगी से सभी लोग अच्छा महसूस कर रहे थे। 
इस बार गुरमत समागम में भाई प्रिंस पाल सिंह, ज्ञानी निर्मल सिंह, भाई हरविंदर सिंह, भाई राणा प्रताप सिंह  के जत्थों ने कीर्तन और कथा से संगत को निहाल किया और याद दिलाया कि बाहर के इस संसार के साथ साथ एक संसार हमारे अंदर भी होता है। उसका सुधर नहीं हुआ तो बाहर की सारी उन्नति बेकार है। इसलिए अंतर मन की झलक भी लेते  रहना चाहिए और गुरुबाणी इसमें बहुत सहायक है। एक एक शब्द आपको बाहरी संसार और अंतर मन में बसी दुनिया की हकीकत बतलाता है। 
गुरुद्धारा प्रबंधक कमेटी की ओर से श्री बांसल और कीर्तनी जत्थों को सम्मानित भी किया गया। इसके बाद कड़ाह प्रसाद की देग भी सभी ने बहुत सम्मान से ली।  गुरु का अटूट लंगर भी देर रात तक चला जिसका आनंद ही कुछ और था। कुल मिला कर यह एक यादगारी आयोजन रहा। इस बार आपनाहीं आ पाए तो अगली बार के प्रोग्राम में आना न भूलें। 

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