Tuesday 8 August 2017

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने खोले रक्षा बंधन के गहन रहस्य

Tue, Aug 8, 2017 at 3:34 PM
सबसे उत्तम रिश्ता तो भक्त और भगवान का होता

लुधियाना: हमारा भारत देश ही एक ऐसा देश है जिसमें मनाया जाने वाला प्रत्येक पर्व हमें अपनी महान संस्कृति से परिचित करवाता है और हमें अध्यात्मिक रहस्यों से अवगत करवाता है। यह विचार दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा समराला चौक स्थित आश्रम में रक्षा बंधन पर्व को समर्पित भजन प्रभात में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री मीमांसा भारती जी ने कहे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में कोई भी पर्व ऐसा नहीं मनाया जाता जिसका कोई अध्यात्मिक रहस्य न हो और यदि बात करें रक्षा बंधन पर्व की, तो यह पर्व भी हमें अध्यात्मिक संदेश प्रदान करता है। देखें तो यह पर्व है एक भाई-बहन का इस दिन एक बहन अपने भाई की क्लाई पर रेशम की डोर बांध कर अपनी रक्षा का वचन लेती है, परन्तु क्या भाई अपनी बहन की सच में रक्षा कर पाता है? यह प्रश्न वर्तमान समय को देखकर हमारे मन में सच में उठता है, जहां आज सारे रिश्ते तार-तार हो रहे हैं। कितने ही ऐसे लोग हैं जो अपने ही रिश्तों का खून कर रहे हैं। हमारे घरों की बेटियां सुरक्षित नहीं, आए दिन तरह-तरह की खबरें हमें यह सोचने को मजबूर करती हैं कि आज कहीं पर कोई पवित्रता नहीं रही। फिर ऐसे में बहनों की रक्षा कैसे होगी? दूसरी ओर हमारा इतिहास है जो यह बताता है कि जब घर की नारियां असुरक्षित हो जाएं तो उनकी रक्षा कौन करता है। द्रौपदी इसका सबसे बड़ा परिणाम है। कहते हैं एक दिन भगवान श्री कृष्ण जी के हाथ में कुछ लग गया जिसके कारण उनके हाथ से रक्त बहने लगा। द्रौपदी जो पास ही खड़ी थी उसने अपनी साड़ी का पल्लू फाडक़र भगवान श्री कृष्ण जी के हाथ पर बांध दिया, तभी प्रभु ने कहा कि एक दिन में इस कपड़े के एक-एक धागे का रण उतारूंगा। वह दिन आया जब हस्तिनापुर की सभा में द्रौपदी का चीरहरण होने लगा तब भगवान ने साड़ी रूप धारण कर द्रौपदी की रक्षा की, जो काम सभा में बैठे गुरुजन, उसके पति व राजा नहीं कर सके, वह काम तब भगवान श्री कृष्ण जी ने किया। इसलिए संत कहते हैं कि वास्तव में हमारी रक्षा ईश्वर ही करता है। सबसे उत्तम रिश्ता तो भक्त और भगवान का होता है। आज आवश्यकता है कि हम भी उस सच्चे रिश्ते को समझ पाएं, जो कभी खत्म नहीं होता। कार्यक्रम के अंत में सभी साधकों ने गुरु महिमा से ओतप्रोत भजन को सुन परम आनंद को प्राप्त किया। विशेष रूप से गुरप्रीत, गुरचरण सिंह, कर्मजीत सिंह, रमन सैणी, जसवंत सिंह, उदय राज, सुभाष राणा, गुरनाम सिंह, वरुण कुमार आदि उपस्थित रहे।


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