Monday, 28 July 2025

एक दिवसीय गुरबाणी कीर्तन के आयोजन में विशेष प्रवचन

Received From DJJS Ludhiana on 28th July 2025 at 3:41 PM

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का लुधियाना में एक और यादगारी कार्यक्रम 


लुधियाना: 28 जुलाई 2025: (मीडिया लिंक रविंदर//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने अपने स्थानीय आश्रम हरनामपुरा में एक दिवसीय गुरबाणी कीर्तन का आयोजन किया जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी के सेवक गुरुमुख भाई विष्णुदेवानंद जी ने कहा कि हमारे महापुरुष कहते हैं कि बेशक वो ईश्वर सर्वव्यापी है, परन्तु जिसने भी उसे देखा है,  अपने भीतर से देखा है क्योंकि यह शरीर ही ईश्वर का मंदिर है। जो कुछ हम बाहर देखते हैं या जहाँ हम अनंत जन्म लेने के बाद भी नहीं पहुँच सकते, उसे अपने भीतर ही देखा जा सकता है। 

हमारे महापुरुष कहते हैं कि यदि कोई वास्तविक मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद है, तो वह शरीर है। मनुष्य स्वयं बाहरी मंदिर आदि बनाता है, परन्तु यह शरीर रूपी मंदिर स्वयं ईश्वर ने बनाया है। जिसने भी इस मंदिर के भीतर खोजा है, वह निराश नहीं हुआ। 

ईश्वर को खोजने के लिए हम इस शरीर से जितना दूर जाएंगे, वो हमसे उतना ही दूर होते जाएंगे। जैसा कि महापुरुष कहते हैं कि जब एक बच्चा माँ के गर्भ में होता है, तो वह ईश्वर से जुड़ा होता है। उसे ईश्वर के दर्शन हो रहे होते हैं। 

जब वह बच्चा जन्म लेता है, तो उसका ध्यान टूट जाता है। जब उसकी आँखें खुलती हैं, तो वह अपनी माँ को देखता है, फिर अपने भाई-बहनों को, घर के दूसरे लोगों को, मोहल्ले को, शहर को, देश को, विदेश को, इस तरह वह और दूर होता जाता है। इसलिए अगर हमें उस ईश्वर से मिलना है, तो वह बाहर नहीं, हमारे भीतर ही है।

गुरुमुख भाई ने कहा कि अगर हम चाहें कि हमें इस शरीर रूपी मंदिर में उस ईश्वर के दर्शन अपने आप हो जाएं तो यह असंभव है। हमारे धार्मिक शास्त्र कहते हैं कि इसके लिए हमें एक पूर्ण गुरु की शरण लेनी होगी, जो हमारे मस्तक पर  हाथ रखकर हमें अपने इस शरीर रूपी मंदिर में प्रवेश करवा दे। उसके बाद ही हमें ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं, उससे पहले नहीं।